क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को उनकी शक्ति किसने याद दिलाई थी? यह तो सभी जानते हैं कि हनुमान स्वयं भगवान शिव का अवतार थे। बचपन में उनके अंदर इतनी शक्तियां थी कि वे सूर्य देव तक को निगल गए थे। उसके बाद तो सभी देवताओं ने मिलकर उन्हें और शक्तियां प्रदान की थी। किन्तु बंदर स्वभाव का होने के कारण बचपन में उन्हें उन शक्तियों का सही से उपयोग करने का पता नहीं था। ऐसे में उन्हें उनकी शक्तियां भूलने का श्राप दिया गया था।
अब हनुमान जी को शक्ति याद दिलाने का किस्सा हम जामवंत हनुमान संवाद (Jamwant Hanuman Samvad) के माध्यम से समझ सकते हैं। यह उस समय की बात है जब भगवान श्रीराम के आदेश पर माता सीता की खोज चारों दिशाओं में शुरू की गई थी। उस समय जामवंत जी ने अपनी बुद्धि से हनुमान जी को पुनः उनकी शक्तियां याद दिलवाने का प्रयास किया था। आइए जाने संपूर्ण कथा के बारे में।
हनुमान जी को उनकी शक्ति किसने याद दिलाई?
हनुमान जी के माता-पिता का नाम केसरी व अंजना था जिन्होंने उन्हें बहुत यत्न के बाद प्राप्त किया था। हनुमान भगवान शिव के 11वें अंशावतार माने जाते हैं। उन्होंने इस पृथ्वी पर भगवान विष्णु के सातवें पूर्ण अवतार श्रीराम की सहायता करने के उद्देश्य से जन्म लिया था। इसी कारण हनुमान के अंदर अत्यधिक बल व शक्तियों का वास था।
चूँकि हनुमान जी वानर जाति से थे व बचपन में बहुत चंचल भी थे। इसलिए अपनी बाल्यावस्था में वे अपने आसपास रहने वाले ऋषि मुनियों को बहुत तंग किया करते थे। प्रतिदिन उनकी शरारतें बढ़ती ही जा रही थी जिस कारण उनके माता-पिता भी चिंतित रहने लगे।
हनुमान जी साधना व योग में लगे ऋषियों को अपनी शक्ति से हवा में उछाल देते थे। साथ ही कभी यज्ञ की लकड़ियों को फेंक देते थे तो कभी जंगल के पेड़ों को भी क्षतिग्रस्त कर देते थे। उस वन में बहुत से भृगु व अंगीरा ऋषि निवास करते थे जो हनुमान की इस उद्दंड प्रवत्ति से परेशान थे। किंतु भगवान श्रीराम की सहायता करने के लिए उनके अंदर यह बल होना भी आवश्यक था।
हनुमान जी को श्राप किसने दिया?
इसलिए एक दिन सभी ऋषि मुनियों ने हनुमान जी के माता-पिता से विचार-विमर्श किया। उसके बाद हनुमान को श्राप दिया कि वे एक समयकाल के लिए अपनी सभी शक्तियों व बल को भूल जाएंगे व उनका प्रयोग नहीं कर पाएंगे। एक समय के पश्चात जब उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होगी व श्रीराम की सेवा करनी होगी तब किसी ज्ञानी पुरुष के द्वारा उन्हें अपनी शक्तियों को फिर से याद दिलाया जाएगा। इसके बाद वे पुनः अपनी सभी शक्तियों को पा लेंगे।
इस श्राप को मिलने के पश्चात बाल हनुमान स्वयं को मिली सभी शक्तियों को भूल गए। उसके परिणाम स्वरुप उनका ऋषि मुनियों को तंग करना भी बंद हो गया। अब हनुमान भगवान की भक्ति में लीन रहते व वेदों शास्त्रों का अध्ययन करते। अब जब कई वर्ष बीत गए और हनुमान बड़े हो गए तब उन्हें श्रीराम की सहायता करनी थी। उस समय उन्हें अपनी शक्तियां फिर से पाने की बहुत आवश्यकता थी जो जामवंत हनुमान संवाद (Jamvant Hanuman Samvad) के कारण संभव हो पाया। आइए जाने उसके बारे में।
जामवंत हनुमान संवाद
जब माता सीता का रावण के द्वारा अपहरण कर लिया गया तब सुग्रीव ने भगवान श्रीराम के आदेश अनुसार अपनी सेनाओं को चारों दिशाओं में भेजा। हनुमान को भी जाम्बवंत, अंगद इत्यादि के साथ दक्षिण दिशा में भेजा गया जहाँ एक सीमा के बाद समुंद्र आता था। जब उन्हें जटायु के भाई सम्पाती के द्वारा यह पता चला कि रावण माता सीता को उस पार लंका ले गया है तो वानर सेना के लिए वहाँ जाना असंभव था।
स्वयं जाम्बवत भी अब बूढ़े हो चुके थे इसलिए वे भी समुंद्र को लांघने में असमर्थ थे। ऐसे में उस समय हुए जामवंत हनुमान संवाद (Jamwant Hanuman Samvad) के माध्यम से ही हनुमान जी को अपनी भूली हुई शक्तियां याद आई थी।
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हनुमान जी को शक्ति याद दिलाई
जाम्बवंत जी को हनुमान जी की शक्तियां व उनको मिले श्राप के बारे में ज्ञान था। साथ ही यह सही समय था हनुमान को उनकी भूली हुई शक्तियों को याद दिलाने का। इसलिए जामवंत जी ने हनुमान को उस समय की सारी बात बताई व उनकी शक्तियों का बखान किया।
जामवंत जी ने हनुमान जी को बचपन की एक-एक बात याद दिलाई कि कैसे उन्होंने सूर्य को निगल लिया था, इंद्र ने उन पर प्रहार किया, उनका चंचल स्वभाव और ऋषि के द्वारा उनको मिला श्राप इत्यादि।
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हनुमान का श्राप मुक्त होना
पास में खड़े अंगद जामवंत हनुमान संवाद (Jamvant Hanuman Samvad) को सुन रहे थे। उन्होंने भी हनुमान जी को प्रोत्साहित किया। अपने राजकुमार अंगद को ऐसा करते देखकर संपूर्ण वानर सेना हनुमान जी का गुणगान करने लगी और उनमें उत्साह भरने लगी।
अपनी इतनी बडाई सुनकर हनुमान जी ने पुरानी बातों को याद करने का बहुत प्रयास किया। इसके परिणामस्वरुप उन्हें अपनी सब शक्तियां याद आ गई और वे श्रापमुक्त हो गए।
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हनुमान का समुद्र पार करना
जैसे ही हनुमान जी को अपनी शक्तियां याद आई, तो ऋषि के दिए हुए श्राप का प्रभाव उसी समय समाप्त हो गया। उसी समय हनुमान जी ने श्रीराम का जयकारा लगाते हुए अपने शरीर को विशालकाय कर लिया और समुंद्र की ओर उड़ान भर ली।
इस तरह से हनुमान जी को उनकी शक्ति किसने याद दिलाई, इसका सही उत्तर जामवंत ही होगा। वैसे तो उनका अंगद सहित संपूर्ण वानर सेना ने ही उत्साह बढ़ाने का काम किया था किंतु मुख्य कार्य जामवंत जी ने ही किया था।
जामवंत हनुमान संवाद से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: जामवंत ने हनुमान को क्या याद दिलाया?
उत्तर: हनुमान जी को अपनी शक्तियां भूलने का श्राप मिला हुआ था। जामवंत जी ने हनुमान जी को उनकी यही शक्तियां फिर से याद दिलाई थी।
प्रश्न: हनुमान जी को श्राप क्यों मिला था?
उत्तर: हनुमान जी बचपन में बहुत ही चंचल स्वभाव के थे जिस कारण वे ऋषि-मुनियों को तंग किया करते थे। इसी कारण उन्हें एक ऋषि ने शक्तियां भूलने का श्राप दिया था।
प्रश्न: हनुमान को श्राप किसने दिया?
उत्तर: हनुमान को श्राप एक ऋषि के द्वारा दिया गया था। उन्होंने एक समय के बाद किसी के याद दिलाने पर उन्हें वापस अपनी शक्तियां याद आने का भी कहा था।
प्रश्न: हनुमान जी को श्राप किसने दिया था?
उत्तर: हनुमान जी को श्राप उनके घर के पास रहने वाले एक ऋषि ने उनकी शरारतों से तंग आकर दिया था।
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