नल नील को श्राप किसने दिया था और क्यों दिया था?

Nal Neel Ramayan

रामायण में रामसेतु के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाले नल नील किसके पुत्र थे (Nal Neel Ramayan)? बहुत से लोगों को नल नील के द्वारा रामसेतु के निर्माण करने के बारे में तो पता होगा लेकिन उन्होंने यह सब कैसे किया, यह बहुत कम लोगों को पता होगा। दरअसल नल नील ने अपने को मिले एक श्राप को वरदान में बदल दिया था जिस कारण रामसेतु का निर्माण संभव हो सका।

ऐसे में अब एक प्रश्न और उठता है कि नल नील को श्राप किसने दिया था और क्यों दिया था? इसलिए आज हम आपको नल नील का जीवन परिचय देने जा रहे हैं। साथ ही हम आपको बताएँगे कि किस तरह से उन्होंने रामसेतु का निर्माण कर श्रीराम की सहायता की थी

Nal Neel Ramayan | नल नील किसके पुत्र थे?

नल नील महान देवता विश्वकर्मा जी के पुत्र माने जाते हैं। विश्वकर्मा जी को शिल्पकार माना जाता है जिन्होंने लगभग सभी महत्वपूर्ण चीज़ों का निर्माण किया है। फिर चाहे वह श्रीराम के लिए माता सीता की जीवंत मूर्ति का निर्माण करना हो या श्रीकृष्ण के आदेश पर द्वारका नगरी का निर्माण हो। फिर उनके पुत्र कैसे पीछे रह सकते थे। उन्होंने भी भारत से लेकर लंका तक एक विशाल सेतु का निर्माण किया जिसे हम सभी रामसेतु के नाम से जानते हैं।

ऐसे में नल नील का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है क्योंकि उन्होंने लंका तक चढ़ाई करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। यदि वे ना होते तो वानर सेना का लंका तक पहुँचना असंभव था। अब यदि वानर सेना ही लंका तक नहीं पहुँच पाती तो रावण के साथ युद्ध कैसे होता। नल नील बहुत ही शक्तिशाली वानर थे। उन्होंने दिन-रात बिना थके रामसेतु का निर्माण किया था।

इतना ही नहीं, वे सुग्रीव की वानर सेना के सेनापति की भूमिका में भी थे। इस कारण राम-रावण युद्ध में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसी के साथ ही एक प्रश्न और उठता है कि नल नील की माता कौन थी? आइए अब इसका उत्तर भी जान लेते हैं।

नल नील की माता कौन थी?

अब आपने ऊपर नल नील के पिता का नाम (Nal Neel Kiske Putra The) तो जान लिया है लेकिन माता का नाम हमने नहीं बताया है। ऐसे में कई लोग नल नील की माता का नाम भी जानने को इच्छुक रहते हैं। इसलिए आज हम आपको बता दें कि रामायण में या अन्य किसी धर्म ग्रंथ में नल नील की माता का उल्लेख नहीं मिलता है। हालाँकि उनकी माता का वानर प्रजाति से होना तय है। ऐसे में हम नल नील की माता को वानर प्रजाति की एक स्त्री जबकि पिता को विश्वकर्मा देवता कह सकते हैं।

नल नील को श्राप किसने दिया?

नल व नील वानर प्रजाति के होने के कारण बहुत चंचल स्वभाव के थे। चूँकि वानर प्रजाति वनों में रहती है और वहीं पर ऋषि-मुनि भी तपस्या करते थे। ऐसे में वे दोनों भी ऋषि-मुनियों के साथ रहते थे। जब वे छोटे थे तब अपने चंचल स्वभाव के कारण ऋषि-मुनियों को बहुत तंग किया करते थे। अपने इसी नटखटपन में वे ऋषियों के पूजा-तप इत्यादि सामान को उठाकर नदी में फेंक दिया करते थे।

जब ऋषि-मुनि साधना में लीन होते थे तो दोनों बालक छुपके से आते, उनका सामान उठा ले जाते और नदी में फेंक आते थे। दोनों बालकों की इस नादानी से सभी ऋषि बहुत परेशान हो गए थे। अतः एक दिन एक ऋषि ने दोनों को श्राप दिया कि उनके द्वारा जल में फेंकी गई कोई भी वस्तु डूबने की बजाए उस पर तैरने लगेगी। उसके बाद से वे जो भी वस्तु जल में फेंकते तो वह तैरने लगती। जिस ऋषि ने उन्हें श्राप दिया था, उनके नाम का उल्लेख नहीं मिलता है।

नल-नील द्वारा रामसेतु का निर्माण

जब भगवान श्रीराम संपूर्ण वानर सेना के साथ समुंद्र के तट पर पहुँचे तो उसे पार करने के लिए उन्होंने समुद्र देव का आह्वान किया। समुंद्र देव ने उनके सामने प्रकट होकर उनकी समस्या का निवारण नल-नील को मिला श्राप बताया। उन्होंने कहा कि इनके श्राप को ही आधार बनाकर आप अन्य वानरों की सहायता से इन्हें पत्थर, चट्टान इत्यादि लाकर दें व जो भी वस्तु ये समुंद्र में फेंकेंगे वह उसके तल पर तैरने लगेगी।

इस प्रकार वानर सेना ने नल नील की सहायता से केवल पाँच दिनों में ही 100 योजन का लंबा पुल समुंद्र पर बना डाला जिस पर श्रीराम सहित संपूर्ण वानर सेना चल कर गई। इस तरह से आज के इस लेख में आपने नल नील किसके पुत्र थे (Nal Neel Ramayan) व किस तरह से उन्होंने रामसेतु के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी, के बारे में जान लिया है।

नल नील रामायण से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: नल और नील का जन्म कैसे हुआ?

उत्तर: नल और नील का जन्म देवता विश्वकर्मा व वानर प्रजाति की एक स्त्री से हुआ था

प्रश्न: नल नील के पिता कौन थे?

उत्तर: नल नील के पिता का नाम विश्वकर्मा देवता जी हैं जो देवलोक के शिल्पकार माने जाते हैं

प्रश्न: नल नील कौन थे?

उत्तर: नल नील रामायण में वानर सेना के सेनापति थे उन्हें देव विश्वकर्मा जी का पुत्र माना जाता है

प्रश्न: नल नील के गुरु कौन थे?

उत्तर: नल नील के गुरु का नाम ऋषि मुनीन्द्र जी है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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