आज हम आपके साथ कार्तिक भगवान की आरती (Kartik Bhagwan Ki Aarti) का पाठ करेंगे। भगवान कार्तिकेय महादेव व माता पार्वती के पुत्र हैं जो सर्वशक्तिशाली हैं। पूरे भारत में इनकी पूजा की जाती है किन्तु मुख्य रूप से दक्षिण भारत में कार्तिकेय अधिक पूजनीय है। वह इसलिए क्योंकि दक्षिण को बसाने का कार्य भगवान शिव ने कार्तिकेय को ही दिया था।
यहाँ आपको कार्तिकेय भगवान की आरती (Kartikeya Bhagwan Ki Aarti) अर्थ सहित पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में हम आपके साथ कार्तिकेय आरती का महत्व व लाभ भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले करते हैं कार्तिक भगवान की आरती हिंदी में।
Kartik Bhagwan Ki Aarti | कार्तिक भगवान की आरती
जय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा।
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम।
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर।
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी।
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता।
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार।
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश।
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।
Kartikeya Bhagwan Ki Aarti | कार्तिकेय भगवान की आरती – अर्थ सहित
जय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा।
कार्तिक जी की आरती की जय हो। वेणुगोपाल अर्थात भगवान श्रीकृष्ण की आरती की जय हो। बंसी बजाने वाले और गायों की रक्षा करने वाले भगवान श्रीकृष्ण की जय हो। कृष्ण भगवान हमारे सभी पापों का नाश कर देते हैं और माखन चुरा कर खाते हैं।
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम।
विष्णु भगवान की आरती की जय हो। भगवान श्रीहरि हम सभी के संकटों को दूर कर हमारा उद्धार कर देते हैं। माता सीता, भगवान श्रीराम, माता राधा व श्याम बाबा की जय हो।
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर।
गौरी माता की आरती की जय हो जो हमारा मन मोह लेती हैं। गौरी माता मन को मोहने वाली शिव शंकर की भवानी हैं। साम्ब, सदाशिव, उमा माता व महेश्वर भगवान की जय हो।
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी।
राज राजेश्वरी माता की आरती की जय हो। त्रिपुरसुन्दरी माता को ही राज राजेश्वरी माना जाता है। महासरस्वती, महालक्ष्मी व महाकाली माता की जय हो।
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता।
अंजनी माता के पुत्र हनुमान आरती की जय हो। हनुमान जी की माता का नाम अंजनी है और वे सूर्य पुत्र के रूप में भगवान शिव के अंश अवतार माने जाते हैं जिन्होंने रावण के साथ युद्ध में श्रीराम की सहायता की थी।
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार।
दत्तात्रेय भगवान की आरती की जय हो। भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शिव के त्रिमूर्ति अवतार को ही दत्तात्रेय अवतार माना जाता है जो सृष्टि के सृजन, पालन व विध्वंस के परिचायक हैं।
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश।
सभी आठों सिद्धियों को प्रदान करने वाले भगवान विनायक की आरती की जय हो। विनायक भगवान को श्रीगणेश के नाम से जाना जाता है जिन्हें भगवान शिव से प्रथम पूजनीय का आशीर्वाद प्राप्त है।
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।
सुब्रह्मण्य भगवान की आरती की जय हो। भगवान कार्तिकेय ही सुब्रह्मण्य के नाम से विख्यात हैं जो सर्वशक्तिशाली और अभय प्रदान करने वाले हैं।
कार्तिकेय आरती का महत्व
देवों के देव महादेव के पुत्र कार्तिक उनके स्वयं के पुत्र हैं जो उन्हें माता सती (पार्वती) से प्राप्त हुए थे जबकि भगवान गणेश को माता पार्वती ने अपने शरीर के लेप से तैयार किया था। ऐसे में कार्तिकेय भगवान शिव व माता पार्वती के इकलौते पुत्र माने जाते हैं जो सभी देवताओं में सर्वशक्तिशाली हैं। इसी को देखते हुए ही भगवान शिव ने उन्हें देव सेना का सेनापति नियुक्त किया था ताकि असुरों का विनाश किया जा सके।
कार्तिक भगवान की आरती के माध्यम से कार्तिकेय जी के गुणों, शक्तियों, महत्व, उद्देश्य तथा सार्थकता पर प्रकाश डाला गया है। इस सृष्टि व पृथ्वी के लिए कार्तिक भगवान का क्या औचित्य है, यह कार्तिकेय आरती के माध्यम से ही देखने को मिलता है। यही कार्तिकेय भगवान की आरती का महत्व होता है।
कार्तिक आरती के लाभ
यदि आप सच्चे मन के साथ कार्तिक भगवान का ध्यान कर कार्तिक जी की आरती का पाठ करते हैं तो अवश्य ही आप पर कार्तिकेय भगवान की कृपा बरसती है। ना केवल कार्तिक भगवान की बल्कि संपूर्ण शिव परिवार की कृपा ही आपके और आपके परिवार के ऊपर रहती है। कार्तिक भगवान की आरती का जाप हमारे अंदर अभय का संचार करता है।
इससे हमें किसी चीज़ का भय नहीं रह जाता है और साथ ही सभी तरह के कष्टों, विपदाओं, संकटों, विघ्नों तथा नकारात्मक भावनाओं का नाश हो जाता है। हमारे लिए आगे का मार्ग प्रशस्त होता है तथा क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह समझ विकसित होती है। इस तरह से कार्तिकेय भगवान की आरती के जाप के बहुत लाभ देखने को मिलते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने कार्तिक भगवान की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Kartik Bhagwan Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने कार्तिकेय भगवान की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
कार्तिक भगवान की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कार्तिकेय भगवान का दिन कौन सा है?
उत्तर: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन को कार्तिकेय भगवान का दिन माना जाता है। उस दिन स्कंद षष्ठी की पूजा की जाती है।
प्रश्न: कार्तिकेय की पत्नी कौन हैं?
उत्तर: कार्तिकेय भगवान की दो पत्नियाँ हैं जिनके नाम देवसेना और वल्ली है। देवसेना देवराज इंद्र की पुत्री है जबकि वल्ली आदिवासी राजा की पुत्री है।
प्रश्न: कार्तिकेय की पूजा कब की जाती है?
उत्तर: हर वर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को कार्तिक भगवान का जन्मदिन मनाया जाता है। ऐसे में उस दिन पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ कार्तिकेय भगवान की पूजा की जाती है।
प्रश्न: कार्तिकेय किसका अवतार है?
उत्तर: कार्तिकेय भगवान किसी का अवतार नहीं है और वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। इन्हें देवताओं की सेना का सेनापति भी नियुक्त किया गया है।
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