सुषेण वैद्य (Sushen Vaidya) लंका के राजा रावण के राजवैद्य थे। जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण को युद्धभूमि में शक्तिबाण की सहायता से मुर्छित कर दिया तो श्रीराम की सेना में मायूसी छा गई थी। स्वयं श्रीराम लक्ष्मण का सिर अपनी गोद में रखकर प्रलाप कर रहे थे व उसे कुछ हो जाने पर स्वयं का शरीर त्याग देने को कह रहे थे।
तब विभीषण के कहने पर लंका के राजवैद्य सुषेण की सहायता ली गई थी। वैद्यराज सुषेण ने ही लक्ष्मण की प्राण रक्षा करने का काम किया था। ऐसे में आज हम आपको उस घटना के साथ-साथ सुषेण वैद्य का इतिहास (Sushen Vaidya Ramayan) भी बताएंगे।
Sushen Vaidya | सुषेण वैद्य
श्रीराम व लक्ष्मण की यह स्थिति देखकर लंकापति रावण के छोटे भाई विभीषण ने लंका के वैद्य सुषेण के बारे में बताया। किंतु वह सशंकित थे कि वे शत्रु पक्ष की सहायता करेंगे या नहीं। हनुमान ने जब यह बात सुनी तो वे तुरंत हवा मार्ग से उड़ गए व सुषेण वैद्य के घर पहुँच गए। हनुमान जी ने सुषेण वैद्य को घर समेत अपने हाथ से उठा लिया व वहाँ ले आए।
सुषेण वैद्य इस प्रकार स्वयं को उठाकर लाए जाने व शत्रु पक्ष का उपचार करने का कहने पर अत्यंत क्रोधित हो उठे। उन्होंने लक्ष्मण का उपचार करने से साफ मना कर दिया। उनके अनुसार उन्हें अपने राजधर्म व देशभक्ति का पालन करना चाहिए। चूँकि श्रीराम व उनकी सेना लंका की शत्रु थी तो उन्हें राजधर्म के अनुसार उनका उपचार नहीं करना चाहिए।
विभीषण ने समझाया सुषेण वैद्य को
जब Sushen Vaidya लक्ष्मण का उपचार करने से मना करने लगे तब विभीषण ने उन्हें वैद्य धर्म व आयुर्वेद के सिद्धांतों के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि जब हम दो धर्मों के बीच फंस जाते हैं व धर्म संकट की स्थिति उत्पन्न होती है तब हमें बड़े धर्म का पालन करना चाहिए।
चूँकि किसी व्यक्ति के वैद्य बनते ही उसे आयुर्वेद के सिद्धातों पर चलना होता है जिसके अनुसार वैद्य किसी देश, समाज या मनुष्य का ना होकर संपूर्ण मानव जाति का होता है। एक वैद्य के लिए कोई भी शत्रु या मित्र नहीं होता। उसे समस्त मनुष्यों का उसके समाज, कुल, जाति, देश, वर्ण, रंग, रूप इत्यादि का विचार ना करते हुए उसका उपचार करना चाहिए। यही वैद्य का शाश्वत धर्म होता है।
वैद्यराज सुषेण ने किया लक्ष्मण का उपचार
विभीषण के द्वारा इस सत्य का ज्ञान करवाने से सुषेण वैद्य को अपनी भूल का ज्ञान हुआ। साथ ही श्रीराम के द्वारा एक शत्रु पक्ष के वैद्य पर विश्वास करते हुए देखकर उनका मन विचल उठा। उन्होंने तुरंत लक्ष्मण का उपचार शुरू कर दिया। इसी के बाद उन्होंने लक्ष्मण का एकमात्र उपचार हिमालय पर्वत पर स्थित संजीवनी बूटी को बताया जिसका सूर्योदय से पहले लाना आवश्यक था।
Sushen Vaidya के कहे अनुसार हनुमान हिमालय पर्वत गए व सूर्योदय से पहले संजीवनी बूटी ले आए। इसके बाद सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से औषधि का निर्माण किया व लक्ष्मण को पुनः स्वस्थ कर दिया।
सुषेण वैद्य का इतिहास (Sushen Vaidya Ramayan)
रामायण में या कहीं और सुषेण वैद्य के बारे में ज्यादा कुछ देखने को या सुनने को नहीं मिलता है। उनका मुख्य उल्लेख उसी समय आता है जब लक्ष्मण मेघनाद के शक्तिबाण से मूर्छित हो जाते हैं। वैसे तो वे लंका के राजवैद्य थे लेकिन उन्होंने अपने वैद्यधर्म का पालन किया था। इसके माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया था कि किसी भी वैद्य या डॉक्टर के लिए अपने रोगी का उपचार करना ही सबसे पहला धर्म है।
डॉक्टर को अपने रोगी का उपचार करते समय उसका देश, राज्य, जाति, भाषा, रंग, लिंग, आयु, स्थिति इत्यादि के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। लक्ष्मण के मूर्छा से बाहर आने के बाद हनुमान पुनः Sushen Vaidya को उनके घर समेत लंका में छोड़ आते हैं।
सुषेण वैद्य से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सुषेण वैद्य की पुत्री कौन थी?
उत्तर: रामायण में सुषेण वैद्य की पुत्री का कोई उल्लेख नहीं है। हालाँकि लोक मान्यताओं के अनुसार बाली की पत्नी तारा सुषेण वैद्य की धर्म पुत्री थी तो वहीं कुछ लोग सुग्रीव की पत्नी रूमा को सुषेण की बेटी मानते हैं।
प्रश्न: रावण का राजवैद्य कौन था?
उत्तर: रावण का राजवैद्य सुषेण था जिसने लक्ष्मण के शक्तिबाण के प्रभाव को कम करने के लिए संजीवनी बूटी से उनका उपचार किया था।
प्रश्न: लक्ष्मण को किसने बचाया?
उत्तर: लक्ष्मण को सुषेण वैद्य की चिकित्सा और हनुमान की शक्ति ने बचाया था।
प्रश्न: लक्ष्मण की जान किसने बचाई?
उत्तर: लक्ष्मण की जान बचाने का उपाय लंका के राजवैद्य सुषेण ने दिया था। वहीं इस उपाय को पूरा हनुमान ने अपनी शक्ति से किया था।
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