लक्ष्मी जी की स्तुति (Laxmi Ji Ki Stuti) | महालक्ष्मी स्तुति (Lakshmi Stuti)

Laxmi Stuti

माता लक्ष्मी को धन व वैभव की देवी माना जाता है। उनकी निरंतर पूजा करने से मनुष्य को धन-संपत्ति की कभी कोई कमी नहीं रहती है लेकिन इसी के साथ ही मनुष्य के अंदर विद्या व बुद्धि का होना भी आवश्यक है अन्यथा माँ लक्ष्मी ज्यादा दिन तक वहां टिकती नहीं हैं। अब यदि आपको माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो आपको प्रतिदिन लक्ष्मी स्तुति (Laxmi Stuti) का पाठ करना चाहिए। आज के इस लेख में हम आपके साथ महालक्ष्मी स्तुति (Lakshmi Stuti) का पाठ ही करने जा रहे हैं।

साथ ही इस लेख के माध्यम से आपको लक्ष्मी जी की स्तुति (Laxmi Ji Ki Stuti) हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका संपूर्ण अर्थ व महत्व जान सकें। यदि श्री लक्ष्मी स्तुति को पढ़ने के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जान लिया जाए तो यह आपके लिए अत्यधिक हितकारी सिद्ध होगा। अंत में आपको लक्ष्मी माता की स्तुति को पढ़ने के लाभ भी जानने को मिलेंगे, आइये पढ़ें लक्ष्मीजी की स्तुति।

लक्ष्मी स्तुति (Laxmi Stuti)

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।

विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।

धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।

धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।

प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।

अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।

वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।

जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।

भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।

कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।

आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।

सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।

रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।

मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।

मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।

लक्ष्मी जी की स्तुति – अर्थ सहित (Laxmi Ji Ki Stuti – With Meaning)

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

हे माँ आदिशक्ति!! हे माँ लक्ष्मी!! आपको हमारा नमन है। आप ही परम ब्रह्म का रूप हो। आप ही हमें यश, धन, वैभव प्रदान करती हो और हमारे सभी कामों को पूरा करती हो।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आप ही हम सभी की माता हो और आपके द्वारा ही हमें संतान, पौत्र इत्यादि की प्राप्ति होती है। आपकी कृपा से ही हमें पुत्र की प्राप्ति होती है और हमारा परिवार आर्थिक रूप से संपन्न बनता है।

विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।

विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

हे विद्या की देवी माँ लक्ष्मी, आपको हमारा नमन है। आप ही साक्षात ब्रह्म विद्या अर्थात माँ सरस्वती का रूप हो। आपके द्वारा ही हमें विद्या मिलती है, हमारे अंदर विभिन्न कलाओं का निर्माण होता है और आप ही हमारे सभी कार्य पूर्ण करती हो।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।

धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आप ही धन की देवी अर्थात महालक्ष्मी का रूप हो और हम सभी की दरिद्रता को दूर करती हो। आप ही हमें धन, संपत्ति, यश, वैभव इत्यादि प्रदान कर हमारे काम बना देती हो।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।

धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आप ही माँ अन्नपूर्णा हो जिसके कारण हम सभी का पेट भरता है। आपके द्वारा ही हमें सभी प्रकार का अन्न मिलता है जिससे हम भोजन कर पाते हैं और अपना कर्म करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।

प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आप ही मेधा लक्ष्मी हो और सभी कलाओं में निपुण हो, आप पापों का नाश करने में सक्षम हो। आपके द्वारा ही हमें मेधा शक्ति मिलती है जिससे हमारे दिमाग का विकास होता है और हम अच्छे-बुरे में भेद कर पाते हैं तथा साथ ही चतुराई से निर्णय ले पाते हैं।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।

अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आप ही गज लक्ष्मी के रूप में नमन करने योग्य हैं जो सभी देवताओं व देवियों का रूप लिए हुए हो। आप ही अपने अंश के रूप में हमारे कुल को बढ़ाने का कार्य करती हैं और हमारे काम बना देती हो।

धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।

वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आप धीर लक्ष्मी के रूप में नमन करने योग्य हैं जिसके पास अत्यधिक शक्ति है। आप हमारे शरीर में वीर्य के रूप में शक्ति प्रदान करती हैं जिससे हमारे सभी काम बन जाते हैं।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।

जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

जय लक्ष्मी के रूप में भी आपको हमारा नमन है जो कि सभी कार्यों को बना देने वाला है। इस रूप में आप हमें विजय दिलवाती हैं व हमारे सभी कार्यों को सफल बनाती हैं।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।

भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

भाग्य लक्ष्मी के रूप में आपको हमारा नमन है जो हमारा मंगल करने के लिए ही है। इस रूप में आप हमारे भाग्य को संवारती हैं और हमारे सम्मान को बढ़ाने का कार्य करती हो।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।

कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

कीर्ति लक्ष्मी के रूप में आप भगवान विष्णु के वक्ष में निवास करती हो जिनको हमारा नमन है। इस रूप में आप हमें कीर्ति व यश प्रदान करती हो और हमारा कल्याण करती हो।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।

आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

आरोग्य लक्ष्मी के रूप में आप सभी रोगों का निवारण कर अर्थात उनका उपचार करती हो। आप ही आयुर्वेद की जननी हो जिसमें हर रोग का उपचार लिखा हुआ है जिससे हम स्वस्थ रह पाते हैं।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।

सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

सिद्ध लक्ष्मी के रूप में आप सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हो। इसलिए आपको हमारा नमन है। इस रूप में आप हमें भिन्न-भिन्न प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान कर हमारा कल्याण करती हो।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।

रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

सौंदर्य लक्ष्मी के रूप में आप सभी प्रकार के श्रृंगार से सुशोभित हो। इस रूप में आप हमें सुन्दर रूप व काया प्रदान कर हमारा उद्धार करती हो।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।

मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।

साम्राज्य लक्ष्मी के रूप में आप भक्ति व मुक्ति प्रदान करने वाली हो। इस रूप में आप हमें मोक्ष प्रदान कर हमारा उद्धार कर देती हो।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।

मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।

आप हम सभी का मंगल करने वाली हो, आप मंगल का ही रूप हो और उसे ही धारण किये हुए हो। आप विश्व का मंगल करने वाली हो। आपका अर्थ ही मंगल है और आप सदैव हम सभी का मंगल करती हो।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।

हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप हम सभी का मंगल करें और शिव भगवान हम सभी का भला करें। हे नारायणी, हे माँ दुर्गा, हे माँ लक्ष्मी!! हम सभी आपकी शरण में आये हैं और आपको नमन करते हैं।

श्री लक्ष्मी स्तुति – महत्व (Lakshmi Stuti – Mahatva)

ऊपर आपने माँ लक्ष्मी की स्तुति पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। इससे आपको लक्ष्मी माता के महत्व का ज्ञान हो गया होगा तथा साथ ही यह भी पता चल गया होगा कि धन के साथ-साथ मनुष्य के लिए विद्या व बुद्धि की कितनी आवश्यकता होती है। यही कारण है कि माता लक्ष्मी की पूजा कभी भी अकेले नहीं की जाती है अन्यथा वह पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है।

आप जब भी देखेंगे तो पाएंगे कि माँ लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश व माँ सरस्वती के साथ ही की जाती है। दीपावली के पावन अवसर पर भी तीनों की एक साथ ही पूजा की जाती है ताकि धन का सदुपयोग हो सके। माँ लक्ष्मी ने स्वयं कहा है कि जहाँ भी उनकी पूजा होगी और यदि उस जगह भगवान गणेश की पूजा नहीं होगी तो मेरी पूजा का कोई लाभ नहीं मिलेगा। इस कथन का तात्पर्य यह हुआ कि मनुष्य के पास यदि धन है लेकिन बुद्धि का अभाव है तो धन ज्यादा समय तक उसके पास नहीं रह सकेगा।

तो ऐसे ही कुछ भावों को इस लक्ष्मी स्तुति के माध्यम से प्रकट किया गया है। इसी के साथ ही माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का कितना सहयोग किया है और इस सृष्टि के कल्याण के कार्य किये हैं, उन्हें भी श्री लक्ष्मी स्तुति के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। यही लक्ष्मी माता की स्तुति का महत्व होता है।

महालक्ष्मी स्तुति को पढ़ने के फायदे (Mahalaxmi Stuti Benefits In Hindi)

अब यदि आप निरंतर रूप से लक्ष्मी जी की स्तुति का पाठ अपने घर पर या मंदिर में करते हैं और माँ लक्ष्मी का सच्चे मन से ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर बरसती है। यदि आपके जीवन में किसी भी तरह का आर्थिक संकट है या वैभव की कमी है तो वह दूर हो जाती है। कई बार यह देखने में आता है कि बहुत प्रयास करने के पश्चात भी आपका काम सही से नहीं चल पा रहा होता है और उसमें कई तरह की दिक्कतें आती हैं।

ऐसी स्थिति में यदि आप सच्चे मन से लक्ष्मी माता की स्तुति का सुबह जल्दी उठकर तथा नहा-धोकर पाठ करने लगेंगे तो उसका प्रभाव कुछ ही दिनों में देखने को मिल जाएगा। इससे ना केवल आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी बल्कि समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा। हालाँकि इसी के साथ ही आपको उस प्राप्त धन का सदुपयोग करना होगा और धर्म व समाज सेवा के कार्य भी करते रहने होंगे। तभी वह धन आपके पास टिक पायेगा अन्यथा वह कुछ ही दिनों में पुनः चला जाएगा।

लक्ष्मी स्तुति से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: देवी लक्ष्मी की स्तुति कैसे करें?

उत्तर: देवी लक्ष्मी की स्तुति करने के लिए सबसे पहले तो आपको स्नान इत्यादि करके, माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठना चाहिए और उसके पश्चात शुद्ध मन से लक्ष्मीजी की स्तुति करनी चाहिए।

प्रश्न: धन के लिए देवी लक्ष्मी से प्रार्थना कैसे करें?

उत्तर: धन के लिए देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करनी हो तो आपको हर दिन लक्ष्मी माता की स्तुति, चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न: लक्ष्मी जी का ध्यान कैसे करें?

उत्तर: लक्ष्मी जी का ध्यान करने के लिए सबसे उत्तम उपाय उनकी चालीसा, स्तुति या स्तोत्र का पाठ करना होता है।

प्रश्न: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कौन सा मंत्र?

उत्तर: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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