आज हम आपको गणेश जी लक्ष्मी जी की कहानी (Ganesh Ji Lakshmi Ji Ki Kahani) बताने जा रहे हैं। हम जब भी माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा अवश्य करते हैं। वैसे तो भगवान गणेश की पूजा व उनका नाम हर शुभ कार्य से पहले किया जाता हैं लेकिन लक्ष्मी पूजा में उनका महत्व विशेष रूप से होता हैं।
कहते हैं कि बिना भगवान गणेश की पूजा के लक्ष्मी माता की पूजा अधूरी मानी जाती हैं लेकिन ऐसा क्यों? इसलिए आज हम लक्ष्मी गणेश जी की कहानी (Lakshmi Ganesh Ji Ki Kahani) के बारे में जानेंगे। आइए जानते हैं गणेश लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है व इसका क्या महत्व है।
गणेश जी लक्ष्मी जी की कहानी (Ganesh Ji Lakshmi Ji Ki Kahani)
इससे एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई हैं। चूँकि लक्ष्मी माता धन, वैभव की माता होती हैं इसलिये उनका मृत्यु लोक में विशेष स्थान था। सभी लोग अन्य देवी-देवता की महत्ता को भुलाकर माता लक्ष्मी को विशेष रूप से प्रसन्न करने में लगे रहते थे ताकि उनके घर में कभी भी धन की कमी ना हो।
अपनी पूजा व महत्व को देखकर माता लक्ष्मी का अहंकार दिनोदिन बढ़ता जा रहा था जिसका आभास भगवान विष्णु को हो गया था। एक दिन वैकुंठ धाम में दोनों बैठे बाते कर रहे थे कि तभी माता लक्ष्मी ने अपनी महत्ता के गुणों का बखान करना शुरू कर दिया।
- लक्ष्मी माता का अहंकार
माता लक्ष्मी निरंतर अपने गुणों का बखान किये जा रही थी व भगवान विष्णु उन्हें ध्यानपूर्वक सुन भी रहे थे। उनके अहंकार का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने एक सुंदर योजना बनायी। चूँकि माता लक्ष्मी के कोई संतान नही थी इसलिये भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि चूँकि तुम में सभी गुण विद्यमान हैं लेकिन एक चीज़ को छोड़कर। एक नारी तभी पूर्ण मानी जाती हैं जब उसके कोई संतान हो। बिना संतान के हर नारी अधूरी ही रहती हैं।
- पार्वती माता की आशंका
यह सुनकर लक्ष्मी माता विचलित हो उठी तथा संतान प्राप्ति की लालसा उनमे जाग उठी। अपनी इसी बैचैनी को लेकर वे माता पार्वती के पास गयी। चूँकि माता पार्वती की दो संतान थी एक भगवान कार्तिक व दूसरे भगवान गणेश। माता पार्वती उन्हें अपने दूसरे पुत्र गणेश को गोद देने को तैयार थी लेकिन उनकी आशंका यह थी कि लक्ष्मी का निवास कभी एक स्थल पर नही होता फिर वह कैसे उनके पुत्र गणेश का ध्यान रख पाएंगी।
- लक्ष्मी माता का वचन
माता लक्ष्मी हमेशा अपना स्थान बदलती हैं तथा यहाँ से वहां विचरण करती हैं। ऐसे में वे उनके पुत्र गणेश का ध्यान किस प्रकार रख पाएंगी। तब माता लक्ष्मी ने माता पार्वती को वचन दिया कि चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े लेकिन अपने पुत्र गणेश का ध्यान वे हमेशा रखेंगी। माता लक्ष्मी से यह आश्वासन पाकर माता पार्वती को संतोष पहुंचा व उन्होंने भगवान गणेश को लक्ष्मी माता को गोद दे दिया।
- लक्ष्मी माता की घोषणा
भगवान गणेश को पुत्र रूप में पाकर माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हुई। तब से ही उन्होंने यह घोषणा कर दी कि अब से उनकी हरेक पूजा में भगवान गणेश का विशेष स्थान होगा तथा उनकी पूजा से पहले गणेश जी को पूजा अनिवार्य होगी। यदि उनकी पूजा भगवान गणेश के बिना की गयी तो उस घर में लक्ष्मी का वास नही होगा तथा वह पूजा भी अधूरी मानी जाएगी।
माता लक्ष्मी के इन कथनों के फलस्वरूप ही उनकी पूजा में हमेशा भगवान गणेश का स्थान अनिवार्य रूप से रहने लगा। जहाँ कही भी माता लक्ष्मी की आराधना की जाती हैं, वहां पहले भगवान गणेश को पूजना अनिवार्य होता हैं।
लक्ष्मी गणेश जी की कहानी का संदेश
अब आप लक्ष्मी गणेश की कहानी से मिलता (Lakshmi Ganesh Ji Ki Kahani) संदेश भी जान लीजिए। जैसे माता लक्ष्मी को धन व वैभव की देवी मन जाता हैं उसी प्रकार भगवान गणेश को विद्या व बुद्धि का देवता। जिस व्यक्ति के पास धन हैं लेकिन विद्या व बुद्धि नही तो वह उस धन का कभी भी सदुपयोग नही कर पायेगा। इसके साथ ही वह अपनी मुर्खता से वह धन जल्द ही खो देगा।
ठीक उसी प्रकार जिस व्यक्ति के पास विद्या व बुद्धि हैं, उसके पास धन ना होते हुए भी कभी धन की कमी नही होगी तथा वह जीवनभर अपनी बुद्धि के बल पर जीवनयापन कर पाएगा। इसलिये व्यक्ति को कभी भी बिना सोचे-समझे धन का दुरपयोग नही करना चाहिए। केवल धन का सदुपयोग करने के कारण ही वह धन उसके घर में टिकता हैं तथा बढ़ता ही जाता है।
इस तरह से गणेश जी लक्ष्मी जी की कहानी (Ganesh Ji Lakshmi Ji Ki Kahani) भी हमें अभूतपूर्व शिक्षा देती है। व्यक्ति को धन का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए और उसका दुरुपयोग करने से बचना चाहिए।
लक्ष्मी गणेश की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: गणेश लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है?
उत्तर: गणेश लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। वह इसलिए क्योंकि लक्ष्मी माता धन की देवी है तो भगवान गणेश बुद्धि के देवता। बुद्धि के बिना धन का को महत्व नहीं होता है। इसलिए दोनों की पूजा होती है।
प्रश्न: लक्ष्मी और गणेश की एक साथ पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर: लक्ष्मी और गणेश की एक साथ पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि धन का महत्व तभी तक रहता है जब तक मनुष्य अपनी बुद्धि का भी उपयोग करे। यदि मनुष्य बुद्धिहीन है तो वहाँ धन नहीं टिक पाता है।
प्रश्न: गणेश जी और लक्ष्मी जी के बीच क्या संबंध है?
उत्तर: लक्ष्मी माता ने माता पार्वती से उनके दूसरे पुत्र गणेश को गोद ले लिया था। इस तरह से भगवान गणेश लक्ष्मी माता के दत्तक पुत्र कहलाए जाते हैं।
प्रश्न: लक्ष्मी जी के गणेश जी कौन थे?
उत्तर: लक्ष्मी जी के गणेश जी दत्तक पुत्र है। चूँकि लक्ष्मी माता के कोई संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने माता पार्वती से उनके पुत्र गणेश को गोद ले लिया था।
प्रश्न: क्या लक्ष्मी गणेश की बहन है?
उत्तर: नहीं, लक्ष्मी गणेश की बहन नहीं है। लक्ष्मी माता ने गणेश को पुत्र रूप में गोद ले लिया था। इस तरह से वे उनके दत्तक पुत्र माने जाते हैं।
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