लक्ष्मी नारायण जी की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Lakshmi Narayan Ki Aarti

आज के इस लेख में हम आपको लक्ष्मी नारायण भगवान की आरती (Laxmi Narayan Aarti) हिंदी में अर्थ सहित समझाएंगे। इस सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है तो वहीं सृष्टि में समृद्धि लाने का कार्य माँ लक्ष्मी का है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो भूमिका भगवान विष्णु की है वही माता लक्ष्मी की भी है। ऐसे में दोनों के सम्मिलित रूप की लक्ष्मी नारायण के रूप में पूजा की जाती है।

यहीं कारण है कि आज हम लक्ष्मी नारायण जी की आरती (Laxmi Narayan Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। अंत में हम आपके साथ लक्ष्मी नारायण आरती का महत्व व लाभ भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले जानते हैं लक्ष्मीनारायण आरती हिंदी में अर्थ सहित।

Laxmi Narayan Aarti | लक्ष्मी नारायण भगवान की आरती – अर्थ सहित

जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय लक्ष्मीनारायण, जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय माधव, जय श्रीपति, जय जय जय विष्णो॥

लक्ष्मी माता व विष्णु भगवान की जय हो। लक्ष्मी नारायण जी की जय हो, लक्ष्मी माता व विष्णु भगवान की जय हो। श्रीकृष्ण, लक्ष्मी पति व विष्णु भगवान की जय हो।

जय चम्पा सम-वर्णे जय नीरदकान्ते।
जय मन्द-स्मित-शोभे जय अद्भुत शान्ते॥

चंपा के पुष्प के समान सुगंध लिए हुए, सभी रंगों को अपने अंदर धारण करने वाले व अनिष्ट का निवारण करने वाले लक्ष्मीनारायण जी की जय हो। उनके मुख पर हल्की सी हंसी है जो बहुत ही सुंदर लग रही है। उनका स्वभाव बहुत ही शांत व मन को मोहित कर देने वाला है।

कमल वराभय-हस्ते शंखादिकधारिन।
जय कमलालयवासिनि गरुडासनचारिन॥

लक्ष्मी नारायण भगवान के चार हाथ हैं जिनमें दो में कमल पुष्प व शंख है तो दो हाथ वरदान व अभय देने की मुद्रा में है। वे कमल पुष्प के ऊपर विराजती हैं और गरुड़ देव उनके वाहन हैं।

सच्चिन्मयकरचरणे सच्चिन्मयमूर्ते।
दिव्यानन्द-विलासिनि जय सुखमयमूर्ते॥

उनके चरणों में ही परम आनंद है और उनकी मूर्ति को देखकर हमें सच्चा आनंद प्राप्त होता है। लक्ष्मी माता की मूर्ति दिव्य आनंद प्रदान करने वाली और भोग विलासिता को दिखाती है। उनका यह रूप सुख प्रदान करने वाला है।

तुम त्रिभुवनकी माता, तुम सबके त्राता।
तुम लोक-त्रय-जननी, तुम सबके धाता॥

लक्ष्मी माता तीनों लोको की माता हैं और सभी के भय व पाप का नाश कर देती हैं। विष्णु भगवान के द्वारा ही तीनों लोकों को बनाया गया है और वे ही हम सभी के कर्ता-धर्ता हैं।

तुम धन-जन-सुख-संतति-जय देनेवाली।
परमानन्द-बिधाता तुम हो वनमाली॥

लक्ष्मी माता इस जगत के प्राणियों को धन, वैभव, सुख, संतान व वरदान देती हैं। वहीं भगवान विष्णु परम आनंद देने वाले व विधि का विधान बनाने वाले हैं। वे ही माली रूप में इस जगत को संचित करते हैं।

तुम हो सुमति घरों में, तुम सबके स्वामी।
चेतन और अचेतन के अन्तर्यामी॥

आप ही सभी के घरों में बुद्धि प्रदान करने वाले हैं और हम सभी के स्वामी हैं। हमारी चेतन व अचेतन अवस्था के अंतर्यामी वही हैं अर्थात हम चाहे जाग रहे हो या सो रहे हो, वही हमारे हर पल को निर्धारित करने वाले हैं।

शरणागत हूँ, मुझ पर कृपा करो माता।
जय लक्ष्मी-नारायण नव-मंगल-दाता॥

हे माँ लक्ष्मी, मैं आपकी शरण में आया हुआ हूँ और अब आप मुझ पर अपनी कृपा कीजिये। लक्ष्मी व नारायण भगवान की जय हो और वे ही हमारा मंगल करते हैं।

लक्ष्मी नारायण जी की आरती का महत्व

एक तो हम विष्णु जी की आरती पढ़ते हैं और दूसरी हम लक्ष्मी माता की आरती का पाठ करते हैं किन्तु लक्ष्मी नारायण जी की आरती (Laxmi Narayan Ki Aarti) के माध्यम से हम भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी की सम्मिलित रूप में आरती करते हैं। विष्णु भगवान को इस सृष्टि का पालनकर्ता कहा जाता है तो वहीं लक्ष्मी माता समृद्धि व वैभव का प्रतीक हैं। हम इस धरती पर जो भी अन्न उगा रहे हैं और उसके माध्यम से समृद्ध हो रहे हैं, वह लक्ष्मी माता की ही कृपा है।

वहीं भगवान विष्णु आत्मा रूप में हर मनुष्य के अंदर निवास करते हैं और उसे जीवित रखते हैं। इस तरह से लक्ष्मी नारायण भगवान की आरती के माध्यम से दोनों का ही हमारे लिए क्या महत्व है, इसके बारे में बताया गया है। यही लक्ष्मी नारायण जी की आरती का महत्व होता है।

लक्ष्मी नारायण भगवान की आरती के लाभ

जब हम लक्ष्मी नारायण जी की आरती का सच्चे मन के साथ पाठ करते हैं तो इससे हमें एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। हमारे ऊपर भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा होती है। जिस मनुष्य के ऊपर लक्ष्मी व नारायण दोनों की ही कृपा हो जाए तो समझ जाएं कि उस मनुष्य का उद्धार तय है।

लक्ष्मी नारायण आरती के माध्यम से हमें कभी भी धन की कमी नहीं होती है और घर अन्न के भंडार से भरा रहता है। वहीं जीवन से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और जीवन सुखमय बनता है। श्रीहरि व माँ लक्ष्मी हमारे हर दुःख को दूर कर हमें समृद्ध करने का काम करती हैं और अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही लक्ष्मी नारायण भगवान की आरती के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको लक्ष्मी नारायण भगवान की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Laxmi Narayan Aarti) दे दी हैं। साथ ही आपने लक्ष्मी नारायण जी की आरती करने से मिलने वाले लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *