शनि देव चालीसा इन हिंदी – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Shani Chalisa In Hindi

आज हम आपको शनि चालीसा हिंदी में (Shani Chalisa In Hindi) अर्थ सहित देने वाले हैं। शनि चालीसा तो हर कोई पढ़ता है लेकिन इसके अर्थ के बारे में अधिकतर भक्तों को ज्ञान नहीं होता है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि यदि हम शनि चालीसा का अर्थ जानकर उसे पढ़ते हैं तो इससे मिलने वाला लाभ भी दुगुना हो जाता है।

यहीं कारण है कि आज के इस लेख में आपको शनि देव चालीसा इन हिंदी (Shani Chalisa Lyrics In Hindi) में दी जाएगी। इतना ही नहीं, आज के इस लेख में हम आपको यह भी बताएँगे कि शनि चालीसा पढ़ने का क्या महत्व है और इससे आपको क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं शनि देव चालीसा हिंदी में।

Shani Chalisa In Hindi | शनि चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन को दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

पर्वत पुत्री माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश, आपकी जय हो। आप हम सभी का भला करते हो। आप याचकों के दुःख हरते हो और हम सभी का उद्धार करते हो।

जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

हे शनि देव! आपकी जय हो, जय हो। कृपया कर हम भक्तों की विनती सुनिए। हे भगवान सूर्य के पुत्र, हम सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें और अपने भक्तों के मान-सम्मान की रक्षा कीजिए।

॥ चौपाई ॥

जयति-जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

हे शनि देव!! आपकी जय हो, आपकी जय हो, आप हम सभी पर दया करने वाले हो। आप सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हो।

चारि भुजा तन श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥

आपके चार हाथ हैं और आपका वर्ण श्याम अर्थात सांवला है। आपने मस्तक पर रत्नों से जड़ित मुकुट पहना हुआ है जो आपकी शोभा को और भी बढ़ा रहा है।

परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

आपका रूप अत्यधिक विशाल व मन को मोह लेने वाला है। आपकी दृष्टि टेढ़ी है अर्थात आप तिरछा देखते हैं और आपकी भौहें भी बहुत बड़ी व सघन है।

कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै। हिय माल मुक्तन मणि दमकै॥

आपके कानो में कुण्डल चमक रहे हैं और छाती पर मोतियों की माला सुशोभित है।

कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल विच करैं अरिहिं संहारा॥

आपने अपने हाथों में गदा, त्रिशूल व कुठार धारण किया हुआ है और इसकी सहायता से आप दुष्टों का एक क्षण में संहार कर देते हैं।

पिंगल कृष्णो छायानन्दन। यम कोणस्थ रौद्र दुःखभंजन॥

सौरि मन्द शनी दशानामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

पिंगल, कृष्ण, छायानंदन, यम, कोणस्थ, रोद्र, दुःखभंजन, सौरी, मंद, शनि यह आपके दस नाम हैं। आप भगवान सूर्य के पुत्र हो और आपकी पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं।

जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं। रंकहु राव करैं क्षण माहीं॥

जिस किसी से भी शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं वह पल भर में ही दरिद्र से राजा बन जाता है।

पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥

यदि आप प्रसन्न हैं तो किसी की पहाड़ जैसी समस्या को भी एक तिनके के समान बना देते हैं लेकिन किसी से रुष्ट हैं तो उसकी छोटी सी समस्या को भी पहाड़ जैसा बना देते हैं।

राज मिलत बन रामहिं दीन्हा। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हा॥

आपके कारण ही भगवान श्रीराम को राज मिलते-मिलते रह गया और उन्हें चौदह वर्ष का कठोर वनवास मिला। उनकी सौतेली माता कैकेयी की बुद्धि आपने ही भ्रष्ट की थी।

बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥

आपने ही मारीच के द्वारा सुंदर मृग बनकर छल किया और उसी छल में फंसाकर दुष्ट रावण माता सीता को हर कर ले गया।

लखनहिं शक्ति विकल करि डारा। मचिगई दल में हाहाकारा॥

आपके प्रभाव के कारण ही मेघनाद ने लक्ष्मण को शक्तिबाण चलाकर मूर्छित कर दिया जिससे संपूर्ण वानर दल में त्राहिमाम मच गया था।

रावण की गति-मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

आपके कारण ही राक्षसों के राजा रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो गयी थी और उसने नारायण के रूप श्रीराम से शत्रुता मोल ली।

दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग वीर की डंका॥

आपके प्रभाव से ही हनुमान ने लंका को जलाकर उसका विनाश कर दिया जिस कारण बजरंग बली का मान संपूर्ण विश्व में बढ़ गया।

नृप विक्रम पर जब पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

आपकी टेढ़ी दृष्टि जब राजा विक्रमादित्य पर पड़ी तब उनका भी अनिष्ट हुआ। उनके सामने ही मोर के चित्र ने नौलखा हार निगल लिया।

हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥

नौलखा हार राजा के पास से गायब होने पर उन पर ही चोरी का आरोप लगा जिसने उन्हें अत्यधिक कष्ट दिया।

भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

आपकी भारी दृष्टि के कारण ही राजा विक्रमादित्य को सबकुछ त्यागना पड़ा और एक तैली के घर कोल्हू चलाना पड़ा।

विनय राग दीपक महं कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हों॥

तब राजा विक्रमादित्य ने आपके सम्मुख दीपक की रोशनी में याचना की और आपने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें सब कुछ पुनः प्रदान किया।

हरिश्चन्द्रहुं नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥

आपकी टेढ़ी दृष्टि के कारण ही महान राजा हरिश्चंद्र को अपनी पत्नी तक को बेचना पड़ा और स्वयं एक डोम के घर पानी भरने का कार्य करना पड़ा।

तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी मीन कूद गई पानी॥

आपकी दृष्टि के कारण ही नल को भी कष्ट झेलना पड़ा और भुनी हुई मछली भी पुनः पानी में कूद गयी।

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥

आपने जब अपनी टेढ़ी दृष्टि भगवान शंकर पर दौड़ाई तो उनकी पत्नी पार्वती (मूल नाम सती) को आत्मदाह करना पड़ा।

तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

आपके प्रकोप के कारण ही माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया।

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥

आपने जब अपनी दृष्टि पांडवों पर दौड़ाई तो उनकी धर्मपत्नी द्रौपदी वस्त्रहीन होते-होते बची।

कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥

आपने कौरवों पर भी अपनी दृष्टि दौड़ाई और इसी कारण उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी और महाभारत युद्ध की शुरुआत हुई।

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥

आपकी कुदृष्टि से आपके पिता सूर्य देव भी नही बच सके और आप उन्हें अपने मुख में लेकर पाताल लोक में चले गए। (यहाँ भक्त हनुमान के सन्दर्भ में यह बात कही गयी है)

शेष देव लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

सूर्य देव के विलुप्त हो जाने के कारण देवताओं में त्राहिमाम मच गया और उनकी लाख विनतियों के बाद आपने सूर्य देव को बंधन मुक्त किया।

वाहन प्रभु के सात सुजाना। गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

शनि देव के सात वाहन हैं जिनके नाम हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार व शेर है जिनके नाखून अत्यधिक बड़े हैं। आप जिस भी वाहन पर बैठकर आते हैं उसी अनुसार ज्योतिष भविष्यवाणी करते हैं।

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

यदि आप हाथी पर आते हैं तो लक्ष्मी घर आती है। यदि आप घोड़े पर आते हैं तो सुख-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है।

गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

यदि आप गधे पर आते हैं मनुष्य को बहुत हानि होती है। यदि आप शेर पर आते हैं तो आप सभी कामों को बना देते हैं।

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

यदि आप सियार पर आते हैं तो मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। यदि आप हिरण की सवारी करते हुए आते हैं तो मनुष्य को कई तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं जो उसके लिए प्राणघातक तक हो सकते हैं।

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥

जब आप कुत्ते पर सवार होकर आते हैं तो मनुष्य को सबकुछ खो जाने या चले जाने का भय रहता है।

तैसहिं चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

आपके चरण चार धातुओं के बने हुए हैं जो हैं सोना, लोहा, चांदी व तांबा।

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

ऐसे में जब आप अपने लोहे के पैरों के साथ आते हैं तो मनुष्य का धन, संपत्ति, वैभव सब नष्ट हो जाता है।

समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी॥

तांबे के चरण होने पर सभी में समानता का भाव आता है व प्रेम में बढ़ोत्तरी होती है तो वहीं चांदी के चरण होने पर मनुष्य को शुभ फल प्राप्त होता है। यदि आप सोने के चरण लेकर आते हैं तो यह मनुष्य के लिए अत्यंत शुभकारी, मंगलकारी, सुख देने वाला होता है।

जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

जो भी भक्तगण यह शनि चालीसा प्रतिदिन पढ़ता है, उस पर आपकी कुदृष्टि नही रहती है और उसे किसी भी तरह का कष्ट नही झेलना पड़ता है।

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

आपकी शनि चालीसा पढ़ने से आप अपनी लीला दिखाते हैं और अपने भक्तों के शत्रुओं व संकटों का नाश कर देते हैं।

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥

जो भक्तगण एक योग्य पंडित को अपने घर बुलाकर विधिवत रूप से शनि ग्रह की शांति के उपाय करता है, पीपल के वृक्ष पर हर शनिवार के दिन जल चढ़ाता है, दीपक का दान करता है, उसे शनि देव सभी सुख प्रदान करते हैं।

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

शनि देव के दास रामसुंदर यही बात कहते हैं कि शनि देव का ध्यान करने से व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है और उसके जीवन में प्रकाश छा जाता है।

॥ दोहा ॥

प्रतिमा श्री शनिदेव की लौह धातु बनवाए।
प्रेम सहित पूजन करै सकल कटि जाय॥

जो भी भक्तगण शनि देव की लोहे की मूर्ति बनवा कर उसकी पूजा करता है, उसके सभी दुःख, कष्ट व संकट समाप्त हो जाते हैं।

चालीसा नितनेम यह कहहिं सुनहिं धरि ध्यान।
निश्चय शनि ग्रह सुखद ह्यें पावहि नर सम्मान॥

जो भी मनुष्य इस शनि चालीसा को पढ़ता या सुनता है और शनि देव का ध्यान करता है, अवश्य ही उसके भाग्य व कुंडली में शनि ग्रह सही रहते हैं और उसे हर जगह सम्मान की प्राप्ति होती है।

इस तरह से आज आपने शनि देव चालीसा इन हिंदी (Shani Chalisa Lyrics In Hindi) में पढ़ ली है। अब हम शनि चालीसा का पाठ करने से मिलने वाले फायदों और उसके महत्व के बारे में भी जान लेते हैं।

शनि चालीसा का महत्व

शनि चालीसा को पढ़ने से ज्ञात होता है कि उनकी कुदृष्टि से राजा-महाराजा ही नही अपितु नारायण के अवतार श्रीराम, श्रीकृष्ण और यहाँ तक कि स्वयं महादेव भी नही बच सके। हालाँकि हिन्दू धर्म में भगवान या ईश्वर को देवता से ऊपर स्थान दिया गया है किंतु फिर भी शनि देव ने ईश्वर तक पर अपनी दृष्टि टेढ़ी की लेकिन कैसे।

इसका सीधा सा तात्पर्य यह हुआ कि जो भी हमारे भाग्य में लिखा है या जो हमे भोगना है, फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा, उसका निर्धारण शनि देव ही करते हैं। अब वह चाहे कौरवों की बुद्धि भ्रष्ट होने पर महाभारत का भीषण युद्ध होना हो या रावण द्वारा माता सीता का हरण करने पर उसका वध होना हो। जिसकी नियति में जो लिखा होगा वह होकर ही रहेगा।

इसके साथ ही शनि चालीसा से हमे यह पता चलता है कि व्यक्ति को अपने पूर्व जन्मों के कर्मों का फल भोगना ही होगा। इसी के साथ वह इस जन्म में भी जो कार्य कर रहा है चाहे वह बुरे हैं या अच्छे, उनका फल भी उसे किसी ना किसी दिन भोगना ही पड़ेगा। हमारे सभी कर्मों का लेखा-जोगा शनि देव रखते हैं और उसका उचित दंड या पुरस्कार हमें अवश्य देते हैं।

शनि चालीसा हिंदी में पढ़ने के फायदे

जब हम किसी भी भगवान या देवी-देवता की आरती, स्तुति, चालीसा पढ़ते हैं या उनका ध्यान करते हैं तो इसका मुख्य उद्देश्य उनके गुणों का ध्यान करना होता है। शनि चालीसा को हिंदी में पढ़कर हमें शनि देव के कार्यों व गुणों का स्मरण करना होता है। दिखने में शनि देव भयंकर लग सकते हैं और साथ ही हम में से कोई भी नही चाहेगा कि शनि देव की कुदृष्टि हम पर पड़े।

शनि देव का भय या डर ही शनि चालीसा को पढ़ने का मुख्य लाभ है। जिस प्रकार आज के समय में मनुष्यों को गलत कर्म करने से डराने के लिए पुलिस, सेना इत्यादि का भय दिखाया जाता है और उस पर न्यायालय के द्वारा कार्यवाही करने का डर भी बना रहता है; ठीक उसी प्रकार मनुष्यों को अनैतिक कार्यों को करने से रोकने के लिए शनि देव का भय दिखाया जाता है।

यह तो निश्चित है कि मनुष्य को उसके कर्मों का फल भोगना ही होगा फिर चाहे वह दंड के रूप में हो या पुरस्कार के रूप में। तो इसमें बुरे कर्मों का दंड देने का उत्तरदायित्व इन्हीं शनि देव के ऊपर ही होता है। शनि देव चालीसा इन हिंदी में पढ़कर हमे सबसे मुख्य लाभ यही मिलता है कि हम बुरे कर्म करने से बचें, दूसरों को कष्ट ना दें और हमेशा नैतिक कर्म करें।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने शनि चालीसा हिंदी में (Shani Chalisa In Hindi) पढ़ ली है। साथ ही आपने शनि चालीसा पाठ से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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