रामायण में हनुमान जी के द्वारा अहिरावण वध (Ahiravan Vadh) करने की कथा बहुत ही रोचक है। दरअसल यह उस समय की बात है जब प्रभु श्रीराम व रावण का भीषण युद्ध चल रहा था। इसमें एक-एक करके रावण के सभी शक्तिशाली योद्धा, पुत्र, भाई-बंधु मारे जा रहे थे। जब रावण का अति-शक्तिशाली तथा पराक्रमी पुत्र मेघनाद भी मारा गया तब रावण गहन चिंता में डूब गया था।
अब रावण के पास कोई भी शक्तिशाली योद्धा नहीं बचा था। ऐसे में उसे अपने भाई अहिरावण की याद आई जो पाताल लोक का राजा था। अहिरावण बहुत बड़ा मायावी था जो कब शत्रु पर घात कर दे, इसका पता ही नहीं चलता था। ऐसे में उसने श्रीराम और लक्ष्मण का युद्ध के बीच में ही हरण कर लिया था।
इसके फलस्वरूप अहिरावण और हनुमान जी का युद्ध (Ahiravan Hanuman Yudh) हुआ जिसमें हनुमान जी का एक नया स्वरुप प्रचलन में आया। इस रूप को हम पंचमुखी हनुमान जी के नाम से जानते हैं। वहीं इस युद्ध में हनुमान की भेंट अपने पुत्र मकरध्वज से भी हुई थी। अहिरावण द्वारा राम लक्ष्मण हरण से लेकर हनुमान से उसका युद्ध और अंत में उसके वध की पूरी कहानी ही बहुत रोचक है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
Ahiravan Vadh | अहिरावण वध
रावण ने अहिरावण को अपनी सहायता करने के लिए तुरंत बुलावा भेज दिया तथा लंकेश की आज्ञा पाकर वह जल्दी से लंका पहुँच भी गया। विभीषण को अपने गुप्त सूत्रों से पता चल गया था कि रावण ने अहिरावण को बुलावा भेजा है जो अत्यंत मायावी राक्षस था। इसलिए उसे प्रभु श्रीराम तथा लक्ष्मण की सुरक्षा की चिंता सताने लगी।
विभीषण ने श्रीराम तथा लक्ष्मण की सुरक्षा करने के उद्देश्य से हनुमान को सबसे उपयुक्त समझा तथा उन्हें श्रीराम की सुरक्षा में तैनात किया। श्रीराम तथा लक्ष्मण सुबेल पर्वत पर अपनी कुटिया में सो रहे थे तथा बाहर हनुमान पहरा दे रहे थे। हनुमान ने कुटिया के चारों ओर सुरक्षा का अभेद्य घेराव बना दिया था जिसके अंदर किसी मायावी शक्ति का प्रवेश करना असंभव था।
अहिरावण ने धरा विभीषण का रूप
जब अहिरावण भगवान श्रीराम तथा लक्ष्मण का अपहरण करने पहुँचा तब वह कुटिया के अंदर प्रवेश करने में असमर्थ था। ऐसे में उसने एक चाल सोची तथा विभीषण का भेष बनाकर हनुमान के पास गए। हनुमान उसकी चाल में फंस गए तथा उसे कुटिया में प्रवेश दे दिया। अंदर पहुँचकर अहिरावण ने श्रीराम व लक्ष्मण का पत्थर की शिला सहित अपहरण कर लिया तथा तेज गति से उन्हें पाताल लोक ले गए।
हनुमान मकरध्वज युद्ध
विभीषण को इस दुःखद घटना का समाचार जैसे ही मिला तो उन्होंने हनुमान को जल्द से जल्द पाताल लोक जाकर श्रीराम व लक्ष्मण की सहायता करने को कहा। यह सुनकर हनुमान अपनी तेज गति से पाताल लोक के लिए उड़ गए।
पाताल लोक के द्वार पर हनुमान की भेंट अपने पुत्र मकरध्वज से हुई जो वहाँ का सुरक्षा प्रहरी था। अपने पिता को सामने देखकर भी उसने अपनी स्वामी भक्ति नहीं छोड़ी। तब दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ जिसमें अंततः हनुमान की जीत हुई। हनुमान ने उसे वहीं बंदी बना लिया तथा पाताललोक में प्रवेश किया।
अहिरावण और हनुमान जी का युद्ध
अंदर पहुँचकर हनुमान ने देखा कि श्रीराम तथा लक्ष्मण मूर्छित अवस्था में मायावी देवी के सामने पड़े हैं तथा अहिरावण उनकी बलि की तैयारी कर रहा है। अहिरावण ने माँ देवी की प्रतिमा के सामने पाँच दिशाओं में पाँच दीप जला रखे थे। इन सभी दीपों को एक साथ एक ही समय में बुझाने पर ही अहिरावण की मृत्यु संभव (Ahiravan Hanuman Yudh) थी।
इसलिए हनुमान जी ने अपना पंचमुखी हनुमान का रूप धारण किया तथा एक साथ पाँचों दीपक बुझा दिए। पाँचों दीप के बुझते ही अहिरावण का सुरक्षा कवच हट गया। उसके बाद दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। कहते हैं कि इस युद्ध में अहिरावण का भाई महिरावण भी उसके साथ ही था। हनुमान जी ने कुछ ही पल में दोनों का वध कर दिया।
इस तरह से अहिरावण वध (Ahiravan Vadh) संभव हो सका था। उसके पश्चात हनुमान जी ने श्रीराम तथा लक्ष्मण को बंधनों से मुक्त किया तथा पुनः पृथ्वी लोक चले गए। जाने से पहले श्रीराम ने मकरध्वज को पाताल लोक का राजा घोषित किया और उसे धर्म के मार्ग पर चलने का परामर्श दिया।
अहिरावण वध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: अहिरावण का वध कैसे हुआ था?
उत्तर: हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर पाँचों दिशाओं में रखे दीपक को एक साथ बुझा दिया था। इसके फलस्वरूप अहिरावण का सुरक्षा कवच टूट गया और हनुमान ने उसका वध कर दिया।
प्रश्न: हनुमान जी ने अहिरावण का वध कैसे किया?
उत्तर: हनुमान जी ने अहिरावण की कुलदेवी के सामने पाँच दिशाओं में रखे दीपक को पंचमुखी रूप धारण कर बुझा दिया। इसके बाद हनुमान जी ने अपने गदा से अहिरावण का वध कर दिया।
प्रश्न: अहिरावण और महिरावण का रावण से क्या संबंध था?
उत्तर: कुछ रामायण के अनुसार अहिरावण और महिरावण रावण के सौतेले भाई थे। वे दोनों पाताल लोक पर शासन किया करते थे।
प्रश्न: अहिरावण किसका बेटा था?
उत्तर: अहिरावण महर्षि विश्रवा का बेटा बताया गया है। वह रावण का सौतेला भाई था। उसके सगे भाई का नाम महिरावण था।
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