राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें? जाने राधा अष्टमी व्रत कथा व विधि

Radha Ashtami Kab Hai

आज हम आपको राधा अष्टमी कब है (Radha Ashtami Kab Hai) व यह कैसे मनाई जाती है, इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। दरअसल राधा अष्टमी में अष्टमी शब्द उनकी तिथि को दर्शाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि माता राधा का जन्म आठ तारीख अर्थात अष्टमी के दिन हुआ था। इस कारण उनके जन्म के दिन को राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। वही कुछ भक्त इसे राधा जयंती के नाम से भी जानते हैं।

यह पर्व जन्माष्टमी से 15 दिन बाद आता है। एक तरह से कृष्ण जन्म के 15 दिनों के बाद ही राधा माता का जन्मदिन मनाया जाता है। बहुत भक्तगण इस दिन व्रत में रखते हैं। इसलिए आज हम आपको यह भी बताएँगे कि राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें (Radha Ashtami Vrat Vidhi) और उसकी विधि क्या है। आइए राधाष्टमी के बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।

Radha Ashtami Kab Hai | राधा अष्टमी कब है?

राधा अष्टमी वह दिन हैं जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जन्म हुआ था। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माता राधारानी का जन्म मथुरा के बरसाना गाँव में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम कीर्ति तथा वृषभानु था। वे बरसाना गाँव के सरदार थे। द्वापर युग में श्रीकृष्ण का साथ देने तथा प्रेम का संदेश देने के लिए ही माता राधा का जन्म हुआ था।

इस दिन को पूरे भारतवर्ष में तथा मुख्यतया बृज भूमि में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। माता राधा के जन्मदिवस के अवसर पर वृंदावन, गोकुल, बरसाना के गांवों में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जैसे ही धूम देखने को मिलती है। बरसाना के प्रसिद्ध राधारानी के मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता हैं। पूरी बृजभूमि को इस अवसर पर पुष्पों से सजा दिया जाता है।

स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हैं कि यदि उन्हें पाना हैं तो राधा की पूजा करनी होगी। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार राधा कृष्ण भक्ति का एक मार्ग हैं तथा उसी मार्ग पर चलकर ही उन्हें पाया जा सकता हैं। इसलिये जो भी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करता हैं उसे राधा की संज्ञा दी जाती है।

राधा का श्रीकृष्ण से जो प्रेम था उसके स्वयं श्रीकृष्ण भी ऋणी थे। यह बात स्वयं उन्होंने राधारानी से कही थी। राधा की बेचैनी को समझने के लिए ही उन्होंने कलियुग में चैतन्य का अवतार लिया था जिनका शरीर कृष्ण का था लेकिन हृदय राधा का। इस प्रकार उन्होंने राधा की बेचैनी तथा प्रभु प्रेम को पहचाना था।

Radha Ashtami Vrat Vidhi | राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें?

भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं तथा माता राधा की पूजा करते हैं। माता राधा को प्रसन्न करके ही वे कृष्ण को प्रेम कर उनको पा सकते है। कुछ लोग इस दिन कुछ भी भोजन नही करते तो कुछ एक समय का भोजन करते है।

  • इसे करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
  • उसके पश्चात नए वस्त्र पहनकर माता राधा तथा भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करनी चाहिए।
  • पूजा घर के मंडप में कलश स्थापित करे तथा राधा रानी को नए वस्त्र पहनाएं।
  • वस्त्र यदि लाल रंग के हो तो ज्यादा शुभ होगा।
  • माता राधा को फल, मिठाई व भोग में बना प्रासाद अर्पित करे तथा पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करे।
  • इसके पश्चात पूरे दिन व्रत करे व भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी का ध्यान करे।
  • आप अपनी सुविधा के अनुसार दिन में एक समय नमक युक्त भोजन कर सकते हैं।

राधा अष्टमी व्रत विधि कोई अलग से विधि नहीं है। बस इस दिन आपको सच्चे मन से राधारानी व कृष्ण जी का ध्यान कर व्रत के नियमों का पालन करना होता है। अब राधा अष्टमी व्रत करने के नियम राज्यों, कुल या लोगों की परंपराओं के अनुसार भिन्न-भिन्न भी हो सकते हैं। ऐसे में आपके कुल या परिवार में जिन भी नियमों का पालन किया जाता है, आप उसी के अनुसार ही राधा अष्टमी का व्रत करें।

  • राधा अष्टमी व्रत कथा

राधा अध्तामी की व्रत कथा के अनुसार, एक दिन माता राधा गोलोक या स्वर्ग लोक से बहार गई हुई थी। उस समय श्रीकृष्ण विरजा नामक एक गोपी के साथ विहार कर रहे थे। तभी राधा वहां आ गई और विरजा को भला बुरा कहा। राधा की यह बात सुनकर विरजा शर्म के मारे नदी रूप में बहने लगी। वही खड़े श्रीकृष्ण के मित्र सुदामा को यह बात पसंद नहीं आई। उसने माता राधा को मनुष्य योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया।

यह सुनकर राधा भी क्रोधित हो गई और उसने सुदामा को दैत्य कुल में जन्म लेने का श्राप दिया। आगे चलकर सुदामा ने शंखचूड़ नामक दैत्य का रूप लिया जिसका वध भगवन शिव ने किया था। वही राधा को मनुष्य रूप में जन्म लेने के बाद श्रीकृष्ण का वियोग सहना पड़ा था।

हालाँकि राधा अष्टमी की व्रत कथा में कितनी सच्चाई है, यह कहा नहीं जा सकता है और ना ही धर्मयात्रा इसकी पुष्टि करता है। वह इसलिए क्योंकि श्रीकृष्ण के अनुसार राधा लक्ष्मी का रूप नहीं अपितु श्रीहरी का ही रूप थी। इस कारण दोनों का विवाह नहीं हुआ था। उस समय माता लक्ष्मी ने रुक्मिणी का रूप लिया था जो श्रीकृष्ण की प्रथम और प्रमुख पत्नी थी।

  • राधा अष्टमी व्रत में क्या खाना चाहिए?

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि राधा अष्टमी के व्रत को लेकर कोई अलग से नियम नहीं बनाए गए है। यह आप अपनी सुविधा अनुसार और कुल की मान्यताओं के अनुसार कर सकते हैं। सामान्य तौर पर भक्तगण राधा अष्टमी का व्रत करते समय केवल फलाहार का सेवन करते हैं।

ऐसे में आप दिन में एक या दो बार फलों का सेवन कर सकते हैं। इसके आलावा दूध व चाय का सेवन किया जा सकता है। वही कुछ भक्तगण एक समय अन्न का भोजन लेते हैं। वही कुछ भक्तगण केवल जल पीकर राधाष्टमी का व्रत करते हैं तो वही कुछ लोग जल भी नहीं पीते हैं। इस बात का मुख्य तौर पर ध्यान रखे कि आप व्रत करते समय दिन में एक बार ही अन्न व नमक का सेवन करें, उससे ज्यादा नहीं।

  • राधा अष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए?

वैसे तो राधा अष्टमी का व्रत पूरे दिन के लिए ही माना जाता है। इसलिए आपको पूरे दिन ही व्रत के नियमों का पालन करना होता है। वही कुछ भक्तगण आधे दिन के लिए ही राधा अष्टमी का व्रत रखते हैं। ऐसे में वे रात में भोजन कर लेते हैं। हालाँकि नियमों के अनुसार आपको पूरे दिन में दोपहर के समय ही अन्न का ग्रहण करना चाहिए। वही यदि आप फलाहार कर रहे हैं तो आप सुबह और शाम को इसे ले सकते हैं।

इस बात का ध्यान रखे कि दिन छिपने के बाद भोजन ना करें और ना ही फलों को ले। इस तरह से आपने जान लिया है कि राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें (Radha Ashtami Vrat Vidhi) और उस दिन किन-किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

राधा अष्टमी का महत्व

राधाष्टमी के दिन व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते है तथा उनकी भक्ति आप पर बनी रहती हैं। हम हर जगह देखते हैं कि श्रीकृष्ण का नाम हमेशा राधा के साथ लिया जाता हैं और वह भी उनसे पहले। इसलिये बिना राधारानी की पूजा किये श्रीकृष्ण को नही पाया जा सकता। यदि श्रीकृष्ण को पाना हैं तो आपको राधा के गुणों को अपनाना ही होगा तथा श्रीकृष्ण को उनके जैसे ही अनन्य प्रेम करना होगा।

इस तरह से आज आपने जान लिया है कि राधा अष्टमी कब है (Radha Ashtami Kab Hai) और इस दिन क्या कुछ किया जाता है। इस दिन की धूम मुख्य तौर पर ब्रज के बरसाना में देखने को मिलती है क्योंकि वही माता राधा का जन्म हुआ था। बरसाना के मुख्य राधारानी मंदिर में तो भक्तों का ताँता लग जाता है। ऐसे में आप भी राधाष्टमी के दिन बरसाना जाने का कार्यक्रम बना सकते हैं।

राधा अष्टमी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: राधा अष्टमी व्रत कब रखना है?

उत्तर: राधा अष्टमी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखना होता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि सितंबर माह के आसपास पड़ती है

प्रश्न: राधा अष्टमी का व्रत करने से क्या फल मिलता है?

उत्तर: राधा अष्टमी का व्रत करने से भक्तों के ऊपर ना केवल राधारानी की बल्कि भगवन श्रीकृष्ण की भी कृपा दृष्टि होती है इससे विवाह व संतान होने के योग बनते हैं, काम की समस्या या अड़चने दूत होती है और घर में सुख-शांति आती है

प्रश्न: राधा अष्टमी का व्रत कितने बजे तोड़ा जाए?

उत्तर: जो भक्तगण राधा अष्टमी का व्रत रख रहे होते हैं उन्हें पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करना होता है ऐसे में राधा अष्टमी के व्रत को तोड़ा नहीं जाता है

प्रश्न: राधा अष्टमी का व्रत कैसे करना चाहिए?

उत्तर: राधा अष्टमी का व्रत करने की संपूर्ण विधि हमने इस लेख में विस्तार से दी है ऐसे में आपको यह लेख पढ़ना चाहिए यहाँ आपको राधाष्टमी से संबंधित अन्य जानकारी भी मिल जाएगी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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