क्या आप जानते हैं कि 108 का मतलब क्या है (108 Meaning In Hindi)? दरअसल यदि कोई पूछता है कि हिंदुओं का लकी नंबर क्या है, तो उसे यही उत्तर दिया जाता है कि वह नंबर 108 है लेकिन ऐसा क्यों? ऐसे ही और भी कई प्रश्न हैं जैसे कि माला में 108 दाने क्यों होते हैं और क्यों हम 108 बार ही भगवान का नाम जपते हैं!!
ऐसे में 108 नंबर को लेकर प्रश्न तो बहुत हैं लेकिन कोई इसके महत्व को स्पष्ट रूप से नहीं जानता है। ऐसे में आज हम आपके साथ 108 का रहस्य (108 Ka Matlab) ही साझा करने वाले हैं। इस लेख को पढ़कर आपको 108 नंबर का महत्व समझ आएगा जिसका संबंध विज्ञान, गणित, ज्योतिष, धार्मिक, आध्यात्मिक इत्यादि सभी से है।
108 Meaning In Hindi | 108 का मतलब क्या है?
जब भी बात होती है कि 108 नंबर किसका होता है तो सभी का उत्तर हिन्दू या सनातन धर्म से होता है। हालाँकि इस नंबर का महत्व विश्व के अन्य धर्मों में भी बहुत है, जैसे कि बौद्ध, जैन या सिख। यहाँ तक कि ईसाई और ईस्लाम में भी 108 नंबर का महत्व देखा गया है। वह इसलिए क्योंकि हिन्दू धर्म संपूर्ण रूप से विज्ञान पर आधारित है और इसमें सभी तरह की बातें उसी को ही आधार बनाकर लिखी गई है।
ऐसे में आज हम आपके सामने 108 का अर्थ और महत्व समझाने के लिए एक या दो नहीं बल्कि कुल 13 पॉइंट रखने जा रहे हैं। इन्हें पढ़कर अवश्य ही आपको 108 नंबर का महत्व पता चल जाएगा।
#1. भगवान शिव का तांडव
भगवान शिव जब गुस्से में होते हैं या अत्यधिक प्रसन्न होते हैं तो वे अपना मुख्य नृत्य तांडव करते हैं। इसे आपने टीवी इत्यादि में देखा भी होगा किंतु क्या आप जानते हैं कि इस तांडव नृत्य में कुल 108 प्रकार की मुद्राएँ होती हैं। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि भगवान शिव 108 विभिन्न तरह की मुद्राओं में तांडव नृत्य को करते हैं। इसी प्रकार भारतीय नृत्य शैली में भी कुल 108 प्रकार के नृत्य हैं जो अपने आप में एक अद्भुत उदाहरण है।
#2. भगवान श्री कृष्ण की 108 गोपियाँ
जब कृष्ण भगवान अपनी यौवन अवस्था में थे तब उन्होंने वृंदावन में रासलीला रचाई थी। वह पूर्णिमा की रात थी जब श्रीकृष्ण ने 108 गोपियों संग महारास रचाया था। उस समय श्रीकृष्ण ने अपनी माया के प्रभाव से 108 रूप धर लिए थे ताकि किसी भी गोपी को उनकी कमी ना खले। इसके बाद छह माह तक यह महारास रचाया गया था जिसमे सम्मिलित होने स्वयं भगवान शिव भी एक गोपी का रूप धरकर आए थे।
#3. ब्रह्मांड का स्वरुप
हिंदू धर्म के अनुसार हमारे कुल 27 तारामंडल (नक्षत्र) हैं जिनकी 4 दिशाएं होती हैं। 27 को अगर 4 से गुणा किया जाए तो कुल योग 108 आता है। इस प्रकार यह नंबर सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वरुप को भी प्रदर्शित करता है। 108 नंबर का यह अर्थ (108 Meaning In Hindi) बहुत ही वृहद् रूप दिखलाता है।
#4. सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा
हमारे ऋषि-मुनियों ने आधुनिक विज्ञान के उदय से बहुत वर्षों पहले ही सौरमंडल की गहन खोज कर ली थी। उन्होंने पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों और तारों के बारे में, उनके मध्य की दूरी व उनके व्यास इत्यादि के बारे में एक दम सटीक आंकलन कर लिया था। जैसे कि सूर्य या चंद्रमा का व्यास, सूर्य की चंद्रमा या पृथ्वी से दूरी इत्यादि और इसका संबंध भी 108 नंबर से है जिसे आज का आधुनिक विज्ञान भी मानता है।
- जितनी सूर्य की पृथ्वी से दूरी है, वह सूर्य के व्यास से 108 गुणा अधिक है।
- चंद्रमा की पृथ्वी से जितनी दूरी है, वह चंद्रमा के व्यास से 108 गुणा अधिक है।
- इन सबके साथ सूर्य का कुल व्यास पृथ्वी के कुल व्यास से 108 गुणा अधिक है।
#5. ज्योतिष शास्त्र
हमारे सूर्य तारे के कुल 9 ग्रह हैं जिसमे पृथ्वी तीसरा ग्रह है। इसी के साथ ज्योतिष के अनुसार हमारी कुल 12 प्रकार की राशियाँ होती हैं। जब हमारी जन्मपत्री बनाई जाती है तो प्रत्येक राशि में हर ग्रह विभिन्न प्रकार से स्थापित हो सकता है। इस प्रकार 12 राशियों में हर ग्रह 108 तरह से स्थापित हो सकता है। इसी पर हमारा पूरा ज्योतिष शास्त्र निर्धारित होता है जो 108 के रहस्य (108 Ka Matlab) को दिखाता है।
#6. संस्कृत भाषा की वर्णमाला
संस्कृत भाषा में कुल 54 वर्णमाला होती है जो दो भागो में विभाजित है। इसमें 54 शब्द पुरुष अर्थात पुल्लिंग या शिव को समर्पित है व 54 शब्द स्त्री अर्थात स्त्रीलिंग या शक्ति को समर्पित है जो कि मनुष्य के पूर्ण रूप को दर्शाता है।
#7. मानवीय भावनाएं
मनुष्य मन में कुल 108 प्रकार की भावनाओं का समावेश होता है। इसमें 36 भावनाओं का संबंध हमारे भूतकाल से, 36 का संबंध हमारे वर्तमान से व 36 का संबंध भविष्य से होता है। इन मानवीय भावनाओं को चक्र भी कहा जाता है जिन्हें जागृत करके हम अपने भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। इसी कारण 108 नंबर का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
#8. आयुर्वेद के अनुसार शरीर में 108 दबाव बिंदु
आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में कुल 108 दबाव बिंदु (प्रेशर पॉइंट्स) होते हैं जहाँ पर दबाव डालकर शरीर के विभिन्न अंगों को सुचारू किया जाता है। इन दबाव बिंदुओं पर सही दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सही समय पर दबाव डालने से शरीर की कई बीमारियों को बिना दवाई के ठीक किया जा सकता है।
#9. धार्मिक महत्व
108 नंबर को हिंदू धर्म में इतना पवित्र माना जाता है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने 9 पुराण व 108 उपनिषद लिखे हैं। इसी के साथ हिंदू धर्म में कुल 108 शक्तिपीठ हैं जिनका धार्मिक महत्व है। इसी के साथ हमारी जपमाला में भी कुल 108 मोती होते हैं। इस प्रकार हिंदू धर्म में 108 नंबर की महत्ता उपरोक्त कारणों से भी अत्यधिक बढ़ जाती है।
#10. माला में 108 दाने क्यों होते हैं?
मानव शरीर औसतन 1 मिनट में 15 बार श्वास लेता है। इस प्रकार 1 घंटे में 900 बार व 12 घंटों में 10,800 बार श्वास लिया जाता है। एक दिन कुल 24 घंटो का होता है जिसे 12-12 के दो भागो में विभाजित किया गया है। इसमें 12 घंटे हमारे दैनिक कार्यों के लिए व बाकि के 12 घंटे भगवान को याद करने के लिए हैं।
एक दिन में श्वास की गिनती के अनुसार भगवान को 10,800 बार याद किया जा सकता है किन्तु ऐसा संभव नही। इसलिए हमारे धर्म ग्रंथो में कुल 108 बार जाप करने को कहा गया है। इसी कारण एक जपमाला में कुल 108 मोती होते हैं। 108 नंबर का यह अर्थ (108 Meaning In Hindi) सभी के मन को मोह लेता है।
#11. गंगा नदी
हिंदू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना जाता है। यदि हम इसकी लंबाई व चौड़ाई का आंकलन करेंगे तो पाएंगे कि गंगा नदी देशांतर रेखा से 12 डिग्री का कोण बनाती है व रेखान्तर रेखा से 9 डिग्री का। इस प्रकार इन दोनों अंको का गुणा किया जाए तो कुल योग 108 आता है।
#12. 9 नंबर का महत्व
इसी के साथ हिंदू धर्म में 9 नंबर को भी महत्पूर्ण स्थान प्राप्त है। 9 नंबर को ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है। 108 नंबर की संख्याओं का योग किया जाए तो कुल योग 9 आता है। इसी प्रकार आप 9 को चाहे किसी भी अंक से गुणा करें, प्राप्त उत्तर की संख्याओं को आप आपस में तब तक जोड़ें जब तक वह एक नंबर की संख्या ना रह जाए, आप पाएंगे कि अंत में आपको 9 संख्या प्राप्त होगी।
उदहारण के तौर पर:
9*30= 270
अब हम 270 नंबर की संख्याओं को आपस में जोड़ेंगे तो पाएंगे कि इनका कुल योग 9 है।
2+7+0= 9
एक और उदहारण लेते हैं:
9*87= 783
अब आप 783 की संख्याओं को आपस में जोड़ें:
7+8+3= 18
ध्यान रखें आपको तब तक जोड़ना है जब तक नंबर एक संख्या में ना रह जाए, इसलिए अब आप प्राप्त योग की संख्या को जोड़ें:
1+8= 9
इस प्रकार आप 9 को किसी भी अंक से गुणा करके देख लें और प्राप्त योग की संख्याओं को तब तक जोड़ें जब तक वह एक संख्या का नंबर ना रह जाए और अंत में आप हमेशा 9 नंबर ही पाएंगे। ऐसे में 108 का रहस्य भी 9 नंबर के महत्व से जुड़ा हुआ है।
#13. मनुष्य शरीर का तापमान
108 डिग्री फारेनहाइट मनुष्य शरीर का आंतरिक तापमान होता है। यदि इतना ही तापमान बाहर कर दिया जाए तो शरीर के सभी अंग काम करना बंद कर देंगे और मनुष्य शरीर पिघलने लग जाएगा। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि 108 डिग्री का तापमान मनुष्य के शरीर के सहन करने की अधिकतम सीमा है, इसके पश्चात मनुष्य का शरीर पिघलने की अवस्था में आ जाएगा।
निष्कर्ष
अब आपको अच्छे से समझ आ गया होगा कि आखिर क्यों हिंदू धर्म में 108 अंक की संख्या को इतना महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। साथ ही आपने 108 का मतलब क्या है (108 Meaning In Hindi) और यह किस-किस से संबंध रखता है, इसके बारे में ज्ञान ले लिया है।
अब आगे से आपसे कोई भी पूछे कि आखिर 108 अंक को हिंदू धर्म में इतनी अधिक महत्ता क्यों दी जाती है तो आप उसे इतने कारण बताइएगा कि वह भी आपके ज्ञान का प्रशंसक बन जाए। इसके साथ ही वे भी हिन्दू धर्म की महानता और 108 नंबर के महत्व को जानकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे।
108 का रहस्य से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: 108 को शुभ क्यों माना जाता है?
उत्तर: 108 नंबर ना केवल धर्म बल्कि विज्ञान, गणित, ज्योतिष, मानव शरीर सरंचना इत्यादि से जुड़ा हुआ है। इसी कारण इसे शुभ अंक माना जाता है।
प्रश्न: 108 का रहस्य क्या है?
उत्तर: 108 नंबर से जुड़ा एक नहीं बल्कि कुल 13 तरह के रहस्य हैं। इन सभी के बारे में जानने के लिए आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ना होगा।
प्रश्न: 108 का मतलब क्या होता है?
उत्तर: 108 का मतलब एक तरीके से नहीं समझाया जा सकता है क्योंकि इसके कई मतलब होते हैं। इसे अच्छे से समझने के लिए आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ना होगा।
प्रश्न: क्या 108 एक लकी नंबर है?
उत्तर: सनातन धर्म में 108 नंबर को बहुत ही शुभ अंक माना गया है। इसका संबंध ईश्वर से माना गया है और इसी कारण यह हिंदुओं के लिए तो लकी नंबर कहा जाएगा।
प्रश्न: 108 का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
उत्तर: हम एक दिन में श्वास को मिलाकर भगवान को 10,800 बार याद कर सकते हैं। अब ऐसा करना संभव नहीं है, इसलिए 108 बार ईश्वर को स्मरण करने को कहा गया है।
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