रामानंद सागर की मृत्यु कब हुई? जाने रामानंद सागर की जीवनी

रामानंद सागर की मृत्यु कब हुई

आज हम रामानंद सागर का जीवन परिचय (Ramanand Sagar Biography In Hindi) आपके सामने रखने वाले हैं। अब प्रसिद्ध निर्देशक रामानंद सागर जी को कौन नहीं जानता। उनका नाम भारत देश के हर घर में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने ही प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण व श्रीकृष्ण कथा का निर्देशन किया था।

उन्होंने अपने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखे किंतु रामायण के निर्देशन के बाद उन्हें इतनी प्रसिद्धि मिली जितनी उन्हें अपने पूरे जीवन काल में तो क्या, भारत में किसी और निर्देशक को आज तक नहीं मिली। ऐसे में बहुत से लोग यह भी जानना चाहते हैं कि रामानंद सागर की मृत्यु कब हुई? तो चलिए रामानंद सागर की जीवनी (Ramanand Sagar Ki Jivani) जान लेते हैं।

रामानंद सागर का जीवन परिचय

उनका जन्म भारत के लाहौर जिले के असलगुरु नामक स्थान (वर्तमान पाकिस्तान) पर 29 दिसंबर 1917 को हुआ था। उनका परिवार धनवान था लेकिन उन्हें उनकी नानी ने गोद ले लिया था क्योंकि उन्हें कोई लड़का नहीं था। रामानंद सागर के बचपन का नाम चंद्रमौली चोपड़ा था लेकिन उनकी नानी के द्वारा उनका नाम बदलकर रामानंद सागर रखा गया।

उन्हें जन्म देने वाली माँ के मरने के पश्चात उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली जिनसे उन्हें विधु विनोद चोपड़ा हुए जो आज फिल्म जगत में एक जाने माने निर्देशक हैं व रामानंद सागर के सौतेले भाई भी। आइए रामानंद सागर का जीवन परिचय (Ramanand Sagar Ka Jivan Parichay) जान लेते हैं।

  • शुरूआती जीवन

इनका शुरूआती जीवन बहुत गरीबी में गुजरा। अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए इनके पास पैसे नहीं थे इसलिए इन्होंने दिन में पढ़ाई की व रात को उसके लिए काम करने लगे। पैसे जोड़ने के लिए उन्होंने चपरासी, ट्रक साफ करने वाला, साबुन विक्रेता इत्यादि कई काम किए। इन्हें पंजाब विश्वविद्यालय से 1942 में संस्कृत व पारसी भाषा के लिए स्वर्ण पदक भी मिला।

  • लेखन में रुचि

रामानंद जी की लेखन में रुचि थी व वे उस समय के एक समाचार पत्र “डेली मिलाप” के संपादक भी थे। इसके अलावा उन्होंने 22 लघु कहानियां, नॉवल, आत्म कथा, कविताएं, नाटक इत्यादि लिखे जिन्हें उन्होंने चोपड़ा, बेदी व कश्मीरी उपनामों से प्रकाशित किया।

  • भारत की स्वतंत्रता व बंटवारा

1947 में भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता मिली लेकिन साथ में मिला दुखद बंटवारा। इस बंटवारे में रामानंद सागर जी भी अपना सब कुछ छोड़कर भारत आ गए व मुंबई चले गए। जब वे भारत आए थे तब उनके पास केवल 5 आने थे। उन्होंने बंटवारे के ऊपर अपनी आत्म गाथा “और इंसान मर गया” लिखी जो हिंदी व उर्दू भाषा में थी।

  • निर्देशक के रूप में करियर शुरू करना

1949 में उन्होंने मुंबई में निर्देशक, लेखक व प्रोड्यूसर के रूप में काम शुरू किया। उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण किया जिनमें आँखें, प्रेम बंधन, चरस, पैगाम व बरसात प्रमुख हैं। बरसात उनकी पहली मूवी थी जो सन 1949 में रिलीज़ हुई थी। उन्होंने लगभग 23 फिल्मों में काम किया। सन 1969 में उन्हें फिल्म आँखें के लिए बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला।

  • फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ टीवी सिनेमा में आना

एक बार रामानंद जी अपने बेटों के साथ चरस मूवी की शूटिंग के लिए स्विट्ज़रलैंड में थे। वे एक कैफ़े में बैठे थे, तब उन्होंने जीवन में पहली बार रंगीन टीवी को देखा। अपने सामने रंगीन टीवी को देकर वे आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने उसी समय निर्णय लिया कि अब वे फ़िल्मी दुनिया को छोड़ देंगे व टीवी सिनेमा में काम करेंगे।

उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वे हर भारतीय के दिलों में बसने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन पर आधारित धारावाहिक का निर्माण करेंगे। इसके लिए उन्हें पैसों की आवश्यकता थी जिसके लिए उन्होंने सभी से सहायता मांगी किंतु उनके सभी दोस्तों, रिश्तेदारों, फिल्म जगत ने इसे बेतुका विचार बताकर उन्हें पैसे देने से मना कर दिया।

इसके साथ ही भारतीय सिनेमा में दुबई में बैठे डॉन की बहुत दखलअंदाजी थी, इस कारण भी कोई पैसे देने को तैयार नहीं था। स्वयं रामानंद सागर जी भी फिल्म जगत में डॉन के माफिया गुंडों से परेशान थे। उन्होंने अपने बेटे को विदेशों से भी पैसे लाने को भेजा लेकिन किसी ने कोई सहायता नहीं की।

यहाँ तक कि कुछ ने उनके बेटे को यह सलाह दी कि रामानंद जी को समझाएं कि वे यह विचार छोड़ दें किंतु उनका निर्णय अटल था। कहीं से कोई भी सहायता ना मिलने के बाद, पैसे इकट्ठे करने के लिए रामानंद सागर जी ने सन 1986 में टीवी पर विक्रम और वेताल नाम से एक धारावाहिक शुरू किया जो बच्चों व बड़ों में बहुत पसंद किया गया। इस धारावाहिक के द्वारा उन्होंने रामायण के लिए पैसे इकट्ठे किए।

  • शुरू किया ऐतिहासिक रामायण सीरियल

अंत में टीवी पर 25 जनवरी 1987 को रामायण का पहला एपिसोड दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया और फिर इसके बाद तो रामानंद सागर जी का जीवन ही बदल गया। इसको एक अनुमान से भी बहुत ज्यादा लोगों का आशीर्वाद मिला व दिन भर दिन इसकी प्रसिद्धि और भी बढ़ती ही गई। जिस समय रामायण धारावाहिक आने का समय होता था उस समय भारत की गलियां मानों थम सी जाती थी, सब कामकाज रुक जाते थे व लोग टीवी से चिपक जाते थे।

उस समय संपूर्ण भारत में सब शोर थम जाता था व केवल टीवी में भगवान श्रीराम (अरुण गोविल) व माता सीता (दीपिका चिखलिया) की आवाज़ ही गूंजती थी। रामायण में श्रीराम व माता सीता की भूमिका निभाने वालों को जनता सच में भगवान समान मानकर पूजने लगी थी व टीवी की भी रामायण आने के समय आरती होने लगी थी किंतु मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई थी।

  • कांग्रेस सरकार व दूरदर्शन की आपत्तियां

सन 2019 में स्वर्गीय रामानंद सागर जी के बेटे प्रेम सागर ने उनके जीवन पर आधारित एक पुस्तक प्रकाशित की थी जिसका नाम है “An Epic Life: Ramanand Sagar: From Barsaat to Ramayan” जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे रामानंद सागर जी पर रामायण धारावाहिक को बंद करवाने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से दबाव बनाया गया। उस समय के सूचना प्रसारण मंत्री व दूरदर्शन के अध्यक्ष के द्वारा रामायण को बीच में ही रोक देने, इसमें हिंदू धर्म का महिमामंडन कम करने, भाषा को बदलने इत्यादि कई चीजों का दबाव बनाया गया।

इसके लिए रामानंद सागर जी ने दिल्ली में दूरदर्शन कार्यालय व भारत सरकार के मंत्रियों के कई चक्कर लगाए व विनती की। शो को जारी रखने के लिए रामानंद सागर जी को कई शर्तें माननी पड़ी व साथ ही दर्शकों का भी भारी दबाव व स्नेह के कारण यह धारावाहिक बंद नहीं हो पाया।

  • श्रीकृष्ण व अन्य सीरियल का निर्माण

रामायण की अपार सफलता के बाद रामानंद जी ने भारतीय संस्कृति व इतिहास के ऊपर और भी धारावाहिक बनाएं व उन्होंने भी दर्शकों का दिल जीता। इसी कड़ी में उन्होंने 1988 में लव कुश (Luv Kush), 1992 श्रीकृष्ण (Shri Krishna), आरिफ लैला (Arif Laila) व साईं बाबा (Sai Baba) बनाएं हैं। इसके अलावा सागर आर्ट्स प्रोडक्शन में पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan), हातिम (Hatim), चन्द्रगुप्त मौर्य (Chandragupt Maurya), नई वाली रामायण, धर्म वीर (Dharamveer) इत्यादि हैं।

इसमें भी चन्द्रगुप्त मौर्य धारावाहिक जो चाणक्य की दमदार एक्टिंग के कारण रामायण जैसा प्रसिद्ध हो रहा था, उसे भी कुटिलता पूर्वक NDTV Imagine चैनल को ही बंद करवा कर बीच में रोक दिया गया जो आज तक शुरू नहीं हुआ।

रामानंद सागर की मृत्यु कब हुई?

टीवी सिनेमा में उनके दिए गए योगदान के लिए भाजपा सरकार बनने के एक वर्ष के पश्चात ही उन्हें 2000 में पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके बाद उनका स्वास्थ्य आयु के साथ-साथ बिगड़ता गया व अंत में उन्होंने 12 दिसंबर 2005 को 88 वर्ष की आयु में अंतिम साँस ली। आज भी उन्हें रामायण व उसके जैसे अन्य धारावाहिक देने के लिए याद किया जाता है। वे हर भारतियों के दिलों में हमेशा अमर रहेंगे।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने रामानंद सागर का जीवन परिचय (Ramanand Sagar Biography In Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। भारतीय समाज में कोई भी अन्य निर्देशक इतना प्रसिद्ध नहीं है जितने रामानंद सागर जी हैं। वे हर घर में अपने बनाए सीरियल की बदौलत ही पहचाने जाते हैं।

रामानंद सागर के जीवन से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रामानंद सागर का जन्म कब हुआ?

उत्तर: रामानंद सागर का जन्म 29 दिसंबर 1917 को भारत के लाहौर जिले (वर्तमान आतंकी देश पाकिस्तान) में हुआ था

प्रश्न: रामानंद सागर की उम्र क्या है?

उत्तर: रामानंद सागर जी का 88 वर्ष की उम्र में 12 दिसंबर 2005 को निधन हो गया था

प्रश्न: रामानंद सागर का क्या नाम था?

उत्तर: रामानंद सागर के बचपन का नाम चंद्रमौली चोपड़ा था बाद में उनकी नानी ने उनका नाम रामानंद सागर रखा था

प्रश्न: रामानंद सागर महाभारत कब बनी थी?

उत्तर: रामानंद सागर ने महाभारत नामक कोई सीरियल नहीं बनाया था उन्होंने श्रीकृष्ण नाम से सीरियल बनाया था जिसका महाभारत एक अंग था

प्रश्न: रामानंद सागर रामायण के गायक कौन है?

उत्तर: रामानंद सागर की बनाई गई रामायण में गायक रविंद्र जैन ने अपनी आवाज दी है

प्रश्न: रामानंद सागर द्वारा रामायण कब बनाई गई?

उत्तर: रामानंद सागर द्वारा रामायण वर्ष 1987 में बनाई गई थी जो 1987 से लेकर 1988 तक दूरदर्शन पर प्रकाशित हुई थी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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