आज हम आपके साथ लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) का पाठ करेंगे। माता लक्ष्मी को धन व वैभव की देवी माना जाता है। उनकी निरंतर पूजा करने से मनुष्य को धन-संपत्ति की कभी कोई कमी नहीं रहती है। यदि आप माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो प्रतिदिन लक्ष्मी जी की आरती का पाठ करना चाहिए।
यहीं कारण है कि आज के इस लेख में हम आपको लक्ष्मी माता की आरती (Lakshmi Mata Ki Aarti) देने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आज के इस लेख में आपको लक्ष्मी जी की आरती करने के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जानने को मिलेगा। इससे आपको लक्ष्मी आरती का भावार्थ समझने में सहायता होगी। आइए सबसे पहले करते हैं श्री लक्ष्मी जी की आरती।
Lakshmi Ji Ki Aarti | लक्ष्मी जी की आरती
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
जय लक्ष्मी माता।
उमा रमा ब्रह्माणी, तू ही है जग की माता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
जय लक्ष्मी माता।
दुर्गा रूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि पाता॥
जय लक्ष्मी माता।
तू ही है पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता॥
जय लक्ष्मी माता।
जिस घर तेरा बासा, जाहि में गुण आता।
कर न सके सोई करले, मन नहीं धड़काता॥
जय लक्ष्मी माता।
तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, तुम बिन को दाता॥
जय लक्ष्मी माता।
शुभ गुण सुन्दर मंदिर, क्षीर निधि जाता।
रत्न चतुर्दश ताको, कोई नहीं पाता॥
जय लक्ष्मी माता।
ये आरती लक्ष्मी जी की, जो कोई नर गाता।
उर आनंद अति उमड़े, पाप उतर जाता॥
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
ऊपर आपने लक्ष्मी माता की आरती (Lakshmi Mata Ki Aarti) को पढ़ लिया है। अब बारी आती है लक्ष्मी जी की आरती करने के लाभ और उसके महत्व को जानने की। तो चलिए वह भी जान लेते हैं।
लक्ष्मी माता की आरती का महत्व
ऊपर आपने लक्ष्मी माता की आरती पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ-भावार्थ भी जाना। इससे आपको लक्ष्मी माता के महत्व का ज्ञान हो गया होगा तथा साथ ही यह भी पता चल गया होगा कि धन के साथ-साथ मनुष्य के लिए विद्या व बुद्धि की कितनी आवश्यकता होती है। यही कारण है कि माता लक्ष्मी की पूजा कभी भी अकेले नहीं की जाती है अन्यथा वह पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है।
आप जब भी देखेंगे तो पाएंगे कि माँ लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश व माँ सरस्वती के साथ ही की जाती है। दीपावली के पावन अवसर पर भी तीनों की एक साथ ही पूजा की जाती है ताकि धन का सदुपयोग हो सके। माँ लक्ष्मी ने स्वयं कहा है कि जहाँ भी उनकी पूजा होगी और यदि उस जगह भगवान गणेश की पूजा नहीं होगी तो मेरी पूजा का कोई लाभ नहीं मिलेगा। इस कथन का तात्पर्य यह हुआ कि मनुष्य के पास यदि धन है लेकिन बुद्धि का अभाव है तो धन ज्यादा समय तक उसके पास नहीं रह सकेगा।
तो ऐसे ही कुछ भावों को इस लक्ष्मी जी की आरती के माध्यम से प्रकट किया गया है। ऐसे में हमें भी माँ लक्ष्मी के द्वारा दिए गए संदेश को ध्यान में रख कर ही कर्म करने चाहिए और धन का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। यदि हमारे द्वारा अर्जित किये गए धन का हमेशा सदुपयोग होगा तो माँ लक्ष्मी की कृपा हमेशा हम पर बनी रहेगी और यही लक्ष्मी जी की आरती का संदेश व महत्व है।
लक्ष्मी माता की आरती के लाभ
अब यदि आप निरंतर रूप से लक्ष्मी जी की आरती का पाठ अपने घर पर या मंदिर में करते हैं और माँ लक्ष्मी का सच्चे मन से ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर बरसती है। यदि आपके जीवन में किसी भी तरह का आर्थिक संकट है या वैभव की कमी है तो वह दूर हो जाती है। कई बार यह देखने में आता है कि बहुत प्रयास करने के पश्चात भी आपका काम सही से नहीं चल पा रहा होता है और उसमें कई तरह की दिक्कतें आती हैं।
ऐसी स्थिति में यदि आप सच्चे मन से लक्ष्मी माता की आरती का सुबह जल्दी उठकर तथा नहा-धोकर पाठ करने लगेंगे तो उसका प्रभाव कुछ ही दिनों में देखने को मिल जाएगा। इससे ना केवल आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी बल्कि समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा। हालाँकि इसी के साथ ही आपको उस प्राप्त धन का सदुपयोग करना होगा और धर्म व समाज सेवा के कार्य भी करते रहने होंगे। तभी वह धन आपके पास टिक पायेगा अन्यथा वह कुछ ही दिनों में पुनः चला जाएगा।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने लक्ष्मी माता की आरती करने के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
लक्ष्मी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लक्ष्मी जी की आरती कैसे की जाती है?
उत्तर: यदि आप लक्ष्मी जी की आरती करने जा रहे हैं तो इसके लिए लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र के सामने पूजा की थाली लेकर उनकी आरती करें। इस दौरान आपका स्वर मध्यम लेकिन राग ऊँचा होना चाहिए और मन शांत होना चाहिए।
प्रश्न: लक्ष्मी जी का बीज मंत्र क्या है?
उत्तर: लक्ष्मी जी का बीज मंत्र “ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:” है।
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