केदारनाथ त्रासदी 2013 (Kedarnath Trasdi) को कौन भूल सकता है जो शिव भक्तों पर अकाल बनकर आई थी। उस समय केदारनाथ व उत्तराखंड राज्य पर जो महाप्रलय आई थी उसमें हजारों भक्तों की असमय मृत्यु हो गई थी। उस प्रलय से इतनी भीषण तबाही हुई थी कि मंदिर व नगर को पुनः वही रूप देने में वर्षों का समय लग गया था। साथ ही समय-समय पर उत्तराखंड की पहाड़ियों पर नर कंकाल मिल रहे थे। इसी से अनुमान लगाया जा सकता था कि यह कितनी बड़ी त्रासदी थी।
केदारनाथ आपदा 2013 (Kedarnath Aapda 2013) में भी कुछ ऐसे चमत्कार हुए जिस पर विश्वास करना लगभग असंभव है लेकिन चमत्कार हुए तो उसे अनदेखा भी नहीं किया जा सकता है। इसी से पता चलता है कि भगवान शिव एक तरह से स्वयं उस त्रासदी में ढाल बनकर खड़े हो गए थे। आज हम उन्हीं अविश्वनीय घटनाओं के बारे में जानेंगे।
Kedarnath Trasdi | केदारनाथ त्रासदी 2013 के चमत्कार
आप सभी यदि वर्ष 2013 के बाद केदारनाथ गए होंगे तो अवश्य ही आपने वहाँ भीम शिला के भी दर्शन किए होंगे। यह वही भीम शिला है जो वर्ष 2013 में केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे आकर रुक गई थी और मंदिर की रक्षा की थी। हालाँकि इसके अलावा भी 4 चमत्कार हुए थे जिस कारण मंदिर का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। आइए इन पाँचों चमत्कारों के बारे में एक-एक करके जान लेते हैं।
#1. भीम शिला का आना
जब बादलों से वर्षा रुकने का नाम नहीं ले रही थी, नदियों में उफान आ गया था व सब कुछ उस भयंकर बाढ़ में बहता चला जा रहा था तो उस समय केदारनाथ मंदिर पर भी संकट आ खड़ा हुआ था। आखिरकार बाढ़ का पानी केदारनाथ धाम तक पहुँच गया व अति तीव्र गति से मंदिर की ओर बढ़ने लगा। यदि वह पानी मंदिर से टकरा जाता तो मंदिर का टूटकर बह जाना निश्चित था।
उसी समय पहाड़ों से एक विशाल चट्टान टूटकर गिरी व पानी के साथ मंदिर की ओर बढ़ी। यह चट्टान तेज गति से मंदिर की ओर आई व ठीक मंदिर के पीछे आकर अपने आप रुक गई। बाढ़ का पानी मंदिर की ओर आया तो वह इस विशाल चट्टान से टकराकर दो भागों में बंट गया व मंदिर के किनारों से निकल गया।
आज भी यह चट्टान उसी स्थान पर मंदिर के पीछे खड़ी है जिसे भीम शिला नाम दिया गया है। शिव भक्त जब केदारनाथ धाम के दर्शन करने आते हैं तो वे इस चट्टान की भी पूजा करते हैं। इसी चट्टान के कारण मुख्य मंदिर की रक्षा हो पाई थी।
#2. मंदिर में उपस्थित श्रद्धालु सुरक्षित
जहाँ एक तरफ मंदिर की ओर आ रहे व बीच मार्ग में फंसे श्रद्धालु तथा नगर इत्यादि के लोग सब बाढ़ की चपेट में आ गए थे व बहुत लोगों की मृत्यु हो गई थी। वहीं दूसरी ओर जो श्रद्धालु मुख्य मंदिर के अंदर फंस गए थे उन्हें कुछ भी नहीं हुआ था।
केदारनाथ आपदा 2013 (Kedarnath Aapda 2013) में सरकारी आंकड़ों के अनुसार पांच हज़ार के आसपास लोगों की मृत्यु हो गई थी व अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इसमें लाखों भक्तों की जान चली गई थी। किंतु जो श्रद्धालु मंदिर में भगवान शिव के पास थे, वे सब के सब सुरक्षित निकाल लिए गए थे।
#3. शिवलिंग को नहीं आई खरोच
मंदिर बाढ़ के तेज प्रवाह से तो बच गया था लेकिन उसके आसपास भीषण तबाही हुई थी व पानी जमा हो गया था। साथ ही जगह-जगह से मलबा आकर मंदिर के आसपास इकठ्ठा हो गया था जिससे मंदिर को बहुत नुकसान हुआ था। यहाँ तक कि मंदिर का 6 फुट का चबूतरा भी मलबे में दब गया था।
आश्चर्य की बात यह थी कि मलबे में दबे शिवलिंग को एक खरोंच तक नहीं आई थी। शिवलिंग जैसे पहले था वह एक दम वैसा ही उसी अवस्था में सुरक्षित था।
#4. नंदी की मूर्ति को कोई नुकसान नहीं
नंदी भगवान शिव की सवारी है व जहाँ भी शिवलिंग स्थापित होता है वहाँ शिवलिंग की ओर अपना मुख किए नंदी महाराज भी विराजमान होते हैं। इस प्रलय में मंदिर के अंदर भी नुकसान पहुँचा था व मलबा मंदिर के अंदर तक घुस गया था। मंदिर के अंदर पाँचों पांडवों व शंकराचार्य जी की मूर्ति भी क्षतिग्रस्त हो गई थी किंतु वहाँ स्थित नंदी महाराज की मूर्ति को कोई नुकसान नहीं पहुँचा था।
इतना ही नहीं मंदिर के बाहर भी नंदी महाराज विराजमान थे जिनके चारों ओर बाढ़ का पानी व मलबा बिखरा पड़ा था लेकिन नंदी महाराज की मूर्ति वैसी की वैसी ही थी व उसे खरोंच तक नहीं आई थी। अर्थात मंदिर के शिवलिंग व नंदी की मूर्तियों को कोई नुकसान नहीं हुआ था।
#5. शिवलिंग पर बेलपत्र
इस महाप्रलय के बाद कई महीनों तक बचाव व सुरक्षा के काम किए गए व इतने समय तक मंदिर भी बंद रहा। सरकार व अन्य धार्मिक संस्थाओं के द्वारा दिन रात लगातार लोगों को सुरक्षित निकालना, उनका ईलाज करना, पुनः निर्माण इत्यादि के कार्य किए जा रहे थे।
केदारनाथ त्रासदी 2013 (Kedarnath Trasdi) के 6 माह के बाद मंदिर के कपाट फिर से खोले गए थे तो मुख्य पुजारी व अन्य सदस्य यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़े हुए थे जैसे कि कोई कल ही यहाँ पूजा करके गया हो।
केदारनाथ आपदा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: 16 जून 2013 को केदारनाथ में क्या हुआ था?
उत्तर: 16 जून 2013 को केदारनाथ में भीषण आपदा आई थी। इस दिन रुद्रप्रयाग जिले में बादल फटने के कारण कई गाँव और शहर जल प्रलय की चपेट में आ गए थे।
प्रश्न: केदारनाथ त्रासदी में कितने लोग मारे गए थे?
उत्तर: सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस आपदा में पांच हज़ार लोगों की मृत्यु हुई थी जबकि अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस आपदा में लाखों भक्त मृत्यु की गोद में समा गए थे।
प्रश्न: केदारनाथ में तबाही कब आया था?
उत्तर: वर्ष 2013 की 16 व 17 जून को केदारनाथ मंदिर और उसके आसपास के गाँवों में भीषण तबाही आई थी। यह तबाही बादल फटने के कारण हुई थी।
प्रश्न: केदारनाथ बाढ़ की कहानी क्या है?
उत्तर: 16 जून 2013 की शाम में केदारनाथ मंदिर के पास बदल फट गया था। उसके बाद लगातार बारिश हुई और भूस्खलन हुए। इस कारण मंदिर और उसके आसपास के गावों में भीषण तबाही हुई थी।
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