उड़ीसा राज्य में स्थित भव्य कोणार्क मंदिर के बारे में तो सभी जानते होंगे लेकिन क्या आपने गुजरात में स्थित मोढेरा सूर्य मंदिर (Modhera Surya Mandir) के बारे में सुना है? यह मंदिर इतना भव्य है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी एक विडियो में इस मंदिर की भव्यता को दर्शाया है। इसकी उत्कृष्ट स्थापत्यकला के कारण इसे गुजरात का खजुराहो मंदिर भी कहते हैं।
इस मंदिर का निर्माण सूर्यवंशी राजा भीमसेन प्रथम ने 1026 ईसवीं में करवाया था। इस स्थान का संबंध भगवान श्रीराम से भी है। वहीं अन्य मंदिरों की तरह ही इस मंदिर पर भी मुस्लिम आक्रांताओं ने भीषण आक्रमण किया था। आज हम आपको सूर्य मंदिर गुजरात (Surya Mandir Gujarat) का संपूर्ण इतिहास, महमूद गजनी का आक्रमण व इसकी भव्यता के बारे में बताएँगे।
Modhera Surya Mandir | मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात
भारत देश का हरेक प्राचीन मंदिर अपने आप में उत्कृष्ट है और इसी कड़ी में एक मंदिर है गुजरात का सूर्य मंदिर। यह मंदिर इस तरह से बनाया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करती है और फिर पूरे मंदिर को रोशन कर देती है। दूसरी बात जो इसे अद्भुत बनाती है, वह यह है कि यहाँ कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है।
सूर्य मंदिर मोढेरा (Surya Mandir Modhera) की सुंदरता बारिश के मौसम में और ज्यादा बढ़ जाती है जब मंदिर के चारों ओर का वातावरण हरा भरा और आनंदमय हो जाता है। हालाँकि एक समय पहले दुष्ट मुस्लिम आक्रांता महमूद गजनवी ने इस मंदिर को तहस नहस कर दिया था और बहुत रक्तपात मचाया था। उसके बाद से इस मंदिर में कभी पूजा नहीं की गई।
आज हम आपके साथ सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हरेक महत्वपूर्ण जानकारी सांझा करने वाले हैं। इसमें आपको सूर्य मंदिर मोढेरा का इतिहास, सरंचना, आक्रमण, वर्तमान स्थिति, यात्रा का सही समय, टिकट का मूल्य व आसपास दर्शनीय स्थल इत्यादि के बारे में जानने को मिलेगा।
मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास
11वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में सोलंकी राजा भीमसेन प्रथम का शासन था। वे एक सूर्यवंशी राजा थे जिनके कुलदेवता भगवान सूर्यदेव थे। इसलिए उन्होंने सूर्यदेव का एक विशाल मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। इसके लिए भगवान श्रीराम से संबंधित मोढेरा भूमि को चुना गया।
इसके बाद राजा भीमसेन के नेतृत्व में मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। सन 1026 ईसवी में मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका था। मंदिर को मुख्यतया दो भागों में विभाजित किया गया था जिसमें एक गूढ़मंडप (गर्भगृह) था व दूसरा सभामंड़प। आइए मंदिर की निर्माण शैली व सरंचना के बारे में जाने।
सूर्य मंदिर मोढेरा की सरंचना
सूर्य मंदिर मोढेरा की सरंचना को मुख्यतया ईरानी शैली में बनवाया गया था। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके निर्माण में कहीं भी चूने का प्रयोग नही किया गया है। मंदिर की पूरी आकृति कमल के पुष्प के निचले भाग के जैसी बनाई गई है क्योंकि भगवान सूर्य इसी पर विराजमान होते हैं।
मंदिर में पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेगी जो कि बलुआ पत्थरों से निर्मित है। इसके दोनों ओर सुंदर उद्यान बने हुए हैं। मंदिर की सरंचना को हम 3 भागों में विभाजित कर सकते हैं, एक गर्भगृह, दूसरा सभामंड़प व तीसरा सूर्यकुंड।
मोढेरा सूर्य मंदिर का गर्भगृह
गर्भगृह मंदिर का केंद्र होता है जहाँ भगवान की मुख्य मूर्ति स्थापित होती है। इस मंदिर को बनवाते समय यह ध्यान रखा गया था कि सूर्योदय के समय पहली किरण मोढेरा सूर्य मंदिर (Modhera Surya Mandir) के गर्भगृह में प्रवेश करे व उसके बाद संपूर्ण मंदिर में फैले। इसलिए सूर्योदय के समय पहली किरण गर्भगृह में प्रवेश करती है और उसके बाद ही मंदिर के आसपास अपनी रोशनी बिखेरती है।
मंदिर के गर्भगृह की लंबाई 51 फुट व 9 इंच तथा चौड़ाई 25 फुट व 8 इंच है। गर्भगृह में भगवान सूर्यदेव को समर्पित मूर्ति स्थापित थी व चारों ओर अन्य ग्रहों और देवताओं के चित्र व भित्तियां थी।
सूर्य मंदिर गुजरात के सभामंड़प
सूर्य मंदिर का निर्माण इतना भव्य है कि इसे बनाते समय सूर्य की ब्रह्मांड में स्थिति और उस पर पड़ते विभिन्न प्रभावों को ध्यान में रखा गया है। कुछ ऐसा ही दृश्य सूर्य मंदिर गुजरात के सभामंड़प में भी दिखाई देता है जिसे रंगमंडप या विश्राममंडप भी कह देते हैं।
यहाँ वर्ष के 52 सप्ताहों को प्रदर्शित करने के लिए 52 विशाल स्तंभ बनाए गए हैं। यह स्तंभ इतने विस्मयकारी हैं कि इन्हें नीचे की ओर देखने से यह अष्टकोणीय दिखाई पड़ते हैं तो ऊपर की ओर देखने से गोलाकार।
साथ ही इन स्तंभों पर रामायण व महाभारत काल से जुड़ी विभिन्न घटनाओं के भित्तिचित्र अंकित हैं। साथ ही कई अन्य कथाओं के भित्ति चित्र भी इन स्तंभों पर बनाए गए हैं जो मंदिर को आश्चर्यजनक रूप से पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनाते हैं। इन स्तंभों पर केवल पौराणिक कथाओं के भित्तिचित्र ही नही बल्कि उस समयकाल की वेशभूषा, आभूषण, औषधीय पौधे, अस्त्र-शस्त्र इत्यादि को दर्शाया गया है।
सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात का सूर्यकुंड
सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात का सूर्यकुंड भी इसका आकर्षण और बढ़ा देता है। इसे रामकुंड या मोढेरा सूर्य मंदिर का जलाशय भी कहा जाता है। सूर्यकुंड में नीचे तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है। यहाँ पर 108 देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर बनाए गए हैं। यह कुंड आयताकार आकर में है जिसके चारों कोणों में मुख्य मंदिर है।
दो कोणों में भगवान गणेश और भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है। एक कोने में भगवान शिव की तांडव नृत्य करती हुई मूर्ति है जो गर्भगृह की ओर मुहं की हुई है। सबसे रोचक बात यह है कि चारों मंदिरों से कुंड की ओर नीचे जाने वाली सीढ़ियों को उन भगवानों की मुद्राओं के अनुसार बनाया गया है। इस तरह यह सीढ़ियाँ सामान्य ना होकर लयबद्ध तरीके से बनाई गई है।
इन सीढ़ियों का एक हिस्सा सभामंडप की ओर जाता है जहाँ पर ऊपर की 12 सीढ़ियों पर 12 स्तंभ बने हुए हैं जिन्होंने सूर्य मंदिर को घेरा हुआ है। इन स्तंभों पर बनी आकृतियाँ सूर्य के 12 रूपों को दर्शाती है अर्थात 12 माह के अनुसार सूर्य के 12 रूप।
महमूद गजनी का मोढेरा सूर्य मंदिर पर आक्रमण
7वीं व 8वीं शताब्दी का समय ऐसा था जब मुगलों की बर्बर सेना के द्वारा भारत की पश्चिमी सीमा पर भीषण हमले शुरू हो चुके थे। इन हमलों में गांधार प्रांत (वर्तमान अफगानिस्तान) व सिंध प्रांत (वर्तमान पाकिस्तान) पर हिंदू राजा नष्ट हो चुके थे या नष्ट होने की स्थिति में थे। साथ ही वहां पर हिंदू, जैन व बौद्ध धर्म मानने वालों का व्यापक नरसंहार हो चुका था।
इसके बाद महमूद गजनी के नेतृत्व में उसकी सेना सिंधु नदी पार करके भारत की मुख्य भूमि तक पहुँच चुकी थी। वे सीमापार से आते और भयंकर लूटपाट मचाते। उनका मुख्य निशाना भारत के मंदिर हुआ करते थे क्योंकि वहां से उन्हें अथाह धन-संपदा मिलती और साथ ही हिंदू मंदिरों को नष्ट कर वे हिंदू सभ्यता को मिटाना चाहते थे।
इतिहास में महमूद गजनी के द्वारा सोमनाथ मंदिर पर हुआ आक्रमण कौन भूल सकता है!! उस आक्रमण में उसने सोमनाथ में स्थित पवित्र ज्योतिर्लिंग तक को खंडित कर दिया था। ऐसा ही एक आक्रमण उसने मोढेरा के सूर्य मंदिर पर भी किया था। इस आक्रमण में उसने मंदिर की रक्षा कर रहे असंख्य सिपाहियों, पुराहितों, पंडितों व लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसी के साथ उसने मंदिर को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था और सूर्य भगवान की मुख्य मूर्ति तक को तोड़ दिया था।
सूर्य मंदिर मोढेरा में नही होती है अब पूजा
महमूद गजनी ने सूर्य मंदिर मोढेरा (Surya Mandir Modhera) पर जो आक्रमण किया था, वह वहां के लोगों के मन पर गहरा आघात करके गया। महमूद गजनी की सेना ने मंदिर के हर एक स्तम्भ, भित्तिचित्र सभी को नुकसान पहुँचाया था। वहां की धरती को हिंदुओं के रक्त से लाल कर दिया था और गर्भगृह में स्थित सूर्य भगवान की मुख्य मूर्ति तक तोड़ डाली थी।
इसके बाद आज तक उस मंदिर में पुनः पूजा नही की गई। अब वह मंदिर केवल आक्रांता महमूद गजनी की बर्बादी के निशान दिखाता है। हालाँकि बाद के राजाओं ने पुनः मंदिर का पुनर्निर्माण करवाने का प्रयास किया लेकिन भारत की सीमा तब निरंतर दुश्मनों के आक्रमण झेल रही थी। फिर 12वीं शताब्दी आते-आते भारत के सबसे बड़े राजा पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी के षड़यंत्र में आकर हार गए और भारत देश पर मुगलों का आधिपत्य हो गया था।
वर्तमान में सूर्य मंदिर गुजरात की स्थिति
सूर्य मंदिर गुजरात (Surya Mandir Gujarat) को बहुत जगह से तोड़ा गया था। आपको वहां मुगलों की बर्बरता के कई निशान टूटी हुई मूर्तियों और बिगाड़ दी गई नक्काशियों के रूप में मिल जाएंगे लेकिन फिर भी यह मंदिर अपने आप में अद्भुत है। मुख्यतया वर्षा ऋतु में तो यहाँ की सुंदरता देखते ही बनती है।
प्रधानमंत्री ने वर्षा ऋतु के समय का ही इस मंदिर का वीडियो हम सभी के साथ साँझा किया था। इस समय मंदिर की सीढ़ियों से पानी झरने की तरह नीचे बहता है और मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लगा देता है। आज भी इस मंदिर को देखने देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग हर वर्ष पहुँचते हैं और इसकी सुंदरता को बस देखते ही रह जाते हैं।
इसलिए यदि आपका भी कभी गुजरात या इसके आसपास जाने का कार्यक्रम बने तो इस मंदिर को भी अवश्य देखकर आइएगा। मंदिर को देखकर आप हमारे पूर्वजों का महान इतिहास, उनकी वास्तु शैली और साथ में मुगलों की बर्बरता एक साथ देख पाएंगे।
वर्ष 2014 में मोढेरा सूर्य मंदिर को विश्व धरोहरों की सूची में सम्मिलित किया जा चुका है। साथ ही अब यह मंदिर भारतीय पुरात्व विभाग के अंतर्गत आता है। पुरात्व विभाग के द्वारा मंदिर की देखरेख का कार्य किया जाता है और उसके कुछ हिस्सों की मरम्मत भी करवाई गई है।
सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात की विशेषताएं
जो यहाँ होकर आ चुके हैं उन्हें इस मंदिर की सुंदरता और भव्यता का अच्छे से अंदाजा है। उनके अनुसार मंदिर के अंदर प्रवेश करने से लेकर गर्भगृह तक का मार्ग उन्हें मृत्यु से मोक्ष तक का मार्ग लगा। चलिए इसके बारे में हम अपने अनुभव को आपके साथ साँझा करने का प्रयास करते हैं।
प्रकृति के बीच बसे इस गाँव में प्रवेश करने पर ही आपको सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात की सुंदरता (Surya Mandir Modhera Gujarat) का अनुभव हो जाएगा। मंदिर के आसपास का वातावरण शांति से भरा हुआ है। मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए आपको सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेगी और सबसे पहले आप अपने सामने सूर्यकुंड को पाएंगे।
इस सूर्यकुंड के दोनों ओर विशाल उद्यान देखने को मिलेंगे। सूर्य कुंड से आगे जाने पर आपको 52 स्तंभों पर खड़ा सभा मंडप दिखाई देगा। यह सभामंडप एक समय में श्रद्धालुओं, भक्तों, पंडितों, पर्यटकों इत्यादि के लिए सभा ग्रह, प्रार्थना स्थल, विश्राम ग्रह, रंगमंच, कार्यक्रम या उत्सव के आयोजन के लिए उपयोग में आता था।
इससे आगे जाने पर आप मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे। गर्भगृह में प्रवेश करने पर सूर्य देव की मूर्ति तो आपको नही दिखेगी लेकिन भव्यता वैसी ही मिलेगी। मान्यता है कि उस समय में राजा भीमसेन के द्वारा गर्भगृह में सूर्य देव की मूर्ति को इस तरह स्थापित किया गया था कि सूर्य की पहली किरण भगवान सूर्य देव की मूर्ति के शीर्ष पर जड़ित हीरे पर पड़ती थी। उस प्रकाश में संपूर्ण मंदिर सुनहरे प्रकाश में नहा जाता था।
अब हम बस केवल यह कल्पना कर सकते हैं क्योंकि विदेशी आक्रांताओं ने सबकुछ तहस-नहस करके रख दिया। हालाँकि मंदिर के चारों ओर 12 स्तंभों पर सूर्य देव की 12 आकृतियाँ आपको दिखाई देंगी जो 12 माह के अनुसार सूर्य देव की विभिन्न स्थितियों को प्रदर्शित करती हैं।
मंदिर के स्तंभों पर इतनी बारीकी से और सुंदर नक्काशी की गई है कि पूछो मत। इन्हें ध्यान से देखने में लगभग पूरा दिन ही लग जाए। इसलिए आप सूर्य मंदिर को शांति से अच्छी तरह से देखना चाहते हैं तो एक पूरा दिन इसको दें।
सूर्य मंदिर मोढेरा के आसपास की सुंदरता
यह शहरी जीवन और आधुनिकता से दूर जंगलों में बसा हुआ एक गाँव है। चारों ओर पेड़-पौधे, पक्षियों की चहचहाने की आवाज, हरियाली, बगीचे, हरे-भरे फूलों के बीच पुष्पावती नदी के किनारे बसा है यह सूर्य मंदिर।
यहाँ इतनी शांति है कि पूछो मत। यदि आप भी अपनी भागती-दौड़ती जिंदगी से दूर, शांति और सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं तो आपको प्रकृति के बीच बसे इस गाँव और मंदिर में अवश्य जाना चाहिए। यहां जाकर आप अपने आप में एक बदलाव अनुभव करेंगे।
मंदिर के चारों ओर घूमने से आप अपने अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा को पाएंगे क्योंकि यहाँ आपको पृथ्वी के पंचतत्वों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी व आकाश) का आभास होगा और आप उनकी ऊर्जा को अपने अंदर भी पाएंगे। यह आपको प्रकृति और वातावरण के और करीब ले जाएगा और आपकी आत्मा को शांति प्रदान करेगा।
क्यों कहते हैं मोढेरा सूर्य मंदिर को गुजरात का खजुराहो मंदिर
मध्यप्रदेश में स्थित खजुराहो मंदिर केवल देश में ही नही अपितु विदेश में भी बहुत प्रसिद्ध है। इसका मुख्य कारण इसकी दीवारों पर की गई असंख्य नक्काशियां है जो सभी को अपनी ओर खींच ले आती है। यह नक्काशी इतनी बारीकी से की गई है कि इन्हें बस देखते रहने का ही मन करता है।
कुछ ऐसी ही बात है गुजरात के मोढेरा सूर्य मंदिर (Modhera Surya Mandir) में। यहाँ स्थित 52 स्तंभों में भी ऐसी ही नक्काशियां की गई है जिसमें रामायण, महाभारत व अन्य धार्मिक कथाओं के चित्र दीवारों पर उकेरे गए हैं। इसी कारण इसे गुजरात का खजुराहो मंदिर कहते हैं।
पुराणों व श्रीराम से मोढेरा सूर्य मंदिर का संबंध
इस जगह का उल्लेख स्कंद पुराण व ब्रह्म पुराण में किया गया है। त्रेता युग में इस जगह को धर्मरन्य के नाम से जाना जाता था। जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था तब उनके ऊपर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था क्योंकि रावण एक ब्राह्मण था।
इस पाप से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम ने अपने कुलगुरु वशिष्ठ से कोई उपाय माँगा था। तब गुरु वशिष्ठ ने उन्हें धर्मरन्य क्षेत्र में अपनी आत्मा की शुद्धि करने और पाप से मुक्ति पाने के लिए कहा था। इसके बाद श्रीराम ने इस क्षेत्र में आकर प्रायश्चित किया था और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी।
आज उसी क्षेत्र को मोढेरा के नाम से जाना जाता है जहाँ राजा भीमसेन प्रथम ने सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। इसलिए इस क्षेत्र की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है।
सूर्य मंदिर गुजरात कब जाएं?
अब बहुत लोग सूर्य मंदिर गुजरात कब जाएं और कब नहीं, इसके बारे में सोच रहे होंगे। वैसे तो आप पूरे साल में कभी भी यहाँ जा सकते हैं लेकिन गर्मियों के मौसम में यहाँ जाना सही नही रहेगा।
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गर्मियों में – अप्रैल से जुलाई
अप्रैल से लेकर जुलाई के महीनों में यहाँ तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुँच जाता है और यह भीषण गर्मी का मौसम होता है। यदि आप इन महीनों के बीच में यहाँ जाएंगे तो ठीक से प्रकृति का आनंद नही उठा पाएंगे।
फिर भी कई लोग इन महीनों में भी यहाँ आते हैं। इसके कुछ कारण हो सकते हैं जैसे कि इन महीनों में भीड़ बहुत कम होती है और शांति ज्यादा। साथ ही पर्यटकों की कमी से यहाँ आने-जाने और रहने के लिए सस्ते में चीज़े उपलब्ध होती है। बाकि सभी के अपने-अपने कारण हो सकते हैं जैसे कि बच्चों की छुट्टियाँ इत्यादि।
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मानसून में – अगस्त से सितंबर
मानसून के मौसम में यहाँ मौसम बहुत सुहाना हो जाता है। यदि आपको मानसून पसंद है तो अगस्त-सितंबर के महीनो में आपको यहाँ आना चाहिए लेकिन इस दौरान आपको अपना ध्यान भी रखना पड़ेगा। लगातार हो रही बारिश से मंदिर की सीढ़ियाँ फिसलन भरी हो सकती है। साथ ही जंगल से घिरा होने के कारण आसपास कीट-पतंगों, मच्छरों इत्यादि की संख्या भी बढ़ जाती है।
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सर्दियों में – अक्टूबर से मार्च
मोढेरा सूर्य मंदिर को घूमने के लिए सबसे सही और उत्तम महीने जो माने जाते हैं और जिस समय पर्यटकों की बहुत भीड़ भी यहाँ आती है वह है अक्टूबर से लेकर मार्च तक। इस समय यहाँ का मौसम बहुत आनंद देने वाला होता है और आप आराम से किसी भी समय मंदिर को घूम सकते हैं।
अब बात करते हैं आप दिन में किस समय यहाँ जाएं। यदि आप मंदिर की भव्यता को करीब से देखना चाहते हैं तो आपको सुबह-सुबह जल्दी जाना चाहिए। सुबह सूर्योदय के समय मंदिर पर पड़ती सूर्य की किरणे और चारों ओर फैलता उसका प्रकाश आपके मन को आनंदित कर देगा।
इसलिए आप सुबह के समय 7 बजे तक यहाँ पहुँच जाएं। मंदिर घूमने में सामान्यतया 2 घंटे का समय लगता है लेकिन यदि आप मंदिर को बारीकी से और शांति से देखना चाहें तो आपको यहाँ पूरा दिन देना पड़ेगा। इसके साथ ही एक चीज़ और है जो आप बस वर्ष में एक बार ही यहाँ देख सकते हैं और वह है मोढेरा नृत्य महोत्सव। आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।
मोढेरा नृत्य उत्सव
यह गुजरात सरकार के द्वारा हर वर्ष जनवरी माह में उत्तरायण के बाद मोढेरा सूर्य मंदिर (Modhera Surya Mandir) में तीन दिन के लिए आयोजित किया जाने वाला एक नृत्य महोत्सव है। इसलिए इसे मोढेरा नृत्य महोत्सव के नाम से जाना जाता है। उत्तरायण पर्व को गुजरात में मुख्य रूप से आयोजित किया जाता है जिस दिन सूर्य भगवान छह माह बाद दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा में प्रवेश करते हैं। इस समय देश के विभिन्न भागों में मकर संक्रांति, लोहड़ी, बिहू, माघी, शक्रैन, पतंग उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है।
यह उत्सव जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है। इसमें देश-विदेश के कई नृतक अपनी प्रस्तुतियां देते हैं जिन्हें देखने भारी संख्या में लोगों की भीड़ यहाँ पहुँचती है। इसलिए यदि आप भी मंदिर की सुंदरता के साथ-साथ इस नृत्य उत्सव का आनंद उठाना चाहते हैं तो जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में यहाँ होकर आएं।
मोढेरा सूर्य मंदिर खुलने का समय
वैसे तो इसके खुलने का समय प्रातः 7 बजे के आसपास और बंद होने का समय संध्या 7 से 8 बजे के बीच का है लेकिन यह मौसम के अनुसार बदलता रहता है। आप इसके खुलने और बंद होने का समय सूर्योदय व सूर्यास्त से ले सकते हैं।
कहने का तात्पर्य यह हुआ कि गर्मियों में मंदिर शाम में 7 या 8 बजे के आसपास बंद हो जाता है जबकि सर्दियों में शाम 6 बजे के आसपास क्योंकि उस समय अँधेरा जल्दी हो जाता है। सुबह खुलने का समय गर्मियों में 6 बजे के आसपास और सर्दियों में 7 बजे के पास का होता है।
मोढेरा का सूर्य मंदिर कहां है?
गुजरात का यह सूर्य मंदिर वहां के मेहसाणा जिले में स्थित है। मेहसाणा जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर मोढेरा नामक गाँव है जहाँ पर यह सूर्य मंदिर बना हुआ है। इस कारण इसे मोढेरा मंदिर भी कह दिया जाता है। मेहसाणा जिले से मोढेरा गाँव का मार्ग बहुत ही हरा भरा है जहाँ की यात्रा मन को बहुत ही आनंद देती है। सूर्य मंदिर मोढेरा (Surya Mandir Modhera) गाँव में पुष्पवती नदी के किनारे स्थित है।
अब यदि आप सूर्य मंदिर घूमने जाने का सोच रहे हैं तो हम आपको सूर्य मंदिर गुजरात पहुँचने के तीनों रास्तों के बारे में बता देते हैं। आइए जाने कैसे आप गुजरात के सूर्य मंदिर पहुँच सकते हैं।
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हवाईजहाज के द्वारा
यदि आप हवाईजहाज से यहाँ जा रहे हैं तो सबसे पास का हवाईअड्डा सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा, अहमदाबाद है। यह मोढेरा गाँव से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ से 2 घंटे में मंदिर पहुंचा जा सकता है।
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रेलगाड़ी के द्वारा
यदि आप रेल मार्ग से यहाँ जा रहे हैं तो पास का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन अहमदाबाद रेलवे स्टेशन ही है। इसके बाद आप मेहसाणा या बेचराजी रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं। बेचराजी रेलवे स्टेशन मंदिर के सबसे पास वाला रेलवे स्टेशन है जहाँ से मंदिर लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। आप चाहें तो अहमदाबाद से सड़क मार्ग के द्वारा भी मंदिर पहुँच सकते हैं।
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सड़क मार्ग से
आपको अहमदाबाद या मेहसाणा से कई बस मिल जाएँगी जो मोढेरा गाँव तक पहुंचा देगी। यदि आप खुद के वाहन से यहाँ जा रहे हैं तो सबसे पहले मेहसाणा पहुंचे। यहाँ से मंदिर की दूरी 26 किलोमीटर है जिसका रास्ता इस प्रकार है:
- पश्चिम दिशा में नागलपुर सड़क की ओर चलें और फिर दाएं मुड़ें।
- लगभग 700 मीटर चलने के पश्चात मोढेरा सड़क के लिए बाएं मुड़ें।
- मोढेरा सड़क आपको सीधे मंदिर तक ले जाएगी।
- इस मार्ग में आपको बायीं ओर स्वामीनारायण मंदिर, दाईं ओर हवा महल मोढेरा दिखाई देगा।
तो कुछ इस तरह से आप गुजरात के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर पहुँच सकते हैं और वहां घूम सकते हैं। वहां जाकर आपको टिकट भी लेनी होगी जिसके बारे में हम आपको नीचे बताने वाले हैं।
सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात का टिकट
सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात का टिकट भारतीयों के लिए 25 रुपए है और विदेशियों के लिए 300 रुपए। जबकि यदि आप ऑनलाइन टिकट बुक करवाते हैं तो भारतीयों के लिए 20 रुपए और विदेशियों के लिए 250 रुपए है।
भारत सरकार ने ऑनलाइन लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन टिकट के मूल्य में कमी की हुई है। ऐसे में यह आप पर निर्भर करता है कि आप सूर्य मंदिर की टिकट ऑनलाइन लेना चाहते हैं या फिर वहां पहुँच कर।
मोढेरा सूर्य मंदिर जाने के लिए किन बातों का रखें ध्यान
- मंदिर को दिखाने के लिए आपको आसानी से गाइड मिल जाएगा जो 250 से 300 रुपए में आपको मंदिर दिखाएगा। इसे दिखाने में वह 45 मिनट से लेकर 1 घंटे का समय लेगा। हालाँकि आप उसे थोड़ा आराम से और धीरे-धीरे समझाने का अनुरोध कर सकते हैं।
- यहाँ के गाइड आपको सब अच्छे से समझा देंगे क्योंकि उन्हें मंदिर के बारे में बहुत अच्छे से जानकारी है। इसलिए आप शुरुआत में एक गाइड करके मंदिर के बारे में अच्छे से जान सकते हैं और उसके बाद का समय खुद मंदिर को अच्छे से घूमने में बिता सकते हैं। गाइड की सुविधा आपको गुजरात सरकार के द्वारा मंदिर के पास ही उपलब्ध करवा दी जाएगी।
- जो लोग विकलांग या बुजुर्ग हैं या ज्यादा चल नही सकते हैं तो उनके लिए भी यहाँ सुविधा उपलब्ध है। ऐसे लोगों के लिए मंदिर के अंदर कुछ चार्जेज पर व्हीलचेयर की सुविधा आपको मिल जाएगी।
- मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए टिकट के साथ-साथ आपको अपना एक पहचान-पत्र भी दिखाना पड़ेगा। बिना पहचान पत्र के मंदिर में प्रवेश नही मिलेगा।
- मंदिर के अंदर खाने का कोई सामान ले जाने की मनाही है। खाने की दुकान आपको मंदिर के अंदर मिल जाएगी। साथ ही मंदिर में जगह-जगह पर कूड़ेदान की व्यवस्था है। यदि आप कूड़ा कूड़ेदान में नही फेंकते हैं तो आपके ऊपर जुर्माना तो लगेगा ही, साथ ही आपको उसी समय मंदिर से बाहर भी किया जा सकता है।
सूर्य मंदिर मोढेरा के आसपास दर्शनीय स्थल
जब आप मोढेरा सूर्य मंदिर घूमने जाएंगे तो बस एक दिन के लिए ही ना जाएं क्योंकि मंदिर के आसपास कुछ-कुछ दूरी पर आपको और भी जगह घूमने को मिलेंगी जो अपने आप में अद्भुत हैं। इन्हीं में से कुछ स्थल हैं:
- रानी की वाव
- सहस्त्रलिंग तलाव
- बहुचरा माता मंदिर, बेचराजी
- पंचासरा पार्श्वनाथ जैन मंदिर, पाटण
- सिद्धपुर
ऐसे में आप यहाँ जाते समय केवल एक ही मंदिर के दर्शन नहीं करेंगे बल्कि उसके साथ कुछ और दर्शनीय स्थल भी कवर हो जाएंगे। इसके लिए आपको एक से दो दिन का ही समय लगेगा और इतने में यह सभी स्थल आराम से कवर हो जाएंगे।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने मोढेरा सूर्य मंदिर (Modhera Surya Mandir) के बारे में हरेक महत्वपूर्ण जानकारी ले ली है। आज के समय में देश के लोग उन जगहों पर भी जाने लगे हैं जो अभी तक आकर्षण का केंद्र नहीं रहे थे या जिन्हें इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया था। उसी में एक है मोढेरा सूर्य मंदिर जो किसी आकर्षण से कम नहीं है। ऐसे में अगली बार जब आप गुजरात जाएं तो इस अद्भुत सूर्य मंदिर के दर्शन अवश्य करें।
सूर्य मंदिर मोढेरा गुजरात से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मोढेरा सूर्य मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर: मोढेरा सूर्य मंदिर अपनी उत्कृष्ट स्थापत्य कला, अद्भुत नक्काशी व डिजाईन के कारण प्रसिद्ध है। मानसून के समय तो इसका आकर्षण और भी बढ़ जाता है।
प्रश्न: गुजरात में कौन सा सूर्य मंदिर स्थित है?
उत्तर: गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा गाँव में सूर्य मंदिर स्थित है जो लोगों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
प्रश्न: क्या मोढेरा सूर्य मंदिर विश्व धरोहर स्थल है?
उत्तर: हां, मोढेरा सूर्य मंदिर विश्व धरोहर स्थल है और यह यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के अंतर्गत आता है।
प्रश्न: मोढेरा सूर्य मंदिर में मूर्ति क्यों नहीं है?
उत्तर: मोढेरा सूर्य मंदिर में मूर्ति इसलिए नहीं है क्योंकि एक समय पहले मुस्लिम आक्रांताओं ने इस पूरे मंदिर को मूर्ति सहित तोड़ डाला था। उसके बाद से यहाँ पर कभी पूजा नहीं की गई।
प्रश्न: मोढेरा सूर्य मंदिर जाने के लिए कितना समय चाहिए?
उत्तर: वैसे तो आप मोढेरा सूर्य मंदिर को एक से दो घंटे में घूम सकते हैं लेकिन यदि आपको यहाँ की सुंदरता का सही से आनंद लेना है तो उसके लिए पूरा दिन भी कम पड़ जाएगा।
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