आज हम आपके साथ ललिता माता की आरती (Lalita Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। भगवान शिव की प्रथम पत्नी का नाम माता सती था जिन्होंने यज्ञ कुंड की अग्नि में कूद कर आत्म-दाह कर लिया था। हालाँकि अनिष्ट होने की आशंका शिव को पहले ही हो गयी थी तभी उन्होंने माता सती को यज्ञ में जाने को मना किया था। तब माता सती ने अपनी दस महाविद्याओं का प्रदर्शन शिव के सामने किया था जिनमें से एक माता ललिता भी थी।
ललिता देवी की आरती (Lalita Aarti) के माध्यम से माता ललिता के गुणों, शक्तियों व महत्व इत्यादि को वर्णित किया गया है। यही कारण है कि आज हम आपके सामने ललिता आरती हिंदी में भी रखेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें। ललिता माता को त्रिपुर सुंदरी या षोडशी माता के नाम से भी जाना जाता है। अंत में आपको ललिता आरती पढ़ने के फायदे व महत्व भी जानने को मिलेंगे।
Lalita Mata Ki Aarti | ललिता माता की आरती
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी,
राजेश्वरी जय नमो नमः।
करुणामयी सकल अघ हारिणी,
अमृत वर्षिणी नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः,
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी,
खलदल नाशिनी नमो नमः॥
भण्डासुर वधकारिणी जय माँ,
करुणा कलिते नमो नम:।
जय शरणं वरणं नमो नमः,
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥
भव भय हारिणी, कष्ट निवारिणी,
शरणागति दो नमो नमः।
शिव भामिनी साधक मन हारिणी,
आदि शक्ति जय नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः,
जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः।
जय राजेश्वरी जय नमो नमः,
जय ललिते माता नमो नमः।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी,
राजेश्वरी जय नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः॥
Lalita Aarti | ललिता देवी की आरती – अर्थ सहित
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी,
राजेश्वरी जय नमो नमः।
करुणामयी सकल अघ हारिणी,
अमृत वर्षिणी नमो नमः॥
हे हम सभी की मातारानी व देवी!! हे तीनों लोकों की ईश्वरी!! आपकी जय हो। सभी जगह राज करने वाली माता ललिता की जय हो, उन्हें हम सभी का नमन है। वे ही करुणा का रूप हैं और हम सभी का संकट भी वही दूर करती हैं। वे ही हम सभी पर अमृत की वर्षा करती हैं और उन्हें हमारा प्रणाम है।
जय शरणं वरणं नमो नमः,
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी,
खलदल नाशिनी नमो नमः॥
जो भी ललिता माता की शरण में जाता है, मातारानी उसे भक्त मानकर अपना लेती हैं। वे ही हम सभी की माता व तीनों लोकों की देवी हैं। ललिता माता सभी तरह के अशुभ या बुरे कार्यों का नाश कर देती हैं और हमें सुख प्रदान करती हैं। वे ही दुष्टों का सेना सहित वध कर देती हैं और उन्हें हमारा नमन है।
भण्डासुर वधकारिणी जय माँ,
करुणा कलिते नमो नम:।
जय शरणं वरणं नमो नमः,
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥
उन्होंने ही भंडासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था, इसलिए उनकी जय हो। वे ही इस जगत में करुणा की सागर हैं और सभी पर दया दिखाती हैं। वे अपनी शरण में आये हुए व्यक्ति का उद्धार कर देती हैं। वे हम सभी की माता व तीनों लोकों की देवी हैं।
भव भय हारिणी, कष्ट निवारिणी,
शरणागति दो नमो नमः।
शिव भामिनी साधक मन हारिणी,
आदि शक्ति जय नमो नमः॥
वे इस जगत के सभी तरह के भय को दूर कर देती हैं और हम सभी के कष्ट मिटा देती हैं। हे माता ललिता!! हमें अपनी शरण में ले लीजिये। वे ही शिव की संगिनी तथा साधकों के मन को हरने वाली हैं। वे ही माँ आदि शक्ति के रूप में पूजनीय हैं और उन्हें हमारा नमन है।
जय शरणं वरणं नमो नमः,
जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः।
जय राजेश्वरी जय नमो नमः,
जय ललिते माता नमो नमः।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी,
राजेश्वरी जय नमो नमः॥
अपनी शरण में लेकर हमारा उद्धार करने वाली ललिता माँ को हमारा नमन है। त्रिपुर सुंदरी माता को हमारा नमन है। राजेश्वरी माता को हमारा नमन है। ललिता माता को हमारा नमन है। वे ही हम सभी की माता व तीनों लोकों की ईश्वरी हैं। उन राजेश्वरी को हमारा नमन है।
ललिता माता की आरती का महत्व
श्री ललिता आरती के माध्यम से माता ललिता के बारे में प्रत्येक जानकारी दी गयी है। ऊपर का लेख पढ़कर आपने जाना कि ललिता माता की क्या कुछ शक्तियां हैं, उनका क्या औचित्य है, वे किन गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं, इस रूप में उनकी मान्यता क्यों है तथा उनका माँ सती के द्वारा प्रकटन किस उद्देश्य के तहत किया गया था।
तो यही सब बातें आम जन को बताने और माता ललिता का महत्व बताने के लिए ही ललिता माता की आरती लिखी गयी है। इसे नित्य रूप से पढ़कर हमें ललिता माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे हमारा जीवन सुखमय बन जाता है। यही ललिता माता आरती का महत्व होता है।
ललिता आरती पढ़ने के फायदे
जो व्यक्ति नित्य रूप से ललिता माता की आरती को पढ़ता है या सुनता है, उसके सभी काम बन जाते हैं। मां ललिता उससे बहुत प्रसन्न होती हैं और उसकी हर मनोकामना को पूरा कर देती हैं। ललिता देवी की आरती के प्रतिदिन पाठ से व्यक्ति को सुन्दर रूप की प्राप्ति होती है और उसके मुख पर कांति आती है। चूँकि ललिता माता को त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है, ऐसे में वे अपने भक्तों के रूप को निखारने का काम करती हैं।
इसी के साथ ही यदि आप जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं तो ललिता आरती का निरंतर पाठ करने से ना केवल आपको सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है बल्कि विवाह में आ रही हरेक अड़चन भी दूर हो जाती है। वहीं जो भक्तगण पहले से ही विवाहित हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। श्री ललिता माता आरती के जाप से व्यक्ति का मन नियंत्रण में रहता है तथा वह जल्दी से विचलित नहीं होता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने ललिता माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Lalita Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने ललिता देवी आरती पढ़ने के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
ललिता माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मां ललिता देवी कौन है?
उत्तर: मां ललिता देवी माँ सती के द्वारा प्रकट की गयी दस महाविद्याओं में से एक महाविद्या है जिन्हें त्रिपुर सुंदरी या षोडशी देवी के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न: ललिता देवी की राशि क्या है?
उत्तर: ललिता देवी की राशि मेष होती है इस राशि वाले लोग बहुत ही उत्साही, बलशाली, साहसी व चुनौतियों का डटकर सामना करने वाले होते हैं।
प्रश्न: ललिता की स्पेलिंग क्या होगी?
उत्तर: दक्षिण भारत के लोग ललिता को Lalitha के रूप में लिखते हैं तथा शेष भारत (उत्तर, पूर्व, पश्चिम व मध्य) के लोग ललिता को Lalita करके लिखते हैं।
प्रश्न: ललिता का पर्यायवाची क्या है?
उत्तर: यदि हम ललिता शब्द के अर्थ या पर्यायवाची की बात करें तो ललिता शब्द एक सुंदर स्त्री की संज्ञा है जिसे हम मोहिनी या कामिनी भी कह सकते हैं।
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