बहुत से लोगों के मन में स्वामी दयानंद सरस्वती जी की मृत्यु को लेकर संदेह रहता है। उदाहरण के तौर पर, स्वामी दयानंद की मृत्यु कब हुई (Swami Dayanand Saraswati Ki Mrityu Kab Hui) या फिर दयानंद सरस्वती की मृत्यु कैसे हुई इत्यादि।
क्या स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु एक सामान्य मृत्यु (Dayanand Saraswati Ki Mrityu Kaise Hui Thi) थी या उन्हें किसी षड्यंत्र के तहत मार दिया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने हिंदू धर्म सहित विश्व के लगभग सभी प्रमुख धर्मों पर टीका-टिपण्णी की थी। आज हम स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु के रहस्य व उसके कारणों के बारे में जानेंगे।
स्वामी दयानंद की मृत्यु कब हुई?
स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु 30 अक्टूबर 1883 को हो गई थी। उनकी मृत्यु या उसके पीछे छिपे षड्यंत्र को जानने से पहले इस बारे में जानना आवश्यक है कि आखिर इसके पीछे क्या मुख्य कारण थे। दरअसल इसके पीछे स्वामी दयानंद सरस्वती के अन्य धर्मों के प्रति विरोधावासी विचार, भारत पर शासन कर रही अंग्रेज सरकार के प्रति स्वतंत्रता की ललक जगाना व समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाना सम्मिलित है।
कुछ चुनिंदा कारणों को नीचे रेखांकित किया जा रहा (Swami Dayanand Saraswati Ki Mrityu Kab Hui) है।
- हिंदू धर्म में केवल वेदों को सर्वोच्च मानना व मूर्ति पूजा का विरोध करना।
- श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसे ईश्वर के रूपों को ईश्वर मानने से मना करना और उन्हें केवल इतिहास के महापुरुषों की संज्ञा देना।
- इस्लाम धर्म का अत्यधिक विरोध, अल्लाह को भगवान मानने से इंकार व मुस्लिम समाज को मानवता का शत्रु तक बता देना।
- अन्य धर्मों की नीतियों का उपहास उड़ाना या उन्हें सिरे से नकार देना।
- अंग्रेज सरकार के विरुद्ध देशवासियों में स्वतंत्रता की ललक जगाना।
- हिंदू धर्म से अन्य धर्म में हो रहे धर्मांतरण के विरुद्ध आवाज उठाना।
- कई सामाजिक कुरीतियों का विरोध करना जैसे कि सती प्रथा, बाल विवाह इत्यादि।
दयानंद सरस्वती की मृत्यु के षड्यंत्र
ऐसे ही कुछ कारण थे कि दयानंद सरस्वती की हत्या करने के लिए कई आंतकवादी व मुस्लिम संगठन, राजनीतिक शक्तियां, ब्रिटिश कंपनी लालायित हो उठी। अरब व मुस्लिम संगठनों से उन्हें सबसे ज्यादा खतरा होता था क्योंकि उन्होंने सबसे प्रखर आवाज इस्लाम के विरुद्ध ही उठाई थी।
उनकी हत्या के एक नहीं अपितु कई प्रयास किए गए लेकिन हर बार वे बच निकले। उनके भोजन में कई बार विष मिलाया गया लेकिन प्रतिदिन योग करने के कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत हो चुकी थी इसलिए वे बच निकले।
एक बार जब वे गंगा किनारे ध्यान लगा रहे थे तब मुस्लिम लोगों ने उन पर हमला कर दिया व गंगा नदी में फेंक दिया। उन लोगों ने कुछ समय तक उनके डूबने की प्रतीक्षा की व फिर वहां से चले गए। स्वामी जी प्रतिदिन प्राणायाम व सांस रोकने का प्रयत्न करते थे जिस कारण उन्होंने हमलावरों के जाने तक पानी के अंदर सांस रोक कर रखी। उनके जाने के बाद वे गंगा नदी से निकल आए व अपने प्राणों की रक्षा की।
इस प्रकार अन्य कई मौकों पर उन पर हमले होना आम बात हो गई थी लेकिन हर बार वे अपनी मजबूत इच्छा शक्ति व समर्थकों के कारण बच जाते थे। वे कभी इनसे डरे नहीं और हमेशा अपने मार्ग पर डटे रहे व प्रबल विरोध करना जारी रखा। यही कारण था कि उनकी कई बार ब्रिटिश कंपनी व अंग्रेज सरकार से तीखी बहस हुई जिस कारण एक दिन उन्हें षड्यंत्र के तहत मार दिया गया। आइए जानते हैं उस षड्यंत्र को।
दयानंद सरस्वती की मृत्यु कैसे हुई?
जोधपुर के एक महाराज थे जिनका नाम था राजा जसवंत सिंह द्वितीय। वे कई बार स्वामी जी को अपनी सभा में उपदेश देने के लिए बुलाते थे। उनके निमंत्रण पर स्वामी जी भी कई बार वहां जा चुके थे। जसवंत सिंह के पास एक नन्हीं जान नाम की वैश्या आया करती थी जो उन्हें नृत्य करके दिखाती थी।
एक दिन स्वामी जी ने महाराज को उससे दूर रहने व एक सच्चे आर्य की तरह धर्म का पालन करने को कहा। महाराज ने भी स्वामी जी की आज्ञा के अनुसार नन्हीं जान से दूरी बना (Dayanand Saraswati Ki Mrityu Kaise Hui Thi) ली।
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नन्हीं जान का षड्यंत्र
इसके कारण नन्हीं जान स्वामी जी से बैर रखने लगी व इसका लाभ अंग्रेज सरकार ने उठाया। एक दिन जब स्वामी जी जसवंत महाराज के यहाँ आए हुए थे तब नन्हीं जान ने स्वामी जी के रसोइए जगन्नाथ के साथ मिलकर उनके दूध में पीसा हुआ कांच मिला दिया। स्वामी जी रात को सोने से पहले दूध पिया करते थे। उस दिन दूध पीने के बाद स्वामी जी का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा।
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रसोइए का भाग जाना
स्वामी जी की ऐसी हालत देखकर उनके रसोइए जगन्नाथ को पछतावा हुआ और उसने स्वामी जी के पास जाकर अपना अपराध स्वीकार कर लिया। स्वामी जी को भी उस पर दया आ गई और उन्होंने उसे क्षमा कर दिया। साथ ही स्वामी जी ने उसे कुछ पैसे दिए व वहां से भाग जाने को कहा ताकि वह महाराज के क्रोध से बच जाए।
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स्वामी जी को विष दिया जाना
इसके बाद स्वामी जी का स्वास्थ्य बिगड़ता गया व खून की उल्टियां हुई तो महाराज ने उन्हें जोधपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया किंतु वहां भी उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता ही गया। इस कारण उन्हें अजमेर के एक बड़े अस्पताल में भर्ती करवाया गया। आशंका थी कि दोनों अस्पताल के डॉक्टरों को भी अंग्रेज सरकार ने अपनी ओर मिला लिया था जो स्वामी जी की दवाइयों व भोजन में कम मात्रा में विष दिया करते थे।
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स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु
यह षड्यंत्र गुपचुप तरीके से एक माह तक चलता रहा व स्वामी जी की हालत सुधरने की बजाए दिन भर दिन और ज्यादा बिगड़ती ही गई। अंत में 30 अक्टूबर 1883 ईस्वी में अजमेर अस्पताल में मंत्रों का उच्चार करते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु हो गई।
उनकी हत्या का षड्यंत्र रचने के कुछ प्रमुख प्रमाण तो नही हैं लेकिन इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि स्वामी जी जैसे इतने प्रभावशाली व्यक्ति को मारने का षड्यंत्र केवल एक वैश्या या डॉक्टर नहीं रच सकते थे। इसलिए इसमें अंग्रेज सरकार की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता है।
निष्कर्ष
इस तरह से आज आपने स्वामी दयानंद की मृत्यु कब हुई (Swami Dayanand Saraswati Ki Mrityu Kab Hui) और दयानंद सरस्वती की मृत्यु कैसे हुई, दोनों के बारे में विस्तार से जान लिया है। हालांकि किसी भी बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है और ना ही हम ऐसा कोई दावा करते हैं।
दयानंद सरस्वती की मृत्यु से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु कब हुई?
उत्तर: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु 30 अक्टूबर 1883 ईस्वी में हुई थी। इसके पीछे का कारण उन्हें विष देना बताया जाता है।
प्रश्न: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु कहां हुई?
उत्तर: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु अजमेर के एक निजी अस्पताल में हुई थी।
प्रश्न: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु का कोई एक स्पष्ट कारण नहीं है। हालांकि सबसे प्रमुख कारण के अनुसार उन्हें षड्यंत्र के तहत जहर देकर मार दिया गया था।
प्रश्न: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु कहां पर हुई थी?
उत्तर: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु अजमेर के एक बड़े अस्पताल में हुई थी जहां उन्होंने मंत्रों का उच्चारण करते हुए प्राण त्याग दिए थे।
प्रश्न: दयानंद सरस्वती की मृत्यु कैसे हुई थी?
उत्तर: स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु का कोई एक स्पष्ट कारण नहीं है। हालांकि सबसे प्रमुख कारण के अनुसार उन्हें षड्यंत्र के तहत जहर देकर मार दिया गया था।
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