क्या आप भी निधिवन का रहस्य (Nidhivan Ka Rahasya) जानने को उत्सुक हैं। निधिवन मथुरा शहर में भगवान श्री कृष्ण की नगरी वृंदावन में स्थित एक विशाल वन है जिसमे असंख्य पेड़ हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसका महत्व बहुत पहले से है जो भगवान श्री कृष्ण के समय से जुड़ा हुआ है। यहाँ के रहने वाले ब्रजवासियों के अनुसार भगवान कृष्ण आज भी यहाँ रासलीला रचाने आते हैं।
आपने भगवान श्री कृष्ण की गोपियों के साथ रास रचाने की कथाएं कई बार सुनी होगी। तो यह वही स्थल है जब नन्हे कान्हा अपने बचपन में वृंदावन-गोकुल की गलियों में बांसुरी बजाया करते थे और उसकी मधुर धुन सुनकर आसपास की गोपियाँ व माता राधा दौड़ी-दौड़ी चली आती थी। इसी कारण यह स्थल आज भी कृष्ण भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। आज हम आपके साथ निधिवन की सच्ची कहानी (Nidhivan Story In Hindi) साँझा करेंगे।
निधिवन का रहस्य | Nidhivan Ka Rahasya
यदि आप कभी वृंदावन गए हैं तो अवश्य ही आप निधिवन भी होकर आए होंगे। यदि अभी तक आपने वृंदावन की यात्रा नहीं की है तो जब भी वहां जाने का सोचें, तो निधिवन को अपनी सूची में जोड़ना ना भूलें। दरअसल निधिवन का चमत्कार ही कुछ ऐसा है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से भी लाखों करोड़ों की संख्या में लोग खींचे चले आते हैं।
वैसे तो भारत दैवीय चमत्कारों की भूमि है लेकिन निधिवन का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने अपने युवा स्वरुप में 6 माह तक रासलीला इसी निधिवन में रचाई थी और उसके बाद से आज तक यहाँ रात्रि के समय रासलीला का आयोजन होता है। आज हम आपके सामने निधिवन की सच्ची कहानी और उसका रहस्य रखने जा रहे हैं।
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पेड़ बन जाते हैं गोपियाँ
यहाँ आप जो भी पेड़ देखेंगे वे अपने आप में विचित्र हैं। सभी पेड़ों की शाखाएं सीधी ना होकर मुड़ी हुई है। सामान्यतया विश्व में सभी पेड़ों की शाखाएं नीचे से ऊपर की ओर जाती है किन्तु निधिवन में सभी पेड़ों की शाखाएं ऊपर से नीचे की और जाती है। यह चीज़ अपने आप में ही विचित्र है जो निधिवन का रहस्य दिखाती है।
मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद पेड़ों की यही शाखाएं गोपियों में परिवर्तित हो जाती है जिनके साथ भगवान श्री कृष्ण रासलीला रचाते हैं। सूर्योदय होने से पहले ही वे पुनः अपने रूप में आ जाती है। अगली बार जब आप निधिवन घूमने जाएं तो पेड़ों की शाखाओं को ध्यान से देखिएगा। इन्हें देखकर अवश्य ही आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे।
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जोड़ो में है तुलसी के पौधे
यहाँ आपको असंख्य तुलसी के पौधे मिल जाएंगे। अब जो बात आश्चर्यजनक है वह यह है कि कोई भी तुलसी का पौधा अकेला नही है अर्थात हर तुलसी के साथ एक और तुलसी का पौधा है। तुलसी के सभी पौधे जोड़ों में है जो श्रीकृष्ण व राधा के प्रेम को रेखांकित करते हैं। तुलसी के पेड़ों का ऐसा संगम आपको केवल इसी वन में देखने को मिलेगा।
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रंग महल दिखाता है निधिवन का चमत्कार
इन सबके अलावा यहाँ एक रंग महल भी है जहाँ माता राधा रानी के साज-सज्जा का सामान चढ़ाया जाता है। इसे विशेषकर महिलाएं चढ़ाती हैं। कहते हैं कि रासलीला के समय भगवान कृष्ण इसी रंग महल में विश्राम करते हैं। इसलिए सूर्यास्त से पहले कृष्ण जी के लिए बिस्तर सजाया जाता है व एक लौटा पानी, दातुन, पान व अन्य सामान रख दिया जाता है। सुबह के समय जब रंग महल के द्वार खोले जाते हैं तो सब सामान इस्तेमाल किया हुआ मिलता है व बिस्तर पर भी सलवटें आई हुई होती है जैसे कि इस पर कोई बैठा था।
इसे देखने के लिए आप सूर्योदय होने से पहले ही निधिवन पहुँच जाएं और प्रतीक्षा कीजिए। 5 से 6 बजे के बीच निधिवन के द्वार खोले जाएंगे और पंडित जी रंगमहल के सात ताले आपके सामने खोलेंगे और श्रीकृष्ण के द्वारा इस्तेमाल किया गया सामान आप सभी को दिखाएंगे। अब इसे आप निधिवन का चमत्कार नहीं कहेंगे तो और क्या ही कहेंगे।
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ललिता कुंड का रहस्य
यहाँ आपको एक कुंड भी देखने को मिलेगा जिसे ललिता कुंड के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान श्री कृष्ण रासलीला रचा रहे थे तब अचानक उनमे से एक गोपी ललिता को प्यास लगी। ललिता राधा की प्रिय सहेली थी जो कान्हा और राधा को ब्रजवासियों की नज़रों से बचाकर मिलने में सहायता करती थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने वहीं एक कुंड का निर्माण कर दिया जिसे आज ललिता कुंड के नाम से जाना जाता है।
Nidhivan Story In Hindi | निधिवन की सच्ची कहानी
अभी तक का लेख पढ़कर आपको निधिवन की कहानी और उसके रहस्य के बारे में बहुत सी बातें पता चल गई होगी। फिर भी निधिवन की सच्ची कहानी किसी को भी ज्ञात नहीं है। सभी को निधिवन से जुड़ा इतिहास और इसका पौराणिक मायात्व ही ज्ञात है। वह इसलिए क्योंकि जो भी निधिवन की सच्चाई जानने के लिए इस वन में रात में रुका है, वह या तो अगले दिन मृत पाया गया है या फिर वह पागल हो चुका है।
यही कारण है कि निधिवन में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कोई मनुष्य तो क्या बल्कि जीव-जंतु और यहाँ तक कि पक्षी भी नहीं दिखाई देते हैं। यदि आपको इस पर विश्वास नहीं है तो आप स्वयं निधिवन जाएं और सुबह सूर्योदय से पहले निधिवन के द्वार पर पहुँच जाएं। वैसे तो निधिवन के पट भक्तों के लिए 5 बजे के आसपास खुलते हैं लेकिन भक्तों की भीड़ वहां 4 बजे से ही जमना शुरू हो जाती है।
आप अपनी आँखों से देखेंगे कि सूर्योदय से पहले तक आपको अंदर कोई भी बंदर या पक्षी नहीं दिखाई देगा लेकिन जैसे ही सूर्योदय होगा, आपके सामने ही असंख्य बंदर और पक्षी निधिवन में जाते हुए और मस्ती करते हुए मिल जाएंगे। तो निधिवन की सच्ची कहानी केवल और केवल ईश्वर के चमत्कार के रूप में ही जानी और समझी जा सकती है।
निधिवन में रात को क्या होता है?
यह भक्तों के लिए केवल दिन में ही खुला रहता है। सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद यहाँ किसी को भी जाने की बिल्कुल मनाही है। सूर्यास्त से पहले ही इस वन को खाली करवा कर बंद कर दिया जाता है। सूर्यास्त से पहले मंदिर के पुजारी भी यह जगह छोड़कर चले जाते हैं। आपको दिन में कई पक्षी व बंदर इस वन में दिख जाएंगे किन्तु शाम होने के साथ-साथ वे भी इस वन को छोड़कर चले जाते हैं।
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि रात्रि होते ही यहाँ स्वयं भगवान श्री कृष्ण अवतार लेते हैं और गोपियों के संग रासलीला रचाते हैं। कहते हैं कि जो कोई भी चोरी चुपके यहाँ रात को रुका, अगले दिन या तो उसकी मृत्यु हो गई या उसका मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ था। कुछ लोग तो अंधे, बहरे व गूंगे भी हो गए थे। इसलिए यहाँ रात को किसी के भी रुकने की मनाही है।
जब आप निधिवन देखने जाएंगे तब आसपास के घरों को देखकर आपके मन में एक बात और आएगी कि इन घरों की छत या बालकनी से रात में निधिवन का नजारा देखा जा सकता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सूर्यास्त के बाद निधिवन में इतना गहरा अँधेरा हो जाता है और साथ ही वहां के पेड़ों पर एक धुंधली सफेद परत छा जाती है जिससे निधिवन के अंदर की कोई भी गतिविधि को उन घरों से भी नही देखा जा सकता है।
इसका प्रमाण देखने के लिए आप सुबह 5 बजे निधिवन पहुँच जाएं जब सूर्योदय नही हुआ होता है। उस समय आप निधिवन के बाहर के पेड़ों को भी देख लीजिएगा, आपको समझ आ जाएगा। आप वहीं खड़े रहिएगा और सूर्योदय होने और रोशनी आने की प्रतीक्षा कीजिएगा। जैसे ही सूर्योदय हो जाएगा, तब एकदम से पेड़ों से धुंधली परत हट जाएगी और अभी तक आपको वहां जो एक भी बंदर या पक्षी नही दिखाई दे रहा था, वह सब भी एकदम से उमड़ पड़ेंगे।
Nidhivan Timing | निधिवन खुलने का समय
यदि आप मथुरा वृंदावन घूमने जाने का मन बना रहे हैं तो आप इस वन का दोपहर में भ्रमण कर सकते हैं। दोपहर का समय इस वन में घूमने का सबसे उत्तम समय है क्योंकि उस समय मथुरा वृंदावन के सभी मंदिर बंद हो जाते हैं जो शाम के 4 बजे के बाद खुलते हैं। इसलिए इस समय आप निधिवन में घूम सकते हैं और वहां की सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं।
मौसम के अनुसार इसके पट सुबह 5 से 6 बजे के बीच खुलते हैं। 6 बजे के पास यहाँ मंगला आरती होती है। सूर्यास्त से कुछ समय पहले यहाँ के पट बंद कर दिए जाते हैं। आपको यहाँ कई महापुरुषों की समाधियाँ भी देखने को मिलेगी जो भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे। पेड़-पौधों के बीच इनकी समाधियाँ बनी हुई है। इसी के साथ-साथ आप इस वन के आसपास अन्य मंदिरों में अवश्य घूमकर आइएगा।
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Nidhivan Timing In Summer
अब यदि आप गर्मियों में निधिवन की टाइमिंग के बारे में जानना चाहते हैं तो निधिवन के पट सुबह के 5 से 5:30 के आसपास खुल जाते हैं। इसके बाद यह शाम को 6 से 7 बजे के आसपास बंद होते हैं।
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Nidhivan Timing In Winter
सर्दियों में निधिवन खुलने का समय सुबह के 6 से 6:30 बजे के बीच का होता है तो वहीं बंद होने का समय शाम के 5 से 6 बजे के बीच का होता है।
यहाँ आप यह जान लें कि इन समय में परिवर्तन भी हो सकता है। वह इसलिए क्योंकि निधिवन खुलने व बंद होने का समय पूर्ण रूप से सूर्योदय व सूर्यास्त पर निर्भर करता है। जैसे ही सूर्योदय होता है या रोशनी होने लगती है तो निधिवन के पट भक्तों के लिए खुल जाते हैं। वहीं सूर्यास्त होने के समय या जैसे-जैसे अँधेरा होने लगता है, वैसे ही निधिवन के पट भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने निधिवन का रहस्य (Nidhivan Ka Rahasya) के बारे में जानकारी ले ली है। निधिवन के दैवीय चमत्कारों को जानने के बाद अब आपकी भी इसे देखने की जिज्ञासा हो रही होगी। ऐसे में आप अवश्य ही वृंदावन में निधिवन होकर आएं लेकिन इसी के साथ ही वृंदावन के 10 प्रमुख मंदिरों के दर्शन करना भी मत भूलिएगा जिनमें से बांके बिहारी जी का मंदिर और प्रेम मंदिर जगत प्रसिद्ध है।
निधिवन का रहस्य से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: निधि वन की सच्चाई क्या है?
उत्तर: निधि वन की सच्चाई यही है कि यह वन दिव्य चमत्कारों से भरा हुआ है। यहाँ पर आज भी भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के संग रासलीला रचाते हैं।
प्रश्न: निधिवन में किसकी मृत्यु हुई?
उत्तर: निधिवन में जिस भी व्यक्ति ने रात में रुकने का निर्णय लिया है, उसकी अगले दिन या तो मृत्यु हो जाती है या फिर वह पागल हो जाता है।
प्रश्न: निधिवन में रात में क्यों नहीं जाते?
उत्तर: निधिवन में सूर्यास्त के बाद श्रीकृष्ण गोपियों के संग रास रचाने आज भी आते हैं जिसे देखने की मनाही है। ऐसे में वहां रात में जाना निषेध होता है।
प्रश्न: वृंदावन में निधिवन का क्या महत्व है?
उत्तर: वृंदावन में निधिवन एक ऐसा वन है जहाँ श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में गोपियों संग रासलीला रचाने का कार्य किया था। वहां आज भी श्रीकृष्ण आते हैं और रास रचाते हैं जिस कारण इसका महत्व बहुत बढ़ जाता है।
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निधि वन खुलने की समय की जानकारी गलत दी गई है .निधिवन का द्वार भी दोपहर 12:30 से 4:00 बजे तक बंद रहता है और यहां दी गई जानकारी के अनुसार हजारों की संख्या में तीर्थयात्री यहां छोटी से गली में खड़े हो जाते हैं और उन्हें गर्मी के मौसम में अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है . कृपया वेबसाइट पर सही जानकारी प्रदान करें .
राधे राधे .
ऋतु जी, हमारी जानकारी के अनुसार निधिवन दोपहर में खुला रहता है। ग्रीष्म काल में निधिवन प्रातःकाल 5 बजे से लेकर संध्या 8 बजे तक खुला रहता है जबकि शरद ऋतु में यह प्रातःकाल 6 बजे से लेकर संध्या 6 बजे तक खुला रहता है।