लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की दीपावली आरती – महत्व व लाभ सहित

दिवाली आरती (Diwali Aarti)

दिवाली आरती (Diwali Aarti): सनातन धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली का होता है। यह एक ऐसा पर्व है जो उत्तर से लेकर दक्षिण भारत और पूर्व से लेकर पश्चिम भारत तक बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी भक्तगण अपने घर व दुकान पर दिवाली की पूजा करते हैं और उसी के साथ ही सभी के द्वारा दिवाली की आरती भी की जाती है।

इसलिए आज हम आपको दीपावली आरती (Deepawali Aarti) ही देने वाले हैं। लेख के अंत में हम आपके साथ दीपावली की आरती पढ़ने के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। आइए सबसे पहले दिवाली की आरती पढ़ लेते हैं

Diwali Aarti | दिवाली आरती

वैसे तो दिवाली का त्यौहार भगवान श्रीराम के चौदह वर्षों के वनवास के पश्चात उनके पुनः अयोध्या आगमन की खुशी में मनाया जाता है किन्तु इस दिन पूजा माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती व भगवान गणेश की जाती है। ऐसे में जो दीपावली आरती होती है, वह इन तीनों को ही समर्पित होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि दिवाली की आरती में माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती व भगवान गणेश की अलग-अलग आरतियाँ की जाती है।

आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके समक्ष तीनों की ही आरतियाँ रखने जा रहे हैं। इन तीनों आरतियों को मिलाकर ही दिवाली आरती कहा जाता है। तो आइए एक-एक करके तीनों देवी-देवताओं की दिवाली आरती पढ़ते हैं।

#1. माँ लक्ष्मी जी की दिवाली की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जगमाता, मैया तुम ही जगमाता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैया सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…

तुम ही पाताल निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता…

जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता, मैया सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता…

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता…

शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता, मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम, बिन कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता, मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

#2. माँ सरस्वती जी की दीपावली आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभवशालिनी, त्रिभुवन विख्याता
जय सरस्वती माता…

चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी
जय सरस्वती माता…

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला
जय सरस्वती माता…

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया
जय सरस्वती माता…

विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो
जय सरस्वती माता…

धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो
जय सरस्वती माता…

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभवशालिनी, त्रिभुवन विख्याता
जय सरस्वती माता…

#3. भगवान गणेश जी की दीपावली की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी।
मस्तक सिन्दूर सोहे मूसे की सवारी॥

पान चढ़ें फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा।
लडुवन कौ भोग लगे सन्त करें सेवा॥

अन्धन को आँख देत कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

दीनन की लाज राखो शम्भु-सुत वारी।
कामना को पूरा करो जगत बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूरश्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

इस तरह से आज आपने तीनो तरह की दीपावली आरती (Deepawali Aarti) पढ़ ली है। वैसे आप चाहे तो इस दिन भगवान श्रीराम व भगवान विष्णु की आरती भी कर सकते हैं। हालाँकि दिवाली वाले दिन मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी और फिर माँ सरस्वती व भगवान गणेश की आरती ही की जाती है।

दीपावली आरती का महत्व

दीपावली का पर्व बहुत ही विशिष्ट व महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाला है। इस दिन भारत के हरेक घर व दुकान की पूरी तरह से साफ-सफाई कर दी जाती है। सदियों पहले इसी दिन हम सभी के पूजनीय श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ चौदह वर्षों के कठिन वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या नगरी लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में यह दिन आज तक सभी भारतवासियों के द्वारा उसी उल्लास व उमंग के द्वारा मनाया जाता है।

अब यह पर्व विशिष्ट इसलिए है क्योंकि दिवाली के दिन सभी लोग श्रीराम के आगमन की खुशी में अपने घर की साफ-सफाई करते हैं, नए-नए पकवान बनाते हैं और अमावस्या की उस अँधेरी रात को असंख्य दीयों की रोशनी से नहला दिया जाता है। किन्तु दिवाली की आरती व पूजा लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की जाती है। इसके बारे में संपूर्ण जानकारी लेने के लिए तो आपको हमारी वेबसाइट पर ही अन्य लेख पढ़ने होंगे।

किन्तु यहाँ आप यह जान लें कि दिवाली आरती के माध्यम से हम सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न कर लेते हैं क्योंकि इस दिन सभी का ही कुछ ना कुछ योगदान था। यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इतिहास में इस दिन बहुत कुछ शुभ घटित हुआ था। इसी कारण दीपावली आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

दिवाली आरती के लाभ

दिवाली पूजा आरती करते समय हम माँ लक्ष्मी के साथ ही माँ सरस्वती व भगवान गणेश की भी आरती करते हैं। वैसे भी माँ लक्ष्मी की पूजा कभी भी भगवान गणेश के बिना नहीं हो सकती है क्योंकि माँ लक्ष्मी ने माता पार्वती से उनका पुत्र गणेश गोद लेते समय यही वरदान दिया था कि उनकी हरेक पूजा में गणेश जी की भी पूजा अनिवार्य होगी। अब जब धन व बुद्धि की पूजा हो रही है तो विद्या प्रदान करने वाली माँ सरस्वती को कैसे पीछे छोड़ा जा सकता है।

दीपवाली की पूजा करते समय यदि आप अपने घरवालों के साथ सच्चे मन से दिवाली की आरती करते हैं तो इससे आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है। इसी के साथ ही आपके घर का कोई भी बच्चा विद्या से वंचित नहीं रहता है। वहीं धन व विद्या का उचित उपयोग कैसे और कहाँ करना है, इसके लिए बुद्धि का विकास भी भगवान गणेश की कृपा से होता है। यही दीपवाली की आरती के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने दिवाली आरती (Diwali Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने दीपावली आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

दिवाली आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: दीपावली पर किसकी पूजा की जाती है?

उत्तर: दीपावली पर माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। इन तीनों से हम धन, संपत्ति, विद्या व बुद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।

प्रश्न: दीपावली का असली नाम क्या है?

उत्तर: आपका प्रश्न गलत है। दरअसल आपको दीपवाली के पर्यायवाची पूछने चाहिए थे क्योंकि दीपवाली स्वयं एक असली नाम है। दीपावली को हम दिवाली व दीपोत्सव भी कह सकते हैं।

प्रश्न: दीपावली के बाद मूर्तियों का क्या करते हैं?

उत्तर: दीपावली के बाद भी मूर्तियों को अपने घर में ही रखते हैं क्योंकि इनका विसर्जन नहीं करना होता है। हालाँकि खंडित हो चुकी या मिट्टी की बनी मूर्तियों को नदी में विसर्जित किया जा सकता है।

प्रश्न: दीपावली किसकी याद में मनाया जाता है?

उत्तर: त्रेता युग में भगवान श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास मिला था। अपने वनवास काल में श्रीराम ने अत्याचारी व दुष्ट राजा रावण का वध किया था और वनवास की अवधि के पूरा होने पर पुनः अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे। इसी की याद में ही दीपावली का पर्व मनाया जाता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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