रावण का वध होने के बाद लंका का क्या हुआ? आइए जाने

रावण वध (Ravan Vadh)

रावण वध (Ravan Vadh) तो सभी ने देखा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसके बाद क्या कुछ हुआ था!! यह एक बहुत बड़ी घटना थी जिसे आकाश मार्ग से सभी देवता तो वहीं पृथ्वी के सभी प्राणी देख रहे थे। इतने वर्षों से रावण ने तीनों लोकों पर जो अत्याचार किए थे, उसका अंत हो गया था। रावण के अंत को देखकर आकाश मार्ग से देवताओं ने पुष्प वर्षा की थी तो वहीं पृथ्वी वासियों ने मंगल गीत गाए थे।

हालाँकि यहाँ मुख्य प्रश्न यह है कि रावण का वध (Ravan Ka Vadh) होने के बाद लंका में क्या कुछ चल रहा था। उस समय श्रीराम ने लंकावासियों को क्या संदेश दिया था और विभीषण को लंका क्यों सौंप दी थी। आइए हम रावण वध के बाद लंका में हुए घटनाक्रम को आपके सामने रखने जा रहे हैं।

Ravan Vadh | रावण वध

आकाश मार्ग में राम और रावण के बीच भीषण युद्ध चल रहा था। इसी बीच विभीषण के द्वारा रावण की मृत्यु का भेद उजागर करने के पश्चात श्रीराम ने उसकी नाभि में आग्नेय अस्त्र को छोड़ दिया। रावण की नाभि में अमृत था जो आग्नेय अस्त्र के प्रभाव से सूख गया। इसके बाद उन्होंने ब्रह्मास्त्र का संधान करके लंका के राजा रावण को मार गिराया। रावण श्रीराम के नाम को जपता हुआ रथ सहित भूमि पर गिर पड़ा और मर गया।

रावण का वध (Ravan Ka Vadh) होते ही सब जगह हाहाकार मच गया। संपूर्ण राक्षस सेना ने अपने अस्त्र-शस्त्र छोड़ दिए और रोने लगे। आकाश मार्ग से देवताओं ने श्रीराम के ऊपर पुष्प वर्षा की। वानर सेना में उत्साह का संचार हो गया और सभी इधर-उधर खुशी से झूमने लगे। वहीं श्रीराम भी अपने रथ सहित नीचे आए और रावण के शव के पास गए।

इतने में ही रावण की पत्नियाँ, भाई विभीषण व अन्य प्रजागण उसके पास आकर रोने लगे। भगवान श्रीराम उन सभी को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि इसी बीच लंका के राज परिवार के एकमात्र जीवित पुरुष माल्यवान लंका के राजा का मुकुट, राजसी तलवार लेकर वहाँ पहुँचे।

माल्यवान का श्रीराम के सामने आत्म-समर्पण

रावण के नाना माल्यवान ने श्रीराम के सामने आत्म-समर्पण किया तथा रावण की मृत्यु के पश्चात लंका की पराजय स्वीकार की। उन्होंने अब से लंका को अयोध्या के अधीन बताया तथा युद्ध समाप्त करने का अनुरोध किया। इसी के साथ उन्होंने भगवान श्रीराम से अनुरोध किया कि अब वे लंका के बचे हुए नर-नारी को क्षमा कर दे। उन्होंने कहा कि अब से वे सभी उन्हें लंका का स्वामी स्वीकार करते हैं। ऐसा कहकर उन्होंने श्रीराम के सामने घुटने टेक दिए।

श्रीराम के द्वारा लंका का राज्य ठुकराना

श्रीराम ने सभी के सामने माल्यवान जी का अनुरोध अस्वीकार कर दिया तथा उन्हें बताया कि उन्होंने यह युद्ध लंका पर आधिपत्य स्थापित करने या लंकावासियों को अपने अधीन करने के लिए नहीं लड़ा। उन्होंने तो यह युद्ध पापियों का सर्वनाश करने तथा अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए लड़ा था।

उन्होंने माल्यवान व लंकावासियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह भूमि केवल और केवल लंकावासियों की है तथा उस पर अयोध्या का कोई अधिकार नहीं है। रावण का वध (Ravan Ka Vadh) होने के बाद भी एक लंकावासी ही उनका राजा बनेगा, ना कि अयोध्यावासी या कोई और।

विभीषण को बनाया लंका का राजा

उन्होंने सभी को बताया कि उन्होंने यह युद्ध केवल लंका के दुष्ट राजा रावण के पाप तथा अधर्म की नीति को समाप्त करने के लिए लड़ा। युद्ध से पहले ही वे रावण के छोटे भाई तथा धर्म के ज्ञाता विभीषण को लंका का राजा मान चुके हैं। उन्होंने सभी के सामने घोषणा की कि अब से लंका के नए राजा विभीषण ही होंगे तथा उन पर अयोध्या का कोई अधिकार नहीं होगा।

रावण का अंतिम संस्कार

इसी के साथ उन्होंने विभीषण को भाई का कर्तव्य निभाते हुए रावण के पार्थिक शरीर का अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया। उन्होंने सभी से कहा कि उनके अंतिम संस्कार को पूरे विधिवत तरीके से ही किया जाना चाहिए तथा उसमें कोई कमी नहीं आनी चाहिए। साथ ही उन्होंने रावण की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की तथा विभीषण को वहाँ का राजा बनाकर अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण तथा अन्य लोगों के साथ अयोध्या लौट गए।

इस तरह से रावण वध (Ravan Vadh) के बाद भगवान श्रीराम ने ना तो लंकावासियों पर कोई अत्याचार किया, ना ही युद्ध को जारी रखा, ना किसी को बंदी बनाया और ना ही उस पर अपना अधिकार जमाया। उन्होंने अपने वचन के अनुसार रावण के ही छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा नियुक्त किया और स्वयं अपनी पत्नी सीता सहित अयोध्या लौट गए।

रावण वध से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: श्री राम ने रावण का वध कैसे किया?

उत्तर: श्री राम ने रावण का वध आग्नेय अस्त्र व ब्रह्मास्त्र के माध्यम से किया था आग्नेय अस्त्र से उन्होंने रावण की नाभि का अमृत सूखा दिया था जबकि ब्रह्मास्त्र से उसका वध हो गया था

प्रश्न: रावण का अंत कब हुआ था?

उत्तर: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन रावण का अंत हो गया था आज हम उस दिन दशहरा का पर्व मनाते हैं

प्रश्न: रावण का अंत कैसे हुआ था?

उत्तर: श्रीराम ने आग्नेय अस्त्र का संधान कर रावण की नाभि पर छोड़ा और उसका अमृत सूखा दिया इसके बाद ब्रह्मास्त्र को छोड़कर रावण का अंत कर दिया

प्रश्न: रावण की मृत्यु का कारण क्या है?

उत्तर: रावण की मृत्यु का कारण पराई स्त्री पर बुरी नज़र रखना, अहंकार में चूर होकर लोगों पर अत्याचार करना और अधर्म का साथ देना था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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