कालरात्रि माता स्तोत्र हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

कालरात्रि स्तोत्र (Kalratri Stotra)

आज हम आपके साथ कालरात्रि स्तोत्र (Kalratri Stotra) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। कालरात्रि माता नवदुर्गा का सातवां रूप है जो अभय का परिचायक है।

इस लेख में आपको कालरात्रि माता स्तोत्र (Kalratri Mata Stotra) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आप कालरात्रि माता स्तोत्र का भावार्थ समझ पाएंगे। अंत में हम आपके साथ मां कालरात्रि स्तोत्र के लाभ व महत्व भी सांझा करेंगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं माता कालरात्रि स्तोत्र।

Kalratri Stotra | कालरात्रि स्तोत्र

॥ ध्यान ॥

करालवदनां घोरांमुक्तकेशीं चतुर्भुताम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युत्मालाविभूषिताम्॥

दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघो‌र्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥

महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृद्धिदाम्॥

॥ स्तोत्र ॥

हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

Kalratri Mata Stotra | कालरात्रि माता स्तोत्र – अर्थ सहित

॥ ध्यान ॥

करालवदनां घोरांमुक्तकेशीं चतुर्भुताम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युत्मालाविभूषिताम्॥

आपका रूप कालरूपी है जो बहुत ही भीषण है। आपके बाल खुले व बिखरे हुए हैं और साथ ही आपकी चार भुजाएं हैं। आपका नाम कालरात्रि है जो अत्यंत ही प्रचंड रूप लिए हुए है। वहीं आपका यह रूप दिव्य शक्ति लिए हुए है। आपने अपने गले में विद्युत् जैसी चमकती माला पहनी हुई है।

दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघो‌र्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥

आपने अपने एक हाथ में लोहे के जैसा मजबूत वज्र व दूसरे में खड्ग पकड़ी हुई है जिससे आप दुष्टों का अंत कर देती हैं। बाकि के दो हाथ भक्तों को अभय व वरदान देने की मुद्रा में है।

महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

आपके अंदर बादलों की गर्जना के समान शक्ति है और आपका रंग काला है। आप गर्दभ की सवारी करती हैं। आप हमारे आलस्य व पाप का अंत कर देती हैं और हम सभी की उन्नति करवाती हैं।

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृद्धिदाम्॥

जो कोई भी कालरात्रि माता की आरती करता है, उसे सुख व प्रसन्नता की अनुभूति होती है। कालरात्रि माता की कृपा से हमारे सभी काम बन जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

॥ स्तोत्र ॥

हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कालरात्रि माता ही काली व महाकाली का रूप हैं जो पापियों का अंत कर भक्तों को अभय प्रदान करती हैं। आप ही कलावती के रूप में हमारा कल्याण करती हैं। आप काल की भी माता हैं और कलियुग के दुष्टों का अंत करती हैं। आप सभी दिशाओं में व्याप्त हैं और क्रोधित रूप में हैं।

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

आप ही अर्थ के बीज को बोती हैं और उसकी जनक हैं। आप ही सृष्टि की आधार हैं और हमारी कुमति व अज्ञानता का नाश करती हैं। आप संकटों का नाश कर हमारे कुल के यश में वृद्धि करती हैं।

क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

हम कालरात्रि माता के मंत्रों का जाप कर अकाल मृत्यु से बच सकते हैं। कालरात्रि माता ही हम पर कृपा बरसाती हैं, वे ही कृपा की सागर हैं और उनकी कृपा से ही हम सभी का कल्याण होता है।

ऊपर आपने मां कालरात्रि स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित (Maa Kalratri Stotra) पढ़ लिया है। इससे आपको माता कालरात्रि स्तोत्र का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम कालरात्रि माता स्तोत्र के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

कालरात्रि माता स्तोत्र का महत्व

मातारानी ने नवदुर्गा के जरिये अपने नौ रूपों का प्रदर्शन किया जिनमें से हर किसी की अपनी अलग-अलग विशेषताएं व गुण हैं। इसमें से लगभग हर रूप सौम्य रंग-रूप वाला है जबकि मातारानी का यह कालरात्रि रूप अत्यधिक भीषण व प्रलयंकारी दिखाई देता है। इस रूप में मातारानी पापियों का अंत तो करती ही हैं किन्तु अपने भक्तों को अभय भी प्रदान करती हैं। उनके इन गुणों को देखते हुए ही उनका एक नाम शुभंकरी रखा गया है।

अब कालरात्रि माता स्तोत्र के माध्यम से उनके गुणों, शक्तियों, महत्व, कर्मों तथा उद्देश्य का वर्णन किया गया है और साथ के साथ उनकी आराधना भी की गयी है। इस तरह से कालरात्रि स्तोत्र के माध्यम से हमें उनके बारे में तो पता चलता ही है और साथ ही उनकी पूजा भी हो जाती है। यही मां कालरात्रि स्तोत्र का महत्व होता है।

कालरात्रि स्तोत्र के लाभ

अब आपको यह भी जानना होगा कि कालरात्रि स्तोत्रं करने से हमें क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं। कालरात्रि के भयंकर व प्रचंड रूप को देखकर अवश्य ही आपको उनसे एक बार के लिए डर लगा होगा किन्तु यदि आप उनके रूप को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि उनकी चार भुजाओं में से दो भुजाएं तो भक्तों को अभय व वरदान देने की मुद्रा में है जबकि दो भुजाएं पापियों का अंत करने के लिए अस्त्र-शस्त्र लिए होती हैं।

ऐसे में मां कालरात्रि स्तोत्र करने से भक्तों के भय का नाश हो जाता है। मातारानी की कृपा से आपके जल, अग्नि, अंधकार व रात्रि को लेकर सभी तरह के भय दूर हो जाते हैं तथा आपको अभय होने का वरदान मिलता है। इसी के साथ ही यदि आपके जीवन में कोई संकट या विपदा आयी हुई है तो उसका भी हल मां कालरात्रि स्तोत्र के माध्यम से मिल जाता है। कालरात्रि माता आपके शत्रुओं का भी नाश कर देती हैं और आपका जीवन सुखमय बनाती हैं। यही कालरात्रि माता स्तोत्र के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने कालरात्रि स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित (Kalratri Stotra) पढ़ लिया हैं। साथ ही आपने कालरात्रि माता स्तोत्र के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

कालरात्रि स्तोत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: माता कालरात्रि का मंत्र क्या है?

उत्तर: माता कालरात्रि का मंत्र “या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” है जिसका आप नवरात्र के सातवें दिन जाप कर सकते हैं।

प्रश्न: मां कालरात्रि को क्या पसंद है?

उत्तर: मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी हुई चीज़ों का भोग लगाना चाहिए क्योंकि उन्हें गुड़ बहुत ही प्रिय होता है। ऐसे में आप उन्हें गुड़ से बना दलिया, खीर, चावल या हलवे का भी भोग लगा सकते हैं।

प्रश्न: कालरात्रि देवी कौन है?

उत्तर: नवदुर्गा के नौ रूपों में से सातवाँ रूप कालरात्रि का है जो दुष्टों, पापियों व असुरों का नाश करने तथा भक्तों को अभय व वरदान देने के लिए प्रकट हुई हैं।

प्रश्न: कालरात्रि का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: कालरात्रि माता पापियों का नाश करने के साथ-साथ भक्तों को अभय व वरदान भी देती हैं जिस कारण उनका एक नाम शुभंकरी रखा गया है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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