ताड़का कौन थी? जानिए ताड़का राक्षसी का जीवन परिचय

ताड़का वध (Tadka Vadh)

रामायण में ताड़का वध की कहानी (Tadka Vadh) तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि ताड़का राक्षसी (Tadka Rakshasi) होने से पहले एक सुंदर नारी थी। यह सुनकर अवश्य ही आप आश्चर्य में पड़ गए होंगे कि आखिरकार ताड़का कब से सुंदर हो गई। तो यहाँ हम आपको बता दें कि ताड़का को एक ऋषि का श्राप था जिस कारण वह एक कुरूप राक्षसी में बदल गई थी। श्रीराम ने तो ताड़का का वध कर उसे इस श्राप से मुक्ति दिलवाई थी।

ऐसे में आज के इस लेख में पहले हम आपको ताड़का कौन थी (Tadka Kaun Thi) व कैसे उसे ऋषि से श्राप मिला था, इसके बारे में बताएंगे। उसके बाद श्रीराम ने किस प्रकार ताड़का को मार कर उसे मुक्ति देने का काम किया था, इसकी जानकारी देंगे।

Tadka Kaun Thi | ताड़का कौन थी?

एक समय में सुकेतु नाम के यक्ष राजा थे जो अत्यंत बलवान थे किंतु उन्हें कोई संतान नहीं थी। इसी से व्यथित होकर उन्होंने भगवान ब्रह्मा की दिन रात तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें दर्शन दिए। सुकेतु ने भगवान ब्रह्मा से संतान प्राप्ति की इच्छा प्रकट की जो अत्यंत बलवान हो। भगवान ब्रह्मा ने सुकेतु की इच्छा स्वरुप उसे बलशाली संतान प्राप्ति का वरदान दिया।

इसके बाद सुकेतु को ताड़का नाम की पुत्री मिली जिसमें एक हज़ार हाथियों के बराबर बल था। ताड़का अत्यंत बलवानी होने के साथ-साथ सुंदर स्त्री भी थी। इस कारण सुकेतु ने ताड़का का विवाह सुंद नामक एक राक्षस से करवा दिया। सुंद व ताड़का के दो पुत्र हुए जिनके नाम सुबाहु व मारीच थे।

Tadka Rakshasi | ताड़का राक्षसी बनने की कहानी

सुंद राक्षस प्रवत्ति का होने के कारण ऋषि मुनियों को तंग किया करता था। वह प्रतिदिन ऋषि मुनियों के यज्ञ को ध्वस्त करता व उनकी तपस्या में विघ्न उत्पन्न करता था। एक दिन उसने महान ऋषि अगस्त्य मुनि के आश्रम पर आक्रमण कर दिया। अगस्त्य मुनि ने यह देखकर सुंद को श्राप दिया जिसकी वजह से वह वहीं जलकर भस्म हो गया।

जब ताड़का को अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला तो वह अत्यंत क्रोधित हो गई। वह अपने दोनों पुत्रों के साथ अगस्त्य ऋषि पर हमला करने के लिए दौड़ी। चूँकि अगस्त्य ऋषि ताड़का के महिला होने के कारण उसका वध नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने बिना उसका वध किए उसे परास्त किया। साथ ही उसे एक सुंदर स्त्री से अत्यंत कुरूप महिला बन जाने का श्राप दे दिया।

तब से सुंदर स्त्री कही जाने वाली ताड़का राक्षसी (Tadka Rakshasi) में बदल गई जो कि एक नरभक्षी व कुरूप महिला थी। ऋषि के श्राप के कारण उसके दोनों पुत्रों सुबाहु व मारीच की भी यही दुर्दशा हुई।

Tadka Vadh | ताड़का वध की कहानी

इसके बाद अगस्त्य मुनि के प्रकोप से बचने के लिए ताड़का अपने दोनों पुत्रों के साथ अयोध्या नगर में सरयू नदी के किनारे वन में आकर रहने लगी। उसने अपने अपमान का बदला लेने के लिए उस वन के सभी ऋषि मुनियों को सताना शुरू कर दिया। अब वह और उसके दोनों पुत्र अपनी शक्ति से वहाँ के ऋषि मुनियों को मारकर खा जाते थे व उनके यज्ञ में बाधा पहुंचाते थे। ताड़का के प्रकोप के कारण उस सुंदर वन को भी ताड़का वन के नाम से जाना जाने लगा।

उसी वन में महान ऋषि विश्वामित्र की भी कुटिया थी जो प्रतिदिन यज्ञ करके दैवीय अस्त्रों इत्यादि का निर्माण किया करते थे। ताड़का व उसके दोनों पुत्रों के द्वारा उनके यज्ञ में निरंतर बाधा उत्पन्न की जा रही थी। इस कारण वे अपना यज्ञ पूरा नहीं कर पाते थे और अस्त्रों का निर्माण कार्य भी रुक जाता था। बस यही कारण था जो ताड़का वध (Tadka Vadh) का प्रमुख कारण बना।

  • राम और ताड़का का युद्ध

एक दिन जब महर्षि विश्वामित्र यज्ञ कर रहे थे तब सुबाहु व मारीच ने आकर उनका यज्ञ विध्वंस कर दिया। यह देखकर महर्षि विश्वामित्र अत्यंत क्रोधित हो गए। विश्वामित्र के पास इतना पराक्रम व अस्त्र-शस्त्र थे जिससे वे स्वयं ताड़का व उसकी सेना का नाश कर सकते थे। हालाँकि अपनी प्रतिज्ञा के कारण वे ऐसा नहीं कर सकते थे। इसलिए वे अयोध्या के राजा दशरथ के पास सहायता मांगने के लिए गए व उनसे उनके बड़े पुत्र राम को अपने साथ ले जाने को कहा।

दशरथ ने विश्वामित्र जी के साथ राम व उनके छोटे भाई लक्ष्मण को उनकी सहायता के लिए भेज दिया। इसके बाद ही भगवान राम का ताड़का के साथ भीषण युद्ध हुआ था जिसमें उन्होंने ताड़का का वध कर दिया था। इसी के साथ ही उन्होंने ताड़का के एक पुत्र सुबाहु को मार दिया और दूसरे पुत्र मारीच को घायल कर दिया था। आइए जाने उस घटनाक्रम के बारे में।

  • राम व सुबाहु मारीच का युद्ध

अयोध्या के दोनों राजकुमार राम व लक्ष्मण विश्वामित्र के आश्रम की सुरक्षा करते थे। एक दिन जब विश्वामित्र जी अन्य ऋषि मुनियों के साथ यज्ञ कर रहे थे तब सुबाहु व मारीच उन पर आक्रमण करने आए। भगवान श्रीराम ने अपने धनुष बाणों से सुबाहु का वध कर दिया। साथ ही मारीच को घायल कर दूर दक्षिण दिशा में समुंद्र के पास गिरा दिया।

  • रामायण ताड़का वध (Ramayan Tadka Vadh)

इसके बाद महर्षि विश्वामित्र भगवान राम को ताड़का का वध करवाने के लिए लेकर गए। शुरू में भगवान राम ताड़का का वध करने से हिचकिचाए क्योंकि धर्म उन्हें स्त्री हत्या की अनुमति नहीं देता था। तब महर्षि विश्वामित्र ने उन्हें ताड़का का वध करने का आदेश दिया। चूँकि ब्राह्मण की आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता था। इसलिए भगवान श्रीराम ने अपने बाणों से ताड़का का वध कर दिया।

भगवान राम के द्वारा वध करते ही ताड़का को अगस्त्य मुनि के श्राप से मुक्ति मिली। इस कुरुप व नरभक्षी रूप से ताड़का राक्षसी (Tadka Rakshasi) को मुक्ति मिल चुकी थी। इतना ही नहीं, स्वयं भगवान विष्णु के द्वारा वध होने के कारण ताड़का को मोक्ष भी प्राप्त हो गया था। इस तरह से भगवान श्रीराम के हाथों ताड़का वध (Tadka Vadh) होना उसी के लिए ही फलदाई सिद्ध हुआ।

ताड़का कौन थी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: ताड़का का जन्म कैसे हुआ?

उत्तर: भगवान ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से सुकेतु नाम के यक्ष राजा के घर ताड़का नाम की एक सुंदर व बलवान कन्या का जन्म हुआ था

प्रश्न: ताड़का के कितने पुत्र थे?

उत्तर: ताड़का के दो पुत्र थे जिनके नाम सुबाहु और मारीच थे दोनों का वध भगवान श्रीराम के हाथों हुआ था

प्रश्न: रावण की ताड़का कौन थी?

उत्तर: ताड़का रावण की राक्षस सेना में एक प्रांत की अधिपति थी इसी कारण श्रीराम ने ताड़का का वध कर उस प्रांत को आतंक से मुक्त करवाया था

प्रश्न: ताड़का राक्षसी पूर्व जन्म में क्या थी?

उत्तर: ताड़का राक्षसी पूर्व जन्म में नहीं बल्कि उसी जन्म में एक यक्षिणी थी हालाँकि एक राक्षस से विवाह होने पर वह भी राक्षसी बन गई थी

प्रश्न: ताड़का का वध कैसे हुआ?

उत्तर: ताड़का का वध भगवान श्रीराम के हाथों हुआ था श्रीराम ने उसका वध महर्षि विश्वामित्र के कहने पर किया था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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