आज हम आपको इस लेख में करवा चौथ की कहानी (Karva Chauth Ki Kahani) देंगे। हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। यह पर्व मुख्यतया उत्तर भारत में ज्यादा प्रसिद्ध हैं जैसे कि राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उतराखंड, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व दिल्ली।
यह पर्व मुख्यतया सुहागिन महिलाओं के लिए होता हैं। जिन स्त्रियों का विवाह हो चुका हैं वे अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। आज हम आपको करवाचौथ की कहानी (Karwa Chauth Ki Kahani) समेत करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है, इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
Karva Chauth Ki Kahani | करवा चौथ की कहानी
इस पर्व से जुड़ी सबसे मुख्य कथा वीरवती की हैं जो अपने सात भाइयों की एकलौती बहन थी। विवाह के पश्चात अपने पहले करवा चौथ के व्रत पर वह अपने मायके आयी हुई थी लेकिन पूरे विधि-विधान के साथ उसने यह व्रत रखा था।
चूँकि यह उसका पहला करवाचौथ का व्रत था, इसलिये संध्या होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी। जब उसके भाई काम से लौटे तो अपनी बहन को इतना कमजोर देखकर उन्होंने पीपल के वृक्ष के पीछे दीपक की रोशनी को चंद्रमा कहकर अपनी बहन का व्रत तुड़वा दिया।
व्रत टूटते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला जिसे सुनकर वह बहुत दुखी हुई। बाद में चौथ माता के आदेश पर उसने फिर से करवा चौथ का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ किया व अपने पति को पुनर्जीवित किया। इतना ही नहीं, करवा चौथ से जुड़ी कुछ अन्य कहानियां (Karwa Chauth Ki Kahani) भी प्रचलित है। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
- एक बार अर्जुन के नीलगिरी पर्वत पर जाने के कारण सभी पांडव बहुत परेशान थे। तब श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत किया था। उसके कुछ दिनों के बाद अर्जुन सकुशल लौट आए थे।
- एक बार जब करवा नाम की स्त्री के सतीत्व की वजह से उसके पति के प्राण बचे थे। उसके पति को मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। तब यमराज ने करवा के कहने पर उसके पति के प्राणों की रक्षा की थी।
इसी तरह की कुछ और कहानियां भी है। साथ ही ऊपर बताई गई करवा चौथ की कहानी (Karva Chauth Ki Kahani) में भी कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि ऊपर हमने आपको वीरवती की जो कहानी सुने है, उसमे भी कई तरह की मान्यताएं देखने को मिलती है। जैसे कि:
- वीरवती को पुनः करवा चौथ का व्रत करने को माता पार्वती या फिर इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने कहा था।
- वीरवती का व्रत मुख्य रूप से छठे भाई के कारण टूटा था। ऐसे में अगले करवा चौथ को छठे भाई और उसकी पत्नी ने ही वीरवती के पति को ठीक किया था।
इस तरह से करवाचौथ की कहानी में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। हालाँकि हमने सबसे प्रचलित कथा को आपके सामने रखा है। ऐसे में वीरवती की कथा को विस्तार से पढ़ने व करवाचौथ से जुड़ी अन्य कथाओं के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।
करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है?
अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न आता हैं कि करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाओं को किन नियमो का पालन करना आवश्यक होता हैं। तो हम यह पहले ही बता देना चाहते हैं कि इस दिन व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नही या फिर निर्जला व्रत रखना चाहिए व इस व्रत में क्या-क्या नियम मानने होते हैं, इन सभी को लेकर कोई एक सार्वभौमिक तथ्य नही हैं। इसे राज्य, समाज, संस्कृति व परंपराओं के अनुसार किया जाता हैं किंतु सभी का सार एक ही होता हैं।
इसलिये आज हम आपको इस दिन माने जाने वाले कुछ मुख्य नियम व विधियों से अवगत करवा देते हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय होने से पहले व संध्या को चंद्रमा के दर्शन होने तक चलता हैं। इस दिन घर की सभी सुहागिन महिलाएं सूर्योदय होने से एक-दो घंटे पूर्व उठ जाती हैं तथा स्नान आदि करके सरगी बनाती हैं। व्रत की संपूर्ण विधि जानने के लिए यहां क्लिक करे।
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करवा चौथ की सरगी
सरगी करवाचौथ के दिन एक सास के द्वारा अपनी बहु को दी जाती हैं। सरगी में मुख्यतया मेवे (काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता इत्यादि), फल, मिठाइयाँ, सेवईयों की खीर, गुड़ वाली मठरी/ सवाली इत्यादि सम्मिलित होते हैं। ध्यान रखे सरगी में आप तले-फले भोजन का सेवन ना करे अन्यथा बाद में समस्या हो सकती हैं। सरगी खाने से पूरे दिन भूखे रहनी की शक्ति महिलाओं में आती हैं।
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सूर्योदय से पहले यह खाए
सूर्योदय होने से पूर्व ही आपको सरगी का सेवन करना हैं। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखे कि यदि आप निर्जला व्रत करने जा रही हैं तो बहुत सारा पानी भी पी ले। इस समय आप चाय या कॉफ़ी का सेवन करने से बचे क्योंकि यह आपके पेट में गैस बना सकता हैं। करवाचौथ के व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नही, इसे विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे।
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करवा चौथ का सोलह श्रृंगार
यह दिन महिलाओं के लिए सजने-संवरने का भी दिन होता हैं। भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सोलह श्रृंगार करने की परंपरा बहुत प्राचीन है जिसमें चूड़ियाँ पहनना, बिंदी, सिंदूर लगाना, इत्यादि सम्मिलित हैं। इसलिये करवा चौथ के दिन आप अपने सबसे प्रिय वस्त्र/ साड़ी पहने व सोलह श्रृंगार अवश्य करे। करवा चौथ के दिन हर महिला की सुंदरता देखने लायक होती हैं मुख्यतया नवविवाहिता महिलाओं की।
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शाम को करवा चौथ की व्रत कथा
अलग-अलग परंपराओं के अनुसार कुछ महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं जैसे कि ना अन्न व ना जल का सेवन, तो कुछ महिलाएं जल का सेवन कर लेती हैं तो वही कुछ महिलाएं अपनी सुविधानुसार फल इत्यादि का सेवन कर लेती हैं।
संध्या के समय सभी महिलाएं एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। इस पूजा में माता पार्वती और भगवान शिव की परिवार सहित पूजा की जाती हैं व अपने पति के दीर्घायु होने की कामना की जाती हैं। उसके बाद शुरू होती हैं चंद्रमा के निकलने की प्रतीक्षा।
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करवा चौथ का व्रत पूरा होना
सच माने तो इस दिन चंद्रमा भी सभी महिलाओं को बहुत बार तरसाते हैं व जल्दी से नहीं निकलते हैं। घर की महिलाएं बार-बार अपने घर की छत पर चंदा मामा के निकलने की प्रतीक्षा करती हैं लेकिन वे भी जल्दी नही निकलते। लेकिन जैसे ही वे निकलते हैं तो यह सूचना आग की तरह फैल जाती हैं। आखिर फैले भी क्यों नही, सभी महिलाएं भूख से व्याकुल जो होती हैं।
चंद्रमा के निकलते ही सभी महिलाएं उन्हें प्रणाम कर जल चढ़ाती हैं या यूँ कहे कि अर्घ्य देती हैं। करवा चौथ का व्रत तोड़ने की परंपरा भी अलग-अलग हैं लेकिन सभी में सम्मिलित रूप से अपने पति के प्रति प्रेम दिखाई देता हैं। कुछ स्त्रियाँ छलनी लेकर उसमे से अपने पति व चंद्रमा को देखती हैं व फिर पति उन्हें जल पिलाते हैं व भोजन का एक निवाला खिलाते हैं। उसके बाद पत्नियाँ अपने पति से आशीर्वाद लेती हैं व उनकी पूजा करती हैं। यह मुख्यतया भारतीय सिनेमा में दिखाया जाता हैं इसलिये आजकल इसका प्रचलन ज्यादा हैं।
लेकिन यह आवश्यक नही कि व्रत को इस प्रकार ही तोड़ा जाए। कुछ महिलाएं छलनी में केवल चंद्रमा को देखकर व्रत तोड़ती हैं तो कुछ सामान्य तरीक से। मुख्यतया इसमें अपने पति की आरती उतारनी होती हैं व उनकी चरण वंदना करनी होती हैं। उसके पश्चात ही भोजन ग्रहण किया जाता है।
आजकल तो पुरुष भी अपनी पत्नियों के लिए करवा चौथ का व्रत रखने लगे हैं तथा व्रत में अपनी पत्नियों का साथ निभाने लगे हैं। वैसे तो परंपरा व संस्कृति समय के अनुसार बदलती रहती हैं व उसी जमाने के अनुसार स्वयं को ढाल लेती हैं। यही सनातन धर्म की सबसे मुख्य पहचान हैं जो इसे अन्य सभी धर्मों से लचीला व शाश्वत धर्म बनाती हैं।
करवाचौथ की शुभकामनाएं
अब यदि आप अपने पति या पत्नी को करवाचौथ की शुभकामनाएं देने चाहते हैं तो वह भी हम आपको दे देते हैं। आइए पढ़ते हैं।
पति के लिए
आपके बिना जीने का सोच नही सकती,
आपके बिना मरने का भी सोच नही सकती,
जब तक हो आप साथ मेरे,
तो मैं करवाचौथ का त्यौहार भूल नही सकती।
पत्नी के लिए
ये जो तुमने हाथों पर मेहंदी लगायी हैं,
ये जो तुमने माथे पर सिंदूर चढ़ाया हैं,
हाथों पर कंगन-चूड़ियाँ जो तुम खनका रही हो,
तुम्हारा चाँद तो बाद में निकलेगा,
लेकिन मेरा चाँद तो सुबह से ही निकल आया हैं।
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इस तरह से आज आपने करवा चौथ की कहानी (Karva Chauth Ki Kahani) को जान लिया है। साथ ही करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है, इसकी जानकारी भी ले ली है। आशा है कि आपको करवाचौथ की कहानी और उसका महत्व समझ में आ गया होगा।
करवा चौथ की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: करवा चौथ की कहानी कौन सी है?
उत्तर: करवा चौथ की कहानी वीरवती से जुड़ी हुई है जो सात भाइयों की एकलौती बहन थी। इस संपूर्ण कहानी को हमने इस लेख में बताया है, जिसे आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: करवा चौथ की हिस्ट्री क्या है?
उत्तर: करवा चौथ की हिस्ट्री यहीं है कि इस दिन वीरवती ने करवा चौथा का कठिन व्रत कर अपने पति को पुनर्जीवित किया था। बस इसी के बाद से ही करवाचौथ व्रत का महत्व बढ़ता चला गया।
प्रश्न: करवा चौथ की सच्चाई क्या है?
उत्तर: करवाचौथ के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए भूखे-प्यासे रहकर व्रत करती है। इसके माध्यम से वे चौथ माता से प्रार्थना करती है कि उनके पति दीर्घायु व स्वस्थ बने रहे।
प्रश्न: करवा चौथ की कहानी कितने बजे सुननी चाहिए?
उत्तर: सुबह उठकर स्नान इत्यादि करके करवा चौथ की कहानी सुनी जा सकती है। कहानी को सुनने से पहले पानी भी नहीं पीना होता है। उसके बाद ही कुछ पिया जा सकता है।
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