भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार क्यों लिया था? जाने दोनों कथाएं

Vishnu Mohini Avatar

मोहिनी अवतार (Mohini Avatar): भगवान विष्णु ने पूर्ण तथा अंशावतार मिलाकर कुल चौबीस अवतार लिए हैं जिनमें से दस पूर्ण अवतार है। बाकी के चौदह अवतार अंशावतार है। इन्हीं में से एक अवतार था मोहिनी अवतार। यह एकमात्र ऐसा अवतार था जिसमें भगवान विष्णु एक स्त्री के रूप में प्रकट हुए थे। अब यहाँ यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार क्यों लिया था?

दरअसल भगवान विष्णु के हर अवतार लेने के पीछे कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता था। मोहिनी अवतार (Vishnu Mohini Avatar) भी भगवान ने धर्म की रक्षा करने तथा अधर्म का नाश करने के उद्देश्य से लिया था। आज हम जानेंगे की आखिर भगवान विष्णु के द्वारा मोहिनी अवतार लेने के पीछे की कहानी के बारे में।

Vishnu Mohini Avatar | भगवान विष्णु का मोहिनी अवतार

क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार एक बार नहीं बल्कि दो बार लिया था। उनका यह अवतार कुछ समय के लिए ही प्रकट हुआ था और फिर पुनः भगवान विष्णु में समा गया था। इसलिए ही इसे अंशावतार कहा जाता है अर्थात जो कुछ समय के लिए ही आया हो। इसके माध्यम से उन्होंने अपना उद्देश्य पूरा किया और अपने सही रूप में वापस आ गया।

इसमें पहली कथा तो समुद्र मंथन के समय से जुड़ी हुई है जबकि दूसरी कथा भगवान शिव और भस्मासुर से जुड़ी हुई है। आज हम आपके समंद ओनो ही कथाओं को रखने जा रहे हैं।

समुद्र मंथन व मोहिनी अवतार

भगवान विष्णु के सुझाव पर देवताओं ने दानवों के साथ मिलकर समुद्र मंथन का कार्य किया था। इसके माध्यम से 14 बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति हुई थी। इन्हें भगवान विष्णु ने देवता व दानवों के बीच में उनकी सुविधानुसार बाँट दिया था तथा कुछ रत्न अपने पास भी रख लिए थे। इसमें जो रत्न सबसे महत्वपूर्ण था, वह था अमृत कलश।

इसी अमृत कलश को पाने के लिए ही समुद्र मंथन का इतना बड़ा कार्य किया गया था। अमृत को पीकर कोई भी अमर हो सकता था और यह बात सभी जानते थे। भगवान धन्वंतरी अपने साथ अमृत कलश लेकर निकले थे जिसे देवताओं ने ले लिया था। दानव भी वही थे और वे भी अमृत कलश को पाना चाहते थे। ऐसे में 12 दिनों तक दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ।

  • भगवान विष्णु का मोहिनी अवतार

जब भगवान विष्णु ने युद्ध का कोई हल निकलता नहीं देखा तो वे सतर्क हो गए। वह इसलिए क्योंकि इसका अर्थ था कि अमृत दानवों के साथ भी लग सकता है जिसे पीकर वे अमरत्व पा सकते हैं। इसलिए बिना देर किये भगवान विष्णु ने Mohini Avatar लिया जो बहुत ही सुंदर स्त्री थी। इस अवतार में वे युद्ध के बीच में चले गए और युद्ध रुकवा दिया।

मोहिनी जैसे सुंदर रूप को देखकर देव और दानव दोनों ही मोहित हो गए। उन्होंने अपनी बातों में दोनों पक्षों को उलझा लिया और स्वयं अमृतर कलश ले लिया। उन्होंने कहा कि वे स्वयं सभी को अमृत पिलाएँगे और इसके लिए देवताओं और दानवों को दो अलग-अलग पंक्तियों में बैठने को कहा।

  • राहु केतु का जन्म

मोहिनी (Vishnu Mohini Avatar) ने अपनी योजना के अनुसार पहले देवताओं वाली पंक्ति को अमृत पिलाना शुरू किया। उनकी योजना थी कि अमृत को वही खत्म कर दिया जाए जिस कारण दानवों को वह ना मिल सके। हालाँकि एक दानव स्वर्भानु भगवान विष्णु की इस योजना को समझ गया। वह देवता रूप बनाकर छुपके से उनकी पंक्ति में जाकर बैठ गया।

जब भगवान विष्णु उसे भी अमृत पिलाने लगे कि तभी सूर्य और चंद्र देव ने उसे पहचान लिया। उन्होंने तुरंत भगवान विष्णु को रोक दिया।भगवान विष्णु भी तुरंत अपने असली रूप में आ गए और सुदर्शन चक्र स्वर्भानु पर छोड़ दिया। हालाँकि तब तक वह अमृत पी चुका था जिस कारण उसका सिर तो कट गया लेकिन वह जीवित रहा। इस कारण आज भी हम स्वर्भानु के सिर को राहु और शरीर को केतु के नाम से जानते हैं।

भस्मासुर व मोहिनी अवतार

भगवान विष्णु ने दूसरी बार Mohini Avatar भगवान शिव की प्राण रक्षा करने के लिए लिया था। दरअसल भस्मासुर नाम का एक राक्षस था जिसने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। इसके फलस्वरूप उसे भगवान शिव से वरदान मिला था कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। इस वरदान को पाकर उसमें बहुत अहंकार आ गया और इसी अहंकार में एक दिन वह भगवान शिव को ही भस्म करने निकल पड़ा।

इस कारण भगवान शिव को अपनी प्राण रक्षा के लिए इधर-उधर भागना पड़ा लेकिन भस्मासुर उनका पीछा ही नहीं छोड़ रहा था। अंत में भगवान शिव हिमाचल के श्रीखंड में जाकर ध्यान मग्न हो गए और सब कुछ नियति के हाथों छोड़ दिया। श्रीखंड बहुत ही ऊँचाई पर स्थित था जहाँ तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल था लेकिन भस्मासुर महादेव की खोज में उससे कुछ किलोमीटर नीचे भीम्द्वर तक आ गया था।

  • विष्णु ने लिया मोहिनी अवतार

जब भस्मासुर भगवान शिव की खोज में श्रीखंड भी पहुँचने वाला था और भीम्द्वर तक आ गया था तो भगवान विष्णु सतर्क हो गए थे। उन्हें यह आभास हो गया था कि यदि अब उन्होंने कुछ नहीं किया तो शिवजी भस्म हो जाएँगे। ऐसे में उन्होंने तुरंत अपना Mohini Avatar लिया और भीम्द्वर पहुँच गए।

पर्वतों पर इतनी सुंदर स्त्री को देखकर भस्मासुर तुरंत ही उस पर मोहित हो गया। मोहिनी (Vishnu Mohini Avatar) ने भी अपनी बातों के जाल में भस्मासुर को फंसा लिया था और उसे वही रोक लिया था।

  • भस्मासुर का अंत

मोहिनी की बातों में आकर भस्मासुर वही करने लगा जो वह कह रही थी। मोहिनी ने उसे अपने साथ नृत्य करने को कहा। भस्मासुर मोहिनी को देखकर नृत्य करने लगा। नृत्य में जिस तरह की क्रिया मोहिनी करती, ठीक उसी तरह भस्मासुर भी करता। यह नृत्य कई देर तक चला।

जब मोहिनी ने देखा कि भस्मासुर को अब कुछ ध्यान नहीं है और वह पूरी तरह से उनके नृत्य में रम चुका है तो उन्होंने अपना हाथ अपने सिर पर रखा। मोहिनी की देखादेखी भस्मासुर ने भी अपना हाथ अपने सिर पर रख दिया और तुरंत जलकर भस्म हो गया। इस तरह से अपना उद्देश्य पूरा करके मोहिनी (Vishnu Mohini Avatar) पुनः अपने विष्णु रूप में आ गई।

शिव और मोहिनी का पुत्र

मान्यता है कि भगवान शिव का भगवान विष्णु के स्त्री रूप मोहिनी से एक पुत्र भी था। यह उस समय की बात है जब भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय Mohini Avatar लिया था। जब उनका कार्य पूरा हो गया था तो शिवजी भी वहां आए थे। मोहिनी के रूप को देखकर वे सम्मोहित हो गए थे।

इससे उन दोनों का एक पुत्र हुआ जिसका नाम अयप्पा है। मान्यता है कि अयप्पा भगवान में दोनों की ही शक्तियां है। इन्हें मुख्यतया दक्षिण भारत में पूजनीय माना गया है। दक्षिण भारत में अयप्पा भगवान के कई मंदिर मिल जाएँगे और वहां लाखों लोगों के नाम भी इनके नाम पर रखे गए हैं।

मोहिनी अवतार से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार क्यों लिया था?

उत्तर: भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धर्म रक्षा हेतु लिया था इसके माध्यम से उन्होंने धर्म की रक्षा की थी और अधर्म का अंत किया था उन्होंने यह अवतार दो बार लिया था जिसको लेकर अलग-अलग कथाएं है

प्रश्न: मोहिनी किसका अवतार है?

उत्तर: मोहिनी भगवान विष्णु का अंशावतार है यह अवतार उन्होंने दो बार लिया था इसके माध्यम से उन्होंने राक्षस भस्मासुर का अंत किया था और साथ ही आसुओं को अमृत पीने से रोका था

प्रश्न: मोहिनी की कहानी क्या है?

उत्तर: मोहिनी की एक नहीं बल्कि दो कहानियां है क्योंकि भगवान विष्णु ने यह अवतार दो बार लिया था दोनों कहानियों को हमने इस लेख में विस्तार से बताया है जिसे आपको पढ़ना चाहिए

प्रश्न: मोहिनी किसकी देवी है?

उत्तर: मोहिनी को सुंदरता की देवी माना जा सकता है जो भगवान विष्णु का ही स्त्री रूप है उन्होंने यह अवतार दानवों को अमृत पीने से रोकने के लिए और भस्मासुर का वध करने के लिए लिया था

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *