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Mahakali Chalisa In Hindi

आज हम आपके साथ श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी महाकाली माँ का नाम आता है तो हम सभी भयभीत हो जाते हैं लेकिन उनसे भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है। दरअसल माँ का यह रूप तो दुष्टों का नाश करने के उद्देश्य से प्रकट किया गया है।

आज हम आपको महाकाली चालीसा तो देंगे ही बल्कि इसी के साथ ही महाकाली चालीसा इन हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी। यदि हम महाकाली चालीसा अर्थ सहित जान लेते हैं तो हमें उसका ज्यादा लाभ देखने को मिलता है। इसके बाद महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF (Mahakali Chalisa PDF) फाइल और इमेज भी साझा की जाएगी।

अंत में आपको महाकाली चालीसा के फायदे और उसके महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री महाकाली की चालीसा हिंदी में।

Mahakali Chalisa Lyrics | श्री महाकाली चालीसा

॥ दोहा ॥

जय जय सीताराम
के मध्यवासिनी अम्ब।
देहु दर्श जगदम्ब अब,
करो न मातु विलम्ब

जय तारा जय कालिका
जय दश विद्या वृन्द।
काली चालीसा रचत
एक सिद्धि कवि हिन्द

प्रातः काल उठ जो पढ़े,
दुपहरिया या शाम।
दुःख दारिद्रता दूर हों
सिद्धि होय सब काम

॥ चौपाई ॥

जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी।

रक्तबीज बधकारिणी माता,
सदा भक्त जननकी सुखदाता।

शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे।

हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी।

ह्रीं काली श्रीं महाकराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली।

जय कलावती जय विद्यावती,
जय तारा सुन्दरी महामति।

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट।

जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महा शक्ति जय अपरम्पारे।

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी।

अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु।

जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान द्युतिगाता।

जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनि।

कपर्दिनी कलि कल्प बिमोचनि,
जय विकसित नव नलिन बिलोचनि।

आनन्द करणि आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना।

करूणामृत सागर कृपामयी,
होहु दुष्ट जनपर अब निर्दयी।

सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा।

प्रलय काल में नर्तन कारिणी,
जय जननी सब जगकी पालनि।

महोदरी महेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया।

स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्हीं और कोउ नाही।

स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू ब्योंम विताने।

श्री धारे सन्तन हितकारिणी,
अग्नि पाणि अति दुष्ट विदारिणि।

धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वरलोचनि।

सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी।

खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी।

अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका।

अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्र तव शक्ति अनूपा।

कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोर महेशि अपारे।

कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय मातंगी काम के धामा।

कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि।

मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे।

कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा।

जल थल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनि मध्य अलापिनि।

झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा।

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता।

हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनि,
अट्ठहासिनी अरु अघन नाशिनी।

कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजितचण्डे।

करहु कृपा सबपे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा।

चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा।

खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत।

तुम्हरी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई।

जो यह पाठ करे चालीसा,
तापर कृपा करहि गौरीशा।

॥ दोहा ॥

जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब।
सदा भक्तजन केरि
दुःखहरहु मातु अवलम्ब

Mahakali Chalisa Hindi | महाकाली चालीसा इन हिंदी

॥ दोहा ॥

जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब।
देहु दर्श जगदम्ब अब, करो न मातु विलम्ब॥

श्रीराममाता सीता के बीच में निवास करने वाली माँ अम्बा!! आपकी जय हो, जय हो। हे माँ जगदंबा!! अब मुझे दर्शन दीजिये। इसमें बिल्कुल भी देरी ना कीजिये।

जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द।
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द॥

माँ तारा की जय हो। माँ कालिका की जय हो। सभी दस महाविद्याओं की जय हो। हम काली चालीसा का सिद्धि पूर्वक जाप करते हैं।

प्रातः काल उठ जो पढ़े, दुपहरिया या शाम।
दुःख दारिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम॥

सुबह जल्दी उठ कर या फिर दोपहर या शाम में जो कोई भी इस महाकाली चालीसा का पाठ करता है, उसके सभी दुःख व दरिद्रता दूर हो जाती है तथा उसके सभी काम बन जाते हैं।

॥ चौपाई ॥

जय काली कंकाल मालिनी, जय मंगला महाकपालिनी।

रक्तबीज बधकारिणी माता, सदा भक्त जननकी सुखदाता।

शिरो मालिका भूषित अंगे, जय काली जय मद्य मतंगे।

हर हृदयारविन्द सुविलासिनी, जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी।

हे राक्षसों का कंकाल लिए हुए माँ काली!! आपकी जय हो। हे हम सभी का मंगल करने वाली महाकपालिनी!! आपकी जय हो। आपने ही रक्तबीज राक्षस का वध किया था और अपने भक्तों को सुख प्रदान किया था। आपने राक्षसों के सिर को अपने गले में धारण किया हुआ है और आप ही मातंगी माता हो। आप हमारे हृदय को आनंद पहुँचाने वाली और दुखों का नाश करने वाली माँ जगदंबा हो।

ह्रीं काली श्रीं महाकराली, क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली।

जय कलावती जय विद्यावती, जय तारा सुन्दरी महामति।

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट, होहु भक्त के आगे परगट।

जय ॐ कारे जय हुंकारे, महा शक्ति जय अपरम्पारे।

आप ही काली, महाकराली, कल्याणी व दक्षिणाकाली हो। आप ही कलावती, विद्यावती, तारा व महामती हो। आप हमें बुद्धि प्रदान कर हमारे संकटों का नाश कीजिये और अपने भक्तों को दर्शन दीजिये। आपकी हुँकार सब जगह सुनायी देती है और आपकी शक्ति अपरंपार है।

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी, सदा भक्तजन की भयनाशिनी।

अब जगदम्ब न देर लगावहु, दुख दरिद्रता मोर हटावहु।

जयति कराल कालिका माता, कालानल समान द्युतिगाता।

जयशंकरी सुरेशि सनातनि, कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनि।

माँ कमला के रूप में आप कलियुग के पापों का नाश करती हैं और भक्तों के भय को दूर करती हैं। हे माँ जगदंबा!! अब आप बिना देर करे अपने भक्तों के दुःख व दरिद्रता को दूर कर दीजिये। हे कालिका माता!! आपकी जय हो। स्वयं काल भी आपकी महिमा का गुणगान करते हैं। आप ही माँ पार्वती हो और उस रूप में आप सभी सिद्धियाँ ली हुई हो।

कपर्दिनी कलि कल्प बिमोचनि, जय विकसित नव नलिन बिलोचनि।

आनन्द करणि आनन्द निधाना, देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना।

करूणामृत सागर कृपामयी, होहु दुष्ट जनपर अब निर्दयी।

सकल जीव तोहि परम पियारा, सकल विश्व तोरे आधारा।

इस कल्प के कलयुग में आपने अवतार लिया है और आप हमेशा नए अवतार लेकर आती हैं। आप हमें आनंद प्रदान करती हैं और आपके द्वारा ही हमें निर्मल ज्ञान की प्राप्ति होती है। आप करुणा की सागर हैं और हम सभी पर कृपा करती हैं। आप दुष्ट व पापियों के लिए बहुत ही निर्दयी हैं। सभी जीव आपको प्यारे हैं और इस सृष्टि का आधार आप ही हैं।

प्रलय काल में नर्तन कारिणी, जय जननी सब जगकी पालनि।

महोदरी महेश्वरी माया, हिमगिरि सुता विश्व की छाया।

स्वछन्द रद मारद धुनि माही, गर्जत तुम्हीं और कोउ नाही।

स्फुरति मणिगणाकार प्रताने, तारागण तू ब्योंम विताने।

आप प्रलय के समय में नृत्य करती हैं और संपूर्ण जगत का पालन-पोषण भी आपके ही हाथों में है। आप ही महेश्वरी व मोहमाया हैं और हिमालय की पुत्री के रूप में इस विश्व को छाया देती हैं। आप अपनी धुन में घूमती हैं और आपकी गर्जना बहुत ही भीषण है। आपकी स्फूर्ति का कोई तोड़ नहीं है और आप तारों को एक ही क्षण में पार कर देती हैं।

श्री धारे सन्तन हितकारिणी, अग्नि पाणि अति दुष्ट विदारिणि।

धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी, शुम्भ निशुम्भ मथनि वरलोचनि।

सहस भुजी सरोरूह मालिनी, चामुण्डे मरघट की वासिनी।

खप्पर मध्य सुशोणित साजी, मारेहु माँ महिषासुर पाजी।

आप संतजनों के हित के लिए अवतार लेती हैं और दुष्टों का नाश करती हैं। आपके द्वारा ही हमारे प्राण है और आपने ही शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों का वध किया था। आपकी हजारों भुजाएं हैं और आपने चामुंडा का रूप लिया हुआ है। आपके हाथों में खप्पर अर्थात राक्षसों का कटा हुआ सिर है और आपने अपने इस भीषण रूप में महिषासुर दैत्य का वध किया था।

अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका, सब एके तुम आदि कालिका।

अजा एकरूपा बहुरूपा, अकथ चरित्र तव शक्ति अनूपा।

कलकत्ता के दक्षिण द्वारे, मूरति तोर महेशि अपारे।

कादम्बरी पानरत श्यामा, जय मातंगी काम के धामा।

आपके कई रूप हैं जिनमें अम्बिका व चंडिका भी है। आप अपने गुणों के अनुसार कई तरह के रूप लेती हैं जो सभी एक ही है। पश्चिम बंगाल के कलकत्ता शहर में आपका भव्य मंदिर स्थित है। आपकी मूर्ति को तो स्वयं शिव भी पार नहीं पा सकते हैं। आप ही माँ कादम्बरी व श्यामा हो। आप ही मातंगी माता के रूप में हमारे काम बना देती हो।

कमलासन वासिनी कमलायनि, जय श्यामा जय जय श्यामायनि।

मातंगी जय जयति प्रकृति हे, जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे।

कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा, जयति अहिंसा धर्म जन्मदा।

जल थल नभ मण्डल में व्यापिनी, सौदामिनि मध्य अलापिनि।

आप कमल के आसन पर विराजमान हो और आपके नेत्र भी कमल पुष्प के समान है। आपका वर्ण श्याम अर्थात काला है। आप ही मातंगी व प्रकृति का स्वरुप हो। आप ही हमें बुद्धि प्रदान करने वाली हो। आप भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश हो और आप ही धर्म की रक्षा करती हो। आप जल, आकाश, भूमि इत्यादि हर जगह फैली हुई हो और ब्रह्माण्ड के केंद्र में भी आप ही हो।

झननन तच्छु मरिरिन नादिनी, जय सरस्वती वीणा वादिनी।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा।

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता, कामाख्या और काली माता।

हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनि, अट्ठहासिनी अरु अघन नाशिनी।

आप ही माँ सरस्वती के रूप में वीणा बजा रही हो। आप ही माँ चामुंडा हो जिसने अपने गले में राक्षसों के कटे हुए सिर की माला पहनी हुई है। आप ही इस ब्रह्माण्ड की निर्माता हो और आप ही माँ कामाख्या व माँ काली हो। हिंगलाज में विन्ध्याचल पर्वत पर आपका वास है और आप ही विघ्नों का नाश करने वाली हो।

कितनी स्तुति करूँ अखण्डे, तू ब्रह्माण्डे शक्तिजितचण्डे।

करहु कृपा सबपे जगदम्बा, रहहिं निशंक तोर अवलम्बा।

चतुर्भुजी काली तुम श्यामा, रूप तुम्हार महा अभिरामा।

खड्ग और खप्पर कर सोहत, सुर नर मुनि सबको मन मोहत।

मैं आपकी कितनी ही आराधना कर लू, वह भी कम है। आप ही इस ब्रह्माण्ड को शक्ति प्रदान करती हो। आप हम सभी पर कृपा कीजिये और अहंकार को दूर कर हमारे जीवन में प्रकाश फैलाइए। आपकी चार भुजाएं हैं और रंग काला है। आपका रूप बहुत ही सुन्दर व अतुलनीय है। आपने अपने हाथों में खड्ग अर्थात तलवार व खप्पर पकड़ा हुआ है। आप इस रूप में देवताओं, मनुष्य व ऋषि-मुनि सभी का मन मोह लेती हो।

तुम्हरी कृपा पावे जो कोई, रोग शोक नहिं ताकहँ होई।

जो यह पाठ करे चालीसा, तापर कृपा करहि गौरीशा।

जिस किसी पर भी आपकी कृपा हो जाती है, उसे किसी भी प्रकार का रोग व दुःख नहीं होता है। जो कोई भी व्यक्ति इस महाकाली चालीसा का पाठ करता है, उस पर माँ महागौरी की कृपा होती है।

॥ दोहा ॥

जय कपालिनी जय शिवा, जय जय जय जगदम्ब।
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु मातु अवलम्ब॥

कपालिनी माता की जय हो, पार्वती माता की जय हो। जगदंबा माता की जय हो, जय हो, जय हो। हे मातारानी!! आप हमेशा ही अपने भक्तों का बिना देरी किये दुःख दूर कर देती हैं।

महाकाली चालीसा इमेज

यह रही महाकाली चालीसा की इमेज:

महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa)
महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa)

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महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF | Mahakali Chalisa PDF

अब हम Mahakali Chalisa PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF

ऊपर आपको लाल रंग में महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

श्री महाकाली चालीसा का महत्व

माँ दुर्गा ने अपने गुणों के अनुसार कई तरह के रूप लिए हैं और उसी के अनुसार ही उनकी पूजा करने का विधान रहा है। अब मातारानी के कुछ रूप बहुत ही मनोहर, मन को शांति देने वाले तथा सौम्य रंग रूप वाले होते हैं लेकिन इन सभी रूपों के विपरीत माँ दुर्गा का माँ महाकाली वाला रूप मन को भयभीत कर देने वाला, काले रंग का व गले में राक्षसों के कंकाल लिए हुए होता है। इस रूप में मातारानी रक्त से सनी हुई, क्रोधित व लाल आँखों वाली होती हैं।।

महाकाली चालीसा के माध्यम से हमें ना केवल माँ महाकाली के रूप का वर्णन मिलता है अपितु उन्होंने किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन्म लिया था, इसके बारे में भी पता चलता है। ऐसे में धर्म का कार्य करने वाले लोगों को तो माँ महाकाली से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिस तरह से माँ महाकाली सज्जन मनुष्यों की अधर्मी लोगों से रक्षा कर पाने में समर्थ होती हैं, उतना तो मातारानी का कोई भी अन्य रूप नहीं कर सकता है।

इस तरह से माँ महाकाली के महत्व को इस महाकाली चालीसा के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि माँ महाकाली भी उतनी ही आवश्यक हैं जितनी की मातारानी के अन्य रूप। अब यदि पाप बहुत अधिक बढ़ जाता है और वह धर्म के ऊपर हावी होने लगता है तो उस समय माँ महाकाली ही हमारी व धर्म की रक्षा कर सकती हैं और अधर्म का नाश करने में समर्थ होती हैं। यही माँ महाकाली चालीसा का मुख्य महत्व होता है।

महाकाली चालीसा के फायदे

अब यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ श्री महाकाली चालीसा का पाठ करते हैं और माँ महाकाली का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ आपकी हरेक इच्छा को पूरी करती हैं। यदि आपको कोई परेशान कर रहा है या आपके शत्रु हमेशा आपका नुकसान करने की ताक में रहते हैं या आपके जीवन में कई तरह के संकट आये हुए हैं और उनका हल नहीं निकल पा रहा है या फिर आपको किसी अन्य बात को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो निश्चित तौर पर आपको महाकाली माता की चालीसा का पाठ करना चाहिए।

माँ महाकाली के द्वारा अपने भक्तों की हरसंभव सहायता की जाती है। जो भी भक्तगण सच्चे मन से माँ महाकाली चालीसा का जाप करता है तो माँ महाकाली उसके हर तरह के संकटों का नाश कर देती हैं और उसे आगे का मार्ग दिखाती हैं। ऐसे में आपको अपने हर तरह के कष्ट, पीड़ा, दुःख, दर्द, संकट, परेशानियाँ, नकारात्मक भावनाएं इत्यादि को दूर करने के लिए नित्य रूप से महाकाली चालीसा का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) पढ़ ली है। साथ ही आपने महाकाली चालीसा के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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