राम रावण का पहला युद्ध कब व कैसे हुआ? जाने उसका संपूर्ण विवरण

Ram Ravan Yuddh

क्या आप जानते हैं कि राम रावण का युद्ध (Ram Ravan Yuddh) एक बार नहीं बल्कि दो बार हुआ था। एक बार तो युद्ध के शुरूआती चरण में हुआ था जबकि दूसरा युद्ध के आखिर में। बहुत से लोग राम रावण का आखिरी युद्ध तो जानते हैं क्योंकि इसके बाद रावण की मृत्यु हो गई थी। लेकिन पहले वाले युद्ध के बारे में बहुत लोगों को नहीं पता होता है।

यह उस समय की बात है जब प्रभु श्रीराम ने वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करके लंका पर भीषण आक्रमण कर दिया था। तब रावण ने भी अपने एक से बढ़कर एक शक्तिशाली योद्धा व पुत्र रणभूमि में भेजे। युद्ध के शुरूआती चरण में ही रावण के कई पुत्र व वीर योद्धा मारे गए थे। इनमें अकम्पन, दुर्मुख, प्रहस्त व मकराक्ष प्रमुख थे। इनकी मृत्यु से रावण इतना ज्यादा तिलमिला गया था कि वह स्वयं युद्धभूमि में चला गया।

इसे राम रावण का पहला युद्ध (Ram Ravan Ka Yuddh) के नाम से जाना जाता है। अभी रावण के दरबार में कई शक्तिशाली योद्धा व भाई-बंधु बचे थे, इसलिए किसी को भी यह आशा नहीं थी कि स्वयं लंकापति रावण युद्धभूमि में आ जाएंगे। किंतु अब लंकापति रावण युद्ध में आ चुके थे व आते ही उसने चारों ओर हाहाकार मचा दिया था। आइए जाने उस समय क्या-क्या हुआ था।

Ram Ravan Yuddh | राम रावण का युद्ध

रावण लंका का राजा था व बहुत शक्तिशाली भी था। इस कारण उसके पास दिव्य अस्त्रों की भी कमी नहीं थी। उसने अपने दैवीय अस्त्रों से वानर सेना में रक्तपात मचा दिया। जैसे-जैसे रावण का रथ आगे बढ़ रहा था उसी प्रकार चारों ओर वानरों की लाशें बिछ रही थी।

वानर सेना में त्राहिमाम मच गया था। रावण वानरों को ऐसे काट रहा था जैसे कि वह कोई गाजर मूली हो। यह देखकर तुरंत वानरराज सुग्रीव को संदेश पहुँचाया गया कि रावण ने युद्धभूमि में हाहाकार मचा रखा है। उसके बाद रावण से युद्ध करने कई योद्धा सामने आए। जाने उसके बाद क्या कुछ हुआ।

  • रावण सुग्रीव युद्ध

वानर सेना का ऐसा नरसंहार देखकर वानर राजा सुग्रीव तुरंत युद्धभूमि में आए व रावण को युद्ध के लिए ललकारा। उस समय रावण अपनी पूरी तैयारी के साथ आया था। उसने अपनी पूरी शक्ति से सुग्रीव पर वार किया जिससे वे पराजित हो गए।

  • रावण लक्ष्मण युद्ध

तब श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण रावण के सामने आए व दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। रावण ने लक्ष्मण के बाणों को अपने दिव्य बाणों से आसानी से काट दिया। यह देखकर वानर सेना में हताशा छाने लगी थी। रावण ने अपने बाण से लक्ष्मण को मुर्छित कर दिया व उसका वध करने लगे। तभी हनुमान ने बीच में आकर लक्ष्मण की प्राण रक्षा की थी।

  • रावण हनुमान युद्ध

हनुमान अत्यधिक क्रोध में थे व रावण से युद्ध करने के लिए उन्होंने अपना शरीर विशालकाय कर लिया व जोर से रावण पर अपनी गदा का प्रहार किया। किंतु रावण ने हनुमान की गदा का भी प्रहार सह लिया। यह देखकर हनुमान और अधिक क्रोधित हो गए व उससे गदा युद्ध करने लगे।

युद्धभूमि में रावण के द्वारा मचाए जा रहे नरसंहार व सुग्रीव तथा लक्ष्मण की रावण के हाथों हुई पराजय की सूचना तुरंत श्रीराम के पास पहुँचा दी गई।सूचना पाते ही श्रीराम अपने धनुष-बाण के साथ युद्धभूमि की ओर दौड़ पड़े थे। अपने बीच श्रीराम को देखकर वानर सेना में साहस लौट पाया। यही वह पल था जब राम रावण का युद्ध (Ram Ravan Yuddh) सभी ने पहली बार देखा था। आइए जाने इस पहले युद्ध में क्या हुआ था व कौन हारा था।

Ram Ravan Ka Yuddh | राम रावण का पहला युद्ध

श्रीराम वायु की तेज गति के साथ युद्धभूमि में पहुँचे व रावण को युद्ध के लिए ललकारा। अपने सामने श्रीराम को देखकर रावण व हनुमान ने युद्ध करना छोड़ दिया व हनुमान पीछे हट गए। रावण ने गदा छोड़कर अपने धनुष बाण उठा लिए। यह प्रथम बार था जब श्रीराम व रावण आमने-सामने थे।

सभी देवता आकाश से इस युद्ध को देख रहे थे। दोनों ओर से लगातार दिव्य अस्त्रों का प्रयोग किया जा रहा था लेकिन श्रीराम ने एक-एक करके रावण के सभी दिव्य अस्त्र समाप्त कर दिए। अपने दिव्य अस्त्रों को समाप्त होता देखकर रावण भयभीत हो गया।

  • रावण की पराजय

तब श्रीराम ने रावण के रथ का पहिया तोड़ डाला व उसे लज्जित किया। जब रावण अपने धनुष पर तीर चढ़ा रहा था तब श्रीराम ने तेज गति से तीर चलाकर उसके धनुष बाण को तोड़ डाला। रावण ने युद्ध के लिए अपनी खड्ग उठाई लेकिन श्रीराम ने वह भी तोड़ डाली। श्रीराम के द्वारा रावण के रथ का विजय ध्वज गिरा दिया गया।

अब रावण के पास सभी अस्त्र समाप्त हो चुके थे तथा उसके धनुष-बाण व खड्ग भी टूट चुके थे। वह अपने वध की प्रतीक्षा कर रहा था। संपूर्ण राक्षस व वानर सेना इसी प्रतीक्षा में थी कि अब श्रीराम अपने अगले बाण से रावण का अंत कर देंगे। सभी को लग रहा था कि राम रावण का पहला युद्ध (Ram Ravan Ka Yuddh) ही अंतिम युद्ध सिद्ध होगा।

  • रावण का अपमान होना

श्रीराम ने रावण का वध नहीं करने का निर्णय लिया। उन्होंने युद्धभूमि के बीच में लंका नरेश रावण का अपमान किया तथा बताया कि धर्म के अनुसार निहत्थे शत्रु पर वार नहीं करना चाहिए। इसलिए उन्होंने रावण को अगले दिन फिर से अपने अस्त्रों के साथ आने को कहा। श्रीराम ने रावण को इसलिए जाने दिया था क्योंकि वह जल्दबाजी में और अहंकारवश बिना पूरी तैयारी के और सभी अस्त्रों को साथ लिए बिना ही युद्धभूमि में चला आया था।

रावण उस समय लंका नहीं जाना चाहता था क्योंकि उसकी युद्ध में बुरी तरह हार हुई थी। वह अपनी प्रजा व सैनिकों के सामने यूँ पराजित होकर नहीं जाना चाहता था लेकिन श्रीराम ने उसका वध नहीं करके उसे लज्जित होने के लिए छोड़ दिया था।

  • रावण का लंका लौटना

इसके बाद रावण अपने टूटे हुए रथ से उतरकर बिना मुकुट के अपनी सेना के साथ राजमहल के लिए पैदल निकल पड़ा। लंका के सैनिकों व प्रजा ने जब अपने राजा को पराजित होकर राजमहल में पैदल आते देखा तो भय का वातावरण व्याप्त हो गया। दूसरी ओर इसकी सूचना जब माता सीता तक पहुँचाई गई तो वे बहुत खुश हुई।

उस रात्रि वानर सेना में एक अलग उत्साह देखने को मिला था। दूसरी ओर राक्षस सेना पूरी रात्रि सो नहीं पाई थी तथा अगले दिन की प्रतीक्षा में थी। तब रावण ने अपने छोटे भाई कुंभकरण को उसकी निद्रा पूरी होने से पूर्व जगाने का कठोर निर्णय लिया था।

इस तरह से आज आपने जाना कि रामायण में राम रावण का युद्ध (Ram Ravan Yuddh) एक बार नहीं बल्कि दो बार लड़ा गया था। दोनों ही युद्ध में रावण की पराजय हुई थी और दूसरे युद्ध में तो उसका वध हो गया था।

राम रावण का युद्ध से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: राम और रावण का युद्ध कब हुआ था?

उत्तर: राम रावण युद्ध आज से हजारों लाखों वर्ष पहले त्रेता युग में लड़ा गया था यह आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी को रावण वध के साथ ही समाप्त हो गया था

प्रश्न: राम रावण युद्ध में राम की सेना कितनी थी?

उत्तर: रामायण में इसके बारे में कोई उल्लेख नहीं मिलता है राम की सेना में मुख्यतया वानर ही थे जिनकी अनुमानित संख्या करोड़ों में हो सकती है

प्रश्न: रामायण में कितने वानर मारे गए?

उत्तर: रामायण में करोड़ों वानर मारे गए थे एक अनुमान के अनुसार मेघनाद ने ही कई करोड़ वानरों का वध कर दिया था

प्रश्न: राम में कितने हाथियों का बल था?

उत्तर: राम भगवान श्रीहरि के अवतार थे उनके बल की तुलना हाथियों से तो क्या किसी से भी नहीं की जा सकती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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