सत्यनारायण भगवान की आरती (Satyanarayan Bhagwan Ki Aarti)

Satyanarayan Aarti

सत्यनारायण आरती का पाठ (Satyanarayan Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

हम अपने-अपने घरों में सत्यनारायण भगवान की कथा रखते हैं तथा इसमें सत्यनारायण आरती का पाठ (Satyanarayan Aarti) भी मुख्य तौर पर किया जाता है। भगवान विष्णु को ही सत्यनारायण भगवान के नाम से जाना जाता है किन्तु विष्णु जी की आरती भिन्न है जबकि सत्यनारायण भगवान की आरती (Satyanarayan Bhagwan Ki Aarti) अलग है। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम आपके साथ श्री सत्यनारायण जी की आरती को सांझा करने जा रहे हैं।

सत्यनारायण जी की आरती (Satyanarayan Ji Ki Aarti) को केवल पढ़ लेना ही पर्याप्त नहीं होता है बल्कि उसी के साथ ही इसका अर्थ भी जान लिया जाए तो यह ज्यादा लाभदायक सिद्ध होता है!! ऐसे में आज हम आपके साथ सत्यनारायण स्वामी की आरती को हिंदी में भी सांझा करेंगे ताकि आप उसके भावार्थ को भी समझ सकें। अंत में आपको सत्यनारायण आरती को पढ़ने के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइये पढ़ते हैं सत्यनारायण व्रत कथा आरती।

सत्यनारायण आरती (Satyanarayan Aarti)

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।
नारद करत निरंतर, घंटा ध्वनि बाजे॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल दियो॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।
चंद्रचूड़ एक राजा, जिनकी विपति हरी॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर अस्तुति किन्हीं॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीन्हीं, जिनको काज सरयो॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयालु हरी॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

चढ़त प्रसाद सवाया, कदली फल मेवा।
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

लक्ष्मीरमण जी की आरती, जो कोई नर गावे।
ऋद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति, जी भरके पावे॥

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा।

सत्यनारायण भगवान की आरती (Satyanarayan Bhagwan Ki Aarti) – अर्थ सहित

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा॥

हे सत्यनारायण भगवान!! आप लक्ष्मी माता के मन को प्रसन्न करते हो और आपकी जय हो। हम सभी के स्वामी सत्यनारायण भगवान जी को हमारी जय है। सत्यनारायण स्वामी जी इस विश्व के प्राणियों का कल्याण करते हैं और समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन कर हमारा उद्धार करते हैं।

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।
नारद करत निरंतर, घंटा ध्वनि बाजे॥

सत्यनारायण भगवान रत्नों से जड़े हुए सिंहासन पर विराजमान हैं और उनका रूप बहुत ही अद्भुत लग रहा है जो किसी का भी मन मोह लेता है। नारद मुनि हमेशा ही नारायण-नारायण का जाप कर उनकी आराधना करते हैं। सत्यनारायण जी की पूजा में घंटियों की ध्वनि हर जगह गुंजायेमान है।

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल दियो॥

एक बार निर्धन ब्राह्मण को भिक्षा मांगते हुए देखकर आपको उस पर बहुत दया आ गयी और आपने उस ब्राह्मण को बूढ़े ब्राह्मण के रूप में दर्शन देकर सत्यनारायण व्रत का महत्व बताया। फिर ब्राह्मण के द्वारा सत्यनारायण व्रत कथा आरती करने पर आपने उसे कंचन महल दिया अर्थात आपने उसे धनवान बना दिया।

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।
चंद्रचूड़ एक राजा, जिनकी विपति हरी॥

अपने ही कमजोर व दुर्बल भील पर अपनी कृपा बरसाई थी और उसका उद्धार कर दिया था। इसी तरह राजा चंद्रचूड़ के ऊपर बहुत संकट आये हुए थे लेकिन आपने उसकी भक्ति देखकर उसकी सारी विपदाओं का हल कर दिया था।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर अस्तुति किन्हीं॥

एक वैश्य जिसने अपनी मनोकामना के पूरी होने पर सत्यनारायण का व्रत करने का वचन लिया था, उसने मनोरथ के पूरे होने पर ऐसा नहीं किया। इस कारण उसके और उसके परिवार पर भारी संकट आ गया और फिर उसे सत्यनारायण जी की स्तुति करनी पड़ी और विपदा का हल हुआ।

भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीन्हीं, जिनको काज सरयो॥

आपने अपने भक्तों की भक्ति के कारण, उनके कल्याण के लिए कई तरह के अवतार लिए हैं। जिस किसी के मन में भी सत्यनारायण भगवान के प्रति अपार श्रद्धा है, आप उनके हर काम बना देते हैं।

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयालु हरी॥

राजा ने ग्वालों व मित्रों के साथ वन में सत्यनारायण भगवान की भक्ति की और उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किये। राजा की यह भक्ति देखकर आपने उस पर कृपा की और उसकी हरेक इच्छा को पूर्ण किया।

चढ़त प्रसाद सवाया, कदली फल मेवा।
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा॥

हम सभी आपको सवामणि का प्रसाद चढ़ाते हैं जिसमें हम आपको केले, फल व मेवा का भोग लगाते हैं। साथ ही धूप, दीपक व तुलसी से हम सभी आपकी पूजा करते हैं।

लक्ष्मीरमण जी की आरती, जो कोई नर गावे।
ऋद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति, जी भरके पावे॥

जो कोई भी सत्यनारायण जी की आरती को पूरे भक्तिभाव के साथ गाता है और उनकी आराधना करता है, उसे सत्यनारायण भगवान की कृपा से रिद्धि-सिद्धि व सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है तथा उसे कभी भी इन चीज़ों की कमी नहीं होती है।

सत्यनारायण जी की आरती (Satyanarayan Ji Ki Aarti) – महत्व

हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा को सृष्टि का रचियता कहा गया है जबकि शिवजी को संहारक। इस रचना व संहार के बीच के समय का जो उत्तरदायित्व भगवान विष्णु के द्वारा उठाया जाता है और इस सृष्टि का संचालन किया जाता है, वह इस आरती के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। जब-जब भी पृथ्वी पर अधर्म धर्म पर हावी होने लगता है, तब-तब भगवान विष्णु किसी ना किसी रूप में जन्म लेते हैं और अधर्म का सम्पूर्णतया नाश कर देते हैं।

ऐसे में सत्यनारायण भगवान की आरती के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि यदि हम अपना मन सात्विक कार्यों में लगाएंगे, भगवान विष्णु के द्वारा बताये गए मार्ग पर चलेंगे तो हमारे सभी कष्ट, दुःख, दरिद्रता, तनाव दूर हो जाएगा और शरीर रोगों से मुक्त होगा। ऐसे में विष्णु भक्ति करने और धर्म में ध्यान लगाने से मनुष्य का ना केवल तन बल्कि मन भी शुद्ध होता है जो हमारे संपूर्ण विकास के लिए अति-आवश्यक है।

सत्यनारायण व्रत कथा आरती (Satyanarayan Vrat Katha Aarti) – लाभ

सत्यनारायण आरती में मुख्यतया हमे धर्म का पालन करने की सीख दी गयी है। इस सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु हैं जो धर्म की रक्षा करते हैं और अधर्म का नाश करते हैं। ऐसे में यदि हम धर्म के अनुसार अपना जीवनयापन करेंगे, शारीरिक परिश्रम करेंगे, पैदल घूमेंगे, योग करेंगे, बुरा नही बोलेंगे, सत्कर्म करेंगे तो अवश्य ही हमारा शारीरिक विकास होगा और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलेगी।

सत्यनारायण जी की आरती के माध्यम से हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होगा क्योंकि धर्म में ध्यान लगाने की भी परंपरा है। ध्यान योग का ही एक भाग होता है जिसे आज के आधुनिक समय में लोग मैडिटेशन का नाम भी दे देते हैं। साथ ही दूसरों की सहायता करना, मन को शुद्ध रखना, कर्म पर ध्यान लगाना और भविष्य की चिंता नही करना इत्यादि चीज़ों से हमारा मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनेगा और हम तेज गति से कार्य कर पाएंगे।

सत्यनारायण आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: क्या सत्यनारायण और विष्णु एक ही हैं?

उत्तर: यह बहुत से लोगों का प्रश्न होता है। ऐसे में आज हम आपकी इस शंका को दूर करते हुए बता दें कि सत्यनारायण भगवान व विष्णु जी एक ही हैं और इनका एक और नाम श्रीहरि भी है।

प्रश्न: क्या हम सत्यनारायण की फोटो घर पर रख सकते हैं?

उत्तर: बिल्कुल, आप निश्चिंत होकर सत्यनारायण भगवान की फोटो को अपने घर पर रख सकते हैं। सत्यनारायण जी की फोटो को घर में लगाने से बहुत ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।

प्रश्न: सत्यनारायण भगवान की पत्नी का क्या नाम है?

उत्तर: सत्यनारायण भगवान विष्णु का ही एक नाम है। ऐसे में सत्यनारायण जी की पत्नी का नाम लक्ष्मी माता है जिन्हें हम संपन्नता की देवी भी कहते हैं।

प्रश्न: सत्यनारायण का मतलब क्या होता है?

उत्तर: सत्यनारायण का मतलब होता है ईश्वरीय सत्य अर्थात धर्म। एक तरह से नारायण भगवान विष्णु को कहा जाता है और जो विष्णु का सत्य है, वही सत्यनारायण होता है।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.