मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण सहित

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है

आज हम आपको बताएँगे कि मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है (Makar Sankranti Kyon Manaya Jata Hai) और इसका क्या महत्व है। हिन्दू धर्म में सूर्य देव का स्थान सबसे ऊपर है। हालाँकि देवो का राजा इंद्र को माना गया है और देवो से भी ऊपर भगवान का स्थान होता हैं लेकिन फिर भी पृथ्वीलोक के वासियों के लिए सूर्य देव ही सबसे महान है।

यहीं कारण है कि भगवान विष्णु के मानवीय अवतार भगवान श्रीराम भी सूर्य देव के उपासक रहे है। इसी के साथ भारत देश कृषि प्रधान देश है। मकर संक्रांति का त्यौहार जो हम हर वर्ष माघ के महीने में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते हैं उसका जुड़ाव सूर्य देव व कृषि दोनों से हैं। इसलिए आज हम आपको मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण (Makar Sankranti Kyon Manae Jaati Hai) सहित बताएँगे। आइए जाने।

Makar Sankranti Kyon Manaya Jata Hai | मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?

इसे हर वर्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी या षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसे जनवरी माह की 14 या 15 तारिख को मनाया जाता है। हालाँकि हिन्दू धर्म के अन्य सभी त्योहारों की अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार तिथि बदलती रहती है लेकिन मकर संक्रांति मुख्यतया 14 या 15 जनवरी को ही पड़ता है।

मकर संक्रांति का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है। इस दिन से कई धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं जो इसके महत्व को दर्शाती हैं। यह कथाएं सूर्य देवता, माँ गंगा और महाभारत में भीष्म पितामह से जुड़ी हुई है। आइए एक-एक करके तीनो कथाओं के बारे में जानते हैं जिससे आपको पता चल सके कि आखिरकार हम मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं।

#1. सूर्य देव की मकर संक्रांति की कहानी

शनि देव को सूर्य देव का पुत्र माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल कुछ इस तरह से बनती हैं कि सूर्य देव सब कुछ भुलाकर अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं। इसलिये ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का विशेष महत्व हैं जिस दिन सूर्य देव की उपासना कर और शनि देव को खुश करके कई सिद्धियाँ प्राप्त की जाती हैं।

#2. माँ गंगा की मकर संक्रांति की कथा

आपने माँ गंगा की भागीरथ के द्वारा पुनः पृथ्वी लोक पर लाने की कथा तो सुनी ही होगी लेकिन शायद आप यह नही जानते होंगे कि माँ गंगा मकर संक्रांति के दिन ही पृथ्वी लोक पर आयी थी। इसी दिन ही माँ गंगा भागीरथ जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा के आदेश पर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई महासमुंद्र में जा मिली थी और अपने पवित्र जल से सभी को तृप्त किया था।

#3. भीष्म पितामह का मकर संक्रांति का इतिहास

महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह माँ गंगा के ही पुत्र थे जिन्हें युद्ध में अर्जुन ने अपने बाणों की बौछार से छलनी कर दिया था। हालाँकि उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था इसलिये उन्होंने अपने प्राण मकर संक्रांति के पावन दिन ही त्यागने का निश्चय किया था। जिस दिन मकर संक्रांति का त्यौहार आया तब उन्होंने अपनी इच्छा मृत्यु के वरदान के फलस्वरूप अपने प्राण त्याग दिए थे।

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है (Makar Sankranti Kyon Manaya Jata Hai), इसका कारण यह तीन धार्मिक व ऐतिहासिक कथाएं है। हालाँकि मकर संक्रांति को मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। वह भी एक नहीं बल्कि दो-दो। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण

सनातन धर्म का आधार ही वैज्ञानिक तथ्य है। हमारे धर्म में हरेक चीज़ को बहुत सोच-विचार करने के बाद ही लिखा गया है। इसके लिए ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षों का गहन अध्ययन किया है। हमारे त्योहार भी प्रकृति के साथ संतुलन बिठाने, उनका आभार जताने तथा सामाजिक मेलझोल बढ़ाने के उद्देश्य से मनाए जाते हैं।

उसी में एक प्रसिद्ध त्योहार है मकर संक्रांति का। यह हमें सूर्य देव का महत्व और उनकी दिशा परिवर्तन के बारे में बतलाता है तो वही दूसरी ओर, अन्नदाता किसानों का आभार प्रकट करता है। आइए मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है (Makar Sankranti Kyon Manae Jaati Hai), उससे जुड़े दोनों कारणों के बारे में जान लेते हैं:

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

सूर्य दो आयन में रहता हैं जिसे दक्षिणायन व उत्तरायण कहते हैं। हर आयन में सूर्य देव छह माह के लिए रहते हैं। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव छह माह तक दक्षिणायन में रहने के पश्चात उत्तरायण में प्रवेश कर जाते हैं अर्थात अब से सूर्य देव छह माह तक उत्तरायण में निवास करेंगे।

इसका धर्म से भी संबंध है। हम यह तो जानते हैं कि जिस गति से समय पृथ्वी लोक पर दौड़ रहा हैं वह हर ग्रह व ब्रह्मांड में लागू नही होता। समय की गति ब्रह्मांड में हर जगह अलग-अलग हैं। इसलिये देवताओं और दानवों के लिए एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर होता है।

इसलिये जब सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं तो उस दिन से देवताओं की सुबह हो जाती हैं और दानवो की रात्रि। इसके बाद पृथ्वी लोक के समय के अनुसार छह माह तक देवताओं के लिए दिन और दानवो के लिए रात्रि का समय हो जाता हैं। मकर संक्रांति के बाद से ही राते छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं।

मकर संक्रांति का भौगोलिक महत्व

इस त्यौहार का देश के किसानो से बहुत जुड़ाव हैं क्योंकि उनकी धान की फसले तैयार हो जाती हैं। इसलिये इसे देशभर के किसानो के द्वारा बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं। यह मौसम भी सबसे अनुकूल समय होता हैं जब शरद ऋतु समाप्त होने को आ जाती हैं और बसंत का मौसम आने लगता हैं।

इस समय देशभर के खेतों में हरी-भरी फसले लहरा रही होती हैं और किसानो के घर धन-धान्य से भर उठते है। इसलिये सभी किसान इसे अपने-अपने राज्य में अलग-अलग नामो से मनाते हैं। इस तरह से आपने मकर संक्रांति मनाने के वैज्ञानिक कारण (Makar Sankranti Kyon Manae Jaati Hai) के बारे में जान लिया है।

मकर संक्रांति का मतलब

सूर्य देव बारह माह में बारी-बारी से बारह राशियों में निवास करते हैं। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिये इसके नाम में मकर जुड़ा। संक्रांति का अर्थ होता हैं संक्रमण अर्थात प्रवेश करना। इस प्रकार मकर संक्रांति के नाम का अर्थ हुआ मकर राशि में प्रवेश करना।

मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है?

इस दिन सभी लोग सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को प्रणाम करते हैं। उनकी पूजा की जाती है। जो लोग गंगा या उसकी सहायक नदियों के पास रहते हैं वे आज के दिन सूर्योदय के समय गंगा नदी में जाकर स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।

इस दिन तिल और गुड़ का दान देने की भी विशेष परंपरा हैं। साथ ही इन दोनों के मिश्रण से लड्डू या अन्य पारंपरिक व्यंजन भी मनाये जाते हैं। विभिन्न राज्यों में इसको विभिन्न तरीको से मनाया जाता हैं जैसे कि:

  • मकर संक्रांति के दिन गुड़ और तिल का दान देना।
  • आसमान में पतंगबाजी करना मुख्यतया गुजरात और राजस्थान में।
  • अपने राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य करना जैसे कि असम व उत्तर-पूर्वी भारत में।
  • चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी बनाकर उसे खाना व दान करना।
  • नदियों आदि में स्नान करके सूर्य देव को धन्यवाद किया जाता हैं।

मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?

आपने यह तो जान लिया है कि मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है (Makar Sankranti Kyon Manaya Jata Hai) लेकिन अब हम इसके महत्व को आपके सामने रखेंगे। मकर संक्रांति के महत्व को देखते हुए ही इसे भारत देश के हरेक कोने में हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया जाता हैं लेकिन ऐसा क्यों!! आइए जाने।

  • सबसे पहले तो इससे हमे सूर्य देव के महत्व और उपयोगिता के बारे में पता चलता हैं। पृथ्वी के निरंतर गति करते रहने और मानव सभ्यता के विकास में सूर्य देव का अहम योगदान हैं। उनके बिना पृथ्वी व मनुष्य जीवन का कोई औचित्य नही रह जाएगा। इसलिये इस त्यौहार के माध्यम से हमे उनकी महत्ता को और अच्छे से समझने में सहायता मिलती हैं।
  • दूसरा कारण यह है कि हमे जीवित रहने के लिए धान की आवश्यकता होती हैं जो कि किसान उगाते हैं। मकर संक्रांति के दौरान ही देशभर के किसानो की फसले उगी होती हैं और उनकी कटाई का दौर शुरू हो जाता हैं। इसलिये देश के किसानो के लिए यह किसी त्यौहार से कम नही जिसे वे मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में मनाते हैं।
  • इसके अलावा संक्रांति के दिन निर्धनों को दान देने की भी परंपरा हैं जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता हैं। सभी लोग गरीबो को भोजन करवाते हैं और उन्हें आवश्यक और खाने की वस्तुएं दान में देते हैं।

मकर संक्रांति के नाम

जैसे कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि मकर संक्रांति को देश के हरेक कोने और यहाँ तक कि पड़ोसी देशो में भी बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं लेकिन इसे वहां की स्थानीय भाषा और विभिन्न मान्यताओं के अनुसार विभिन्न नाम दिए गए हैं। हालाँकि इसका संबंध और मुख्य उद्देश्य वही रहता हैं।

मकर संक्रांति को दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना में केवल संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, असम में माघ बिहू, हरियाणा-पंजाब व हिमाचल प्रदेश में माघी, राजस्थान व गुजरात में उत्तरायण, बांग्लादेश में शक्रैन, इत्यादि कई नामो से जाना जाता हैं।

मकर संक्रांति से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मकर संक्रांति का मतलब क्या होता है?

उत्तर: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं वही संक्रांति का मतलब होता है किसी चीज़ में प्रवेश करना अब सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण इसका नाम मकर संक्रांति रखा गया है

प्रश्न: मकर संक्रांति किस तिथि को मनाई जाती है?

उत्तर: देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी की तिथि को मनाया जाता है इसे देशभर में अलग-अलग नामो से भी मनाया जाता है

प्रश्न: मकर संक्रांति किस राज्य में मनाया जाता है?

उत्तर: मकर संक्रांति को भारत के हरेक राज्य में मनाया जाता है हालाँकि राज्यों के अनुसार इसके नाम में परिवर्तन देखने को मिल सकता है कहीं इसे बिहू तो कही पोंगल के नाम से जाना जाता है

प्रश्न: मकर संक्रांति कहां मनाया जाता है?

उत्तर: मकर संक्रांति को भारत के सभी राज्यों में मनाया जाता है इसे कुछ अन्य नामो से भी जाना जाता है जैसे कि उत्तरायण, पोंगल, बिहू, माघी इत्यादि

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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