आज हम आपके साथ कुष्मांडा माता की आरती (Kushmanda Mata Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। कूष्मांडा माता नवदुर्गा का तृतीय रूप है जो निरोगी काया का परिचायक है।
इस लेख में आपको कुष्मांडा देवी की आरती (Kushmanda Mata Aarti) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आप कूष्मांडा आरती का भावार्थ समझ पाएंगे। अंत में हम आपके साथ कुष्मांडा माता की आरती PDF फाइल, पाठ करने के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं कुष्मांडा माता की आरती हिंदी में।
Kushmanda Mata Ki Aarti | कुष्मांडा माता की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिंगला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचाती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भरी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमरी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
Kushmanda Mata Aarti | कुष्मांडा देवी की आरती – अर्थ सहित
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
कूष्मांडा माता जो सभी को सुख प्रदान करती हैं, उनकी जय हो। हे कूष्मांडा माता!! अब आप अपने इस भक्त पर दया कर इसका उद्धार कर दीजिये।
पिंगला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
माता कूष्मांडा हमारी सूर्य नाड़ी में वास करती हैं जो हठयोग की नाड़ी भी कही जाती हैं। वे सूर्य नाड़ी को मजबूत करने का कार्य करती हैं। शाकम्भरी माता के रूप में उनका रूप बहुत ही भोला भाला सा है।
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
मां कुष्मांडा के तो लाखों नाम हैं और उसी के अनुसार ही उनके अनेक रूप हैं। उनके भक्तगण माँ की भक्ति में मतवाले हुए फिरते हैं।
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
भीमा पर्वत पर माँ कूष्मांडा शाकम्भरी माता के रूप में विराजमान हैं और वहीं से अपने भक्तों का उद्धार करती हैं। हे कूष्मांडा मां!! अब आप अपने इस भक्त का प्रणाम स्वीकार कर कल्याण कीजिये।
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचाती हो माँ अंबे॥
माँ कूष्मांडा अपने भक्तों के मन की बात को सुन लेती हैं और उन्हें सुख प्रदान करती हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो भी सच्चे मन के साथ माँ जगदंबे से कुछ भी मांगता है तो उसकी हरेक मनोकामना पूरी हो जाती है।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
हे मां कुष्मांडा!! आपका यह भक्त आपके दर्शनों को तरस रहा है और आप मेरी इस इच्छा को पूरी कर मुझे अपने दर्शन दीजिये।
माँ के मन में ममता भरी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमरी॥
मातारानी के मन में तो हमारे प्रति ममता भरी हुई है और वे क्यों हमारी इच्छा को नहीं सुनेगी अर्थात कुष्मांडा मां हमारी इच्छा को अवश्य सुनेंगी और उसे पूरा करेंगी।
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मैंने तो आपके मंदिर के बाहर ही डेरा डाला हुआ है और आपकी भक्ति कर रहा हूँ। अब तो आप मेरे जीवन में आये संकटों को दूर कर मेरा उद्धार कर दीजिये।
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
हे माँ कूष्मांडा!! अब आप मेरे सभी बिगड़े हुए कामों को बना दीजिये और मेरे घर को अन्न-धन के भंडार से भर कर मुझे सुख प्रदान कीजिये।
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
आपका यह सेवक आपका ही ध्यान करता है और आपके सभी भक्तगण आपके सामने अपना सिर झुकाकर आपको प्रणाम करते हैं।
कुष्मांडा माता की आरती PDF
अब हम कुष्मांडा आरती की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: कुष्मांडा माता की आरती PDF
ऊपर आपको लाल रंग में कुष्मांडा माता की आरती की पीडीएफ फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
कुष्मांडा माता आरती का महत्व
कूष्मांडा माता को ब्रह्माण्ड की रचयिता कहा गया है। एक तरह से उन्हें ब्रह्म स्वरुप ही माना गया है। जब इस सृष्टि में कुछ भी नहीं था तब कुष्मांडा माता ने अपनी शक्ति से ब्रह्माण्ड की रचना की थी। धर्म ग्रंथों में कूष्मांडा का निवास ब्रह्माण्ड के मध्य भाग में बताया गया है। ऐसे में कुष्मांडा देवी की आरती के माध्यम से उनकी शक्तियों के बारे में बताया गया है और उसकी आराधना की गयी है।
एक तरह से कूष्मांडा देवी की आरती से हमें कूष्मांडा माता की शक्तियों, गुणों, महत्व व उद्देश्य का ज्ञान होता है। ऐसे में हमें कूष्मांडा आरती कूष्मांडा माता के बारे में पूरा ज्ञान देती है और उसी के साथ ही इसके माध्यम से उनकी आराधना भी हो जाती है। यही कूष्मांडा माता आरती का महत्व होता है।
कुष्मांडा आरती के लाभ
कूष्मांडा माता को इस ब्रह्माण्ड की जनक माना गया है जो ब्रह्माण्ड के मध्य भाग में स्थित होती हैं। इसी के साथ ही कुष्मांडा माता के द्वारा ही सूर्य को ताप दिया जाता है जिस कारण इस पृथ्वी पर जीवन पनपता है। सूर्य की किरणों से ही हमें अन्न की प्राप्ति होती है तथा शरीर निरोगी रहता है। ऐसे में जो भक्तगण सच्चे मन के साथ कुष्मांडा माता की आरती पढ़ता है और उनका ध्यान करता है तो उसकी काया स्वस्थ व ऊर्जावान बनती है।
कूष्मांडा माँ की कृपा से हमें निरोगी काया तो मिलती ही है बल्कि इसी के साथ ही हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी पहले की तुलना में बेहतर बनता है। वहीं जो लोग व्यापार करते हैं तो उन्हें अपने व्यापार में वृद्धि देखने को मिलती है। नौकरी कर रहे लोगों की भी उन्नति होती है और वे अपने कार्य में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं। इस तरह से मां कूष्मांडा की आरती करने से हमें कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने कुष्मांडा माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Kushmanda Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने कुष्मांडा देवी की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको कुष्मांडा माता की आरती PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
कुष्मांडा देवी की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कुष्मांडा को क्या चढ़ाया जाता है?
उत्तर: कुष्मांडा माता को मालपुआ बहुत पसंद होता है। ऐसे में भक्तगण नवरात्र के चौथे दिन कुष्मांडा माता को मालपुए का ही भोग लगाते हैं।
प्रश्न: कुष्मांडा का अर्थ क्या है?
उत्तर: कुष्मांडा अनुचित शब्द है जबकि उचित शब्द कूष्मांडा है जो कि संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका अर्थ कुम्हड़ा होता है। ब्रह्माण्ड की रचना करने के कारण इन्हें कूष्मांडा नाम दिया गया था।
प्रश्न: कुष्मांडा कौन सी देवी है?
उत्तर: नवदुर्गा के चौथे रूप को कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि देवी कुष्मांडा ने ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी और वे स्वयं उसके मध्य भाग में स्थित हैं।
प्रश्न: कुष्मांडा नाम क्यों पड़ा?
उत्तर: देवी कुष्मांडा का नाम कुष्मांडा पड़ने के पीछे उनके द्वारा सृष्टि की रचना करना है। कुष्मांडा देवी ने ही इस ब्रह्माण्ड की रचना की और स्वयं उसके मध्य भाग में स्थित हो गयी जिस कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: