लव कुश राम कथा (Love Kush Ram Katha) बहुत ही रोचक है। श्रीराम के द्वारा जब माता सीता का त्याग किया गया था तो वे हमेशा के लिए वन में चली गई थी तब वाल्मीकि आश्रम में उनको शरण मिली। माता सीता का असली परिचय केवल वाल्मीकि जी ही जानते थे तथा आश्रम में किसी अन्य को उसका ज्ञान नहीं था। इसलिए सभी आश्रम में उन्हें वनदेवी के नाम से बुलाते थे।
यहाँ तक कि माता सीता के दोनों पुत्रों लव व कुश को भी अपनी माता का असली नाम नहीं पता था। दोनों को ना ही यह पता था कि वे श्रीराम के पुत्र हैं। किंतु एक समय ऐसा आया जब लव कुश को सब सत्य का ज्ञान हो गया। इस सत्य का ज्ञान उन्हें माता सीता तथा गुरु वाल्मीकि के द्वारा करवाया गया। ऐसे में आज हम आपको लव कुश की यही राम कथा (Lav Kush Ram Katha) बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं उस घटना के बारे में।
Love Kush Ram Katha | लव कुश राम कथा
जब श्रीराम का अश्वमेघ घोड़ा चारों दिशाओं में विचरण करके वाल्मीकि आश्रम के पास जाकर रुका तो लव कुश के द्वारा उस घोड़े को पकड़कर श्रीराम के साम्राज्य को चुनौती दी गई। इसके पश्चात उनका शत्रुघ्न, लक्ष्मण, भरत, सुग्रीव तथा हनुमान से युद्ध हुआ तथा सभी से उन्होंने विजय प्राप्त की।
अंत में जब श्रीराम स्वयं आए तो वाल्मीकि जी ने स्वयं आकर युद्ध होने से रोका तथा श्रीराम को उनका घोड़ा वापस ले जाने दिया। इसके बाद लव-कुश आश्रम में चले गए जहाँ उन्होंने माता सीता को अपनी विजय की पूरी बात बताई। माता सीता को जब यह पता चला कि उनके पुत्रों के द्वारा अयोध्या की सेना के साथ युद्ध किया गया तथा लक्ष्मण, हनुमान इत्यादि को मूर्छित किया गया तो उनका हृदय तार-तार हो उठा।
यह सुनकर माता सीता विलाप करने लगी तथा लव कुश पर क्रोधित हो गई। उसी समय उन्होंने सबके सामने यह उजागर कर दिया कि लव कुश ने अपने पिता के ऊपर अस्त्र उठाया है तथा इसके लिए उन्हें प्रायश्चित करना चाहिए। यह सुनकर लव कुश अचंभे में पड़ गए तथा अवाक खड़े रह गए।
दोनों को समझ में नहीं आ रहा था कि यह सुनकर उनकी माता रो क्यों रही है। तब महर्षि वाल्मीकि जी ने लव कुश के सामने संपूर्ण राम कथा (Lav Kush Ram Katha) को रखा। इसे जानकर ही लव कुश को सत्य का ज्ञान हो पाया था।
Lav Kush Ram Katha | वाल्मीकि जी ने बताया सत्य
उसी समय गुरु वाल्मीकि जी भी वहाँ आ पहुँचे तथा सभी का संशय दूर किया। उनके द्वारा आश्रम में सभी को बताया गया कि जिन्हें वे आज तक वनदेवी के नाम से जानते हैं वह कोई और नहीं बल्कि अयोध्या की महारानी तथा श्रीराम की पत्नी माता सीता हैं तथा लव-कुश उन्हीं श्रीराम के पुत्र हैं।
इस प्रकार लव कुश को अपने माता-पिता का ज्ञान हुआ तथा उनकी आँखों से आज तक जो पर्दा था वह हट गया। सत्य के उजागर होने के पश्चात गुरु वाल्मीकि ने दोनों को अयोध्या भेजा तथा संगीत के माध्यम से प्रजा को रामायण कथा तथा माता सीता का वनगमन के बाद जीवन बताने को कहा ताकि वे अयोध्या की प्रजा को उनकी गलती का अहसास करवा सकें।
अपने गुरु व माता की आज्ञा पाकर लव कुश अयोध्या गए तथा संगीत के माध्यम से संपूर्ण अयोध्या को राम कथा सुनाई। यही लव कुश राम कथा (Love Kush Ram Katha) थी जिसकी महर्षि वाल्मीकि जी कब से प्रतीक्षा कर रहे थे।
लव कुश राम कथा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लव और कुश की राम से लड़ाई क्यों हुई?
उत्तर: लव और कुश की राम से लड़ाई अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़े जाने के कारण हुई थी। ऐसा करके लव कुश ने श्रीराम के साम्राज्य को चुनौती दे डाली थी।
प्रश्न: राम की मृत्यु के बाद लव कुश का क्या हुआ?
उत्तर: राम की मृत्यु के बाद लव कुश अयोध्या के राज सिंहासन पर बैठे थे। श्रीराम ने पहले ही दोनों के बीच सत्ता का हस्तांतरण कर दिया था।
प्रश्न: राम के अयोध्या लौटने के बाद क्या हुआ?
उत्तर: राम के अयोध्या लौटने के बाद चारों और खुशियाँ छा गई थी। इसके कुछ ही दिनों में श्रीराम का भव्य राज्याभिषेक किया गया था।
प्रश्न: राम पृथ्वी पर कितने समय तक रहे?
उत्तर: राम पृथ्वी पर लगभग दस हज़ार वर्षों तक जीवित रहे थे। त्रेता युग में मनुष्य की औसत आयु 10 हज़ार वर्ष ही हुआ करती थी।
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