रामायण में सुलोचना कौन थी (Sulochana Kaun Thi) व उसकी क्या कुछ भूमिका थी? सुलोचना इतिहास की एक निर्भिक स्त्री के रूप में जानी जाती है। वह स्वयं शेषनाग की पुत्री थी जिसका विवाह लंकापति रावण के महापराक्रमी पुत्र मेघनाद के साथ संपन्न हुआ था। मेघनाद की मृत्यु के पश्चात सुलोचना सती ही गयी थी।
सुलोचना के सती होने का प्रसंग बहुत ही रोचक है। सुलोचना को प्रमीला के नाम से भी जाना जाता है। आज हम आपको रामायण सुलोचना (Sulochna Kaun Thi) के नजरिये से दिखाने जा रहे हैं अर्थात सुलोचना की रामायण में कब और कितनी भूमिका रही थी, उसके बारे में बताएँगे। तो आइए जाने सती सुलोचना का जीवन परिचय।
Sulochana Kaun Thi | सुलोचना कौन थी?
इसके बारे में मान्यता है कि एक दिन जब माता पार्वती भगवान शिव के हाथ में सर्प को बांध रही थी तो वह ज्यादा जोर से बंध गया जिससे उसकी आँख से आसूं की दो बूंदे गिरी। इन दो बूंदों से दो कन्याओं का जन्म हुआ जिनका नाम सुनैना (माता सीता की माँ) व सुलोचना पड़ा। इसमें से सुनैना का लालन-पालन माता पार्वती की देखरेख में माता नर्मदा ने किया जिसका विवाह राजा जनक से हो गया। तो वही सुलोचना का लालन-पालन नागो के बीच हुआ जिसका विवाह बाद में रावण पुत्र मेघनाद के साथ हुआ।
चूँकि लक्ष्मण स्वयं शेषनाग के अवतार थे व सुलोचना (Sulochana Ramayan) नाग कन्या थी। इसलिये एक तरह से सुलोचना लक्ष्मण की पुत्री हुई व मेघनाद लक्ष्मण का दामाद। मेघनाथ काव्य में मेघनाद की पत्नी का नाम प्रमीला बताया गया हैं। चूँकि मेघनाद का एक ही विवाह हुआ था इसलिये यह माना गया कि सुलोचना का ही एक अन्य नाम प्रमीला हैं। सुलोचना नाम का अर्थ होता हैं जिसके नयन सुंदर हो। सुलोचना एक आकर्षित नेत्रों वाली स्त्री थी।
सुलोचना का चरित्र चित्रण
रामायण में सुलोचना का ज्यादा उल्लेख नही हैं। उसका मुख्य उल्लेख मेघनाद के अंतिम बार युद्ध में जाते समय व उसके वध के पश्चात मिलता है। जब मेघनाद तीसरी बार श्रीराम के भाई लक्ष्मण से युद्ध करने जा रहा था तब वह अंतिम बार अपने माता-पिता व सुलोचना से मिलने आया था।
वह अपने पिता रावण को समझाने आया था कि श्रीराम नारायण का अवतार है तथा अब उसे माता सीता को उन्हें लौटा देना चाहिए लेकिन रावण से उसे युद्धभूमि में जाकर युद्ध करने का आदेश दिया। यह सुनकर मेघनाद अंतिम बार युद्धभूमि में जाने लगा तो उसकी माँ मंदोदरी ने उसे रोकने का प्रयास किया व विलाप करने लगी।
अपनी माँ से मिलकर वह सुलोचना (Sulochana Kaun Thi) से मिलने में घबरा रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसकी माँ की ही भांति उसकी पत्नी सुलोचना भी उसे रोकने का प्रयास करेगी। उसके आश्चर्य का तब ठिकाना नही रहा जब उसने सुलोचना को एक निर्भीक स्त्री की भांति खड़े देखा जिसकी आँख में एक भी आंसू नही था।
सुलोचना यह जानती थी कि आज उसकी अपने पति के साथ अंतिम भेंट हैं तथा इसके बाद उनका वध हो जायेगा। फिर भी उसकी आँख में एक भी आंसू नही था तथा ना ही मुख पर कोई डर। वह एक निडर महिला की भांति खड़ी थी जिसें मेघनाद को युद्धभूमि में वीरो की भांति युद्ध करने को कहा। यह देखकर मेघनाद को सुलोचना पर बहुत गर्व हुआ तथा वह तेज गति से युद्धभूमि के लिए निकल पड़ा।
सुलोचना का सती होना
इसके बाद मेघनाद का लक्ष्मण के हाथों वध हो गया व उसका एक हाथ सुलोचना के पास आकर गिरा। उसे यह देखकर विश्वास नही हुआ तथा उसने युद्ध का सारा वृतांत उसे बताने को कहा। तब मेघनाद के कटे हुए हाथ ने सब लिखकर सुलोचना को युद्ध का सारा वृतांत सुना दिया। दूसरी ओर लंका में मेघनाद का शरीर बिना मस्तक के पहुंचा था।
यह देखकर रावण-मंदोदरी सब बुरी तरह विलाप कर रहे थे। अब सुलोचना को सती (Sulochna Kaun Thi) होने के लिए अपने पति का मस्तक चाहिए थे। आइए जाने तब क्या हुआ।
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सुलोचना गई रावण के पास
सुलोचना ने अपने ससुर रावण से जाकर कहा कि वह अपने पति के शरीर के साथ सती होना चाहती हैं लेकिन बिना मस्तक के वह सती नही हो सकती। रावण ने शत्रु से मेघनाद का सिर मांगने से मना कर दिया लेकिन सुलोचना को वहां जाने की अनुमति दे दी।
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सुलोचना का श्रीराम के पास जाना
इसके बाद सुलोचना अकेली श्रीराम के पास गयी व उनसे अपने पति का मस्तक माँगा। यह देखकर वानर राज सुग्रीव को आश्चर्य हुआ कि सुलोचना को कैसे पता चला कि मेघनाद का मस्तक उनके पास है। यह सुनकर सुलोचना ने अपने पति के कटे हुए हाथ के द्वारा स्वयं को सारा वृतांत सुनाने की बात कही।
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हंसने लगा मेघनाद का सिर
यह सुनकर सुग्रीव को आश्चर्य हुआ तथा उसने सुलोचना (Sulochana Ramayan) से कहा कि यदि उसके अंदर इतनी ही शक्ति हैं तो वह मेघनाद के कटे हुए सिर को हंसाकर दिखाए। इसके बाद सुलोचना के कहने पर मेघनाद का कटा हुआ सिर सबके बीच जोर-जोर से हंसने लगा। यह दृश्य देखकर वहां खड़े सभी लोग अचंभित थे किंतु श्रीराम सुलोचना की शक्ति को जानते थे।
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सुलोचना की मृत्यु
उन्होंने सुलोचना को अपने पति का मस्तक ले जाने की अनुमति दे दी तथा उसके अंतिम संस्कार के लिए एक दिन के युद्ध विराम की घोषणा की। इसके बाद समुंद्र किनारे मेघनाद के अंतिम संस्कार की तैयारी की गयी व सुलोचना अपने पति के मस्तक को गोद में रखकर सती हो गयी।
इस तरह से आपने यह जान लिया है कि सुलोचना कौन थी (Sulochana Kaun Thi) और रामायण में उसकी क्या भूमिका रही थी। मेघनाद वध के बाद सुलोचना भी उसके साथ सती हो गई थी। इस तरह से सुलोचना की कहानी का अंत भी मेघनाद के साथ ही हो गया था।
सुलोचना से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सुलोचना के पिता कौन थे?
उत्तर: सुलोचना का जन्म भगवान शिव के गले में बंधे हुए सांप के आंसुओं से हुई थी। उसका लालन-पालन नागों के बीच हुआ था।
प्रश्न: लक्ष्मण की कितनी बेटी थी?
उत्तर: लक्ष्मण की कोई बेटी नही थी। लक्ष्मण का विवाह उर्मिला के साथ हुआ था। उससे उन्हें दो पुत्रों की प्राप्ति हुई थी।
प्रश्न: सीता जी के भाई का नाम क्या है?
उत्तर: माता सीता के कोई भाई नहीं था। उनकी एक सगी बहन थी जिसका नाम उर्मिला था।
प्रश्न: सीता जी की सगी बहन कौन थी?
उत्तर: सीता जी की सगी बहन का नाम उर्मिला था। सीता का विवाह श्रीराम के साथ तो वही उर्मिला का विवाह लक्ष्मण के साथ हुआ था।
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