पंचतत्व क्या है? जाने पंच तत्व के नाम सहित संपूर्ण जानकारी

Panch Tatva In Hindi

Panch Tatva In Hindi: हिंदू धर्म में प्रकृति की हर एक सजीव व निर्जीव वस्तु की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है। सभी वस्तुएं मुख्यतया केवल 5 तत्वों से मिलकर बनी होती है जिन्हें प्रकृति के पांच तत्व कहा जाता है। अंत में सभी वस्तुएं इन्हीं पंच तत्वों में समा जाती है फिर चाहे वह मानव शरीर हो या कोई जानवर या फिर कोई निर्जीव वस्तु या पेड़-पौधे।

ऐसे में इन पंच तत्व के नाम (Panch Tatva Ke Naam) क्या हैं और इनका क्या महत्व है, वह जानना आवश्यक हो जाता है। आज के इस लेख में हम आपके पंच तत्वों को लेकर कुछ प्रश्नों, जैसे कि पंचतत्व क्या है, पांच तत्वों के रंग, पंच तत्व किसे कहते हैं, पांच तत्वों की उत्पत्ति कैसे हुई, पांच तत्वों के देवता कौन हैं, मानव शरीर कितने तत्वों से बना है, इत्यादि के उत्तर देने वाले हैं।

Panch Tatva In Hindi | प्रकृति के पांच तत्व

सबसे पहले तो हम आपको इन पंच तत्वों के नाम ही बता देते हैं। तो इन पांच तत्वों के नाम हैं: आकाश, पृथ्वी, जल, वायु व अग्नि। इन्हीं पांच तत्वों से मिलकर ही हर चीज़ का निर्माण होता है किंतु विभिन्न वस्तुओं में इनकी मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। इनके मिलने से एक निर्जीव वस्तु का निर्माण होता है जिसमें प्राण नही होते हैं।

किसी वस्तु को सजीव बनाने के लिए उसमें परमात्मा का स्वरुप अर्थात आत्मा का होना आवश्यक है। कहने का अर्थ यह हुआ कि पंचतत्व मिलकर एक निर्जीव वस्तु का निर्माण कर सकते हैं या सरल शब्दों में कहें तो एक देह का निर्माण। जब इस देह में आत्मा का प्रवेश होता है तो इसमें प्राण आते हैं और वह वस्तु सजीव बन जाती है।

जब आत्मा उस देह को त्याग देती है तब वह निर्जीव हो जाती है और फिर से इन्ही पंच तत्वों में मिल जाती है। पंचतत्व में हरेक तत्व का अपना अलग अर्थ, महत्व, शक्ति व उपयोगिता होती है। आइए पंच तत्व के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

#1. आकाश तत्व क्या है?

आकाश तत्व का अर्थ अनंत से होता है जो हमारा शारीरिक संतुलन बनाए रखता है। इसी के द्वारा हमारे शरीर में शब्दों व वाणी का निर्माण होता है। इसका वर्ण काला रंग है। शरीर की स्थिति में इसे मस्तक नाम दिया गया है। हमारी वासना व संवेग का आधार आकाश तत्व ही है। मूल रूप से आकाश तत्व का तात्पर्य हमारे शरीर के रिक्त स्थान और मन से है। मन को ही आकाश तत्व की संज्ञा दी गई है।

आकाश तत्व का गुण

इसका महत्व समझने के लिए हमे मन को समझना होगा। मन हमारे शरीर में विचारों का एक समूह है लेकिन कुछ लोग इसे आत्मा का पर्यायवाची समझ लेते हैं जबकि आत्मा परमात्मा का एक अंश है। आत्मा को नियंत्रित नही किया जा सकता जबकि मन को किया जा सकता है।

जिस प्रकार आकाश के अंत की कोई सीमा नही ठीक उसी प्रकार मन भी एक पल में कहीं से कहीं भी पहुँच सकता है। आकाश अपने आप में अनंत शक्तियों को समेटे हुए है ठीक उसी प्रकार मन भी अथाह ऊर्जा का सागर है। जैसे आकाश में कभी बादल आ जाते हैं तो कभी धूल तो कभी वह साफ नजर आता है ठीक उसी प्रकार हमारा मन भी परिस्थितियों के अनुसार कभी खुश तो कभी दुखी तो कभी सामान्य रहता है।

#2. पृथ्वी तत्व क्या है?

पृथ्वी तत्व का अर्थ हमारे शरीर की त्वचा व कोशिकाओं से है जिससे हमारे शरीर का बाहरी निर्माण होता है। इसी रूप में बाकि हमे देखते हैं और हम उन्हें देखते है। यह हमारे शरीर का भार भी दर्शाता है। इसका वर्ण पीला होता है। हमारे शरीर की गंध पृथ्वी तत्व से निर्धारित होती है व यह हमारे अंदर अहंकार का भी परिचारक है। शरीर में इसकी स्थिति जांघों से की जाती है।

पृथ्वी तत्व का गुण

हमारे शरीर के हाड़, मास, मांसपेशियां, कोशिकाएं, त्वचा इत्यादि पृथ्वी तत्व के अंतर्गत ही आते हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि हमारे शरीर की दिखने और महसूस होने वाली ज्यादातर चीज़ों का निर्माण पृथ्वी तत्व से ही हुआ है। गुरुत्वाकर्षण बल और चुम्बकीय गुण भी पृथ्वी तत्व की विशेषता है जो हमें पृथ्वी पर टिकाए रखती है और हमे अपना भार महसूस करवाती है।

#3. जल तत्व क्या है?

जल तत्व का अर्थ हमारे शरीर में विद्यमान हर एक दृव्य पदार्थ से है जो शीतलता को दर्शाता है। इससे हमारे शरीर में संकुचन आती है। शरीर में इसकी स्थिति पैरों से होती है। इसका वर्ण श्वेत या सफेद है। हमारे शरीर में किसी भी चीज़ का स्वाद जानने की शक्ति जल तत्व से ही आती है। यह हमारे अंदर बुद्धि का परिचायक है।

जल तत्व के गुण

हमारे शरीर के सभी तरल पदार्थ फिर चाहे वह पानी हो, रक्त हो, रस हो, एंजाइम हो या अन्य कोई तरल पदार्थ, सभी जल तत्व के अंतर्गत ही आते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शरीर में खून नसों के द्वारा पूरे शरीर में दौड़ता है और उसका संचालन करता है। इस प्रकार जल तत्व शरीर के संचालन, सभी पोषक तत्वों और ऊर्जा के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

#4. वायु तत्व क्या है?

वायु तत्व का अर्थ हमारे शरीर के वेग या गति से होता है। वायु हमारे शरीर में गतिशीलता की परिचायक होती है जिससे हमारे शरीर में वेग या गति का निर्माण होता है। शरीर में इसकी स्थिति नाभि से होती है व इसका वर्ण नीला या भूरा होता है। वायु की प्रकृति अनिश्चित होती है। हमारे शरीर में स्पर्श करने की शक्ति व उसकी अनुभूति वायु तत्व से ही होती है।

वायु तत्व का गुण

जिस भी जीव में प्राण हैं उसमें वायु तत्व पाया जाता है। जब भी किसी की मृत्यु हो जाती है तब हम सबसे पहले यही देखते हैं कि उसकी सांसे चल रही है या नही, यदि उसकी सांसे बंद हो गई अर्थात शरीर में वायु तत्व नही रहा, इसका अर्थ वह मनुष्य जीवित नही रहा। वायु तत्व हमारे शरीर में प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन के रूप में विद्यमान है।

#5. अग्नि तत्व क्या है?

अग्नि तत्व का अर्थ हमारे शरीर की ऊर्जा से है जो शरीर को सुचारू रूप से चलाने में सहायक है। शरीर में इसकी स्थिति कंधो से है व इसका वर्ण लाल रंग होता है। देखने की शक्ति का विकास अग्नि तत्व से ही होता है व हमारे विवेक के निर्माण में भी इसी की भूमिका होती है।

अग्नि तत्व का गुण

हमारे शरीर को जीवित रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है लेकिन जरा सोचिए यदि शरीर उस भोजन को पचाएगा नही तो उसे ऊर्जा कैसे मिलेगी। ऐसे में भोजन ग्रहण करना निरर्थक हो जाएगा। अग्नि तत्व का कार्य शरीर में भोजन को पचाकर उसे ऊर्जावान बनाए रखना होता है। इसी से हमे शक्ति, बल तथा ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

इस तरह से आपने पंच तत्व के नाम (Panch Tatva Ke Naam) तो जान ही लिए हैं, साथ ही उनके बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी जुटा ली है। पंच तत्वों के बारे में अभी तो और भी बहुत कुछ जानना बाकी है, जो हम आपको नीचे बताने वाले हैं।

पंचतत्व क्या है?

हम ईश्वर को याद करने के उद्देश्य से उनका आह्वान करते हैं। हिंदू धर्म में ईश्वर को भगवान नाम की संज्ञा दी गई है जो इन्हीं पंचतत्वों को दर्शाता है। यदि भगवान शब्द को तोड़ा जाए तो यही पंचतत्व निकल कर आते हैं।

भगवान: भ+ग+व+अ+न

  1. इसमें “भ” का अर्थ भूमि से है अर्थात पृथ्वी।
  2. “ग” का अर्थ गगन अर्थात आकाश।
  3. “व” का अथ वायु से है अर्थात हवा।
  4. “अ” का अर्थ अग्नि से है अर्थात आग।
  5. “न” का अर्थ नीर से है अर्थात जल।

इसी प्रकार इन पांचो तत्वों के संगम से भगवान शब्द की रचना की गई जो हमारे लिए पूजनीय हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि हिंदू धर्म में भगवान के स्वरुप में हमारे निर्माण के लिए उत्तरदायी तत्वों को पूजनीय बताया गया है व उनकी सुरक्षा करने का दायित्व भी हमे सौंपा गया है। इसी के साथ इन पंच तत्वों के मिलने के बाद इसमें प्राण डालने वाली आत्मा को स्वयं परमात्मा का स्वरुप बताया गया है जो नश्वर होती है।

पंच तत्वों का महत्व

जैसा कि हमने पहले ही बताया कि संपूर्ण प्रकृति का निर्माण इन्हीं पंचतत्वों के कारण हुआ है जिसमे मानव शरीर भी एक है। किंतु साथ ही यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि इन पंच तत्वों की मात्रा हर चीज़ में अलग-अलग होती है, साथ ही यह भी आवश्यक नही कि हर चीज़ में यह पाँचों तत्व उपस्थित हो। अर्थात किसी चीज़ में कोई तत्व नही होगा तो किसी में कोई, किसी चीज़ में किसी तत्व की मात्रा कम होगी तो किसी में ज्यादा।

इन्हीं पाँचों तत्वों की विभिन्न मात्राओं और योग से ही विभिन्न वस्तुओं के विभिन्न रूप और गुण निर्धारित होते हैं जैसे कि मानव शरीर। हमारे मानव शरीर में इन पाँचों तत्वों का समावेश होता है जिनकी मात्रा भी निश्चित है।यदि मानव शरीर में इनमे से किसी एक की भी मात्रा ऊपर या नीचे होती है या कोई एक तत्व सही से काम नहीं कर रहा होता है तब रोग की उत्पत्ति होती है जिसके फलस्वरूप मनुष्य बीमार पड़ जाता है।

फिर हम विभिन्न माध्यमों चाहे वह योग हो या आयुर्वेद या दवाइयां, उनकी सहायता से उस तत्व को ठीक करने का काम करते हैं ताकि शरीर का संचालन सुचारू रूप से हो सके

शरीर के पांच तत्व

पंच तत्वों के बारे में इतना सब जानने के बाद आपको यह भी जानना होगा कि मानव शरीर कितने तत्वों से बना है या फिर हमारा शरीर किन पांच तत्वों से बना है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि प्रकृति की तरह ही मनुष्य के शरीर के पांच तत्व ही होते हैं लेकिन उसमें प्राण परमात्मा के कारण आते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि हमारी देह में जो आत्मा का वास होता है, वह इन पंच तत्वों का अंश नहीं होता है।

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि पंचतत्वों में इतनी शक्ति नही कि वह एक सजीव चीज़ का निर्माण कर सके क्योंकि यह शक्ति केवल परमात्मा अर्थात ईश्वर में है। ठीक उसी प्रकार पंच तत्व मिलकर एक मानव की देह का निर्माण कर सकते हैं लेकिन उसमे प्राण नही ला सकते। उसके लिए परमात्मा के अंश आत्मा की आवश्यकता होती है जो पंच तत्वों से बने उस मानव शरीर में प्राण लेकर आती है।

उसी प्रकार परमात्मा की आज्ञा से जब आत्मा उस शरीर का त्याग कर देती है तब वह शरीर पुनः निर्जीव अवस्था में आ जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में दाह संस्कार की प्रथा शुरू की गई थी जिसके अनुसार एक शरीर का अंतिम संस्कार करके उसे पुनः इन पंचतत्वों में मिला दिया जाए।

पांच तत्वों के रंग

अब हम आपको अलग से इन सभी पाँचों तत्वों के रंगों के बारे में भी बता देते हैं। बहुत लोग सोचते हैं कि जो तत्व जैसा दिखता है, वही उसका रंग होगा। ऐसे में हम आपको बता दें कि आकाश, जल व वायु का तो कोई रंग ही नहीं होता है। तो आइए जाने पंच तत्वों के रंग के बारे में।

  • आकाश तत्व का रंग: काला
  • पृथ्वी तत्व का रंग: पीला
  • जल तत्व का रंग: श्वेत
  • वायु तत्व का रंग: नीला या भूरा
  • अग्नि तत्व का रंग: लाल

इस तरह से आप तत्व के दिखने के आधार पर उसका रंग मत लीजिए। वह इसलिए क्योंकि अग्नि पीले रंग की दिखती है लेकिन वास्विकता में अग्नि का रंग लाल और पृथ्वी का रंग पीला होता है। ऐसे में प्रकृति के पांच तत्व (Panch Tatva In Hindi) दिखने के आधार पर नहीं, बल्कि अपने मूल रंग के आधार पर पहचाने जाते हैं।

पांच तत्वों की उत्पत्ति कैसे हुई?

अब एक ओर मुख्य प्रश्न पर आते हैं और वह यह है कि पंच तत्वों की उत्पत्ति कैसे हुई या पंच तत्व का निर्माण कैसे हो पाया था? इसको लेकर कई तरह के उत्तर हैं लेकिन उन सभी का अर्थ एक ही है। हम आपके सामने प्रचलित तीन तरह की धारणाओं को रख देते हैं।

  • पहली धारणा के अनुसार पंच तत्वों के निर्माण का श्रेय भगवान ब्रह्मा को जाता है क्योंकि उन्हीं के द्वारा इस पृथ्वी व सृष्टि का निर्माण किया गया था
  • दूसरी धारणा के अनुसार पंच तत्वों की उत्पत्ति भगवान शिव के कारण संभव हो पाई थी। दरअसल भगवान शिव विनाश के देवता हैं और विनाश के बिना निर्माण संभव नहीं और निर्माण के बिना विनाश संभव नहीं।
  • तीसरी अवधारणा के अनुसार पांच तत्वों की उत्पत्ति भगवान शिव और माँ आदिशक्ति के द्वारा संयुक्त रूप से की गई है। दोनों ने मिलकर ही इस सृष्टि व पृथ्वी के पांच तत्वों का निर्माण किया है।

अब धारणाएं जो भी हो लेकिन पांच तत्वों का निर्माण का दायित्व ईश्वर को ही जाता है। उन्हीं के द्वारा ही इस पृथ्वी पर जीवन संभव है। कुछ लोग सूर्य को पंच तत्वों के निर्माण का कारक मान लेते हैं जबकि यह सर्वथा अनुचित है। वह इसलिए क्योंकि पांच तत्वों में सूर्य को केवल आकाश तत्व का देवता माना गया है जिसके बारे में हम आपको नीचे बताएँगे।

पांच तत्वों के देवता कौन हैं?

ऊपर आपने यह जान लिया कि पांच तत्वों का निर्माण ईश्वर के द्वारा किया गया है लेकिन अब इन पंच तत्वों के देवता कौन-कौन से हैं, इनके बारे में भी जान लेना आवश्यक हो जाता है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि यदि हमें किसी पंचतत्व की पूर्ति करनी है या शरीर में उसका संतुलन बिठाना है तो उसके लिए किस देवता की पूजा की जानी चाहिए। ऐसे में आइए जाने पंच तत्वों के देवता के बारे में।

  • आकाश तत्व के देवता: सूर्य देव
  • पृथ्वी तत्व के देवता: भगवान शिव
  • जल तत्व के देवता: भगवान गणेश
  • वायु तत्व के देवता: भगवान विष्णु
  • अग्नि तत्व के देवता: माँ दुर्गा

ऐसे में यदि आपके शरीर में किसी तत्व की कमी है या उसका संतुलन बिठाना है तो आपको उस तत्व के अनुरूप देवता की पूजा करनी चाहिए। इससे पंच तत्वों का संतुलन बना रहता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने प्रकृति के पांच तत्व (Panch Tatva In Hindi) के बारे में संपूर्ण ज्ञान ले लिया है। इन्हीं पंच तत्वों से मिलकर ही हमारी देह का भी निर्माण हुआ होता है किन्तु उसमें प्राण परमात्मा के कारण आते हैं। हालाँकि प्रकृति सहित मानव शरीर के संतुलन और उत्तम जीवन के लिए इन पंच तत्वों का संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है।

यदि आपके शरीर में इन पंच तत्वों में से कोई भी एक तत्व प्रभावित होता है या कम-ज्यादा होता है, तो उसी के फलस्वरूप ही आप बीमार पड़ते हैं। ऐसे में आप अपने शरीर के साथ-साथ प्रकृति के स्वास्थ्य का भी उतना ही ध्यान रखें क्योंकि प्रकृति है तो हम हैं।

पंच तत्व से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: Panch tatva कौन कौन se hain?

उत्तर: पंच तत्व में आकाश, पृथ्वी, जल, वायु व अग्नि तत्व आते हैं जिससे संपूर्ण पृथ्वी का निर्माण हुआ है

प्रश्न: पंच तत्व के देवता कौन है?

उत्तर: पंच तत्व के देवता माँ दुर्गा, भगवान गणेश, विष्णु, शिव व सूर्य देव हैं इनमें से हरेक देवता एक अलग तत्व का प्रतिनिधित्व करता है

प्रश्न: हिंदू धर्म में 5 तत्व क्या हैं?

उत्तर: हिंदू धर्म में 5 तत्व आकाश, पृथ्वी, जल, वायु व अग्नि होते हैं जिनसे इस पृथ्वी व मनुष्य की देह का निर्माण हुआ है

प्रश्न: पांच तत्वों की पूजा कैसे करें?

उत्तर: पांच तत्वों के देवताओं के रूप में माँ दुर्गा, भगवान गणेश, विष्णु, शिव व सूर्य देव को पूजा जाता है

प्रश्न: क्या मनुष्य 5 तत्वों से बने हैं?

उत्तर: हां, मनुष्य की देह का निर्माण 5 तत्वों से मिलकर हुआ है लेकिन उसके अंदर प्राण परमात्मा के अंश आत्मा के कारण विद्यमान है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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