आज हम आपको करवा चौथ की विधि (Karva Chauth Ki Vidhi) बताएँगे जो व्रत करते समय की जाती है। हर वर्ष सुहागिन महिलाओं के द्वारा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत किया जाता हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी व स्वस्थ आयु की कामना करने के लिए व्रत रखती हैं व भगवान से उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं।
विभिन्न समाज में करवा चौथ को मनाने की विभिन्न परंपराएँ देखने को मिलती हैं व किसी को भी गलत नही ठहराया जा सकता हैं। एक महिला को अपने समाज व कुल की परंपरा के अनुसार ही करवा चौथ पूजन विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi) का पालन करना चाहिए तभी उसे पूरा फल मिलता हैं। आज हम आपको करवा चौथ करने की विधि के बारे में बताएँगे।
करवा चौथ की विधि | Karva Chauth Ki Vidhi
इसे हम चरणबद्ध तरीके से आपके सामने प्रस्तुत करेंगे। आइए जानते हैं:
- करवा चौथ के दिन प्रातःकाल सूर्योदय होने से एक से दो घंटे पहले उठ जाए।
- उठने के बाद स्नान आदि करके तैयार हो जाए व सरगी का भोजन ग्रहण करे। इस बात का विशेष ध्यान रखे कि सरगी का भोजन आप सूर्योदय से पहले ही कर ले।
- सरगी ग्रहण करने के पश्चात ही करवाचौथ का व्रत शुरू होता हैं व फिर आप संध्या में चंद्रमा के दर्शन किए बिना कुछ नही खा-पी सकती हैं।
- इस दिन आप अपनी इच्छानुसार वस्त्र पहने जो आप पर सबसे प्रिय लगे। मुख्यतया महिलाएं इस दिन लाल साड़ी का जोड़ा पहनना पसंद करती हैं। यह दिन महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार करने का भी दिन होता हैं इसलिये आप इसे भूले नही।
करवा चौथ पूजन विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
- अब जहाँ आपको पूजा करनी हैं वहां गेरू से फलक बनाए व पीसे चावलों के घोल से कालवा दीवार पर चित्रित करे। इसे कालवा धरना कहा जाता हैं।
- पूरे दिन भगवान शिव, माता पार्वती व उनके परिवार का स्मरण अवश्य करे।
- अब पूजा स्थल पर पीली मिट्टी की सहायता से माँ पार्वती/ गौरी का स्वरुप बनाए व उनकी गोद में गणेश जी को बिठाएं। माता रानी को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करे।
- ध्यान रखे पूरे दिन आपको अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नही करना हैं। इसके साथ ही माता गौरी व गणेश की प्रतिमा को पीली मिट्टी से ही बनाए।
- लकड़ी की चौकी पर माता रानी को स्थापित करने के पश्चात उन्हें लाल चुनरी पहनाएं व श्रृंगार का सामान अर्पित करे।
- संध्या के समय सभी महिलाएं तैयार होकर पूजा करने बैठे व अपने परिवार की परंपरा के अनुसार करवाचौथ व्रत कथा सुने व पूजा संपन्न करे।
- माता रानी को भोग लगाने के लिए आठ पूड़ियों की अठावरी, हलवा व भोजन बनाए व उसका मातारानी को भोग लगाए।
- कथा सुनते समय करवे को अपने हाथ में रखे। यह करवा मिट्टी का चोंचदार कलश होता हैं जिसमे प्रथानुसार सामान रखा जाता हैं।
- पूजा के पश्चात अपने घर के सभी बड़ो की चरण वंदना करे व उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।
- अब संध्या में जब चंद्रमा निकल जाए तब उन्हें अर्घ्य दे व प्रणाम करे।
- इसके बाद अपने पति की आरती उतारे व उनके मंगलकामना की प्रार्थना करे। उनके चरण स्पर्श करे व उनके हाथ से जल ग्रहण करे।
- इसके पश्चात आप अन्न व जल को ग्रहण कर सकती हैं।
इस प्रकार एक सुहागिन स्त्री का पर्व करवा चौथ का व्रत समाप्त हो जाता हैं। इस पर्व से पति-पत्नी के बीच प्रेम की भी बढ़ोत्तरी होती हैं। इसे ही करवा चौथ की विधि (Karva Chauth Ki Vidhi) कहा जाता है जिसका पालन व्रत रखने वाली महिलाएं करती है।
अब जैसा कि हमने ऊपर ही बताया कि आपके कुल की परंपरा के अनुसार इस विधि में थोड़ा बहुत बदलाव देखने को मिल सकता है। ऐसे में आपको अपने कुल की परंपरा का पालन करना चाहिए और उसके अनुसार ही करवा चौथ पूजन विधि अपनानी चाहिए।
करवा चौथ की विधि से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: करवा चौथ की पूजा विधि क्या है?
उत्तर: करवा चौथ की पूजा विधि के अनुसार एक महिला को सूर्योदय से पहले सरगी लेनी चाहिए। उसके बाद पूरे दिन कुछ भी नहीं खाना-पीना चाहिए। उसके बाद शाम में चंद्रमा के दर्शन होने के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए।
प्रश्न: करवा चौथ के दिन चांद की पूजा कैसे करते हैं?
उत्तर: करवा चौथ के दिन चांद की पूजा करने के लिए उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद अर्घ्य दिए गए जल की परिक्रमा की जाती है और उस जल को अपने माथे पर लगाया जाता है।
प्रश्न: करवा चौथ के पति की पूजा कैसे करते हैं?
उत्तर: करवा चौथ के दिन पति की आरती उतारी जाती है और उनके दीर्घायु होने की प्रार्थना चौथ माता से की जाती है। इसके बाद ही अन्न-जल ग्रहण किया जाता है।
प्रश्न: करवा चौथ चंद्रमा पूजा कैसे करें?
उत्तर: करवा चौथ चंद्रमा पूजा करने के लिए पहले उन्हें अर्घ्य दे। साथ ही उन्हें प्रणाम भी करे अब अर्घ्य दिए गए जल की परिक्रमा करके उसे अपने माथे से लगाए।
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