मेघनाद लक्ष्मण युद्ध (Meghnad Laxman Yudh) बहुत ही भीषण था क्योंकि मेघनाथ बहुत ही शक्तिशाली योद्धा था। उसे भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश से अनेक वर मिले थे। उसने स्वयं इंद्र देव को भी जीत लिया था जिस कारण उसे इंद्रजीत भी कहा जाता था। राम-रावण युद्ध में जब रावण के एक से बढ़कर एक योद्धा, उसके सभी पुत्र व भाई इत्यादि मारे गए तब उसने अपने सबसे बड़े व पराक्रमी पुत्र मेघनाथ को युद्धभूमि में भेजा था।
अपने प्रथम युद्ध में मेघनाथ ने नागपाश बाण की सहायता से भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को उसमें बांध दिया था। इस नागपाश से मुक्ति स्वयं गरुड़ देवता ने आकर दिलाई थी। द्वितीय युद्ध में मेघनाथ अपनी मायावी शक्तियों से लक्ष्मण पर भारी पड़ रहा था व आकाश मार्ग से तीव्र गति से उन पर प्रहार कर रहा था। तब उसने लक्ष्मण को शक्तिबाण से मुर्छित कर दिया था लेकिन उन्हें उठा नहीं पाया था। इसे हम मेघनाथ लक्ष्मण शक्ति (Meghnath Laxman Shakti) भी कह सकते हैं, जाने क्यों।
Meghnad Laxman Yudh | मेघनाद लक्ष्मण युद्ध
लक्ष्मण तीव्र गति से मेघनाथ के हर बाण का उत्तर दे रहे थे किंतु मेघनाद ने इसी बीच छुपकर लक्ष्मण पर शक्ति बाण चला दिया। जब मेघनाथ को कोई उपाय नहीं सूझता था व उसकी सभी शक्तियां विफल हो रही होती थी तब वह इस बाण को चलाता था। यह बाण सीधा आकाश मार्ग से आकर लक्ष्मण की पीठ में लगा।
इसकी शक्ति इतनी ज्यादा तेज थी कि यह लक्ष्मण की पीठ में धंस गया व उन्हें शक्तिहीन कर दिया। बाण के लगते ही लक्ष्मण के हाथों से धनुष बाण छूट गए और वे मुर्छित होकर भूमि पर गिर पड़े। जब मेघनाथ ने यह देखा तो वह अत्यंत प्रसन्न हुआ व लक्ष्मण का मृत शरीर अपने पिता को सौंपने के उद्देश्य से उनके पास गया।
Meghnath Laxman Shakti | मेघनाथ लक्ष्मण शक्ति
उसने अपने सैनिकों को लक्ष्मण का मृत शरीर उठाकर उसे लंका के महल में ले जाने का आदेश दिया किंतु कोई भी उसका शरीर नहीं उठा पाया। यह देखकर स्वयं मेघनाथ उनका शरीर उठाने के लिए आगे आया किंतु अपनी पूरी शक्ति लगाने के पश्चात भी वह लक्ष्मण को उठा नहीं पाया।
इसके बारे में रामायण में लिखा है कि लक्ष्मण स्वयं शेषनाग के अवतार थे जिनके फन पर ही यह पृथ्वी टिकी है। शेषनाग अपने आकार में इतना विशाल होता है कि उसका भार किसी सामान्य व्यक्ति के द्वारा उठाना असंभव है। जब लक्ष्मण मुर्छित होकर धरती पर गिर पड़े तो उनका शरीर का सारा भार धरती पर आ गया था जिसे उठा पाना मेघनाथ के लिए संभव नहीं था।
हनुमान जी ले गए लक्ष्मण को
जब मेघनाथ लक्ष्मण को उठाने का प्रयास कर रहे थे तब हनुमान उनके पास आए व उसे यह अनायास प्रयास करते हुए पाया। उन्होंने मेघनाथ को धक्का मारकर गिरा दिया व लक्ष्मण के शरीर को अपने कंधे पर उठाकर तीव्र गति से हवा में उड़ गए और युद्धभूमि से बाहर ले गए। यदि मेघनाथ लक्ष्मण को युद्धभूमि से राजमहल में ले जाने में सक्षम हो जाते तो शायद ही उनका जीवन बच पाता। किंतु स्वयं शेषनाग को उठाना उसके वश में नहीं था।
इस तरह से मेघनाद लक्ष्मण युद्ध (Meghnad Laxman Yudh) का परिणाम उस दिन भी नहीं निकला था। इसके अगले दिन दोनों के बीच फिर से भीषण युद्ध हुआ था जो कि इन दोनों का आखिरी युद्ध था।
मेघनाथ लक्ष्मण शक्ति से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लक्ष्मण को शक्ति कैसे लगी?
उत्तर: मेघनाद मायावी राक्षस था जो आकाश मार्ग में इधर-उधर से लक्ष्मण पर लगातार बाण छोड़ रहा था। इसी क्रम में लक्ष्मण को मेघनाथ का शक्तिबाण लग गया था।
प्रश्न: लक्ष्मण ने मेघनाद का वध कैसे किया?
उत्तर: लक्ष्मण ने अपनी शक्ति से मेघनाद का वध कर दिया था। लक्ष्मण के चलाए बाण ने मेघनाद के सिर को धड़ से अलग कर दिया था।
प्रश्न: मेघनाथ की मृत्यु कैसे हुई थी?
उत्तर: मेघनाथ की मृत्यु युद्धभूमि में लक्ष्मण से लड़ते हुए हुई थी। लक्ष्मण ने अपने बाण से मेघनाथ के सिर को उसके धड़ से अलग कर दिया था।
प्रश्न: मेघनाथ का कटा सिर क्यों हंसा?
उत्तर: मेघनाथ का कटा हुआ सिर उसकी पत्नी सुलोचना के कहने पर जोर जोर से हंसने लगा था।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: