रामायण में कालनेमि कौन था (Kalnemi Kaun Tha) और किस प्रकार उसने संजीवनी बूटी ले जाते हुए हनुमान का रास्ता रोका था। आप सभी ने रामायण देखी होगी और उसमें आपने देखा होगा कि किस तरह से रावण के भेजे हुए एक मायावी राक्षस ने संजीवनी बूटी लाते हुए हनुमान का रास्ता रोक लिया था।
यदि उस समय हनुमान कालनेमि की बातों में आ जाते तो वे समय पर संजीवनी बूटी नहीं ला पाते। इससे लक्ष्मण की मृत्यु निश्चित थी और राम-रावण युद्ध की परिस्थिति पूरी तरह से बदल जाती। इस तरह से कालनेमि राक्षस (Kalnemi Rakshas) की रामायण में मुख्य भूमिका थी। आज हम आपको इसी कालनेमि के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
Kalnemi Kaun Tha | कालनेमि कौन था?
कालनेमि एक ऐसा मायावी राक्षस था जो अपनी शक्ति से किसी का भी रूप धारण कर सकता था। वह रावण को अत्यधिक प्रिय था क्योंकि रावण को उसके रूप बदलने की शक्ति बहुत पसंद थी। उसकी इस शक्ति के कारण वह रावण के कई षड्यंत्र में सहयोगी रहा था। किन्तु एक दिन रावण ने उसे एक ऐसे कार्य के लिए भेजा जो उसकी मृत्यु का कारण बना।
रावण ने उसे हनुमान का रास्ता रोकने के लिए भेजा था। हनुमान अत्यधिक शक्तिशाली व चतुर थे। ऐसे में कालनेमि का सामना सीधे हनुमान से होने वाला था। हनुमान उस समय अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए निकले थे जिसमें यदि थोड़ी भी देर हो जाती तो लक्ष्मण के प्राण तक जा सकते थे। कालनेमि ने रामायण में क्या भूमिका निभाई थी, उससे पहले आप यह जान लें कि आखिरकार कालनेमि राक्षस कौन था (Kalnemi Kon Tha)।
कहने का अर्थ यह हुआ कि कालनेमि किस का पुत्र था और उसके परिवार में कौन-कौन थे। साथ ही किस तरह से वह रावण की सभा में एक राक्षस था। आइए इसका पता लगाएं।
Kalnemi Kon Tha | कालनेमि राक्षस के बारे में
कालनेमि के पिता का नाम मारीच था। मारीच वही था जिसने माता सीता का हरण करने के लिए रावण की सहायता की थी। उसने सोने के हिरण का रूप धरा था जिस कारण माता सीता उससे आकर्षित हो गई थी। इसी कारण रावण का षड्यंत्र सफल हो पाया था और वह माता सीता का हरण कर लंका ले आया था। हालाँकि इस षड्यंत्र में उसके पिता की मृत्यु हो गई थी।
तो यह मारीच रावण का मामा लगता था। वह इसलिए क्योंकि मारीच रावण की माता कैकसी का भाग था। मारीच ताड़का का पुत्र था जिसका वध भी श्रीराम के हाथों ही हुआ था। इस तरह से ताड़का कालनेमि की दादी थी। इसी कारण कालनेमि रावण की सभा में एक प्रमुख राक्षस था। इतना ही नहीं, वह अपनी माया की शक्ति से अपना रूप बदल कर सभी को अचंभित भी कर देता था।
उसके रूप बदलने की शक्ति इतनी सटीक थी कि एक बार को तो हनुमान जी भी उसे नहीं पहचान पाए थे और उसके जाल में फंस गए थे। यदि वह मगरमच्छ रुपी देवी हनुमान को कालनेमि का सच नहीं बताती तो शायद बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती थी। इसके लिए आपको कालनेमि की कथा (Kalnemi Ramayan) पढ़नी होगी। आइए जाने।
Kalnemi Ramayan | कालनेमि की कथा
कालनेमि की कहानी बहुत ही रोचक है। वह इसलिए क्योंकि इसमें राम भजन भी है और कपटता भी। आज हम आपको कालनेमि रामायण में क्या भूमिका निभाता है, इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे। इसमें कालनेमि रावण संवाद, कालनेमि राक्षस का साधु बनना, कालनेमि हनुमान संवाद, हनुमान के द्वारा मगरमच्छ का वध व कालनेमि वध सब होगा। आइए शुरू करें।
लक्ष्मण मेघनाद युद्ध के समय जब मेघनाथ ने लक्ष्मण पर शक्तिबाण चलाया तो लक्ष्मण उससे मुर्छित हो गए थे। यह घाव इतना भयंकर था कि इसके लिए लंका के वैद्य सुषेण की सहायता ली गई। वैद्य सुषेण ने सुबह सूर्योदय से पहले तक हिमालय पर्वत से अद्भुत संजीवनी बूटी को ही इसका एकमात्र उपाय बताया। यह सुनकर हनुमान इस कार्य को करने के लिए तैयार हुए व संजीवनी बूटी लेने के लिए चले गए।
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कालनेमि रावण संवाद
रावण को अपने गुप्तचरों से हनुमान के द्वारा हिमालय से संजीवनी बूटी लाने की बात पता चली। तब उसने हनुमान को बीच रास्ते में रोकने व उसका वध करने के लिए कालनेमि को बुलाया। कालनेमि ने पहले तो रावण को समझाया कि वह हनुमान को रोकने में असमर्थ है लेकिन रावण के हठ करने पर वह तैयार हो गया।
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कालनेमि राक्षस का साधु बनना
इसके बाद कालनेमि हनुमान के हिमालय जाने के रास्ते में एक पहाड़ी पर गया व अपनी माया से साधु का रूप बना लिया। इसके साथ ही उसने आसपास पवित्र झील, सरोवर, बाग व स्वयं की कुटिया का निर्माण किया। वह साधु के वेश में आसन्न ग्रहण करके बैठ गया व राम नाम का जाप करने लगा।
जब हनुमान जी ने आकाश में से उड़ते हुए एक साधु को राम नाम का जाप करते देखा तो उन्हें उत्सुकता हुई व वे उसे देखने नीचे आए। चूँकि कालनेमि को पता था कि हनुमान अत्यधिक शक्तिशाली हैं और उनका सीधा सामना नहीं किया जा सकता है। इसलिए उसने चतुराई से हनुमान का वध करने का षड्यंत्र रचा था।
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कालनेमि हनुमान संवाद
कालनेमि ने हनुमान को कहा कि वह बहुत बड़ा साधु है। उसने अपनी शक्ति से पहले ही जान लिया है कि हनुमान किस काम के लिए इतनी तेजी के साथ जा रहे हैं। कालनेमि के द्वारा सब बताने पर हनुमान जी उससे बहुत प्रभावित हुए। हालाँकि अभी भी हनुमान को हिमालय पर्वत पर जाने की जल्दी थी। इसलिए उन्होंने कालनेमि से जाने की अनुमति मांगी।
इस पर कालनेमि ने कहा कि उसके पास दिव्य शक्ति है। इस शक्ति से वे कुछ ही मिनट में हनुमान को हिमालय पर्वत पहुँचा सकते हैं। यह सुनकर हनुमान जी बहुत खुश हो गए। तब कालनेमि ने उन्हें पास के ही सरोवर में स्नान करने को कहा। यह सुनकर हनुमान जी सरोवर में नहाने चले गए।
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हनुमान के द्वारा मगरमच्छ का वध
उस सरोवर में एक मगरमच्छ था जिसे कालनेमि ने हनुमान की हत्या करने को कहा था। जैसे ही हनुमान उस सरोवर में उतरे व स्नान करने लगे तो मगरमच्छ ने उन पर हमला कर दिया। हनुमान ने अपने बल व पराक्रम से उस मगरमच्छ का वध कर दिया।
वध होते ही वह एक सुंदर अप्सरा में बदल गया। उस अप्सरा ने हनुमान को बताया कि वह एक ऋषि के श्राप के कारण मगरमच्छ का जीवन भोग रही थी। साथ ही उसने कालनेमि का रहस्य भी हनुमान जी को बता दिया कि वह कोई साधु नहीं बल्कि Kalnemi Rakshas है।
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कालनेमि वध
जब हनुमान को कालनेमि के एक साधु वेश में राक्षस होने का पता चला तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए। वे सरोवर से बाहर निकले और दौड़ते हुए कालनेमि के पास पहुँचे। अपना रहस्य खुलता देख कालनेमि अपने असली रूप में आ गया। हनुमान ने कालनेमि को उसी पहाड़ी पर पटक-पटक कर मार डाला। कालनेमि का वध कर हनुमान बहुत तेजी से हिमालय पर्वत की ओर उड़ गए।
इस तरह से आज आपने कालनेमि कौन था (Kalnemi Kaun Tha), इसके बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। यदि कालनेमि अपने षड्यंत्र में सफल हो जाता तो श्रीराम भी लक्ष्मण के दुःख में वहीं प्राण त्याग सकते थे। हालाँकि जो होना है, उसे कोई नहीं टाल सकता है। इसी कारण कालनेमि का वध हुआ और उसके साथ ही उसके षड्यंत्र का भी अंत हो गया।
कालनेमि राक्षस से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कालनेमि की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: कालनेमि की मृत्यु हनुमान के हाथों हुई थी। हनुमान जी ने एक पहाड़ी पर पटक-पटक कर उसका वध कर दिया था।
प्रश्न: मरते समय कालनेमि ने कौन सा रूप धारण किया?
उत्तर: मरते समय कालनेमि अपने राक्षस रूप में ही था। हालाँकि उससे पहले वह एक साधु रूप में था।
प्रश्न: कालनेमि ने हनुमान का रास्ता क्यों रोका?
उत्तर: कालनेमि ने रावण के कहने पर हनुमान का रास्ता रोका था ताकि वे संजीवनी बूटी ना ला सकें।
प्रश्न: कालनेमी की कहानी क्या है?
उत्तर: कालनेमि को रावण ने हनुमान को संजीवनी बूटी लाने से रोकने के लिए भेजा था। हालाँकि हनुमान ने उसका वध कर दिया था।
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