Satyarth Prakash In Hindi: सत्यार्थ प्रकाश हिंदी में सभी अध्याय सहित

सत्यार्थ प्रकाश (Satyarth Prakash)

स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा सत्यार्थ प्रकाश (Satyarth Prakash) पुस्तक लिखी गई थी। उन्होंने हिंदू धर्म में वेदों को प्रमुख माना था तथा मूर्ति पूजा करने से मना किया था। इसी के साथ उन्होंने विश्व के अन्य धर्मों पर भी गहन अध्ययन किया था। उन्होंने विश्व में जीवन जीने की पद्धति में हिंदू धर्म को सर्वोच्च माना लेकिन इसकी कुछ नीतियों का भी विरोध किया। इसी के साथ ही सत्यार्थ प्रकाश में इस्लाम व अन्य धर्मों के बारे में भी लिखा गया है।

दयानंद सरस्वती ने अपने जीवनकाल में 10 प्रमुख पुस्तकों की रचना की थी। इसमें से सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक को सबसे प्रमुख पुस्तक माना जाता है। सत्यार्थ प्रकाश हिंदी में (Satyarth Prakash In Hindi) लिखी गई है और स्वामी दयानंद सरस्वती जी को भी हिंदी भाषा से अत्यधिक लगाव था। आज हम आपको स्वामी जी की इस प्रसिद्ध रचना के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।

Satyarth Prakash | सत्यार्थ प्रकाश

स्वामी जी के द्वारा लिखी गई सत्यार्थ प्रकाश एक ऐसी पुस्तक थी जिसने आर्य समाज की नींव रखी। आज हम अपने आसपास आर्य समाज के लोगों को देखते हैं तो वे मुख्यतया इसी पुस्तक से प्रभावित होकर ही स्वामी जी से जुड़े थे या जुड़ रहे हैं। हालांकि समाज के लगभग हर धर्म के द्वारा इनकी आलोचना की जाती है और स्वयं हिंदू धर्म भी इनका समर्थक नहीं है।

वह इसलिए क्योंकि स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म में केवल वेदों को ही महत्व दिया और सभी पुराणों, शास्त्रों इत्यादि को नकार दिया था। उन्होंने तो श्रीराम व श्रीकृष्ण को भी ईश्वरीय अवतार नहीं माना था। ऐसे में उनकी आलोचना होना स्वाभाविक है क्योंकि कोई भी मनुष्य, फिर चाहे वह अपने कर्मों से कितना ही बड़ा क्यों ना हो जाए, ईश्वर से बड़ा नहीं हो सकता है।

आइए आज हम आपको दयानंद सरस्वती की प्रसिद्ध रचना सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक (Satyarth Prakash Book In Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी दे देते हैं।

  • सत्यार्थ प्रकाश की रचना किसने की थी?

स्वामी दयानंद सरस्वती ने लगभग 60 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी जिसमें उनके द्वारा लिखी गई सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक सबसे अधिक प्रसिद्ध हुई। इस पुस्तक के नाम सत्यार्थ प्रकाश का अर्थ है सत्य के अर्थ का प्रकाश अर्थात लोगों को सरल भाषा में क्या सत्य है उसको समझाना व उनके अंधकारमय जीवन में प्रकाश फैलाना।

  • सत्यार्थ प्रकाश किस भाषा में है?

उन्होंने अपनी पहले की पुस्तकें संस्कृत भाषा में लिखी थी। चूंकि उनकी मातृभाषा गुजराती थी व धर्म भाषा संस्कृत। इसलिए उन्हें हिंदी का कम ज्ञान था लेकिन आम जन की भाषा हिंदी होने के कारण व अपने साहित्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक को हिंदी में लिखा। इस तरह से सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक हिंदी भाषा में है।

  • सत्यार्थ प्रकाश की रचना कब हुई?

स्वामी जी ने इस पुस्तक का प्रथम संस्करण सन 1875 में राजस्थान के अजमेर शहर में प्रकाशित किया था। इस पुस्तक में हिंदी भाषा की कई त्रुटियां सामने आई। इसलिए उन्होंने हिंदी की व्याकरण व भाषा का अच्छे से ज्ञान लिया व उसमें पारंगत हुए। उसके बाद उन्होंने इस पुस्तक की त्रुटियों को दूर कर सन 1884 में इसे फिर से प्रकाशित किया।

सत्यार्थ प्रकाश हिंदी में (Satyarth Prakash In Hindi)

स्वामी दयानंद सरस्वती जी के द्वारा वैसे तो कई पुस्तकें लिखी गई थी लेकिन सत्यार्थ प्रकाश के ही प्रसिद्ध होने के क्या कारण थे? दरअसल अन्य सभी पुस्तकें मुख्य तौर पर किसी विशेष विषय वस्तु के बारे में लिखी गई थी लेकिन इस पुस्तक में उन्होंने अपने समग्र ज्ञान को निचोड़ दिया था

जिस प्रकार हिंदू धर्म में कई धार्मिक पुस्तकें हैं लेकिन उन सभी में गीता का मूल्य सबसे अधिक है। ठीक उसी तरह आर्य समाज के लोगों के लिए स्वामी जी की लिखी गई सभी पुस्तकों में से इसी Satyarth Prakash का महत्व सबसे अधिक है। इस पुस्तक को लिखने के पीछे स्वामी जी के दो मुख्य उद्देश्य थे। आइए उनके बारे में जान लेते हैं।

  • हिंदू धर्म के मूल का प्रचार

इस पुस्तक को लिखने का मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म के बारे में लोगों को सही जानकारी उपलब्ध करवाना था। चूंकि हिंदू धर्म का मुख्य ज्ञान संस्कृत भाषा में था जो आम लोगों को इतनी समझ नहीं आती थी। साथ ही समाज में चली आ रही विभिन्न प्रथाएं, नीतियां व आडंबर लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए थे व लोग उन्हें हिंदू धर्म से जोड़कर देखते थे जिससे कुरीतियों को और ज्यादा बढ़ावा मिल रहा था।

इसलिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के मूल अर्थात वेदों का सार, जीवन पद्धति, व्यवहार व संस्कृति इत्यादि आम लोगों को सरल भाषा में समझाने के उद्देश्य से इस पुस्तक की रचना की ताकि लोग हिंदू धर्म की कुरीतियों व आडंबरों को छोड़कर उसके मूल तत्व को समझें व उसी का पालन करें।

  • सत्यार्थ प्रकाश में इस्लाम

Satyarth Prakash पुस्तक का दूसरा मुख्य उद्देश्य विश्व के अन्य धर्मों जैसे कि जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई व इस्लाम की सच्चाई व उस पर स्वामी दयानंद जी के विचारों को लोगों के सामने रखना था। चूंकि उन्होंने अन्य सभी धर्मों व उनकी पुस्तकों का भी गहन अध्ययन किया था इसलिए उन्होंने उसे भी इस पुस्तक में लिखा व उस पर टिप्पणी की।

चूंकि भारत पिछली कई सदियों से गुलामी में था जिसमें पहले अफगानों ने फिर मुगलों ने और स्वामी जी के समय अंग्रेज सरकार भारत की भूमि पर शासन कर रही थी। अफगानों व मुगलों ने अपने समय में करोड़ों हिंदुओं की हत्या की थी व इतने ही हिंदुओं का जबरन इस्लाम में परिवर्तन करवा दिया था।

साथ ही अंग्रेजों की सरकार छल से हिंदू धर्म को नीचा दिखाकर तथा ईसाई व पाश्चात्य सभ्यता का प्रचार-प्रसार करके भारत के लोगों में धर्म परिवर्तन का बढ़ावा दे रही थी। इस कारण प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में हिंदू ईसाई व मुसलमान धर्म में परिवर्तित हो रहे थे जो हिंदू धर्म के पतन का कारण था। इस अंधाधुंध धर्मांतरण को रोकने के उद्देश्य से भी उन्होंने इस पुस्तक को लिखा।

Satyarth Prakash Book In Hindi | सत्यार्थ प्रकाश के समुल्लास

इस पुस्तक में कुल 14 अध्याय हैं जिसमें स्वामी जी ने जीवन जीने की पद्धति और विभिन्न संस्कारों का उल्लेख किया है। उदाहरण के तौर पर बच्चों को क्या संस्कार दिए जाने चाहिए, मनुष्य जीवन के चार आश्रम कैसे होने चाहिए, शिक्षा पद्धति कैसी हो, राजधर्म क्या होता है, पृथ्वी व प्रकृति का क्या संबंध है इत्यादि।

Satyarth Prakash का प्रत्येक अध्याय अलग विषय की व्याख्या करता है। आइए एक-एक करके इसके सभी अध्यायों और उनसे जुड़े विषयों के बारे में जान लेते हैं।

  • पहला समुल्लास/ अध्याय

इसमें ॐ शब्द की व्याख्या की गई है व उसका महत्व समझाया गया है। साथ ही ईश्वर के अन्य नामों के बारे में भी बताया गया है।

  • दूसरा समुल्लास/ अध्याय

इसमें बच्चों को कैसे संस्कार दिए जाने चाहिए, उसकी शिक्षा कैसी होनी चाहिए व बचपन से उन्हें किन बातों को अवश्य रूप से सिखाया जाना चाहिए, इसके बारे में बताया गया है।

  • तीसरा समुल्लास/ अध्याय

यह पूर्ण रूप से मानव की शिक्षा के ऊपर है जिसमें मनुष्य के ब्रह्मचर्य जीवन के बारे में बताया गया है अर्थात उसे किन पुस्तकों को पढ़ना चाहिए, क्या शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, उस समय उसके क्या कर्तव्य होते हैं, उसे ब्रह्मचर्य आश्रम में किन महत्वपूर्ण बातों का आवश्यक रूप से ध्यान रखना चाहिए इत्यादि।

साथ ही एक शिक्षक की क्या भूमिका होनी चाहिए, उसका अपने विद्यार्थियों के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए व एक उत्तीर्ण विद्यार्थी के अंदर क्या गुण होने चाहिए, यह सब Satyarth Prakash पुस्तक के इस अध्याय में मिलेगा।

  • चौथा समुल्लास/ अध्याय

इस अध्याय में व्यक्ति के गृहस्थ जीवन के बारे में चर्चा की गई है। व्यक्ति का विवाह, उसके कर्तव्य, विवाह के संस्कार, पति व पत्नी के प्रति उसका आचरण इत्यादि के बारे में बताया गया है।

  • पांचवां समुल्लास/ अध्याय

इस अध्याय में वे वानप्रस्थ आश्रम से जुड़े मूल्यों के बारे में लिखते हैं जिसमें मनुष्य को सांसारिक सुख-दुःख, मोह-माया का त्याग कर किसी की आकांशा या अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए व निःस्वार्थ भाव से जन कल्याण के कार्य करने चाहिए।

  • छठा समुल्लास/ अध्याय

इसमें उन्होंने राज धर्म के बारे में बताया है अर्थात राजनीतिक व्यवस्था, शासन प्रणाली व उनके गूढ़ के बारे में चर्चा की गई है क्योंकि जब तक सुचारु व दृढ़ व्यवस्था समाज में नहीं होगी तो अराजकता फैल जाएगी। इसलिए एक मजबूत सरकार व नेतृत्व का होना अति-आवश्यक है।

  • सातवां समुल्लास/ अध्याय

इस अध्याय में आपको वेदों का ज्ञान जानने को मिलेगा। चारों वेदों का संक्षिप्त ज्ञान जो मनुष्य को जीवन जीने की एक पद्धति बताते हैं, ईश्वर जो हमें कानूनों से बढ़कर नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं, वह सब इस अध्याय में सम्मिलित है।

  • आठवां समुल्लास/ अध्याय

इसमें उन्होंने एक तरह से हिंदू धर्म के तीन मुख्य भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश की बात की है। इस अध्याय में उन्होंने इस सृष्टि की उत्पत्ति, उसकी अभी की स्थिति व प्रलय के बारे में बताया है।

  • नौवां समुल्लास/ अध्याय

पृथ्वी की उत्पत्ति व अंत से ऊपर उठकर इसमें उन्होंने सांसारिक बंधनों व मोक्ष की बात की है। किस प्रकार मनुष्य अपने अज्ञान से सांसारिक सुखों से जकड़ा रहता है व किस प्रकार वह परम ज्ञान व इन्द्रियों को नियंत्रण में कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है, यह सब इस अध्याय में समझाया गया है।

  • दसवां समुल्लास/ अध्याय

इसमें उन्होंने मनुष्य के आचरण व भोजन के बारे में विवरण दिया है। प्रकृति, जीव-जंतुओं व अन्यों के प्रति मनुष्य का किस प्रकार का व्यवहार उचित है व क्या अनुचित है, साथ ही किस प्रकार का भोजन उसे करना चाहिए व किस प्रकार का नहीं, इसके बारे में प्रकाश डाला गया है।

  • ग्यारहवां समुल्लास/ अध्याय

इसमें उन्होंने भारत में वेदों का पतन कर रहे अन्य धर्मों के बारे में लिखा है व उनके उद्देश्य के बारे में बताया है। साथ ही भारत में फैले विभिन्न संप्रदायों, कुरीतियों, भ्रांतियां इत्यादि का खंडन किया है।

  • बारहवां समुल्लास/ अध्याय

इस अध्याय में उन्होंने जैन, बौद्ध व चार्वाक धर्म संप्रदाय पर अपने मत व्यक्त किए हैं व उनके बारे में टिप्पणी की है। उन्होंने हिंदू धर्म से निकले इन सभी धर्मों के बारे में बताया है व कैसे उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए हिंदू धर्म की हानि की, इसके बारे में प्रकाश डाला गया है।

  • तेरहवां समुल्लास/ अध्याय

यह अध्याय ईसाई धर्म की नीतियों, बाइबिल पुस्तक इत्यादि के बारे में स्वामी जी के विचार प्रकट करता है (Satyarth Prakash on Christianity)। उन्होंने ईसाई धर्म की विभिन्न नीतियों, ईसा मसीह का लोगों को भ्रमित करना व मुर्ख बनाने इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया है।

  • चौदहवां समुल्लास/ अध्याय

यह पूरा अध्याय इस्लाम, मोहम्मद व अल्लाह के विचारों को सिरे से नकार देता है। स्वामी जी ने इस्लाम को मानवता के विरुद्ध एक षडयंत्र बताया है व इसे धर्म मानने से ही मना कर दिया है। इसमें उन्होंने इस्लाम की विभिन्न कुरीतियों, नफरत, हिंसा इत्यादि के बारे में लिखते हुए टिप्पणी की है कि कोई भी भगवान किसी के प्रति इतनी हिंसक बातें नहीं कह सकता।

सत्यार्थ प्रकाश का अन्य भाषाओं में अनुवाद

Satyarth Prakash इतनी ज्यादा प्रसिद्ध हुई कि इसका देश ही नहीं अपितु विश्व की अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया। यह पुस्तक मूलतः हिंदी भाषा में है जिसका भारत की अन्य भाषाओं संस्कृत, पंजाबी, सिंधी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली, मराठी, गुजराती, कन्नड़, उड़िया, आसामी इत्यादि में अनुवाद किया गया है। साथ ही कई विदेशी भाषाओं जैसे कि अंग्रेजी, अरबी, चाईनीज, उर्दू, फ्रेंच, स्पेनिश, नेपाली, जर्मन, थाई इत्यादि में अनुवाद किया जा चुका है।

सत्यार्थ प्रकाश से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: सत्यार्थ प्रकाश में क्या लिखा है?

उत्तर: सत्यार्थ प्रकाश में बच्चों की शिक्षा, विश्व के सभी धर्मों पर स्वामी दयानंद सरस्वती के विचार, मनुष्य जीवन के चारों आश्रम सहित कई महत्वपूर्ण बातों पर लिखा गया है

प्रश्न: सत्यार्थ प्रकाश की रचना कब और किसने की थी?

उत्तर: सत्यार्थ प्रकाश की रचना स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने की थी इसका पहला संस्करण सन 1875 में और फिर दूसरा संस्करण सन 1884 में प्रकाशित हुआ था

प्रश्न: सत्यार्थ प्रकाश के पिता कौन थे?

उत्तर: सत्यार्थ प्रकाश कोई मनुष्य नहीं अपितु एक पुस्तक है और पुस्तक के जनक या रचयिता होते हैं, ना कि पिता सत्यार्थ प्रकाश के जनक स्वामी दयानंद सरस्वती जी थे

प्रश्न: सत्यार्थ प्रकाश पर बैन क्यों है?

उत्तर: सत्यार्थ प्रकाश पर बैन भारत देश में ना होकर बल्कि मुस्लिम देशों में है ऐसा इसलिए क्योंकि स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसमें इस्लाम धर्म के विरुद्ध टिप्पणियां की है

प्रश्न: आर्य समाज की पवित्र पुस्तक कौन सी है?

उत्तर: आर्य समाज की पवित्र पुस्तक का नाम सत्यार्थ प्रकाश है जिसे स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने लिखा था

प्रश्न: सत्यार्थ प्रकाश में कितने अध्याय हैं?

उत्तर: सत्यार्थ प्रकाश में कुल 14 अध्याय हैं जिनका संबंध अलग-अलग विषयों से है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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