रामायण के इंद्रजीत का जीवन परिचय – जन्म से मृत्यु तक

मेघनाथ रामायण (Meghnath Ramayan)

इंद्रजीत (Indrajeet Ramayan) रावण का सबसे बड़ा पुत्र था। हालांकि उसके बचपन का नाम मेघनाद था लेकिन एक घटना के कारण स्वयं भगवान ब्रह्मा ने उनका नाम इंद्रजीत रखा था। रावण के कई पुत्र थे लेकिन उन सभी में इंद्रजीत सबसे ज्यादा शक्तिशाली था। समय के साथ-साथ वह इतना शक्तिशाली हो गया था कि उसके अंदर रावण से भी अधिक बल आ गया था।

यहीं कारण था कि जब रावण का श्रीराम के साथ युद्ध हुआ था तो उस युद्ध में दो दिन तक विजयी होकर लौटने वाला एकमात्र इंद्रजीत (Indrajit Ramayana) ही था। स्वयं रामायण में यह उल्लेख है कि इंद्रजीत उस समय का सबसे शक्तिशाली योद्धा था। आज हम आपको उसी इंद्रजीत के बारे में बताने जा रहे हैं।

Indrajeet Ramayan | इंद्रजीत रामायण

जैसे ही भगवान श्रीराम की कथा में रावण का प्रवेश होता है, उसी के साथ ही उसके पुत्र इंद्रजीत का भी प्रवेश हो जाता है। जब रावण अपनी बहन शूर्पणखा के उकसाने पर सीता हरण व श्रीराम से बैर करने का निर्णय लेता है तो उस उससे पहले और युद्ध तक रावण का हरेक साथी उसे समझाने का प्रयास करता है।

रावण की पत्नी मंदोदरी, माँ कैकसी, भाई कुंभकरणविभीषण, नाना, मंत्री इत्यादि सभी उसे समय-समय पर श्रीराम से बैर नहीं लेने को कहते हैं। इन सभी के बीच रावण का सबसे बड़ा पुत्र इंद्रजीत हमेशा उसके साथ खड़ा होता है। जो पूछते हैं कि इंद्रजीत कौन था (Indrajeet Kaun Tha), तो यह वही योद्धा था जो अकेले राम-रावण युद्ध में दो बार विजयी होकर लौटा था। इससे पहले हर दिन रावण की सेना श्रीराम की सेना से परास्त होकर ही लौट रही थी।

इंद्रजीत (Indrajeet In Hindi) की महानता का अनुमान आप इसी से ही लगा सकते हैं कि स्वयं भगवान श्रीराम ने इंद्रजीत वध होने पर एक दिन के लिए युद्ध विराम की घोषणा की थी ताकि उसका अंतिम संस्कार अच्छे से हो सके। आज हम आपको इसी इंद्रजीत के पराक्रम व जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं।

#1. इंद्रजीत का जन्म

रावण ज्योतिष विद्या का बहुत बड़ा ज्ञाता था व सभी ग्रह-नक्षत्र उसके अधीन थे। जब उसके पुत्र इंद्रजीत का जन्म होने वाला था तब उसने सभी ग्रहों को इंद्रजीत के 11वें घर में रहने का आदेश दिया ताकि यह उसके लिए शुभ रहे किंतु अंतिम समय में शनि देव ने अपनी स्थिति 11वें घर से बदलकर 12वें घर में कर ली थी। यही आगे चलकर इंद्रजीत की मृत्यु का कारण बना।

#2. इंद्रजीत का मेघनाद नाम

जब इंद्रजीत (Indrajeet Ramayan) ने जन्म लिया था तब वह सामान्य बच्चों की तरह रोया नही था अपितु उसने एक जोरदार दहाड़ मारी थी। उसकी यह गर्जना किसी बादल/ मेघ के फटने के समान तेज थी जिससे प्रसन्न होकर रावण ने उसका नाम मेघनाद रखा अर्थात जो बादलों का भी स्वामी हो।

#3. इंद्रजीत की शक्ति

जब इंद्रजीत बड़ा हुआ तब उसने असुरों के गुरु शुक्राचार्य के साथ मिलकर सात महायज्ञों का अनुष्ठान किया था जिसमे उसे त्रिदेवों के सबसे महान अस्त्र ब्रह्मास्त्र, पाशुपाति अस्त्र व नारायण अस्त्र प्राप्त हुए थे। इन तीन अस्त्रों को पाकर वह अपने पिता रावण से भी अत्यधिक शक्तिशाली बन गया था।

#4. इंद्रजीत की उपाधि मिलना

एक बार रावण को इंद्र देव ने बंधक बना लिया था तब इंद्रजीत (Indrajit Ramayana) ने देवताओं के साथ युद्ध करके अपने पिता को मुक्त करवाया। साथ ही वह इंद्र को परास्त करके उसे लंका ले आया व कारावास में डाल दिया। इससे प्रसन्न होकर स्वयं भगवान ब्रह्मा ने इंद्रजीत को इंद्रजीत की उपाधि दी अर्थात जो इंद्र को भी जीत सके।

#5. इंद्रजीत का यज्ञ

भगवान ब्रह्मा से इंद्रजीत को एक वर प्राप्त हुआ था जिसके अनुसार यदि वह किसी भी युद्ध में जाने से पहले अपनी कुलदेवी निकुंबला के मंदिर में जाकर यज्ञ पूर्ण कर लेगा तो उसे युद्ध में कोई भी नही हरा पायेगा व उसकी हमेशा विजय होगी।

#6. इंद्रजीत की मृत्यु का रहस्य

इस वर को देने के पश्चात भगवान ब्रह्मा ने यह भी बताया था कि जो भी उसके इस यज्ञ को बीच में ही ध्वस्त कर देगा तो उसी मनुष्य के हाथों इंद्रजीत की मृत्यु होगी। राम-रावण युद्ध के समय लक्ष्मण ने इंद्रजीत (Indrajeet Kaun Tha) का यह यज्ञ ध्वस्त किया था जिस कारण उसकी मृत्यु भी लक्ष्मण के हाथों ही हुई।

#7. इंद्रजीत का नागपाश

इंद्रजीत ही ऐसा महारथी था जिसने स्वयं नारायण रूप श्रीराम व लक्ष्मण को अपने नागपाश अस्त्र में बांधकर शत्रु सेना में हाहाकार मचा दिया था। इस नागपाश अस्त्र का प्रभाव इतना भीषण था कि पूरी वानर सेना ने उनके जीवित होने की आस छोड़ दी थी किंतु गरुड़ देवता की सहायता से यह विपत्ति टल गयी थी।

#8. इंद्रजीत का शक्तिबाण

इंद्रजीत (Indrajeet In Hindi) ने ही लक्ष्मण को भ्रमित कर पीठ पीछे उन पर शक्तिबाण छोड़ दिया था जिस कारण वे मुर्छित होकर धरती पर गिर गए थे। इसके बाद हनुमान जी द्वारा लायी गयी संजीवनी बूटी की सहायता से उनके प्राण बच पाए थे।

#9. इंद्रजीत और रावण

इंद्रजीत पितृ भक्त था व उसने हमेशा रावण का सीता के अपहरण व श्रीराम से युद्ध में उनका साथ दिया था। किंतु जब अंतिम दिन युद्ध करते समय उसे श्रीराम व लक्ष्मण के नारायण रूप होने का ज्ञात हो गया तो वह उसी समय रावण के पास पहुंचा व उसे समझाने का प्रयत्न किया किंतु रावण के ना मानने पर वह फिर से युद्ध करने गया।

#10. इंद्रजीत वध

स्वयं भगवान श्रीराम भी इंद्रजीत का वध करने में सक्षम नही थे तभी उन्होंने लक्ष्मण को ही हर बार इंद्रजीत से युद्ध करने भेजा। लक्ष्मण के द्वारा 14 वर्षो तक किये गये ब्रह्मचर्य के पालन, नींद नही लेना व योग साधना के फलस्वरूप ही वह इंद्रजीत का वध कर पाए थे।

यही कारण थे कि रामायण में इंद्रजीत (Indrajeet Ramayan) को एक महान योद्धा के रूप में वर्णित किया गया है। उसका वध करने को स्वयं भगवान को भी इतने जतन करने पड़े थे, तब जाकर उसका वध हुआ था। यह भी कहते हैं कि रावण अपने किसी भी भाई-बंधू के मरने पर इतना व्याकुल नहीं हुआ था जितना अपने पुत्र इंद्रजीत के शव को देखकर हो गया था।

इंद्रजीत से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: इंद्रजीत किसका अवतार था?

उत्तर: इंद्रजीत किसी का भी अवतार नहीं था वह त्रेता युग में लंकापति रावण का सबसे बड़ा पुत्र था जिसका वध लक्ष्मण के हाथों हुआ था

प्रश्न: इंद्रजीत को क्या वरदान था?

उत्तर: इंद्रजीत को वरदान था कि यदि वह युद्ध से पहले अपनी कुलदेवी निकुम्बला का यज्ञ पूर्ण कर लेता है तो कोई भी उसे युद्ध में हरा नहीं सकता है

प्रश्न: इंद्रजीत कितना शक्तिशाली था?

उत्तर: इंद्रजीत इतना शक्तिशाली योद्धा था कि जिस राम-रावण युद्ध में रावण और उसके योद्धाओं की एक बार भी विजय नहीं हुई थी वही इंद्रजीत दो दिन तक लगातार विजयी होकर लौटा था

प्रश्न: इंद्रजीत किसका बेटा था?

उत्तर: इंद्रजीत लंकापति रावण का सबसे बड़ा पुत्र था उसकी माँ का नाम मंदोदरी था जो लंका कि मुख्य महारानी थी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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