रंगभरी एकादशी कब की है? जाने रंगभरी एकादशी पर क्या करें

रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के रूप में मनाई जाती हैं। इसका मुख्य आयोजन भगवान शिव की नगरी काशी में होता हैं क्योंकि इसी दिन भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करने के पश्चात पहली बार उन्हें उनके ससुराल काशी नगरी (वाराणसी) लेकर आये थे।

इस दिन भगवान शिव के काशी विश्वनाथ मंदिर में बढ़ी धूम रहती हैं और उनका विशेष श्रृंगार किया जाता हैं। इस कारण इसे वाराणसी की रंगभरी एकादशी (Rang Bhari Ekadashi Varanasi) भी कहा जाता है। साथ ही इसका संबंध भगवान विष्णु से भी हैं तभी इसे आमलकी एकादशी के रूप में जाना जाता हैं। आज हम आपको रंगभरनी एकादशी के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

Rangbhari Ekadashi | रंगभरी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

माता सती के आत्म-दाह के बाद भगवान शिव चीर साधना में चले गए थे। इसके बाद जब माता सती का ही पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। माता पार्वती ने शिव को पुनः पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों की कठोर तपस्या की थी। तब भगवान शिव ने अपनी साधना छोड़कर उनसे विवाह किया था।

विवाह के कई दिनों के बाद वे माता पार्वती को पहली बार उनके ससुराल और अपनी नगरी काशी में लेकर आये थे। इन दिनों काशी नगरी में होली की धूम थी क्योंकि कुछ दिन बाद ही होली का त्यौहार पड़ रहा था। हालाँकि शिव के पार्वती के साथ अपनी नगरी में आना काशी के लिए किसी त्योहार से कम नहीं था।

ऐसे में काशीवासियों ने रंगों से दोनों का स्वागत किया था। हर कोई तरह-तरह के रंग लाकर दोनों पर डाल रहा था और खुशियाँ मना रहा था। बस तभी से ही काशी नगरी में बहुत ही धूमधाम के साथ रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। यहीं रंगभरी एकादशी की कथा (Rangbhari Ekadashi Katha) भी है।

रंगभरी एकादशी कब है?

हर वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंग भरी एकादशी का त्योहार मनाया जाता है। चूँकि यह पर्व एकादशी के दिन पड़ता है तो इसमें एकादशी शब्द जोड़ा गया है। वही इस दिन भी रंगों से खेलने का विधान है तो इसे रंगभरी नाम दिया गया है। इस रंगभरी एकादशी को मुख्य रूप से काशी नगरी में ही खेला जाता है जबकि बाकी देश में आमलकी एकादशी मनाई जाती है।

रंगभरनी एकादशी कैसे बनाई जाती है?

रंगभरी एकादशी (Rang Bhari Ekadashi Varanasi) के दिन भगवान शिव के काशी विश्वनाथ मंदिर का विशेष श्रृंगार किया जाता हैं और विभिन्न चीज़ों से उनका अभिषेक किया जाता हैं। इसमें भगवान शिव बारात लेकर माता पार्वती को लेने निकलते हैं और माता पार्वती का गौना किया जाता हैं।

इसके बाद शिवजी अपने परिवार सहित पालकी में बैठते हैं और काशी की नगरी से निकलते हैं। यह प्रतिमाएं रजत (चांदी) की बनी होती हैं जिन्हें बम भोले के भक्त उठाये रहते हैं। शहर भर का चक्कर लगाकर यह पालकी पुनः काशी विश्वनाथ मंदिर पहुँच जाती है।

  • वाराणसी में रंगभरी एकादशी का उत्साह

इस दिन भगवान शिव पालकी में माता पार्वती के साथ बैठे हुए काशी की जिन-जिन गलियों से निकलते हैं वहां उत्सव का वातावरण होता हैं। चारों ओर से भक्तों और स्थानीय लोगों में उन पर रंग उड़ाने की होड़ लगी रहती हैं। सभी भक्तगण होली के विभिन्न रंगों में रंग जाते हैं।

आज के दिन से ही काशी नगरी में होली खेलने की आधिकारिक शुरुआत हो जाती हैं जो धुलंडी तक चलती हैं। कुंवारी महिलाएं भगवान शिव जैसा सौभाग्य प्राप्त करने का आशीर्वाद मांगती हैं और उन्हें रंग लगाने का प्रयास करती हैं। इस दिन पूरी काशी नगरी में रंग ही रंग उड़ते हुए दिखाई देते हैं।

रंगभरनी एकादशी को आमलकी एकादशी क्यों कहते है?

दरअसल आमलकी एकादशी कहने से तात्पर्य आंवले के वृक्ष से हैं जिसका संबंध भगवान विष्णु से है। इसी दिन भगवान विष्णु ने आंवलें के वृक्ष को उत्पन्न किया था और उसे मनुष्यों के लिए हितकारी बताया था। उन्होंने देवताओं को इसकी पूजा करने और इसका सदुपयोग करने को कहा था।

मान्यता हैं कि इसके बाद ही उनकी नाभि से भगवान ब्रह्मा का उदय हुआ था जिसके बाद सृष्टि का निर्माण हुआ था। इसलिये आंवले के वृक्ष का अत्यधिक महत्व हैं जो हमारे लिए कई प्रकार से गुणकारी हैं। इसलिये रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के दिन आंवलें के वृक्ष की पूजा करने का विधान है।

रंगभरी एकादशी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रंग भरी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करने के पश्चात पहली बार उन्हें अपनी नगरी काशी लेकर आए थे ऐसे में काशी के लोगों ने दोनों के ऊपर रंग डालकर उनका स्वागत किया था इसलिए रंगभरी एकादशी मनाई जाती है

प्रश्न: रंगभरी एकादशी कब की है?

उत्तर: रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है यह होली से 4 से 5 दिन पहले आ जाती है इस दिन भी रंगों से खेला जाता है

प्रश्न: रंगभरी एकादशी पर क्या करें?

उत्तर: रंगभरी एकादशी पर हमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करने का विधान है

प्रश्न: रंग एकादशी क्या है?

उत्तर: रंग एकादशी को रंगभरी एकादशी या रंगभरनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है यह होली से कुछ दिन पहले मनाई जाती है इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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