आज हम विश्वकर्मा आरती (Vishwakarma Aarti) का पाठ करेंगे। भगवान विश्वकर्मा जी को सनातन धर्म में महान शिल्पकार माना गया है जिनके द्वारा अद्भुत व श्रेष्ठ सरंचनाओं की रचना की गयी है। फिर चाहे वह रावण का पुष्पक विमान हो या भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी या आज हम भगवान जगन्नाथ की जो मूर्तियाँ देखते हैं, वह हो।
इसी से ही आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि प्राचीन समय में भगवान विश्वकर्मा कितने बड़े इंजीनियर व आर्किटेक्ट थे। उन्हीं विश्वकर्मा भगवान की आरती (Vishwakarma Bhagwan Ki Aarti) आज हम इस लेख में करने जा रहे हैं। आज हम आपको विश्वकर्मा आरती के साथ-साथ उसका हिंदी अनुवाद भी देंगे।
अंत में विश्वकर्मा आरती के लाभ और उसका महत्व भी आपके साथ साझा किया जाएगा। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं विश्वकर्मा भगवान की आरती हिंदी में।
Vishwakarma Aarti | विश्वकर्मा आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
Vishwakarma Bhagwan Ki Aarti | विश्वकर्मा भगवान की आरती – अर्थ सहित
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा॥
हे भगवान विश्वकर्मा!! आपकी जय हो, आपकी जय हो। आपने ही इस संपूर्ण सृष्टि की रचना की है और आप ही इसके रक्षक हो। आप ही धर्म के पालक हो।
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया॥
आपने ही इस सृष्टि की शुरुआत में सभी को उपदेश दिया था। आपने ही सभी मनुष्यों को शिल्प शास्त्र का ज्ञान देकर उनके ज्ञान में वृद्धि की थी।
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
महान ऋषि अंगीरा जी ने जब गहन तपस्या की तब भी उन्हें शांति नहीं मिली। तब उन्होंने आपका ध्यान किया और तब जाकर उन्हें सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥
जब भी कोई राजा किसी रोग से पीड़ित होकर आपकी शरण में आया तो आपने उसके लिए संकट मोचन बन कर उसके सभी दुखों को हर लिया और उसके रोग दूर किए।
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
जब रथ का निर्माण करने वाले पति-पत्नी ने आपसे प्रार्थना की और आपकी शरण में आये तब आपने उनकी प्रार्थना को सुन कर उनकी सभी विपत्तियों और संकटों का निवारण कर दिया।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
हे भगवान विश्वकर्मा, आपके कई रूप हैं। आप कभी एक सिर लिए हुए तो कभी चार सिर लिए हुए तो कभी पांच सिर लिए हुए होते हैं। उसी क्रम में आपकी दो भुजाएं, चार भुजाएं व दस भुजाएं भी होती है।
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
जब हम सभी भक्तगण सच्चे मन से भगवान विश्वकर्मा जी का ध्यान करते हैं तो हमें सिद्धियों की प्राप्ति होती है, मन से सभी तरह की दुविधा मिट जाती है और तनाव कम होता है। इसी के साथ हम परम शांति का भी अनुभव करते हैं।
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
स्वामी गजानन जी कहते हैं कि जो भी भक्तगण सच्चे मन से विश्वकर्मा जी की आरती करता है तो उसके घर में सुख संपत्ति आती है तथा उसका जीवन सफल हो जाता है।
विश्वकर्मा भगवान की आरती का महत्व
अब आपको इसी के साथ यह भी जान लेना चाहिए कि भगवान विश्वकर्मा आरती का क्या महत्व होता है। तो आप यह तो जान ही गए होंगे कि भगवान विश्वकर्मा जी के द्वारा ही सृष्टि की लगभग सभी श्रेष्ठतम सरंचनाओं का निर्माण कार्य किया गया है जिनमे से कुछ हम आज भी देखते हैं। तो उन्हीं विश्वकर्मा भगवान की आरती के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि उनका किन किन चीज़ों में योगदान रहा है तथा किस तरह से उन्होंने इतिहास को महिमामंडित करने का कार्य किया है।
प्राचीन समय में जो भी बड़े स्तर पर या अद्भुत निर्माण कार्य होता था, वह भगवान विश्वकर्मा जी के हाथों से ही होता था। इस तरह से देखा जाए तो वे उस समय के इंजीनियर व आर्किटेक्ट ही थे जिन्हें वास्तुकला की बहुत अच्छे से पहचान थी। तो इस विश्वकर्मा आरती के माध्यम से हमें भगवान विश्वकर्मा की महत्ता और उनके द्वारा निर्मित सरंचनाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है।
विश्वकर्मा आरती के लाभ
यदि आप प्रतिदिन विश्वकर्मा भगवान की आरती का पाठ करते हैं तो आपके अंदर सरंचनाओं को बेहतर तरीके से देखने और उन्हें समझने की शक्ति प्राप्त होती है। अभी तक आप सरंचनाओं को जिस दृष्टि से देखते आ रहे थे, वही विश्वकर्मा आरती के निरंतर पाठ के बाद आपको उनकी वास्तुकला पहचानने की दिव्य दृष्टि तक प्राप्त हो सकती है।
कहने का तात्पर्य यह हुआ कि भगवान विश्वकर्मा स्वयं वास्तुकला के भगवान हैं और जो व्यक्ति उनकी सच्चे मन से भक्ति करता है या उनकी आरती का पाठ करता है तो उस पर भी भगवान विश्वकर्मा की कृपा दृष्टि होती है। ऐसा व्यक्ति आगे चल कर इंजीनियरिंग या आर्किटेक्चर में भी बहुत प्रगति करता है या उसमे सफल होता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने विश्वकर्मा आरती हिंदी में अर्थ सहित (Vishwakarma Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने विश्वकर्मा भगवान की आरती के पाठ से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं।
विश्वकर्मा आरती से संबंधित प्रशोत्तर
प्रश्न: विश्वकर्मा जी को कौन सा प्रसाद चढ़ाया जाता है?
उत्तर: आप भगवान विश्वकर्मा जी को फल, फूल, अनाज इत्यादि कुछ भी प्रसाद के रूप में चढ़ा सकते हैं।
प्रश्न: विश्वकर्मा की माता कौन है?
उत्तर: विश्वकर्मा की माता का नाम अंगीरसी है।
प्रश्न: क्या हम घर पर विश्वकर्मा पूजा कर सकते हैं?
उत्तर: हां, आप अपने घर पर विश्वकर्मा पूजा कर सकते हैं।
प्रश्न: विश्वकर्मा की बेटी कौन है?
उत्तर: विश्वकर्मा की बेटी का नाम बर्हिष्मती, संजना व चित्रांगदा है।
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