
आज हम जानेंगे कि शिवलिंग का अर्थ क्या है (Shivling Ka Arth Kya Hai) व यह कैसे बना। भगवान शिव का सबसे बड़ा प्रतीक जिसकी हम पूजा करते हैं वह है शिवलिंग। जहाँ एक ओर हम ईश्वर के मानवीय रूप की पूजा करते हैं तो वहीं शिवलिंग एक अलग आकृति होती है। इसे देखकर बहुत लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि शिवलिंग का मतलब क्या होता है? तो यहाँ हम आपको बता दें कि शिवलिंग का अर्थ बहुत ही वृहद् है जिसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।
इसी के साथ ही भूतकाल में धर्मविरोधी तत्वों के द्वारा शिवलिंग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैलायी गयी थी। इस कारण लोग शिवलिंग का गलत अर्थ लेने लग गए थे। ऐसे में आज हम आपको शिवलिंग का मतलब क्या है (Shivling Ka Matlab Kya Hai), शिवलिंग किसे कहते हैं, इसका सच क्या है, इत्यादि प्रश्नों का उत्तर विस्तार से देंगे। आइए शुरू करते हैं।
शिवलिंग का अर्थ क्या है? | Shivling Ka Arth Kya Hai
सर्वप्रथम जानते हैं कि शिवलिंग का अर्थ क्या है। यह संस्कृत के शब्द से बना है जो दो शब्दों का मेल है: शिव + लिंग। शिव का अर्थ स्थिरता या शव से है व लिंग का अर्थ प्रतीक, चिन्ह या अंश से है। इस प्रकार जो शिव का अंश या प्रतीक है, उसे ही शिवलिंग कहा जाता है।
जब हमारे महापुरुषों, ऋषि मुनियों ने लाखों वर्ष पूर्व शिवलिंग की रचना की और उसे विश्व के सामने रखा तब उनकी यह खोज अद्वितीय थी जो पूरे ब्रह्मांड, ऊर्जा, पदार्थ, मनुष्ययोनी, जीवन, उत्पत्ति, उदय का प्रतिनिधित्व करती है। शिवलिंग से हमे मानव जीवन के उदय व पतन के बारे में पता चलता है, स्रष्टि का ज्ञान होता है व यह कैसे चलती है, इसके बारे में पता चलता है।
शिवलिंग का मतलब क्या है, यह जानने के लिए हम शिवलिंग की परिभाषा को तीन भागों में विभाजित करके आपको समझाने का प्रयास करेंगे। दरअसल शिवलिंग हमारी सोच के परे है और यह संपूर्ण सृष्टि का प्रतिनिधित्व भी करता है तो इस मानवीय जीवन को भी दिखाता है। ऐसे में यह शिवलिंग है क्या, आइए इसके बारे में जान लेते हैं।
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शिवलिंग का अर्थ है आदि-अनंत
शिवलिंग का अर्थ मुख्यतया ब्रह्मांड से है जिसका ना तो कोई आदि है और ना ही कोई अंत अर्थात ब्रह्मांड सीमाओं से परे है व इसकी कहीं से भी शुरुआत नही होती व ना ही इसका कहीं अंत होता है। विज्ञान में हम तीन प्रकार के अणु पढ़ते हैं जिससे पूरी स्रष्टि का निर्माण हुआ है, वे हैं न्यूट्रॉन, प्रोटोन व इलेक्ट्रॉन। इसमें न्यूट्रॉन व प्रोटोन आपस में जुड़े होते हैं व स्थिर होते हैं तथा इलेक्ट्रॉन उसके चारों ओर स्थित होते हैं और गतिशील होते हैं। ठीक इसी तरह हमारा ब्रह्मांड भी है।
जब भी कहीं विस्फोट होता है व ऊर्जा फैलती है तो वो वृताकार में चारों ओर फैलती है व साथ ही ऊपर व नीचे की ओर अंडाकार दिशा बनती है जैसे कि शिव का रूप है। हमारा ब्रह्मांड भी ऐसा ही है जहाँ विभिन्न आकाशगंगा अपने अंदर अनगिनत तारे समेटे हुए ब्लैक होल के चारों ओर घुमती है व अंततः उसी में समा जाती है।
विज्ञान भी ब्रह्मांड की आकृति को वृताकार रूप में व ऊपर नीचे की ओर अंडाकार रूप में दिखाता है अर्थात शिवलिंग का अभिप्राय ब्रह्मांड के रूप का ही प्रतिनिधित्व करना है।
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शिवलिंग का मतलब है पदार्थ-ऊर्जा
समूचे ब्रह्मांड व विश्व में केवल दो ही चीज़ें विद्यमान है वे हैं पदार्थ व ऊर्जा। पदार्थ वे हैं जिन्हें आप देख सकते हैं, छू सकते हैं व महसूस कर सकते हैं किन्तु ऊर्जा को केवल महसूस किया जा सकता है। जब भी पदार्थ व ऊर्जा का मेल होता है तब उसमे जीवन आता है अन्यथा वह वस्तु निर्जीव मानी जाती है।
ठीक इसी प्रकार आपका शरीर भी एक पदार्थ है जो विभिन्न तरह के तत्वों से मिलकर बना है। उन तत्वों को हम पंच तत्व कहते हैं। वहीं आपकी आत्मा ऊर्जा है जिस कारण आपके शरीर में प्राण आते हैं। शिवलिंग भी पदार्थ व ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है जो जीवन को दर्शाता है। इस तरह से शिवलिंग को मनुष्य के जीवन का आधार भी कहा जा सकता है।
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शिवलिंग का अर्थ है शिव-शक्ति
जो सभी जगह विद्यमान है अर्थात सर्वज्ञ है, जिसको विभाजित नहीं किया जा सकता है अर्थात अविभाजित है, जिसे दिखाया नही जा सकता है अर्थात अदृश्य है, जो शुन्य है अर्थात जिसका कोई आदि-अंत नही है, वही शिव है। जो सर्वशक्तिमान है, जिससे विभाजित होकर नयी सरंचनाएं बनती है, जो सीमाओं से परे है, जिसे देखा जा सकता है, वह है आदिशक्ति।
स्कंदपुराण में आकाश को लिंग कहा गया है व इस पृथ्वी को उसका आधार। एक दिन सब उसी आकाश में समा जाएगा अर्थात शून्य में चला जाएगा और फिर से एक नयी सरंचना या पृथ्वी बनेगी। इसी कारण हम शिव को विनाश के देवता के रूप में देखते हैं लेकिन विनाश नहीं होगा तो निर्माण भी नहीं होगा। इस तरह से हम शिवलिंग को शिव व शक्ति का रूप मानते हैं जो ऊपर दी गयी शिवलिंग की परिभाषा में पदार्थ व ऊर्जा से मेल खाती है।
हमें आशा है कि ऊपर शिवलिंग की बताई गयी तीन परिभाषाओं को पढ़कर आपको शिवलिंग के वृहद् अर्थ और महत्व के बारे में ज्ञान हो गया होगा। शिवलिंग का अर्थ (Shivling Ka Arth Kya Hai) तो हम सभी जान सकते हैं लेकिन उसके संपूर्ण अर्थ को जानना और समझना मनुष्य की क्षमता से परे है। ऐसे में हम जितना सटीक शब्दों में आपको समझा सकते थे, उसका पूरा-पूरा प्रयास हमने किया है।
शिवलिंग का सच क्या है?
शायद आपने भी शिवलिंग का अर्थ कई लोगों से शिवजी के गुप्तांग के बारे में सुना होगा किन्तु यह पूर्णतया गलत है। इसे सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए मुगलों व अंग्रेज़ शासकों द्वारा प्रचारित किया गया व भोलेभाले हिन्दुओं ने इस पर विश्वास कर लिया।
दरअसल लिंग का हिंदी भाषा में अर्थ गुप्तांग या जननांग होता है व इसी का लाभ उठाकर आक्रांताओं द्वारा हिंदू धर्म को बदनाम करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां फैलाई गयी। इसी क्रम में शिवलिंग के बारे में यह भ्रांति बहुत प्रचलित भी हुई और बहुत से लोग शिवलिंग को शिवजी का गुप्तांग समझने भी लगे।
ऐसे में आज आपका शिवलिंग का सच क्या है, इसके बारे में जानना बहुत जरुरी है। सत्य यह है कि शिवलिंग संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ प्रतीक या चिन्ह से होता है, ना कि गुप्तांग से। उदाहरण के तौर पर हम पुल्लिंग व स्त्रीलिंग का प्रयोग करते हैं। तो अब आप ही सोचिए स्त्री का लिंग कैसे हो सकता है। असलियत में पुल्लिंग व स्त्रीलिंग का अर्थ पुरुष व महिला के प्रतीक से है, ठीक वैसे ही शिवलिंग का अर्थ शिव के प्रतीक से होता है।
शिवलिंग किसे कहते हैं?
आखिर में आप यह भी जान लें कि शिवलिंग कहते किसे हैं। अब शिवलिंग का मतलब क्या है (Shivling Ka Matlab Kya Hai), यह तो आपने जान लिया है लेकिन शिवलिंग किसे कहा जाएगा और किसे नहीं, यह जानना भी आवश्यक हो जाता है। आपने कई बार शिवलिंग के कई रूप देखे होंगे। इसमें किसी में वह बहुत छोटा तो कुछ में बड़ा होता है, वहीं कुछ शिवलिंग पत्थर के बने होते हैं तो कुछ मिट्टी के तो कुछ किसी अन्य धातु या तत्व से बनाए जाते हैं।
ऐसे में हर शिवलिंग का अपना अलग महत्व होता है। शिवलिंग को उसके गुण व आकृति के अनुसार भिन्न-भिन्न रूपों में प्रदर्शित किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जहाँ कहीं भी शिवलिंग को स्थापित किया जाता है, वहां पृथ्वी की चुंबकीय व विद्युतीय तरंगों का आंकलन किया जाता है और उसके बाद ही शिवलिंग को वहां स्थापित किया जाता है। इसी कारण शिवलिंग का प्रकार पूरी तरह बदल सकता है।
इसके बारे में विस्तृत रूप में जानने के लिए आपको शिवलिंग के सभी प्रकारों को अच्छे से समझना होगा जिसके बारे में हमने इस लेख में बताया है।
निष्कर्ष
इस लेख के माध्यम से आपने शिवलिंग का अर्थ क्या है (Shivling Ka Arth Kya Hai), इसके बारे में तो जान ही लिया है। साथ ही शिवलिंग के सच और रहस्य के बारे में भी हमने आपको बता दिया है। आगे से यदि आपको कोई शिवलिंग के बारे में भ्रमित करने का प्रयास करे तो आप उसे उसी समय शिवलिंग का सही अर्थ बता सकते हैं। आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गयी यह जानकारी पसंद आयी होगी।
शिवलिंग के अर्थ से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: शिवलिंग का वास्तविक अर्थ होता है इस सृष्टि का प्रतिनिधित्व करना। हमारी सृष्टि का ना ही कोई आदि है और ना ही कोई अंत। सृष्टि जिस रूप में इस ब्रह्माण्ड में फैली हुई है, वही शिवलिंग का आकार होता है।
प्रश्न: शिवलिंग का नाम कैसे पड़ा?
उत्तर: शिवलिंग का अर्थ होता है शिवजी का प्रतीक या चिन्ह। शिवजी ही इस सृष्टि व ब्रह्माण्ड के विधाता हैं। उन्हीं से ही विनाश होता है और वही निर्माण भी करते हैं। यह सृष्टि शिवजी का प्रतीक होने के कारण ही इसका नाम शिवलिंग पड़ा।
प्रश्न: शिवलिंग की असली कहानी क्या है?
उत्तर: शिवलिंग की असली कहानी यही है कि यह सृष्टि व ब्रह्माण्ड का सूचक है। इस सृष्टि का ब्रह्माण्ड में जिस तरह से विस्तार होता है, वही शिवलिंग का आकार दिखाता है। यही शिवलिंग की असली कहानी है।
प्रश्न: क्या शिवलिंग एक पुरुष अंग है?
उत्तर: यह मुगलों व अंग्रेज शासकों के द्वारा फैलाया गया एक भ्रम है। शिवलिंग संस्कृत भाषा का शब्द है और उसमें लिंग का अर्थ प्रतीक या चिन्ह से होता है। ऐसे में शिवलिंग का मतलब शिवजी के प्रतीक से है।
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