सनातन/ हिंदू धर्म के 16 संस्कार: सोलह संस्कारों के बारे में संपूर्ण जानकारी

16 Sanskar In Hindu Dharma

#13. केशांत संस्कार (Keshant Sanskar In Hindi)

जब गुरु को यह विश्वास हो जाता है कि उसका शिष्य अब पूरी तरह से पारंगत हो चुका हैं तब वे उसका केशांत संस्कार करते है। दरअसल एक शिष्य को गुरुकुल में रहते हुए पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसलिये उसका सिर के बाल तथा दाढ़ी को कटवाना वर्जित होता है किंतु जब उसकी शिक्षा पूरी हो जाती है तो एक बार फिर से उसका मुंडन किया जाता है तथा प्रथम बार दाढ़ी बनाई जाती है। यह संस्कार एक तरह से उसकी शिक्षा के पूरी होने का संकेत होता है।

#14. समावर्तन संस्कार (Samavartan Sanskar In Hindi)

इस संस्कार का अर्थ होता है पुनः अपने घर को लौटना। एक बालक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पच्चीस वर्ष की आयु तक अपने गुरुकुल में ही निवास करता है तथा उसके आसपास सभी सज्जन पुरुष तथा उत्तम वातावरण होता है। शिक्षा के पूर्ण होने के पश्चात उसे पुनः अपने समाज में लौटना होता है। इसलिये इससे पहले उसका समाज में संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से उसके गुरु द्वारा उसका समावर्तन संस्कार किया जाता है जिसमें उसे समाज में ढालने का प्रयास किया जाता है। इस संस्कार के पश्चात एक मनुष्य गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण कर पुनः अपने घर व समाज को लौटता है तथा गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है।

#15. विवाह संस्कार (Vivah Sanskar In Hindi)

शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात अब वह मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर चुका होता है इसलिये अब उसका पूरे विधि विधान से विवाह करवाया जाता है। इसमें ब्रह्म विवाह सबसे उत्तम होता है तथा इसके अलावा भी सात अन्य प्रकार के विवाह होते है। विवाह संस्कार को करके वह मनुष्य अपने पितृ ऋण से मुक्ति पाता है क्योंकि विवाह करने के पश्चात वह संतान को जन्म देगा तथा सृष्टि को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देगा। इसलिये इस संस्कार को करने के पश्चात उसकी पितृ ऋण से मुक्ति हो जाती है।

#16. अंत्येष्टि संस्कार (Antyeshti Sanskar In Hindi)

यह संस्कार मनुष्य के जीवन का अंतिम संस्कार होता है जो उसकी देह-त्याग के पश्चात उसके पुत्रों/ भाई/ परिवार जनों के द्वारा किया जाता है। हमारा शरीर पंचभूतों से बना होता है जो है आकाश, पृथ्वी, वायु, जल तथा अग्नि। इसलिये एक मनुष्य के देह-त्याग के पश्चात उसके शरीर को उन्हीं पांच तत्वों में मिलाना आवश्यक होता है जिससे कि उसकी आत्मा को शांति मिल सके। इसलिये यह संस्कार अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया हैं अन्यथा उसकी आत्मा को कभी शांति नही मिलती है।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

3 Comments

  1. राम राम जी….
    मैं इन सभी 16 संस्कारों को खोज रहा था, जिनके बारे में मुझे जानना चाहिए था। आपका बहुत बहुत धन्यवाद…सनातन धर्म बहुत महान है इसमें हर एक विषय को अच्छे से बताया जाता है…राम राम जी

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