रामायण सबसे पहले किसने लिखी थी? जाने हनुमद रामायण का इतिहास

सबसे पहले रामायण किसने लिखी थी

आपने वाल्मीकि रामायण व तुलसीदास जी की रामचरितमानस के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले रामायण किसने लिखी थी (Sabse Pahle Ramayan Kisne Likhi Thi)? हम सब यह तो भलीभांति जानते हैं कि हनुमान जी भगवान श्रीराम के बहुत बड़े भक्त थे। आज भी यदि रामभक्तों की बात की जाती है तो उसमें भक्त हनुमान जी का नाम सबसे ऊपर आता है। वह इसलिए क्योंकि हनुमान जी ने सच्चे मन व निष्ठाभाव से प्रभु श्रीराम की सेवा की थी व हर संकट में उनका साथ दिया था।

अब मूल प्रश्न पर वापस आते हैं जो है रामायण सबसे पहले किसने लिखी थी, तो इसका उत्तर है श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी ने। जी हां, त्रेता युग में महर्षि वाल्मीकि जी ने तो भगवान ब्रह्मा के द्वारा दी गई दिव्य दृष्टि और नारद मुनि के सानिध्य में रामायण की रचना की थी लेकिन उनसे पहले ही हनुमान जी ने अपनी शक्ति से श्रीराम के संपूर्ण जीवन को पत्थरों पर उकेर दिया था जिसे हम सभी हनुमान रामायण के नाम से जानते हैं।

हनुमान जी द्वारा रचित इस रामायण को हनुमद रामायण (Hanumad Ramayana) के नाम से भी जाना जाता है। अब प्रश्न यह उठता है कि हनुमान जी के द्वारा रचित वह रामायण है कहाँ और उसके पीछे का क्या रहस्य है। तो यह प्रसंग भी बहुत भावविभोर कर देने वाला है जो वाल्मीकि जी और हनुमान जी से जुड़ा हुआ है। आइए उसके बारे में जानते हैं।

सबसे पहले रामायण किसने लिखी थी?

आज के समय में श्रीराम के जीवन चरित्र को दर्शाती हुई कई रामायण लिखी गई है। इन्हें समय-समय पर कई महापुरुषों और ऋषियों ने अपने-अपने ज्ञान से अपनी-अपनी भाषा में लिखा था। इसमें से वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण व तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस विश्व प्रसिद्ध है। हालाँकि श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी ने वाल्मीकि जी से पहले ही रामायण की रचना कर दी थी और वो भी अपने नाखूनों से।

यह घटना तब की है जब श्रीराम अपने चौदह वर्ष का वनवास समाप्त कर पुनः अयोध्या लौट आए थे और उसके बाद हनुमान जी हिमालय में तपस्या करने चले गए थे। उस समय हनुमान जी ने श्रीराम की भक्ति में हिमालय की एक बड़ी सी पहाड़ी पर अपने नाखूनों की सहायता से हनुमान रामायण की रचना कर दी थी।

फिर स्वयं हनुमान जी ने ही उस पहाड़ी को ले जाकर समुंद्र में डुबो दिया था लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया? इसी प्रश्न का उत्तर आपको आज हम देंगे क्योंकि यह प्रसंग रामायण के रचनाकार वाल्मीकि जी से जुड़ा हुआ है। तो आइए हनुमान जी के द्वारा रचित हनुमद रामायण के बारे में जान लेते हैं जिसे प्रथम रामायण कहा जाता है।

  • प्रभु श्रीराम का अयोध्या लौटना

14 वर्षों के वनवास व दुष्ट रावण का वध करके प्रभु श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण, पत्नी सीता, भक्त हनुमान व कुछ अन्य लोगों के साथ वापस अयोध्या लौट आए व वहां का शासन संभाला। चारों ओर प्रभु के वापस आने की खुशी थी व अयोध्या जगमगा रही थी। इसी बीच भगवान राम ने माता सीता का त्याग कर दिया व माता सीता फिर से वनवास के लिए चली गई।

धीरे-धीरे प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में राम राज्य की स्थापना की व धर्म, सत्य व न्याय व्यवस्था को पुनर्स्थापित किया। इसी बीच हनुमान जी ने हिमालय जाकर महादेव की तपस्या करने का सोचा। इसके लिए वे अपने प्रभु श्रीराम से आज्ञा लेकर हिमालय पर्वत चले गए।

  • हनुमान जी ने की हनुमद रामायण की रचना

हिमालय पहुंचकर हनुमान जी प्रतिदिन भगवान शिव की उपासना करते किन्तु उनका प्रभु श्रीराम के प्रति प्रेम कम नही हुआ। इसी प्रेम के फलस्वरूप वे प्रतिदिन हिमालय की दीवारों पर अपने नाखूनों से श्रीराम से जुड़े प्रसंग लिखने लगे। इसी तरह उन्होंने पूरी राम कथा हिमालय की दीवारों पर उकेर दी।

हनुमान जी भगवान शिव का ही एक रूप थे और उन्हें अपनी दिव्य शक्ति व श्रीराम भक्ति के फलस्वरूप श्रीराम के जीवन में घटी हरेक घटना का ज्ञान था। इसी कारण उन्होंने श्रीराम के जीवन से जुड़े हरेक प्रसंग को बहुत ही बारीकी और सुंदरता के साथ हिमालय की एक बड़ी सी चट्टान पर लिख डाला। इसे ही हनुमान रामायण के नाम से जाना गया।

  • जब वाल्मीकि जी ने पढ़ी Hanumad Ramayana

दूसरी ओर, महर्षि वाल्मीकि जी को भगवान ब्रह्मा के आदेश पर नारद मुनि के द्वारा संपूर्ण रामायण का ज्ञान हो चुका था। ब्रह्मा जी के आदेशानुसार उन्होंने प्रभु श्रीराम के जीवन पर एक और रामायण की रचना कर दी थी। महर्षि वाल्मीकि एक महान कवि थे और उन्होंने कई रचनाएँ भी की थी। इसी क्रम में उन्होंने भगवान श्रीराम पर आधारित रामायण को छंदबद्ध रूप में लिखा।

जब उन्होंने संपूर्ण रामायण की रचना कर दी तब वे इसे भगवान शिव को दिखाने के उद्देश्य से इसे लेकर कैलाश पर्वत जाने लगे। कैलाश जाते समय बीच में वे हिमालय के पर्वतों पर हनुमान जी से मिले। जब उन्होंने भगवान हनुमान जी के द्वारा लिखी गई हनुमद रामायण को देखा तो यह देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि हनुमान जी की रामायण उनकी रामायण से कहीं अधिक श्रेष्ठ थी।

उन्हें यह अच्छे से ज्ञात था कि हनुमान प्रभु श्रीराम के कितने बड़े भक्त हैं व उनके जीवन से भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने हनुमान जी के द्वारा लिखी गई रामायण की खुलकर प्रशंसा की किन्तु साथ ही वे निराश भी थे। वे जान चुके थे कि जब भी भविष्य में यह प्रश्न पूछा जाएगा कि रामायण सबसे पहले किसने लिखी थी (Ramayan Sabse Pahle Kisne Likhi Thi) तो उसमें वाल्मीकि जी की जगह हनुमान जी का नाम लिया जाएगा।

साथ ही हनुमद रामायण को पढ़कर उन्हें यह भी अनुभूति हो गई थी कि लोग उनके द्वारा लिखी गई रामायण को भूल जाएंगे क्योंकि हनुमद रामायण उससे कहीं अधिक श्रेष्ठ थी।

  • हनुमान ने समुंद्र में डुबोई अपनी रामायण

जब हनुमान जी ने वाल्मीकि जी के चेहरे पर आए चिंता के भावों को देखा और उनकी व्यथा को समझा तो उन्होंने सोचा कि वाल्मीकि जी एक महान कवि हैं व रामभक्त भी। उन्होंने भी रामायण में सभी चीजों का उल्लेख किया है। तब हनुमान जी ने वाल्मीकि जी को कहा कि उन्होंने यह रामायण विश्व को दिखाने के लिए नहीं अपितु प्रभु राम की भक्ति स्वरुप में लिखी थी।

उन्होंने वाल्मीकि जी की दुविधा को समझते हुए उनसे कहा कि भविष्य में जब भी यह प्रश्न पूछा जाएगा कि सबसे पहले रामायण किसने लिखी थी (Sabse Pahle Ramayan Kisne Likhi), तो उसमें हनुमान का नहीं बल्कि वाल्मीकि जी का ही नाम आएगा। इतना कहकर हनुमान जी ने उस रामायण लिखे पहाड़ को अपने कंधो पर उठाया और दूर समुंद्र में ले जाकर उसे डुबो दिया। इस तरह हनुमान जी ने अपने द्वारा लिखी गई हनुमान रामायण को श्रीराम को समर्पित करने के उद्देश्य से उसे हमेशा के लिए समुंद्र में डुबो दिया था।

  • वाल्मीकि जी ने लिया प्रण

भगवान हनुमान जी का इतना बड़ा त्याग व भक्तिभाव देखकर महर्षि वाल्मीकि अभिभूत हो उठे। उन्होंने कहा कि हनुमान की महिमा लिखने के लिए शायद उन्हें एक जन्म और लेना पड़े। इसके बाद उन्होंने प्रण लिया कि वे एक बार और जन्म लेंगे व रामायण का एक नया संस्करण निकालेंगे जो इससे भी ज्यादा श्रेष्ठ होगी व साथ में उसमें हनुमान जी का पूरा व्याख्यान होगा।

इसलिए ही तुलसीदास जी को महर्षि वाल्मीकि जी का पुनर्जन्म माना जाता है जिन्होंने ना केवल रामचरितमानस को आमजन की भाषा में विस्तार से लिखा अपितु हनुमान चालीसा भी लिखी। कलियुग में तुलसीदास जी व हनुमान जी के बीच के कई रोचक प्रसंग प्रसिद्ध है।

निष्कर्ष

इस लेख के माध्यम से आप यह जान पाने में सक्षम हुए हैं कि सबसे पहले रामायण हनुमान जी ने ही लिखी थी किन्तु वह हम भक्तों के बीच उपलब्ध नहीं है। उस अद्भुत हनुमद रामायण को पढ़ने का लाभ तो केवल वाल्मीकि जी ही उठा पाए थे और उसके बाद वह शिला समुद्र में समा गई थी। श्रीराम के प्रति अथाह प्रेम व इसी समर्पण भाव को देखकर ही रामभक्तों में हनुमान जी का नाम सर्वोपरि रहता है।

हनुमद रामायण से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: वाल्मीकि से पहले रामायण कौन लिखा था?

उत्तर: वाल्मीकि जी से पहले भक्त हनुमान ने संपूर्ण रामायण लिख दी थी इसे हनुमद रामायण के नाम से जाना जाता है हालाँकि उस रामायण को हनुमान जी ने समुद्र में डुबो दिया था

प्रश्न: रामायण के प्रथम रचयिता कौन थे?

उत्तर: रामायण के प्रथम रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी है उन्हें भगवान ब्रह्मा ने वरदान दिया था कि वे अपनी दिव्य शक्ति से श्रीराम का संपूर्ण जीवन देख पाएंगे और उसके अनुसार रामायण की रचना करने में सक्षम होंगे

प्रश्न: सबसे पुरानी रामायण कौन सी है?

उत्तर: आज तक रामायण को भारत सहित विश्व की कई अन्य भाषाओँ में लिखा गया है या अनुवादित किया गया है हालाँकि इसका सबसे प्राचीन संस्करण महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण है

प्रश्न: रामायण के असली लेखक कौन है?

उत्तर: रामायण के असली लेखक महर्षि वाल्मीकि जी है जिन्होंने श्रीराम के समयकाल में ही इसकी रचना कर दी थी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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