सूर्य नमस्कार योग का ही एक महत्वपूर्ण अंग है। जो व्यक्ति प्रतिदिन सूर्य नमस्कार के 12 आसन (Surya Namaskar In Hindi) का अभ्यास करता है, वह शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहता है। सूर्य नमस्कार को हम एक तरह के व्यायाम भी कह सकते हैं जो हमारे सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
आज के इस लेख में हम आपके साथ सूर्य नमस्कार स्टेप्स (Surya Namaskar Asanas) को विस्तार से और वह भी फोटो सहित सांझा करेंगे। इससे आपको सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं और सूर्य नमस्कार की सावधानियां समझने में सहायता मिलेगी। इतना ही नहीं, उस दौरान बोले जाने वाले मंत्र अर्थात सूर्य नमस्कार मंत्र व अन्य जानकारी भी आपको यहीं पर पढ़ने को मिलेगी।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन | Surya Namaskar In Hindi
सबसे पहले यह जानते हैं कि आखिर सूर्य नमस्कार क्या होता है। सूर्य नमस्कार केवल एक व्यायाम मात्र ना होकर संपूर्ण शरीर के शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास के लिए अहम है। इसमें 12 प्रकार के योगासन होते हैं। हर योगासन में अलग-अलग मंत्रों का जाप किया जाता है अर्थात सूर्य नमस्कार के 12 योगासनों के लिए 12 मंत्रों का जाप किया जाता है।
सूर्य नमस्कार के हरेक स्टेप में सांसों का तालमेल रखना भी जरुरी होता है। किस आसन में श्वास लेनी है और किसमें छोड़नी है, इसके बारे में भी जान लेना चाहिए। साथ ही सूर्य नमस्कार करते समय आपको अपना ध्यान केन्द्रित करके रखना होता है और उसे इधर-उधर भटकने से रोकना होता है।
इस तरह से सूर्य नमस्कार केवल एक व्यायाम मात्र ना होकर योग, मंत्रोच्चार, प्राणायाम व ध्यान का संपूर्ण रूप है। इसमें मनुष्य अपनी पूरी चेतना व शक्ति को एकाग्र करके सूर्य देव को नमन करता है। आइये सूर्य नमस्कार आसन के बारे में जानकारी ले ली जाए।
Surya Namaskar Asanas | सूर्य नमस्कार स्टेप्स
हम सूर्य नमस्कार करने की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम आपको बताएँगे कि इसे किस प्रकार करना चाहिए, इसमें कौन-कौन से योगासन होते हैं, उनको करते समय आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए व किस योगासन के साथ किस मंत्र का जाप करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार में कुल 12 योगासन आते हैं जिन्हें क्रमानुसार करना आवश्यक होता है। इसमें पहले के तीन आसन और आखिरी के तीन आसन एक-दूसरे से मेल खाते हैं जबकि बीच के छह आसन अलग होते हैं। आइए एक-एक करके इन्हें जान लेते हैं:
#1. सूर्य नमस्कार का पहला आसन: प्रणामासन
सूर्य नमस्कार के पहले आसन प्रणामासन (Surya Pranam) में आपको सूर्य देव को हाथ जोड़कर प्रणाम करना है। जैसा कि नाम से प्रदर्शित है, इसमें आपको प्रणाम की मुद्रा में खड़ा होना होता है। इसके लिए आप एक दम सीधे खड़े हो जाइये व अपने दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में सीधे जोड़ लीजिए। दोनों हाथ सीने के एकदम सामने होने चाहिए व दोनों आँखे बंद होनी चाहिए।
इस स्थिति में आपके दोनों पैर, पीठ, गर्दन व सिर एक दम सीधे होने चाहिए। छाती सामने की ओर तनी हुई होनी चाहिए व आपका ध्यान आज्ञा चक्र (मस्तिष्क का मध्य) पर होना चाहिए। कुछ देर ऐसी स्थिति में रहें व सामान्य श्वास लें।
इस आसन से आप सूर्य देव को नमस्कार करते हैं। नमस्कार की मुद्रा से आपके शरीर को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं जैसे कि आपका दायाँ व बायाँ हाथ आपस में जुड़ने से शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से होता है। धनात्मक व ऋणात्मक आयनों के जुड़ने से स्मरण शक्ति में वृद्धि देखने को मिलती है।
सूर्य नमस्कार का पहला मंत्र
“ॐ मित्राय नमः”
#2. सूर्य नमस्कार का दूसरा आसन: हस्त उत्तानासन
सूर्य नमस्कार के दूसरे आसन हस्त उत्तानासन (Hast Uthana Asana) में आप अपने दोनों हाथों को खोल लीजिए। श्वास भरते हुए दोनों हाथों को सीधे ऊपर की ओर ले जाना है व जितना पीछे हो सके मुड़ने का प्रयास करना है। इसमें आपकी पीठ, गर्दन व कंधे पीछे की ओर झुके हुए होने चाहिए।
इस स्थिति में अपना ध्यान गर्दन के पीछे विशुद्धि चक्र की ओर लगाएं। ध्यान रखें इस स्थिति में श्वास को भरे रखें और उसे छोड़े नहीं। इससे गर्दन व घुटनों के दर्द में आराम मिलता है व मुहं पर सूर्य की सीधी किरण पड़ने से तेज आता है।
सूर्य नमस्कार का दूसरा मंत्र
“ॐ रवये नमः”
#3. सूर्य नमस्कार का तीसरा आसन: पादहस्तासन
सूर्य नमस्कार के तीसरे आसन पादहस्तासन (Padahastasana) में आपको अपने दोनों हाथों को धीरे-धीरे आगे की ओर ले जाते हुए नीचे ले जाना है और साथ के साथ श्वास छोड़नी है। इसमें आप अपने पैरों के घुटने व हाथों के जोड़ को एक दम सीधे रखें तथा अपने दोनों हाथों की उँगलियों से पैरों के दोनों अंगूठे को छूने का प्रयास करें।
यदि आप इसके साथ अपनी नाक को अपने पैरों के घुटनों की ओर ले जाकर उसको छू सकते हैं तो यह उत्तम रहेगा। ध्यान रहे इसे अपनी क्षमता के अनुसार ही करें, जोर-जबरदस्ती करने का प्रयास ना करें। जितना हो सके उतना ही अपने हाथों को नीचे की ओर ले जाएं। दिन-प्रतिदिन इसका अभ्यास करने से आप इसमें और ज्यादा निपुण होंगे।
इस स्थिति में आप अपना ध्यान नाभि के पीछे की ओर मणिपूरक चक्र की ओर लगाएं। इस योगासन को करने से आपके पैरों की हड्डियों में खिंचाव आता है तथा घुटनों व गर्दन के दर्द से आराम मिलता है। इसी के साथ यह आपके पाचन तंत्र के लिए भी उपयोगी है।
सूर्य नमस्कार का तीसरा मंत्र
“ॐ सूर्याय नमः”
#4. सूर्य नमस्कार का चौथा आसन: अश्व संचालनासन
सूर्य नमस्कार के चौथे आसन अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana) के लिए आप अपने दाएं पैर के घुटने को मोड़ें व बायां पैर पीछे की ओर ले जाएं। दोनों हाथो की अँगुलियों और अंगूठे को सामने की ओर भूमि पर टिकाएं। दोनों हाथों की कोहनी एकदम सीधी होनी चाहिए अर्थात वह मुड़े हुए नही होने चाहिए। आपका दायां पैर इस प्रकार हो कि वह दोनों हाथों के बीच में हो। अब अपनी गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और श्वास अंदर लें।
इस स्थिति में आपको अपना ध्यान गर्दन के पीछे विशुद्धि चक्र पर लगाना है। बाएं पैर का घुटना भूमि को स्पर्श ना करे बल्कि उससे थोड़ा सा ऊपर उठा हो। इस स्थिति में आपके दोनों हाथ सीधे और उनकी उँगलियाँ भूमि पर टिकी हुई, पीठ मुड़ी हुई, गर्दन पीछे की ओर झुकी हुई, आँखें ऊपर की ओर देखती हुई, बायां पैर पीछे की ओर तथा उसकी उँगलियाँ भूमि को स्पर्श करती हुई होनी चाहिए। इस स्थिति में आपकी हथेलियों के पंजों पर दबाव पड़ेगा जिससे आपके हाथ मजबूत होंगे।
सूर्य नमस्कार का चौथा मंत्र
“ॐ भानवे नमः”
#5. सूर्य नमस्कार का पांचवां आसन: संतुलन आसन
सूर्य नमस्कार के पांचवें आसन संतुलन आसन (Santolanasana) में आप अपनी सांस छोड़ते हुए दायां पैर भी पीछे की ओर ले जाएं। दोनों हाथों को पहले जैसे ही रखें और दोनों पैरों को सीधा कर लीजिए। इस स्थिति में आपका पूरा शरीर एकदम सीध में होना चाहिए अर्थात पैर, हाथ या पीठ कुछ भी मुड़ा हुआ नही होना चाहिए।
आप अपने हाथों और पैरों से शरीर का संतुलन बनाए रखें। ध्यान रखें आपके दोनों पैर एक सीध में हो, दोनों हाथ और कंधे एक सीध में हो तथा कंधे, पीठ व नितंभ भी एक सीध में हो। नीचे की ओर देखें तथा इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस लें।
सूर्य नमस्कार का पांचवां मंत्र
“ॐ खगाय नमः”
#6. सूर्य नमस्कार का छठा आसन: अष्टांग नमस्कार आसन
सूर्य नमस्कार के छठे आसन अष्टांग नमस्कार आसन (Ashtanga Namaskara Asana) में आप सबसे पहले सांस छोड़ दें। अब अपने दोनों पैरों के घुटनों को भूमि पर टिका दें। शरीर को आगे की ओर ले जाते हुए अपनी छाती व माथे को भूमि पर टिकाएं। ध्यान रखें कि आपके कुल्हे ऊपर की ओर होने चाहिए। साथ ही कोहनियाँ आपके शरीर के समीप होनी चाहिए।
अष्टांग नमस्कार में आपके शरीर के कुल आठ अंग दोनों पैरों के पंजे, दोनों पैरों के घुटने, दोनों हथेलियाँ, छाती व माथा भूमि को स्पर्श करते हैं। इसलिए इस आसान को अष्टांग नमस्कार आसन कहा जाता है। सुनिश्चित करें कि आपके शरीर का भार समान रूप से इन आठों अंगों में वितरित हो।
सूर्य नमस्कार का छठा मंत्र
“ॐ पुष्पे नमः”
#7. सूर्य नमस्कार का सातवां आसन: भुजंगासन
सूर्य नमस्कार के सातवें आसन भुजंगासन (Bhujangasana) में आपको श्वास भरते हुए अपने शरीर को आगे की ओर लेकर जाना है। इससे आपकी छाती ऊपर हो जाएगी, कुल्हे नीचे हो जायेंगे, हाथों की कोहनियाँ एक दम सीधी होंगी तथा पैरों के पंजे बाहर की ओर होंगे। इसमें आपको अपने मुहं को सामने की ओर करना है व गर्दन सीधी रखनी है। अब आँखों को ऊपर करके सूर्य की ओर देखें व मंत्रोच्चार करें।
सूर्य नमस्कार का सातवां मंत्र
“ॐ हिरण्यगर्भाय नमः”
#8. सूर्य नमस्कार का आठवां आसन: पर्वत आसन
सूर्य नमस्कार के आठवें आसन पर्वत आसन (Parvatasana) के लिए आपको अपने शरीर की स्थिति को पर्वत की भांति बनाना है, इसलिए इसे पर्वतासन कहते हैं। धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने पैरों के पंजों को अंदर की ओर मोड़ लें। इस स्थिति में आप अपने शरीर को बीच में से ऊपर की ओर ले जाएं। इसके लिए अपने दोनों पैरों और हाथों को सीधा करें और उनकी हथेलियों और पगथलियों को भूमि पर टिकाएं।
इस स्थिति में दोनों हाथ और पैर के तले भूमि पर, हाथ-पैर एकदम सीधे, शरीर पर्वत के आकार में पूरा ऊपर, गर्दन झुकी हुई, आँखें नाभि या पेट को देखती हुई होनी चाहिए।
सूर्य नमस्कार का आठवां मंत्र
“ॐ मरीचये नमः”
#9. सूर्य नमस्कार का नौवां आसन: अश्व संचालनासन
सूर्य नमस्कार का नौवां आसन अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana) चतुर्थ आसन की तरह ही है, बस इसमें आपके दोनों पैरों की स्थिति पहले की अपेक्षा उलट होगी। अर्थात इस आसन की प्रक्रिया चौथे आसन की भांति ही है लेकिन इसमें आपको अपना बायां पैर मोड़ना है और दायां पैर पीछे की ओर ले जाना है।
सूर्य नमस्कार का नौवां मंत्र
“ॐ आदित्याय नमः”
#10 सूर्य नमस्कार का दसवां आसन: पादहस्तासन
आपको पुनः तीसरे वाला आसन दोहराना है जिसमे आपको फिर से अपने दोनों पैरों पर खड़े होकर अपने दोनों हाथों को नीचे की ओर ले जाना है। अपने हाथों की उँगलियों से अपने पैरों के अंगूठे को छूने का प्रयास करना है व अपनी नाक से पैरों के घुटने को छूने का। इसी स्थिति में आपको श्वास बाहर की ओर छोड़ना है।
सूर्य नमस्कार का दसवां मंत्र
“ॐ सवित्रे नमः”
#11. सूर्य नमस्कार का ग्यारहवां आसन: हस्त उत्तानासन
यह स्थिति दूसरी स्थिति की तरह है। इसमें आपको श्वास लेना है।
सूर्य नमस्कार का ग्यारहवां मंत्र
“ॐ अर्काय नमः”
#12. सूर्य नमस्कार का बारहवां आसन: प्रणामासन या ताड़ासन
यह स्थिति प्रथम स्थिति की तरह है जिसमे आपको प्रणाम की मुद्रा में सीधे खड़े होना है व सामान्य सांस लेना है। इसके बाद अपने दोनों हाथों को सीधे करके नीचे ले जाएं और सीधे खड़े हो जाएं जिसे ताड़ासन कहा जायेगा।
सूर्य नमस्कार का बारहवां मंत्र
“ॐ भास्कराय नमः”
इस प्रकार सूर्य नमस्कार के 12 आसन (Surya Namaskar In Hindi) का एक चरण समाप्त हो जायेगा। आप इसे एक बार में 5 से 10 बार करने का अभ्यास अवश्य करें। सूर्य नमस्कार के सभी 12 स्टेप्स को करने में लगभग एक मिनट का समय लगता है। एक महीने इसी तरह के अभ्यास के पश्चात आप इनकी संख्या बढ़ाकर 15 से 20 कर दें।
सूर्य नमस्कार मंत्र
वैसे तो हमने आपको सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र हर एक आसन के साथ बता दिए हैं लेकिन आप बिना आसन किये सूर्य देव को प्रणाम करके भी इनका उच्चारण कर सकते हैं। नीचे हम क्रमानुसार 12 सूर्य मंत्र (Surya Namaskar Mantra In Hindi) बता रहे हैं।
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पुष्पे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
सूर्य नमस्कार के प्रत्येक आसन के साथ ही इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है तो यह और भी ज्यादा लाभदायक होता है। हालाँकि इसकी कोई अनिवार्यता नहीं है और आप बिना मंत्रों का उच्चारण किये भी सूर्य नमस्कार योग कर सकते हैं। मुख्य तौर पर यह सूर्य नमस्कार के मंत्र उन्हें जल देते समय बोले जाते हैं।
Surya Namaskar Kaise Karte Hain | सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं?
सूर्य नमस्कार के 12 आसन जानकर और उन्हें करने की विधि को पढ़कर आपको लग रहा होगा कि आपको यह समझ में आ गया होगा कि सूर्य नमस्कार को कैसे किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए, कहाँ करना चाहिए, इसे करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इत्यादि के बारे में जानना भी आवश्यक होता है।
सूर्य नमस्कार के बारे में पूरी जानकारी लेकर ही आपको इसकी शुरुआत करनी चाहिए। ऐसे में सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं और उस समय किस तरह की सावधानियां रखी जानी चाहिए, इसके बारे में भी जान लेते हैं।
#1. सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए?
इसे करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठना पड़ेगा और वह भी सूर्योदय से पहले। वैसे तो दिन में सूर्य नमस्कार कभी भी किया जा सकता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा लाभ सूर्योदय के समय मिलता है। इसलिए सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार करने की आदत डालें। आप सूर्य उदय होने के बाद से लेकर ज्यादा से ज्यादा 1 से 2 घंटे के भीतर ही सूर्य नमस्कार करें।
इसके अलावा सूर्य नमस्कार को संध्या के समय सूर्यास्त के समय में भी किया जा सकता है। सूर्य उदय और अस्त होने का समय सूर्य नमस्कार करने का सबसे उत्तम समय माना गया है क्योंकि उस समय सूर्य से केवल लाभदायक किरणें ही हम तक पहुंचती हैं और हानिकारक किरणों का प्रभाव अत्यधिक कम हो जाता है।
#2. सूर्य नमस्कार कहां करना चाहिए?
अब यह प्रश्न उठता है कि सूर्य नमस्कार को कहां किया जाना चाहिए। तो इसके लिए आप कोई भी जगह चुन सकते हैं लेकिन जगह चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह स्थान ऊपर से खुला हुआ हो और वहां तक सूर्य का प्रकाश पहुँच सके। जैसे कि आपके घर की छत, पार्क, मैदान इत्यादि।
सूर्य नमस्कार सूर्य की ओर मुख करके किया जाने वाला व्यायाम है। इसे पूरी विधि और नियमों के अनुसार करने से ही इसका संपूर्ण लाभ हमे मिल पाता है अन्यथा आप चाहें तो इसे बंद जगह में भी कर सकते हैं।
#3. सूर्य नमस्कार की सावधानियां
अब आप यह भी जान लें कि सूर्य नमस्कार करते समय किन-किन बातों का आवश्यक रूप से ध्यान रखना चाहिए ताकि आपको सूर्य नमस्कार का संपूर्ण लाभ मिल सके। आइये जाने सूर्य नमस्कार की सावधानियां (Surya Namaskar Ki Savdhaniya)।
- इसे कभी भी बंद जगह पर ना करें। हमेशा ऐसे स्थान पर करें जहाँ सूर्य का प्रकाश पहुँच सकता हो।
- तेज सूर्य की रोशनी में इसे ना करें, जो निर्धारित समय है उसी दौरान इसे करें।
- इसे खाली पेट व ढीले कपड़े पहनकर करना चाहिए।
- एक से दूसरा आसन करते समय झटका ना दें अपितु आराम से एक से दूसरे आसन में जाएं।
- इसे करते समय मन को शांत रखें और सूर्य देव पर ध्यान दें।
- सूर्य नमस्कार के आसन करते समय श्वास छोड़ने और लेने की प्रक्रिया का सही से पालन करें।
- यदि आप सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार रहे हैं तो मुहं को पूर्व दिशा की ओर रखें व सूर्यास्त के समय मुहं पश्चिम दिशा की ओर रखें अर्थात सूर्य नमस्कार करते समय हमेशा अपने मुहं को सूर्य देव की ओर ही रखें।
तो यह थी कुछ सावधानियां जो सूर्य नमस्कार करते समय ध्यान में रखनी चाहिए। इस तरह से आप यह जान पाए हैं कि सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं (Surya Namaskar Kaise Karte Hain)।
#4. सूर्य नमस्कार किसे नहीं करना चाहिए?
सूर्य नमस्कार हर किसी को नहीं करना चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि व्यक्ति को अपनी स्थिति व अन्य कुछ बातों को ध्यान में रखकर सूर्य नमस्कार करने का निर्णय लेना चाहिए अन्यथा यह आपके लिए कष्टदायक और हानिकारक हो सकता है। ऐसे में जिन व्यक्तियों को सूर्य नमस्कार करने से बचना चाहिए, वे हैं:
- गर्भवती महिलाएं
- मासिक धर्म (पीरियड्स) के समय
- जिनकी रीढ़ की हड्डी में दर्द है
- उच्च रक्तचाप वाले रोगी / हाई बीपी
- पेप्टिक अल्सर के रोगी
- हर्निया के रोगी
- कटिस्नायुशूल (सायटिका) के रोगी
- सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के रोगी
- तीव्र गठिया (एक्यूट आर्थराइटिस) के रोगी इत्यादि।
इनके अलावा भी कुछ अन्य लोग हो सकते हैं जो किसी विशेष बीमारी से ग्रस्त हैं। ऐसे में आपको कोई गंभीर रोग है तो आपको सूर्य नमस्कार करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए।
सूर्य नमस्कार का महत्व
सूर्य नमस्कार स्टेप्स (Surya Namaskar Asanas) करने से ना केवल आपको शारीरिक अपितु मानसिक व भावनात्मक लाभ भी मिलते हैं। इसमें आप हर आसन में अलग-अलग मंत्र बोलते हैं जिसमे “ह” की ध्वनि का विभिन्न प्रकार से उच्चारण किया जाता है जिससे आपके श्वसन तंत्र में सुधार होता है। सूर्य नमस्कार से होने वाले लाभ इस प्रकार हैं:
- रक्त संचार में सुधार
- मजबूत पाचन तंत्र
- शरीर में लचीलापन
- विटामिन डी की आपूर्ति
- मुख पर चमक व यौवन का बने रहना
- मानसिक शांति का अनुभव व बुद्धि का विकास
- स्मरण शक्ति का बढ़ना
- मोटापा कम होना व शरीर में अत्यधिक वसा का घटना
- जोड़ों के दर्द से आराम
- रीढ़ की हड्डी का मजबूत होना
- कब्ज, अपच, गैस व बवासीर जैसे रोगों का निवारण
- सकारात्मक भावनाओं का विकास होना
- फेफड़ों की शुद्धि होना व रक्त में प्राणवायु का बढ़ना
- मधुमेह से बचाव
- अंतःस्रावी ग्रंथियों के स्राव का नियंत्रित रहना
- मांसपेशियों में मजबूती आना इत्यादि।
ऊपर दिए गए सभी लाभों को देखते हुए ही सूर्य नमस्कार का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। यह मनुष्य की काया को स्वस्थ बनाता है और उसके मानसिक विकास में भी अहम योगदान देता है। इसलिए हम सभी को प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने का नियम बना लेना चाहिए।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आप सूर्य नमस्कार के 12 आसन (Surya Namaskar In Hindi) के बारे में विस्तार से समझ पाए हैं। बहुत से लोग सूर्य नमस्कार करना तो चाहते हैं लेकिन सूर्य नमस्कार स्टेप्स के बारे में सही से जानकारी नहीं होने के कारण इसे करते नहीं हैं या फिर सही से नहीं करते हैं। ऐसे में हमें आशा है कि अब आपको सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं, इसके बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गयी होगी।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूर्य नमस्कार के 12 आसन कौन कौन से हैं?
उत्तर: सूर्य नमस्कार के 12 आसन में हस्त उत्तानासन, पादहस्तासन, अश्व संचालनासन इत्यादि आते हैं। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
प्रश्न: सूर्य नमस्कार के 12 चरण क्यों होते हैं?
उत्तर: सूर्य नमस्कार को बनाया ही 12 चरणों में गया है। यह 12 तरह के अलग-अलग योगासन होते हैं जो संपूर्ण शरीर के लिए लाभदायक होते हैं।
प्रश्न: 12 सूर्य नमस्कार रोज करने से क्या होता है?
उत्तर: 12 सूर्य नमस्कार रोज करने से आपका रक्तसंचार बेहतर होता है, शरीर में ताजगी आती है और मन केन्द्रित होता है।
प्रश्न: 12 योग आसनों के क्रम को क्या कहते हैं?
उत्तर: 12 योग आसनों के क्रम को सूर्य नमस्कार कहते हैं। इसे प्रतिदिन करने से आपको शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक लाभ देखने को मिलते हैं।
प्रश्न: सूर्य नमस्कार में कुल कितने आसन होते हैं?
उत्तर: सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं जिन्हें क्रमानुसार किया जाना आवश्यक होता है। इसके बारे में हमने आपको इस लेख में बताया है।
प्रश्न: सूर्य नमस्कार में कुल कितने आसन शामिल हैं?
उत्तर: सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन शामिल हैं जिनके बारे में हमने इस लेख में विस्तार से समझाया है।
प्रश्न: एक दिन में कितने सूर्य नमस्कार करना चाहिए?
उत्तर: एक दिन में 15 से 20 बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए। हालाँकि आप अपनी क्षमता के अनुसार इसकी संख्या को कम या ज्यादा कर सकते हैं।
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