आज हम आपको शिव स्तुति हिंदी में (Shiv Stuti In Hindi) अर्थ सहित बताने वाले हैं। अब कहने को तो शिव स्तुति एक नहीं बल्कि कई है लेकिन मान्यता प्राप्त शिव स्तुति की रचना आदिगुरू शंकराचार्य के द्वारा की गई। तुलसीदास जी द्वारा रचित शिव स्तुति को शिव रुद्राष्टक के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आज हम शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति को हिंदी में देने जा रहे हैं।
इस लेख में सर्वप्रथम आपको शिव स्तुति अर्थ सहित (Shiv Stuti Lyrics In Hindi) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात शिव स्तुति का महत्व और उसे पढ़ने से मिलने वाले लाभों के बारे में बताया जाएगा। आइए पढ़ते हैं शंकराचार्य द्वारा रचित श्री शिव स्तुति हिंदी में।
Shiv Stuti In Hindi | शिव स्तुति हिंदी में
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम॥
हे पशुपति अस्त्र के स्वामी, हे पापों का नाश करने वाले, हम सभी के ईश्वर जिसने गजराज के चरम के वस्त्र पहने हुए हैं, जिनकी जटाओं के बीच में से माँ गंगा की धारा निकल रही है, उन्हीं शिवजी की स्तुति आज मैं करता हूँ।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्॥
महेश, सुरेश व अन्य देवताओं के अहंकार का नाश करने वाले, इस संपूर्ण विश्व के स्वामी, विभूति से अपने अंगों को सुशोभित करने वाले, सर्वत्र विद्यमान रूप वाले, तीन नेत्रों वाले, सदा आनंद में रहने वाले, पंच तत्वों के स्वामी शिव जी हैं।
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्॥
पहाड़ों के स्वामी, भगवान गणेश के पिता, नीले रंग के गले वाले, बैल पर सवार, गुणों से भरपूर, विश्व के लिए सूर्य समान, भस्म से अपने अंगों को सुशोभित किये हुए, माता पार्वती के स्वामी, शिव जी के मैं भजन करता हूँ।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप॥
हे एकांत में रहने वाले शिवजी, शम्भू, शशांक, पार्वती के स्वामी, त्रिशूल लिए हुए, जटाओं को धारण किये हुए, आप ही इस संपूर्ण जगत के स्वामी हैं, यह विश्व आपका ही रूप है, आप हमेशा प्रसन्न रहें।
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्॥
परमात्मा का एक ही रूप है जो इस जगत के पालनहार हैं, उन्हें कोई मोह नही है, उनका कोई रूप नही है, वे सर्वत्र विद्यमान हैं। जहाँ भी हम जाएंगे, जहाँ भी विचरण करेंगे, हम विश्व में हर जगह उन्हीं को पाएंगे। इस विश्व के कण-कण में वे ही विद्यमान हैं।
न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड॥
जिनका मिट्टी, जल, वायु, आकाश, अग्नि, इन्द्रियां, नींद, गर्मी, सर्दी, देश, वेश कुछ नही कर सकते हैं, उन शिवजी की मूर्ति को मैं प्रणाम करता हूँ।
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम॥
जो जन्म-मृत्यु से परे हैं अर्थात शाश्वत हैं, जो सभी कारणों के भी कारण हैं, कल्याण करने वाले हैं, प्रकाश के भी प्रकाश हैं, सभी प्रकार की अवस्थाओं से परिपूर्ण हैं, सर्वत्र विद्यमान हैं, अंतहीन हैं, उन अविभाजित ईश्वर को मैं प्रमाण करता हूँ।
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्॥
विश्व का कल्याण करने वाले शिव जी, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। परम आनंद को प्रदान करने वाले शिव जी को मैं नमस्कार करता हूँ। हे महान तपस्वी, हे योग के स्वामी, हे परम ज्ञान के स्वामी, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:॥
हे प्रभु, हे त्रिशूल धारण किये हुए महादेव, हे विश्व के स्वामी, हे महादेव, हे शम्भू, हे महेश, हे तीन आँखों वाले, हे शांत व एकांत मन वाले शिव, आपसे श्रेष्ठ व उच्च कोई भी नही है।
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि॥
हे शम्भू, महेश, दया के सागर, त्रिशूल धारण करने वाले, माँ गौरी के पति, पशुपति अस्त्र के स्वामी, पशुओं के बंधन से मुक्त कराने वाले, काशी नगरी के स्वामी, आप ही इस विश्व पर दया करते हो और सभी का उद्धार करते हो, आप ही इस जगत के ईश्वर हो।
त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन॥
आप से ही यह जगत, देव आदि निकले हैं, आप से ही यह सबकुछ विद्यमान है। यह संपूर्ण जगत आप से ही निकला है, आप ही उसे सँभालते हैं और फिर अंत में यह आप में ही समाहित हो जाता है।
इस तरह से आज आपने शिव स्तुति अर्थ सहित (Shiv Stuti Lyrics In Hindi) पढ़ ली है। अब हम आपको शिव स्तुति का महत्व और उसे पढ़ने से मिलने वाले लाभ भी बता देते हैं।
शिव स्तुति का महत्व
भगवान शिव तो भोलेनाथ है। भगवान शिव तो सभी के माने जाते हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि यदि हम किसी भगवान को जल्द से जल्द प्रसन्न करना चाहते हैं तो वे भगवान शिव ही है। साथ ही भगवान शिव द्वारा भक्तों की हरेक इच्छा को पूरा किया जाता है। ऐसे में यदि हम भगवान शिव की स्तुति करते हैं तो वे बहुत प्रसन्न होते हैं।
शिव स्तुति के माध्यम से हम भगवान शिव की आराधना भी कर लेते हैं और उन्हें खुश भी कर देते हैं। इतना ही नहीं, शिव स्तुति के माध्यम से हम भगवान शिव के निराकार और निर्गुण रूप को समझ पाते हैं। भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने के कारण ही शिव स्तुति का महत्व बढ़ जाता है।
शिव स्तुति पढ़ने के लाभ
यदि आप प्रतिदिन या मुख्यतया सोमवार के दिन शिव स्तुति का पाठ करते हैं तो इससे आपको कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। भगवान शिव की कृपा से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और अपने जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर होता है। यदि आप विवाह के लिए उचित जीवनसाथी खोज रहे हैं तो वह भी मिल जाता है।
शिव स्तुति के पाठ से भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। शिव जी की कृपा से आपको मनचाही संतान की प्राप्ति होती है। यदि किसी रोग या संकट से ग्रस्त है तो वह भी दूर होता है। कुल मिलाकर शिव स्तुति का सच्चे मन के साथ पाठ किया जाता है तो उस व्यक्ति का जीवन सरल बनता है। यहीं शिव स्तुति के लाभ होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने शिव स्तुति हिंदी में (Shiv Stuti In Hindi) अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने शिव स्तुति का लाभ और महत्व भी जान लिया है। आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट कर दे सकते हैं।
शिव स्तुति से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: शिव स्तुति कितने हैं?
उत्तर: शिव स्तुति मुख्य रूप से दो है। पहली और मुख्य शिव स्तुति की रचना आदिगुरू शंकराचार्य जी के द्वारा की गई थी। वही दूसरी शिव स्तुति की रचना महर्षि गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी।
प्रश्न: शिव स्तुति कब करना चाहिए?
उत्तर: शिव स्तुति को करने का कोई निर्धारित समय या दिन नहीं होता है। इसे आप किसी भी दिन और कभी भी कर सकते हैं। हालाँकि सोमवार के दिन शिव स्तुति करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
प्रश्न: शिव स्तुति करने से क्या होता है?
उत्तर: शिव स्तुति करने से भगवान शिव की कृपा हम पर होती है। इससे हमारा वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और साथ ही मनचाही संतान की प्राप्ति होती है।
प्रश्न: शिव स्तुति का जाप करने के क्या फायदे हैं?
उत्तर: शिव स्तुति का जाप करने से भक्तों को अभय का आशीर्वाद भगवान शिव से मिलता है। इसी के साथ ही सभी तरह के रोगों और संकटों से मुक्ति मिल जाती है।
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