आज हम आपको माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी बताने वाले हैं। महिषासुर एक असुर जाती का था जिसका वध (Mahishasur Vadh) करने के लिए माँ दुर्गा ने अपना रोद्र रूप धारण किया था। माँ के उस रूप को माँ कात्यायनी भी कहा जाता हैं। महिषासुर रंभ असुर व एक भैंस का पुत्र था जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था।
इस वरदान के कारण ही उसकी शक्तियां बहुत बढ़ गई थी। इस कारण देवताओं के लिए भी उसे पराजित कर पाना असंभव था। तब जाकर माँ दुर्गा ने जन्म लिया व महिषासुर का वध (Mahishasur Ka Vadh) किया था। आज हम माँ दुर्गा और महिषासुर का युद्ध और महिषासुर वध के बारे में ही जानेंगे।
Mahishasur Vadh | माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी
महिषासुर के पिता का नाम रंभ था जो असुरों का राजा था। एक दिन उसका जल में रहने वाले एक महिष/ भैंसे पर मन आ गया व उसने उसके साथ संभोग किया। दोनों के संभोग के कारण ही महिषासुर का जन्म हुआ। संस्कृत में महिष का अर्थ भैंस से होता हैं इसलिये उसका नाम महिषासुर पड़ा। उसका शरीर भैंस के समान काला व बलवान था।
अपने आपको सबसे शक्तिशाली बनाने के लिए उसने कई वर्षों तक भगवान ब्रह्मा की तपस्या की। भगवान ब्रह्मा उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए तथा उसे वरदान मांगने को कहा। तब महिषासुर ने अमर होने का वरदान माँगा तो ब्रह्मा जी ने यह देने से मना कर दिया। तब महिषासुर ने अपने अहंकार में किसी भी देवता या दानव से नही मरने का वरदान माँगा। उसने अपने इस वरदान में महिलाओं को तुच्छ समझा व अपनी मृत्यु में उन्हें नही माँगा।
महिषासुर का आंतक
भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर महिषासुर अपनी असुर प्रवत्ति के कारण उसका दुरूपयोग करने लगा तथा सभी पर अत्याचार करने शुरू कर दिए। उसके अत्याचार से संपूर्ण मानव सभ्यता तथा देवता आतंकित थे। वह बेवजह मनुष्यों को मारने लगा तथा देवताओं को तंग करने लगा। इससे चारों ओर अधर्म की स्थापना हो गयी व धर्म का कोई मूल्य नही रहा।
पृथ्वी पर आंतक मचाने के बाद उसने इंद्र की नगरी अमरावती पर भी आक्रमण कर दिया व सभी देवताओं को पराजित कर दिया। उसकी असुर सेना के सामने कोई नही टिक पाया था। सभी देवता भगवान शिव व विष्णु से सहायता मांगने गए। तब दोनों ने देवताओं के साथ मिलकर महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया किंतु महिषासुर को मिले वरदान के फलस्वरूप वे भी उसे नही हरा सके।
भगवान शिव और विष्णु जान गए थे कि महिषासुर का वध (Mahishasur Vadh) करने के लिए किसी अद्भुत शक्ति का प्रकट किया जाना आवश्यक है। इसके फलस्वरूप ही माँ दुर्गा का जन्म हुआ था जिन्होंने महिषासुर के साथ युद्ध कर उसका वध कर दिया था।
माँ दुर्गा का जन्म
तब त्रिमूर्ति (भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश) ने मिलकर एक योजना बनायी जिससे कि महिषासुर का उसकी सेना सहित नाश हो सके। इसके लिए तीनों ने अपने क्रोध से एक तेज उत्पन्न किया तथा सभी देवताओं ने भी इसमें अपना-अपना योगदान दिया। यहीं से माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी शुरू होती है।
त्रिमूर्ति तथा सभी देवताओं के तेज व ऊर्जा से एक शक्तिपुंज का निर्माण हुआ व उसमे से माँ दुर्गा का कात्यायनी रूप प्रकट हुआ। यह रूप अत्यंत भयानक था जिसके दस हाथ थे। फिर भगवान शिव ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र व सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र माँ कात्यायनी को दे दिए।
महिषासुर का वध (Mahishasur Ka Vadh)
उसके बाद माँ महिषासुर की सेना के पास गयी व जोर-जोर से गर्जना करने लगी। अपने सामने एक स्त्री को विनाशक रूप में देखकर महिषासुर की सेना को आश्चर्य हुआ। महिषासुर के साथ असुरों की पूरी सेना थी जिनमें करोड़ो की संख्या में असुर थे तो दूसरी ओर माँ दुर्गा अकेली।
किंतु माँ दुर्गा ने शत्रु सेना में त्राहिमाम मचा दिया। सिंह पर बैठी माँ दुर्गा की गर्जना ही इतनी भयानक थी कि उससे चारो ओर भय का वातावरण पैदा हो गया। फिर माँ ने अपने अस्त्रों से शत्रु सेना में भयंकर मारकाट मचा दी। यह युद्ध नौ दिनों तक चलता रहा व माँ दुर्गा बिना थके लगातार असुरों का नाश कर रही थी।
धीरे-धीरे करके महिषासुर के सभी मित्र, सिपाही, मंत्रीगण, सेनापति इत्यादि मारे गए। अंतिम दिन अर्थात दसवें दिन महिषासुर का माँ दुर्गा से युद्ध हुआ। तब माँ दुर्गा ने भगवान शिव से मिले त्रिशूल से महिषासुर का वध (Mahishasur Vadh) कर डाला। इस प्रकार माँ दुर्गा के प्रचंड रूप ने महिषासुर का उसकी राक्षसी सेना सहित संपूर्ण नाश कर डाला व धर्म की पुनः स्थापना की।
महिषासुर वध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: महिषासुर का वध कैसे हुआ था?
उत्तर: माँ दुर्गा ने महिषासुर के साथ भीषण युद्ध किया था। युद्ध के दसवें दिन उन्होंने भगवान शिव के त्रिशूल से महिषासुर का वध कर दिया था। महिषासुर का वध माँ दुर्गा की शक्तियों के कारण हुआ था।
प्रश्न: मां दुर्गा ने महिषासुर को कैसे मारा?
उत्तर: मां दुर्गा ने महिषासुर को भगवान शिव से मिले त्रिशूल से मारा था। जब माँ दुर्गा का जन्म हुआ था तब सभी देवताओं ने उन्हें अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र दिए थे। इसमें से एक भगवान शिव का त्रिशूल भी था। उसी त्रिशूल से मां दुर्गा ने महिषासुर को मारा था।
प्रश्न: दुर्गा और महिषासुर में क्या संबंध था?
उत्तर: महिषासुर एक राक्षस था जिसनें मनुष्यों और देवताओं पर भीषण अत्याचार किए थे। वही मां दुर्गा की उत्पत्ति महिषासुर का वध करने के उद्देश्य से हुई थी।
प्रश्न: महिषासुर के पीछे की कहानी क्या है?
उत्तर: महिषासुर के पीछे की यहीं कहानी है कि वह बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था जिसने लोगों पर भीषण अत्याचार किए थे। इसलिए मातारानी ने दुर्गा माँ का रूप लेकर उसका वध कर दिया था।
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