Sharbhang Rishi: रामायण में शरभंग ऋषि कौन थे?

Sarbhang Rishi

आज हम आपके सामने रामायण में प्रसिद्ध शरभंग ऋषि की कथा (Sarbhang Rishi) रखने जा रहे हैं। शरभंग ऋषि वही हैं जिन्होंने श्रीराम को देखते ही अपने प्राण त्याग दिए थे। ये वही ऋषि हैं जिन्होंने श्रीराम से मिलने के लिए देवराज इंद्र के द्वारा दिया गया देव लोक जाने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया था।

ऐसे में आज हम आपको शरभंग ऋषि कौन थे व क्यों उन्होंने देव इंद्र का प्रस्ताव ठुकरा कर श्रीराम से मिलना चुना था, के बारे में बताने वाले हैं। आइए Sharbhang Rishi के बारे में जान लेते हैं।

Sarbhang Rishi | शरभंग ऋषि की कथा

शरभंग ऋषि एक महान तपस्वी थे जिन्होंने अपने तपोबल से कई दिव्य लोक प्राप्त कर लिए थे। वे दक्षिण भारत के दंडकारण्य के वनों में रहते थे। तपस्या करते-करते अब वे वृद्धावस्था में पहुँच गए थे। जब उनके शरीर के त्याग का समय निकट आ चुका था तभी उनकी श्रीराम से भेंट हुई थी जिससे उनका जीवन सफल हो गया था। आइए जानते हैं उस अद्भुत पल के बारे में।

  • शरभंग ऋषि का आश्रम

जब भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास में दंडकारण्य के वन में पहुंचे तो वे महर्षि अत्री व माता अनुसूया के आश्रम गए। वहाँ उनसे भेंट के बाद महर्षि अत्री ने उन्हें बताया कि अब वे आगे जाकर Sharbhang Rishi से मिलें क्योंकि उनके जीवन का अंत समय निकट आ गया है। इसलिए वे उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। महर्षि अत्री से आज्ञा पाकर श्रीराम माता सीता व लक्ष्मण के साथ शरभंग ऋषि के आश्रम के लिए निकल पड़े।

  • देव इंद्र का प्रस्ताव ठुकराना

जब भगवान श्रीराम शरभंग ऋषि के आश्रम के मार्ग पर थे तभी देव इंद्र आकाश मार्ग से अपने विमान में शरभंग ऋषि की कुटिया में पहुंचे। देव इंद्र ने शरभंग ऋषि को बताया कि अब उनके प्राण त्यागने का समय आ चुका है। इसलिए वे उनके साथ इंद्र लोक चलें किंतु शरभंग ऋषि अपनी दिव्य दृष्टि से प्रभु श्रीराम को अपने आश्रम की ओर आता देख चुके थे।

इसलिए उन्होंने देव इंद्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया व कहा कि वे स्वयं अपनी इच्छा से अपने प्राणों को त्याग देंगे। Sarbhang Rishi से यह आदेश पाकर इंद्र वापस अपने धाम को लौट गए।

  • श्रीराम व शरभंग मुनि की भेंट

इसके बाद जब प्रभु श्रीराम ऋषि शरभंग के आश्रम पहुंचे तो मानो एक भक्त का जीवन सफल हो गया। ऋषि शरभंग ने स्वयं भगवान विष्णु का इस पृथ्वी लोक पर मानव रूप में दर्शन कर लिया था जो उनके लिए किसी भी लोक को प्राप्त करने से बेहतर था। श्रीराम के दर्शन के बाद ऋषि शरभंग ने अपनी देह का त्याग कर दिया व प्रभु विष्णु के लोक में चले गए।

इस तरह से रामायण में शरभंग ऋषि की कथा (Sarbhang Rishi) इतनी सी है। इससे हमें यह पता चलता है कि किस तरह से ईश्वरीय कृपा के आगे इस पृथ्वी लोक के सुख तो क्या बल्कि देवलोक के सुख भी कुछ नहीं हैं।

शरभंग ऋषि से जुड़े प्रश्नोत्तर

प्रश्न: शरभंग ऋषि कौन थे?

उत्तर: शरभंग ऋषि की भेंट भगवान श्रीराम के वनवास काल में उनसे हुई थी उसके तुरंत बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे

प्रश्न: सरभंग मुनि ने राम के दर्शन के बाद क्या किया?

उत्तर: सरभंग मुनि ने राम के दर्शन के बाद अपने प्राणों को त्याग दिया था इसके बाद वे विष्णु लोक को चले गए थे

प्रश्न: ऋषि शरभंग कौन थे?

उत्तर: ऋषि शरभंग रामायण के एक प्रमुख ऋषि थे उन्होंने श्रीराम से मिलने के बाद अपने प्राणों की आहुति दे दी थी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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