बाली को क्या वरदान प्राप्त था? जिस कारण श्रीराम ने उसका छुपकर वध किया

रामायण बाली (Ramayan Bali)

[web_stories title=”false” excerpt=”false” author=”false” date=”false” archive_link=”true” archive_link_label=”भगवान राम बाली के सामने आकर क्यों नहीं लड़े?” circle_size=”150″ sharp_corners=”false” image_alignment=”left” number_of_columns=”1″ number_of_stories=”5″ order=”DESC” orderby=”post_title” view=”circles” /]

बहुत से लोग यह प्रश्न पूछते हैं कि भगवान राम बाली के सामने आकर क्यों नहीं लड़े? श्रीराम ने हमेशा धर्म के अनुसार युद्ध लड़ा व शत्रुओं का संहार किया लेकिन किष्किन्धा के राजा बाली को उन्होंने छुपकर मारा। स्वयं बाली ने मरने से पहले भगवान राम के धर्म पर प्रश्न चिन्ह लगाया व उनसे कठोर प्रश्न किए कि आखिर उन्होंने उनके सामने आकर युद्ध क्यों नहीं किया।

बाली के सभी प्रश्नों का उत्तर भगवान श्रीराम ने उसी समय दिया व उसकी सभी शंकाओं का समाधान किया। भगवान श्रीराम के द्वारा समझाने पर बाली को भी अपने द्वारा किए गए अधर्म का ज्ञान हुआ व उसने भगवान से क्षमा याचना की। साथ ही मरने से पहले बाली ने अपने पुत्र अंगद को भगवान श्रीराम की सेवा में सौंप दिया व प्राण त्याग दिए।

ऐसे में आज हम आपके मुख्य प्रश्न भगवान राम ने बाली को छुपकर क्यों मारा, का उत्तर देने जा रहे हैं। इसके पीछे एक नहीं बल्कि पाँच कारण थे। आइए जाने उनके बारे में।

भगवान राम बाली के सामने आकर क्यों नहीं लड़े?

भगवान विष्णु ने मुख्य रूप से लंका के राजा रावण का वध करने के लिए श्रीराम के रूप में जन्म लिया था। रावण ना केवल लंका का राजा था बल्कि उसने अपनी शक्ति से तीनों लोकों में आतंक फैला रखा था। श्रीराम के हाथों रावण वध के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप यह भी जानते हैं कि रावण का बाली के साथ भी भीषण युद्ध हुआ था। इस युद्ध में ना केवल बाली विजयी हुआ था बल्कि उसने छह महीने तक रावण को अपनी कैद में रखा था।

बाली की रावण पर जीत का मुख्य कारण उसको भगवान ब्रह्मा से मिला वरदान था। ऐसे में एक प्रश्न और उठता है कि आखिरकार बाली को क्या वरदान प्राप्त था, जिससे उसने रावण जैसे योद्धा को भी हरा दिया था। सबसे पहले हम बाली को मिले वरदान के बारे में ही बताएँगे। इसी के साथ ही भगवान राम ने बाली को क्यों मारा, इससे संबंधित 4 कारण और देंगे।

#1. बाली को क्या वरदान प्राप्त था?

बाली को स्वयं भगवान ब्रह्मा से यह वरदान प्राप्त था कि वह जब भी किसी से युद्ध करने जाएगा तो उसके शत्रु की आधी शक्ति समाप्त होकर उसके अंदर आ जाएगी। उदाहरण के लिए यदि बाली के अंदर 100 हाथियों का बल हो व भगवान श्रीराम के पास एक हज़ार हाथियों का बल हो तो भगवान श्रीराम से युद्ध करते समय उनके 500 हाथियों का बल समाप्त होकर बाली के अंदर आ जाएगा। इस प्रकार बाली के पास 600 हाथियों का बल हो जाता व श्रीराम की शक्ति आधी रहकर उनके पास केवल 500 हाथियों का बल रहता।

इस प्रकार वरदान के प्रभाव से भगवान श्रीराम द्वारा बाली को सामने से हराना असंभव था। यदि श्रीराम बाली को सामने से हरा भी देते तो भगवान ब्रह्मा का दिया हुआ वरदान असत्य सिद्ध हो जाता। इसलिए भगवान श्रीराम को बाली को छिपकर मारना पड़ा। यही इसका मुख्य कारण था।

#2. राजा को दंड देने का अधिकार

चूँकि संपूर्ण पृथ्वी ईश्वाकू वंश के अधीन थी व उस समय अयोध्या के राजा दशरथ पुत्र व राम के छोटे भाई भरत थे। अपने राजा की आज्ञा के अनुसार भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास में राक्षसों व अधर्मियों का वध कर रहे थे। राजा के द्वारा दुष्ट लोगों को दंड देना धर्म पूर्वक कार्य होता है। बाली ने अपने जीवन में कुछ ऐसे कर्म किए थे जिसके कारण उसको दंड दिया जाना उचित था। इसलिए भगवान श्रीराम ने उसका वध किया।

#3. श्रीराम व सुग्रीव की मित्रता

जब भगवान श्रीराम माता सीता की खोज में सुग्रीव के पास पहुँचे तो उनसे उनकी मित्रता हो गई। दोनों ने मित्रता पूर्वक एक दूसरे की सहायता करने का वचन दिया। चूँकि सूर्यवंशी राजा एक बार वचन देने के बाद उससे पीछे नहीं हटते थे अन्यथा यह धर्म के विरुद्ध कार्य होता। अपने पिता दशरथ के इसी वचन का पालन करने के लिए प्रभु श्रीराम ने 14 वर्षों का वनवास लिया था। इसलिए अपने मित्र सुग्रीव को दिए वचन के अनुसार उनका बाली का वध करना निश्चित हो गया था जिसे वे झुठला नहीं सकते थे।

#4. बाली व रावण की मित्रता

बहुत समय पहले लंका के राजा रावण व बाली के बीच भीषण युद्ध हुआ था व उसमें रावण की पराजय हुई थी। तब रावण के क्षमा मांगने के पश्चात दोनों के बीच मित्रता हो गई थी। चूँकि रावण ही माता सीता का अपहरण करके उन्हें लंका ले गया था इसलिए उसके ही मित्र से सहायता मांगना मूर्खता होती। इसलिए बाली को मारकर किष्किन्धा के राज सिंहासन पर अपने मित्र सुग्रीव को बिठाना आवश्यक हो गया था।

#5. बाली द्वारा रूमा का हरण

जैसे छोटे भाई के लिए बड़ा भाई पिता समान होता है उसी प्रकार बड़े भाई के लिए छोटा भाई अपने पुत्र समान होता है। यदि छोटे भाई से भूलवश कोई गलती हो भी जाए तो उसे क्षमा करना बड़े भाई का कर्तव्य होता है। लेकिन बाली ने क्रोध में आकर ना केवल अपने छोटे भाई सुग्रीव का भरी सभा में अपमान किया बल्कि उसे ठोकर मारकर देश से निकाल दिया।

इतना ही नहीं बाली ने उसकी पत्नी व अपनी पुत्रवधु समान रूमा को अपनी पत्नी बनाकर राजमहल में ही रखा। अपने भाई के जीवित होते हुए व रूमा की इच्छा के विरुद्ध उसने उसे अपनी पत्नी बनाया जो धर्म के अनुसार बिल्कुल अनुचित कार्य था। भगवान राम ने मुख्यतया उसे इसी अधर्म का दंड दिया।

भगवान राम ने बाली को छुपकर क्यों मारा?

इस प्रश्न का उत्तर बाली को मिला वरदान ही था। चूँकि किसी भी परिस्थिति में बाली को सामने से हराना असंभव था। यदि भगवान श्रीराम के द्वारा ऐसा किया जाता तो वे भगवान ब्रह्मा के वरदान को गलत सिद्ध कर देते। यही कारण था कि भगवान विष्णु ने जैसे हिरण्यकश्यप के वरदान की काट निकाली थी ठीक उसी तरह बाली को मिले वरदान की भी काट निकाल ली थी। इस तरह से बाली का वध करने के लिए उस पर छुपकर वार किया जाना आवश्यक था।

भगवान राम ने बाली को क्यों मारा?

इसका सबसे प्रमुख कारण बाली के द्वारा अपने भाई की पत्नी रूमा का अपहरण करना था। अन्य सभी कारणों को दरकिनार किया जा सकता था लेकिन जिस प्रकार बाली ने रूमा की इच्छा के विरुद्ध और अपने भाई के जीवित रहते उसकी पत्नी का अपहरण किया, वह पूर्ण रूप से अनैतिक व धर्म विरुद्ध कार्य था। यही बाली की मृत्यु का मुख्य कारण बना था।

बाली के वरदान से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: राम ने बाली का वध क्यों किया था?

उत्तर: बाली ने बलपूर्वक अपने भाई सुग्रीव की पत्नी रूमा का हरण किया था और उसे अपनी पत्नी बनाकर रखा था इस कारण राम ने बाली का वध किया था

प्रश्न: बाली वध क्यों और कैसे हुआ?

उत्तर: बाली वध अपने भाई की पत्नी रूमा का हरण करने के कारण हुआ श्रीराम ने एक पेड़ के पीछे छुपकर बाली का वध कर दिया था

प्रश्न: बाली को कौन सा वरदान मिला था?

उत्तर: बाली को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि युद्ध में उसे अपने शत्रु की आधी शक्ति मिल जाएगी साथ ही उसके शत्रु की आधी शक्ति समाप्त हो जाएगी

प्रश्न: बाली को वरदान कैसे मिला?

उत्तर: बाली ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की थी इससे प्रसन्न होकर उसे भगवान ब्रह्मा ने युद्धभूमि में शत्रु की आधी शक्ति लेने का वरदान दिया था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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