रामायण में श्रीराम के योद्धाओं और स्वयं श्रीराम के साथ लव कुश की लड़ाई (Luv Kush Ki Ladai) के बारे में कौन नहीं जानता होगा!! जब लव कुश ने श्रीराम का अश्वमेघ घोड़ा पकड़कर उनके साम्राज्य को चुनौती दी तो उनका सामना श्रीराम के कई योद्धाओं से हुआ लेकिन एक-एक करके उन्होंने सभी को पराजित कर दिया।
उनसे युद्ध करने श्रीराम के तीनों भाई (भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न), सुग्रीव तथा स्वयं हनुमान भी आए थे। सभी को उन्होंने पराजित कर दिया था तथा हनुमान तो उनके द्वारा बंदी भी बना लिए गए थे।
यह देखकर श्रीराम स्वयं उनसे युद्ध करने पहुँचे। हालाँकि ना ही श्रीराम को लव कुश के अपने पुत्र होने का पता था तथा न ही लव कुश को श्रीराम के अपने पिता होने का ज्ञान था। इसी अज्ञानतावश श्रीराम और लव कुश का युद्ध (Love Kush Yuddh) शुरू होने ही वाला था कि महर्षि वाल्मीकि जी वहाँ पहुँच गए।
Luv Kush Ki Ladai | लव कुश की लड़ाई
लव कुश ने श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़कर अयोध्या के राज सिंहासन को चुनौती दी थी। हालाँकि दोनों बच्चे नादान थे लेकिन नादानी में वे बहुत बड़ी गलती कर रहे थे। ऊपर से महर्षि वाल्मीकि जी ने उन्हें बहुत ही कम आयु में संपूर्ण शस्त्र विद्या सिखा दी थी। वे श्रीराम और माता सीता के पुत्र भी थे जिस कारण उन्हें इसे जल्दी सीखने में कोई समस्या भी नहीं हुई।
इतना ही नहीं, लव कुश के पास महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा प्रदान किए गए दैवीय अस्त्र भी थे। वहीं उन पर सामने से कोई दैवीय अस्त्र चलाया जाता तो वाल्मीकि जी का गुरु कवच उनकी रक्षा करता था। इसी कारण श्रीराम के सभी योद्धा, भाई-बंधू लव कुश के साथ युद्ध में पराजित हो चुके थे। ऐसे में स्वयं भगवान श्रीराम लव कुश से युद्ध करने पहुँच गए थे।
यदि पिता और पुत्र के बीच युद्ध हो जाता तो यह इतिहास में एक कलंक के रूप में याद किया जाता जिसका दोष महर्षि वाल्मीकि जी को लगता। इसी कारण श्रीराम और लव कुश का युद्ध (Love Kush Yuddh) शुरू होने से पहले ही वाल्मीकि जी के द्वारा रोक दिया गया था। वे शुरुआत से ही अपनी दिव्य दृष्टि से सब घटनाक्रम को देख रहे थे। जब उन्हें लगा कि अब अनर्थ हो सकता है तो वे भागे-भागे वहाँ आ पहुँचे थे। जाने तब क्या हुआ था।
Love Kush Yuddh | वाल्मीकि जी ने रुकवाया श्रीराम और लव कुश का युद्ध
महर्षि वाल्मीकि के वहाँ पहुँचते ही सभी ने अपने अस्त्र छोड़ दिए तथा श्रीराम ने उनकी चरण वंदना की। उसके पश्चात महर्षि वाल्मीकि जी ने श्रीराम को समझाया कि एक राजा का उत्तरदायित्व स्त्री, वृद्ध तथा बालकों की रक्षा करने का होता है। इसलिए उन्हें बालकों के हठ के कारण क्रोधित होकर उन पर आक्रमण नहीं करना चाहिए।
इस पर श्रीराम ने कहा कि वे यह भलीभाँति जानते हैं लेकिन ये बालक बहुत हठी हैं तथा इनके द्वारा अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को पकड़ा गया है जो अयोध्या के साम्राज्य को एक चुनौती है। साथ ही कई योद्धाओं के साथ युद्ध करके उन्हें भी इन्होंने परास्त कर दिया है इसलिए उन्हें स्वयं युद्ध के लिए आना पड़ा।
इसके पश्चात महर्षि वाल्मीकि जी ने लव कुश का गुरु होने के नाते उन्हें समझाया कि श्रीराम हमारे राजा हैं तथा हम उनकी नगरी में रहते हैं तथा एक राजा के विरुद्ध अस्त्र उठाना राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है जो कि अनुचित है। एक राजा अपनी प्रजा के लिए पिता के समान होता है। इसलिए राजा के विरुद्ध अस्त्र उठाने का अर्थ अपने पिता के सामने अस्त्र उठाना होता है।
इसलिए उन्होंने लव कुश को समझाया कि एक आदर्श नागरिक होने के नाते वे अपनी हठ को छोड़ दें तथा श्रीराम को उनका घोड़ा वापस दे दें। अपने गुरु की आज्ञा मानकर लव कुश ने श्रीराम से क्षमा मांगी तथा उन्हें घोड़ा वापस लौटा दिया।
लव कुश और श्रीराम का संवाद
घोड़ा लौटाने से पूर्व कुश ने श्रीराम से प्रश्न किया कि जब वे स्वयं सीता को निर्दोष मानते हैं तो क्यों उन्होंने कुछ लोगों के कहने पर माता सीता का त्याग कर दिया तथा उन्हें निःसहाय अवस्था में वन में छोड़ दिया। इस पर श्रीराम ने इसका कारण राजधर्म का पालन करना बताया तथा उन्हें समझाया कि एक सामान्य नागरिक तथा राजा के धर्म में अंतर होता है।
राजा केवल वही निर्णय करता है जो उसकी प्रजा का मत हो। इसलिए उस समय प्रजा का मत यही था तथा इसी के फलस्वरुप उन्होंने माता सीता का त्याग कर दिया। इसके बाद श्रीराम अपनी सेनासहित वह घोड़ा लेकर अयोध्या लौट गए।
लव कुश युद्ध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: राम ने लव कुश से युद्ध क्यों नहीं किया?
उत्तर: श्रीराम और लव कुश का युद्ध शुरू होने ही वाला था कि महर्षि वाल्मीकि ने बीच में आकर उसे रुकवा दिया था। इस कारण दोनों के बीच युद्ध नहीं हो पाया था।
प्रश्न: लव कुश कौन थे उन्होंने किसके साथ युद्ध किया?
उत्तर: लव कुश भगवान श्रीराम और माता सीता के पुत्र थे। उन्होंने अपने चाचा और अपने पिता के सहयोगियों व मित्रों के साथ युद्ध किया था।
प्रश्न: राम के बाद अयोध्या पर किसने शासन किया?
उत्तर: राम के बाद अयोध्या पर उनके दोनों पुत्रों लव व कुश ने शासन किया था।
प्रश्न: रामायण में कौन सा कांड नहीं पढ़ा जाता है?
उत्तर: सामान्य तौर पर रामायण का अंतिम काण्ड अर्थात उत्तर रामायण या लव कुश काण्ड को नहीं पढ़ा जाता है।
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जय श्री राम जय हनुमान जय बजरंगबली की जय हो