माता सीता की मृत्यु के बाद राम का क्या हुआ?

सीता माता धरती में क्यों समाई थी

क्या आप जानते हैं कि सीता माता धरती में समाने के बाद क्या हुआ था? जब भगवान श्रीराम ने माता सीता को अपनी पवित्रता की शपथ लेने को कहा तब माता सीता यह कहकर धरती में समा गई कि यदि उन्होंने श्रीराम से सच्चा प्रेम किया है तथा उनका आचरण पवित्र है तो वे इसी समय धरती में समा जाए।

यह सुनकर धरती दो टुकड़ों में विभाजित हो गई थी तथा सभी के सामने माता सीता भूमि में समा गई थी। भगवान श्रीराम ने उन्हें रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन वे उन्हें रोक नहीं सके। ऐसे में सीता की मृत्यु के बाद राम का क्या हुआ, आइए इस प्रश्न का उत्तर जान लेते हैं।

सीता माता धरती में समाने के बाद क्या हुआ?

माता सीता जैसे ही धरती में समाई और धरती ने अपना मुख बंद कर लिया तो श्रीराम उस जगह दौड़े-दौड़े आए तथा धरती माँ से विनती की कि वे उनकी सीता को पुनः लौटा दे। किंतु जब धरती से कोई उत्तर नहीं आया तो श्रीराम को क्रोध आ गया।

भगवान श्रीराम ने इसी क्रोध स्वरुप धरती से कहा कि यदि उन्होंने उसी रूप में सीता को पुनः नहीं लौटाया तो वे पर्वतों, वनों समेत उसका संपूर्ण विनाश कर देंगे तथा सब कुछ जलमग्न कर देंगे। भगवान राम का यह क्रोध देखकर सब जगह भय व्याप्त हो गया तथा उसी समय भगवान ब्रह्मा वहाँ प्रकट हुए।

भगवान ब्रह्मा जी आए

भगवान ब्रह्मा ने प्रकट होकर श्रीराम से अनुरोध किया कि वे अपने ध्यान मार्ग से अपने असली स्वरुप को पहचाने तथा उसका स्मरण करें। उन्होंने श्रीराम को समझाया कि माता सीता का कार्यकाल इस भूमि पर समाप्त हो चुका है इसलिए वे पाताललोक के माध्यम से आपके धाम वैकुण्ठ में चली गई हैं।

उन्होंने श्रीराम से किसी प्रकार का क्रोध या संताप न करने को कहा तथा अपने ब्रह्म स्वरुप का ध्यान करने को कहा जिससे उन्हें माया का पता चल सके। यह कहकर भगवान ब्रह्मा पुनः अंतर्धान हो गए।

महर्षि वशिष्ठ ने समझाया

भगवान ब्रह्मा के चले जाने के पश्चात अयोध्या के राजगुरु महर्षि वशिष्ठ श्रीराम को समझाने आए तथा उन्होंने कहा कि जिस धरती को उन्होंने वराह रूप में बनाया था आज वे उसी धरती का कैसे अंत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जी इस पूरी घटना को पहले से जानते थे फिर भी वे इसे बदल न सके क्योंकि होनी को कोई भी नहीं टाल सकता।

वाल्मीकि ने लव कुश को सौंपा

तब गुरु वाल्मीकि ने भी श्रीराम को यही बात कही तथा उन्हें समझाया कि माता सीता अब वैकुंठ धाम चली गई हैं। अब उन्हें माता सीता की धरोहर अपने दोनों पुत्रों लव कुश को संभालना है। ऐसा कहकर उन्होंने लव कुश को अपने पिता के पास जाने की आज्ञा दी।

सभी के द्वारा अपने असली स्वरुप का ध्यान दिलाए जाने तथा माता सीता के साकेत धाम में चले जाने के कारण भगवान श्रीराम का क्रोध शांत हो गया तथा उन्होंने लव-कुश को अपना स्नेह दिया। इस तरह से सीता माता के धरती में समाने के बाद श्रीराम बहुत मुश्किल से शांत हुए थे और अंत में उन्होंने अपने पुत्रों लव व कुश को अपना लिया था।

सीता माता के धरती में समाने से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: सीता के मरने के बाद राम का क्या हुआ?

उत्तर: सीता जी जब धरती में समा गई थी तब श्रीराम बहुत ज्यादा क्रोधित व अविचलित हो गए थे उन्हें समझाने स्वयं भगवान ब्रह्मा आए थे

प्रश्न: सीता के बाद राम का क्या हुआ?

उत्तर: सीता के बाद श्रीराम ने लव कुश को अपने पुत्रों के रूप में अपना लिया था फिर कुछ वर्ष शासन करने के बाद उन्होंने अपना उत्तराधिकारी लव कुश को बना दिया था

प्रश्न: माता सीता के पृथ्वी के अंदर जाने के बाद क्या हुआ?

उत्तर: माता सीता के पृथ्वी के अंदर जाने के बाद श्रीराम बहुत क्रोधित हो गए थे तब भगवान ब्रह्मा और गुरु वशिष्ठ ने उन्हें समझाया था

प्रश्न: सीता के मरने पर राम का क्या हुआ

उत्तर: सीता के मरने पर राम बहुत ही अधीर हो गए थे उन्हें राजगुरु वशिष्ठ व स्वयं भगवान ब्रह्मा ने समझाया था और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए कहा था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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