पुरानी रामायण (Purani Ramayan) की बात ही कुछ और है। स्वर्गीय रामानंद सागर जी ने जब टीवी पर पहली बार रंगीन रामायण को प्रसारित करवाया था, तब पूरे देश में मानो तहलका मच गया था। लोगों के लिए टीवी मंदिर बन गया था और रामायण सीरियल में भूमिका निभाने वाले सभी कलाकार उनके भगवान।
इसका साक्षात प्रमाण यही है कि आज भी जब कभी हम श्रीराम के जीवंत चित्र को अपने मन में देखते हैं तो हमारे सामने पुरानी वाली रामायण (Purani Wali Ramayan) के अरुण गोविल जी उभर कर सामने आ जाते हैं। आज हम आपको वर्ष 1987 के दूरदर्शन वाले उसी सुनहरे दौर में ले चलने वाले हैं जब पूरा भारत देश रविवार के दिन आधे घंटे के लिए ठहर सा जाता था।
Purani Ramayan | पुरानी रामायण का वह सुनहरा दौर
आज मैं आपके साथ उस दौर का समय साँझा करने जा रहा हूँ जब भारत में टीवी आया ही था व उस पर केवल दूरदर्शन आया करता था। इससे पहले हम कोई फिल्म देखने सिनेमा हॉल में ही जाया करते थे या रेडियो पर ही समाचार संगीत नाटक इत्यादि सुनते थे। सिनेमा पर भी हमने आज तक ब्लैक एंड वाइट फिल्में ही देखी थी। उस समय टीवी लगभग नए-नए ही आए थे व गाँव में एक-दो घरों में ही हुआ करते थे।
टीवी पर कुछ रंगीन कार्यक्रम शुरू हो चुके थे जैसे कि विक्रम और बेताल, संगीत कार्यक्रम व समाचार। फिर एक दिन शुरू हुआ रामायण धारावाहिक जिसका पहला एपिसोड 25 जनवरी 1987 को आया था। जिस कथा को लोगों ने केवल आज तक सुना था व दूसरों को सुनाया था, उसे वह साक्षात अपने सामने टीवी पर देख रहे थे। हमारे बुजुर्गों की आखें फटी की फटी रह गई थी क्योंकि जब से जन्म लिया था तब से उन्होंने इसकी केवल कथा सुनी थी या रंगमंच, रामलीला जैसे कार्यक्रमों में अभिनय देखा था।
जब हम सभी ने पहली बार टीवी पर वो भी रंगीन में रामायण देखी तो बच्चे, बूढ़े, औरतें, आदमी सब टीवी की ओर दौड़े चले जाते थे। मुझे आज भी याद है उस समय का अनुभव जब माँ, दादी घर का सब खाना पीना रामायण से पहले तैयार कर लेती थी, दादा जी भी अपना चाय नाश्ता कर चुके होते थे, पापा भी सुबह जल्दी उठकर तैयार हो जाते थे।
पुरानी वाली रामायण (Purani Wali Ramayan) का एपिसोड सप्ताह में एक बार रविवार के दिन आता था वो भी सुबह 9:30 बजे से लेकर 10 बजे तक। उस समय मानो भारत देश थम सा जाता था, सड़कें पूरी तरह से सुनसान हो जाया करती थी, कोई भी व्यक्ति बाहर नहीं मिलता था, चारों ओर किसी भी प्रकार का शोर नहीं सुनाई देता था, बस सब जगह एक ही आवाज़ गूंजती थी और वह थी टीवी पर भगवान श्रीराम की।
जिनके घर में टीवी नहीं भी होता था वे भी दूसरों के घरों में टीवी देखने जाया करते थे। गाँव में एक या दो टीवी होते थे इस कारण जिनके घर में टीवी होता था वहां तो मानो मेला सा लग जाता था। घरवाले भी किसी को रामायण देखने से मना नहीं करते थे लेकिन बस एक शर्त होती थी कि सीरियल के बीच में कोई कुछ नहीं बोलेगा क्योंकि सभी सीरियल का एक-एक शब्द ध्यान से सुनते थे। यहाँ तक कि रामायण के समाप्त होने के बाद उसका भजन खत्म होने तक सब टीवी से ही चिपके रहते थे तथा वह भजन सभी मिलकर गाया करते थे।
रामायण के समाप्त होते ही लोग उसकी चर्चा में लग जाते थे, गली कूचों में उसी की चर्चा हुआ करती थी व साथ में शुरू होती थी अगले रविवार की प्रतीक्षा। लोगों के दिलों में यह रामायण इतनी ज्यादा घर कर गई थी कि उसके शुरू होते ही लोग टीवी की आरती उतारने लगते व उसकी पूजा करते।
उसमें मुख्य भूमिका निभाने वाले भगवान श्रीराम व माता सीता के रूप में अरुण गोविल व दीपिका चिखलिया भी लोगों के लिए पूजनीय बन चुके थे। वे अब जहाँ भी जाते तो बच्चे बूढ़े सब उनके चरण स्पर्श करते। शुरू में तो उन दोनों कलाकारों को थोड़ा असहज लगा लेकिन उन्होंने अब इसे अपनी नियति मान लिया था। रामायण के हर एक कलाकार व निर्देशक रामानंद सागर जी का जीवन अब पूरी तरह बदल चुका था।
मुझे आज भी याद है वह सीन जब भगवान श्रीराम को वनवास मिला तब सब कैसे रो पड़े थे किंतु उससे भी ज्यादा रोए तब जब भगवान श्रीराम व लक्ष्मण मेघनाथ से युद्ध करते हुए नागपाश में बंधकर मुर्छित हो गए थे। यह पहला ऐसा सीन था जब सब जगह कोहराम मच गया था व सब जगह इतनी बेचैनी फैल गई कि पूछो मत। स्वयं रामानंद सागर जी को आगे आकर लोगों को समझाना पड़ा था।
जब रामायण का अंतिम एपिसोड आया था तब पूरे भारतवर्ष में एक उदासी सी छा गई थी। यहाँ तक कि रामायण में भूमिका निभाने वाले, उनकी टीम के सदस्य इत्यादि सब उदास थे किंतु उसका अंतिम एपिसोड 31 जुलाई 1988 को प्रसारित किया गया।
लोगों के द्वारा मिले अपार प्रेम व स्नेह के कारण इसे फिर से सन 2000 में स्टार प्लस व स्टार उत्सव पर प्रसारित किया गया था। इसके बाद इसे कुछ वर्षों बाद फिर से प्रसारित किया गया था। हाल ही में जब कोरोना वायरस के कारण भारत में लॉकडाउन लगा तब भारत सरकार ने इसे फिर से दूरदर्शन पर प्रतिदिन दो बार सुबह व शाम 9 बजे प्रसारित करवाया।
आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन इस धारावाहिक को 30 वर्षों से ज्यादा बीत जाने के पश्चात भी फिर से भारत देश के लोगों द्वारा इतना पसंद किया गया कि इसने सभी प्राइवेट चैनलों के रिकॉर्ड तोड़ दिए व एक बार फिर से इसे करोड़ों घरों में देखा गया। आज भी सभी नई रामायण इस पुरानी रामायण (Purani Ramayan) के आगे फीकी पड़ जाती है।
पुरानी रामायण से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: रामायण का पहली बार प्रसारण कब हुआ था?
उत्तर: रामायण का पहली बार प्रसारण 25 जनवरी 1987 को दूरदर्शन चैनल पर हुआ था।
प्रश्न: रामायण का पहला प्रसारण टीवी पर कब हुआ था?
उत्तर: रामायण का पहला प्रसारण टीवी पर 25 जनवरी 1987 को हुआ था। उस समय यह दूरदर्शन चैनल पर आया करती थी।
प्रश्न: रामायण किस वर्ष बनी थी?
उत्तर: पुरानी रामायण वर्ष 1987 में बनी थी और टीवी पर वर्ष 1987 से लेकर 1988 तक प्रसारित हुई थी।
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